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Nov 23 2024

संदर्भ 

हाल ही में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में 19वाँ G20 शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ।

रियो G20 के बारे में

  • थीम: ‘एक न्यायपूर्ण विश्व और एक सतत ग्रह का निर्माण’ (Building a Just World and a Sustainable Planet)
  • मेजबान देश: ब्राजील
  • स्थान: आधुनिक कला संग्रहालय (MAM), रियो डी जेनेरियो
  • प्रतिभागी: 19 सदस्य देश और दो क्षेत्रीय निकाय यानी यूरोपीय संघ, अफ्रीकी संघ।
  • मुख्य प्राथमिकताएँ: ब्राजील की G20 प्रेसीडेंसी ने इस वर्ष के कार्य को तीन प्राथमिकताओं पर केंद्रित किया है:
    • सामाजिक समावेशन और भूख और गरीबी के विरुद्ध लड़ाई।
    • सतत् विकास, ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु कार्रवाई।
    • वैश्विक शासन संस्थानों में सुधार।
  • महत्त्व 
    • यह ब्राजील में आयोजित होने वाला पहला G20 शिखर सम्मेलन था।
    • रियो शिखर सम्मेलन में पहली बार अफ्रीकी संघ पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लेगा, क्योंकि इसे पिछले साल ही नई दिल्ली में आयोजित सम्मेलन के दौरान शामिल किया गया था।

G20 रियो डी जेनेरियो नेताओं के घोषणा-पत्र की मुख्य बिंदु

  • भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन: यह ब्राजील द्वारा अपनी G20 प्रेसीडेंसी के दौरान शुरू की गई एक वैश्विक पहल है।
    • लक्ष्य: इसका प्राथमिक लक्ष्य वर्ष 2030 तक विश्व भर से भुखमरी और गरीबी को समाप्त करना है।
    • तीन स्तंभ: गठबंधन तीन स्तंभों पर कार्य करता है:
      • राष्ट्रीय समन्वय: भुखमरी और गरीबी को दूर करने के लिए राष्ट्रीय नीतियों और रणनीतियों को मजबूत करना।
      • वित्त जुटाना: भुखमरी और गरीबी को कम करने के उद्देश्य से पहल तथा कार्यक्रमों का समर्थन करने के लिए धन जुटाना।
      • ज्ञान एकीकरण: हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता में सुधार के लिए ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
    • मुख्यालय: तकनीकी मुख्यालय खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) यानी रोम, इटली में होगा, लेकिन कार्यात्मक स्वायत्तता के साथ।
    • भारत की भूमिका: भारत वैश्विक गठबंधन का एक सक्रिय सदस्य है और इसके लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
  • रणनीतिक प्रतिबद्धताएँ
    • 500 मिलियन लोगों तक पहुँचने के लिए नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों का विस्तार करना।
    • अतिरिक्त 150 मिलियन बच्चों को स्कूल भोजन उपलब्ध कराना।
    • स्वास्थ्य कार्यक्रमों के माध्यम से 6 वर्ष तक की आयु के 200 मिलियन बच्चों और गर्भवती महिलाओं की सहायता करना।
  • लेबनान और गाजा युद्ध विराम
    • फिलिस्तीनी अधिकारों की पुष्टि
      • फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को मान्यता देता है और उसकी पुष्टि करता है (यह लोगों को स्वतंत्र रूप से अपनी राजनीतिक स्थिति निर्धारित करने और बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाने की क्षमता प्रदान करता है)।
      • दो-राष्ट्र समाधान के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराता है, जिसमें इजरायल और फिलिस्तीनी राज्य के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की कल्पना की गई है।
    • गाजा में व्यापक युद्ध विराम के लिए समर्थन: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 2735 के अनुरूप गाजा में व्यापक युद्ध विराम।
      • लेबनान में: ब्लू लाइन के दोनों ओर नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए व्यापक युद्ध विराम।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) की स्थिति: SDGs पर प्रगति में तेजी लाने के लिए G20 2023 कार्य योजना के शीघ्र कार्यान्वयन का आह्वान।
    • समय-सीमा: SDG के लिए वर्ष 2030 एजेंडा को प्राप्त करने के लिए केवल छह वर्ष शेष हैं।
    • ऑन-ट्रैक लक्ष्य: केवल 17% लक्ष्यों के लिए प्रगति ट्रैक पर है।
    • सीमित प्रगति: लगभग 50% लक्ष्य न्यूनतम या मध्यम प्रगति दिखाते हैं।
    • अवरोध: एक-तिहाई से अधिक लक्ष्य या तो रुके हुए हैं अथवा पीछे हटे हुए हैं।

डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत (Deccan High-Level Principles)

  • तैयार किया गया: डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांत FAO, विश्व बैंक और WTO द्वारा तैयार की गई मैपिंग अभ्यास रिपोर्ट से विकसित किए गए थे।
  • अनुरोध: वर्ष 2022 में G20 कृषि और वित्त मंत्रियों द्वारा आरंभ किया गया।
  • उद्देश्य: वैश्विक खाद्य असुरक्षा को संबोधित करने में सामूहिक प्रयासों का मार्गदर्शन करना।

  • खाद्य सुरक्षा और पोषण के प्रति प्रतिबद्धता: G20 खाद्य सुरक्षा, पोषण और पर्याप्त भोजन के अधिकार की प्रगतिशील प्राप्ति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है, जैसा कि डेक्कन उच्च-स्तरीय सिद्धांतों, 2023 में उल्लिखित है।
  • नृजातीय-नस्लीय समानता पर SDG 18 (सतत् विकास लक्ष्य) को शामिल करना: नृजातीय-नस्लीय समानता पर ध्यान केंद्रित करने वाले एक नए SDG को आधिकारिक तौर पर G20 प्राथमिकताओं में एक प्रमुख तत्त्व के रूप में शामिल किया गया।
  • यूक्रेन युद्ध का प्रभाव: युद्ध ने मानवीय पीड़ा को और बढ़ा दिया है तथा वैश्विक खाद्य, ऊर्जा सुरक्षा, आपूर्ति शृंखला एवं वित्तीय स्थिरता को बाधित किया है। 
    • G20 शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राष्ट्र चार्टर के साथ संरेखित रचनात्मक शांति प्रयासों का समर्थन करता है।
  • भ्रष्टाचार और संबंधित अवैध वित्तीय प्रवाह के खिलाफ प्रयास: GlobE नेटवर्क और अन्य अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी नेटवर्क का सर्वोत्तम उपयोग करके।
  • कराधान: अत्यधिक उच्च-निवल-मूल्य संपत्तियों वाले व्यक्तियों के प्रभावी कराधान को सुनिश्चित करने के लिए सहकारी रूप से संलग्न होने हेतु प्रतिबद्ध और प्रगतिशील कराधान का समर्थन किया।

GlobE नेटवर्क (GlobE Network)

  • भ्रष्टाचार विरोधी कानून प्रवर्तन प्राधिकरणों का वैश्विक परिचालन नेटवर्क (GlobE नेटवर्क) G20 की एक पहल थी।
  • इसके 121 सदस्य देश और 219 सदस्य प्राधिकरण हैं।
  • इस नेटवर्क का संचालन इसके सदस्यों द्वारा किया जाता है और इसे संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (United Nations Office against Drugs and Crime- UNODC) द्वारा समर्थन प्राप्त है।
  • भारत भी इस नेटवर्क का सदस्य है।
    • इसके केंद्रीय जाँच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation- CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) नेटवर्क का हिस्सा हैं।
    • गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs- MHA) भारत के लिए केंद्रीय प्राधिकारी के रूप में कार्य करता है।

  • जलवायु परिवर्तन: शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के लिए वैश्विक कार्यबल की शुरुआत की गई, ताकि विशेष रूप से विकासशील देशों में जलवायु वित्तपोषण को मजबूत किया जा सके।
    • यह वर्ष 2040 तक भूमि क्षरण को 50% तक स्वैच्छिक रूप से कम करने की G20 की महत्त्वाकांक्षा की भी पुष्टि करता है।
    • देशों ने अत्यधिक सूखे और जंगल की आग के नकारात्मक प्रभावों को रोकने, प्रबंधित करने और संबोधित करने के लिए कदम उठाने की भी प्रतिज्ञा की है।
    • ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF) की स्थापना करने और इस सुविधा को वन संरक्षण के लिए एक अभिनव उपकरण के रूप में स्वीकार करने की योजना है।
  • प्रभावी बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs): G20 ने MDB की प्रभावशीलता, वित्तीय क्षमता और सतत् विकास लक्ष्यों के साथ संरेखण को बढ़ाने के लिए एक रोडमैप का समर्थन किया।

रियो G20 शिखर सम्मेलन में भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया

  • भारत का G20 विषय ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य (One Earth, One Family, One Future) इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले वर्ष था।
  • गरीबी निर्मूलन
    • पिछले दशक में 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया।
    • 800 मिलियन नागरिकों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया।
    • विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से 550 मिलियन लोगों को लाभ मिला।
  • खाद्य सुरक्षा
    • खाद्य सुरक्षा के लिए ‘बैक टू बेसिक्स एंड मार्च टू फ्यूचर’ दृष्टिकोण की वकालत की गई।
    • शिखर सम्मेलन में श्री अन्ना या बाजरा को बढ़ावा देने, डिजिटल कृषि मिशन और 2,000 से अधिक जलवायु-लचीली फसल किस्मों के विकास जैसी पहलों पर प्रकाश डाला गया।
  • वैश्विक दक्षिण के लिए समर्थन
    • अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया गया, मलावी, जांबिया और जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान की गई।
  • भारत निम्नलिखित पहलों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा तथा पोषण दोनों को प्राथमिकता दे रहा है।
    • सक्षम आंगनवाड़ी एवं पोषण 2.0 अभियान: यह एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और किशोरियों के पोषण पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • मध्याह्न भोजन योजना में स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  • भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना ने सामाजिक और वित्तीय समावेशन को सक्षम बनाया: आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों की परियोजना के साथ भारत ने समावेशी विकास के लिए एक नया मॉडल बनाया है, जो सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत करता है।
  • महिलाओं और किसानों के लिए समर्थन
    • 300 मिलियन से अधिक महिला सूक्ष्म उद्यमियों को बैंकों से जोड़ा गया है तथा उन्हें ऋण तक पहुँच प्रदान की गई है। 
    • किसानों को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संस्थागत ऋण दिया जा रहा है।

G20 समूह के समक्ष चुनौतियाँ

  • भिन्न-भिन्न आर्थिक हित: G20 में उन्नत देशों से लेकर उभरते बाजारों तक की अर्थव्यवस्थाओं का एक विविध समूह शामिल है।
    • आम सहमति तक पहुँचने के लिए इन भिन्न-भिन्न हितों को संतुलित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
    • G20 आम सहमति मॉडल पर काम करता है, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।
  • भू-राजनीतिक तनाव: भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता, जैसे कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव, साथ ही मध्य-पूर्व में मुद्दे, G20 विचार-विमर्श और आम सहमति निर्माण को बाधित करने की क्षमता रखते हैं।
    • ये भू-राजनीतिक संघर्ष खाद्य ईंधन तथा उर्वरक की कमी संबंधी समस्या को बढ़ाते हैं, विकासशील देशों पर प्रभाव डालते हैं और खाद्य सुरक्षा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रयासों में बाधा डालते हैं।
  • जलवायु परिवर्तन प्रतिबद्धताएँ: जबकि जलवायु परिवर्तन G20 के लिए एक केंद्रीय विषय है, जलवायु वित्त, जीवाश्म ईंधन सब्सिडी और उत्सर्जन में कमी पर बाध्यकारी समझौते हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।
  • कोई बाध्यकारी प्रवर्तन तंत्र नहीं: G20 में कानूनी रूप से बाध्यकारी संरचना की कमी अक्सर अधूरी प्रतिबद्धताओं की ओर ले जाती है, क्योंकि समझौते स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं पर निर्भर करते हैं, कार्यान्वयन के लिए जवाबदेही का अभाव होता है।
  • वैश्विक दक्षिण का कम प्रतिनिधित्व: जबकि कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं, छोटे और कम विकसित राष्ट्रों का प्रतिनिधित्व कम है, जिससे G20 का ऋण राहत और न्यायसंगत विकास जैसे मुद्दों पर ध्यान सीमित हो जाता है।
  • राष्ट्रीय संप्रभुता बनाम वैश्विक सहयोग: G20, स्वभाव से, सदस्य देशों से वैश्विक मुद्दों पर बातचीत करने की अपेक्षा करता है, जो राष्ट्रीय संप्रभुता को चुनौती दे सकते हैं।
    • वैश्विक कराधान, जलवायु परिवर्तन और व्यापार समझौतों जैसे विषयों पर चर्चा करते समय यह विशेष रूप से विवादास्पद हो सकता है।

आगे की राह

  • भुखमरी, ईंधन तथा उर्वरक संकट का समाधान: विशेष रूप से विकासशील क्षेत्रों में कमी को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय  संगठनों के साथ सहयोग बढ़ाना।
    • ग्लोबल हंगर एंड पॉवर्टी अलायंस तथा मिलेट इनिशिएटिव जैसी पहलों का विस्तार किया जाना चाहिए।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: G20 प्रतिबद्धताओं के प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट लक्ष्य तथा समय-सीमा के साथ तंत्र निर्माण।
  • प्रतिनिधित्व बढ़ाएँ: वैश्विक निर्णय-निर्माण और बहुपक्षीय संस्थाओं में विकासशील देशों के बेहतर प्रतिनिधित्व की वकालत करना।
  • उचित व्यापार को बढ़ावा देना: समावेशी वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संरक्षणवाद पर ध्यान देना तथा व्यापार नियमों में सुधार करना।
  • राजनयिक संवाद को बढ़ावा: वैश्विक सहयोग में बाधा डाले बिना, यूक्रेन और मध्य-पूर्व जैसे चल रहे संघर्षों के लिए शांतिपूर्ण समाधान, संवाद और बातचीत को प्रोत्साहित करना।

निष्कर्ष

वर्ष 2026 तक, जब सभी G20 देश कम-से-कम एक बार अध्यक्षता कर चुके होंगे, यह मील का पत्थर वैश्विक प्रगति को आगे बढ़ाने तथा समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए समूह की सामूहिक प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने का अवसर है।

भारत का पहला AI डेटा बैंक

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘एसोचैम AI लीडरशिप मीट-2024 के 7वें संस्करण में भारत का पहला आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डेटा बैंक लॉन्च किया।

AI डेटा बैंक के बारे में

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) डेटा बैंक उच्च गुणवत्ता वाले, विविध डेटासेटों का एक केंद्रीकृत भंडार है, जिसे AI प्रणालियों के विकास, परीक्षण और तैनाती का समर्थन करने के लिए डिजाइन किया गया है।

AI डेटा बैंक का महत्त्व

  • नवाचार और विकास के लिए संसाधन: यह शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और डेवलपर्स के लिए स्केलेबल और समावेशी AI समाधान बनाने के लिए एक संसाधन के रूप में कार्य करता है।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना
    • उपग्रह, ड्रोन और IoT डेटा का वास्तविक समय विश्लेषण प्रदान करता है।
    • निगरानी, ​​खतरे का पता लगाने और निर्णय लेने की क्षमताओं को मजबूत करता है।
  • महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण
    • जोखिमों का पूर्वानुमान लगाकर और उन्हें कम करके आपदा प्रबंधन का समर्थन करता है।
    • उन्नत खतरे की भविष्यवाणी और रोकथाम प्रणालियों के माध्यम से साइबर सुरक्षा को मजबूत करता है।
  • नवाचार को बढ़ावा देना: इसका उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में AI प्रौद्योगिकियों में प्रगति को बढ़ावा देना है।

एसोचैम (ASSOCHAM)

  • एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (ASSOCHAM) एक गैर-सरकारी व्यापार संघ और समर्थन समूह है, जो भारत में व्यवसायों, चैंबर्स और एसोसिएशनों का प्रतिनिधित्व करता है।

OTT प्लेटफॉर्म- ‘वेव्स (Waves)’

भारत के सार्वजनिक प्रसारक, प्रसार भारती ने ‘वेव्स (Waves)’ नाम से एक नया OTT प्लेटफॉर्म प्रस्तुत किया है।

IFFI 2024 की मुख्य विशेषताएँ

  • यह मंच, महोत्सव में विशेष सामग्री प्रदर्शित करेगा, जिसमें शामिल हैं:
    • नागार्जुन और अमला अक्किनेनी (Amala Akkineni) द्वारा रोल नंबर 52
    • गौहर खान अभिनीत फौजी 2.0
    • गुनीत मोंगा कपूर द्वारा किकिंग बॉल्स। इसमें एनिमेशन, लाइव शो और विशेष संगीत सामग्री भी है।

‘वेव्स’ (Waves) के बारे में

  • यह प्रसार भारती का एक OTT प्लेटफॉर्म है।
  • इसे गोवा के मुख्यमंत्री द्वारा भारतीय अंतरराष्ट्रीय  फिल्म महोत्सव (IFFI), 2024 के दौरान लॉन्च किया गया था।
  • मंत्रालय: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार।
  • विशेषताएँ
    • आसान पहुँच: ऐप एंड्रॉइड और iOS पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
      • इसका प्रचार इस टैगलाइन के साथ किया गया है: ‘वेव्स-फैमिली इंटरटेनमेंट की नई लहर’ (Waves-Family Entertainment Ki Nayi Lehar)
    • सामग्री की व्यापक विविधता
      • भाषाएँ: हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तमिल, असमिया और कोंकणी जैसी 12+ भाषाओं में सामग्री प्रदान करता है।
      • सामग्री के प्रकार: इसमें फिल्में, टीवी शो, मनोरंजन, शिक्षा, गेमिंग और ऑनलाइन शॉपिंग शामिल हैं।
      • लाइव चैनल: इसमें 65 लाइव टीवी चैनल शामिल हैं।
      • ऑन-डिमांड सेवाएँ: इसमें लोकप्रिय एनिमेशन (छोटा भीम), संगीत शो, थ्रिलर और शैक्षिक कार्यक्रम शामिल हैं।
      • शॉपिंग सुविधा: उपयोगकर्ता ONDC एकीकरण के साथ ऑनलाइन खरीदारी कर सकते हैं।

‘भू-नीर’ पोर्टल (Bhu-Neer Portal)

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने भारत जल सप्ताह 2024 के समापन समारोह के दौरान ‘भू-नीर’ (Bhu-Neer) पोर्टल लॉन्च किया।

भू-नीर पोर्टल 

  • यह एक केंद्रीकृत मंच है।
  • इसे केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (CGWA) ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से विकसित किया है।

‘भू-नीर’ पोर्टल की विशेषताएँ

  • केंद्रीकृत डेटाबेस
    • भूजल नीतियों, अनुपालन और विनियमों पर जानकारी के लिए वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म प्रदान करता है।
    • राज्य और राष्ट्रीय स्तर के कानूनी ढाँचे को शामिल करता है।
  • उपभोक्ता-अनुकूल इंटरफ़ेस
    • उपयोगकर्ताओं के लिए एक सरलीकृत और सूचनात्मक इंटरफेस प्रदान करता है।
    • भूजल निकासी के संदर्भ में परमिट प्राप्ति की प्रकिया हेतु डिजाइन किया गया।
  • उन्नत विशेषताएँ
    • पैन-आधारित एकल आईडी प्रणाली (PAN-Based Single ID System): उपयोगकर्ताओं के लिए विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करती है।
    • QR कोड के साथ NOC: सत्यापन और अनुपालन में आसानी को बेहतर बनाता है।
    • पहले की NOCAP प्रणाली से महत्त्वपूर्ण उन्नयन।

विजन पोर्टल: वंचित बच्चों में कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए

केंद्रीय मंत्री ने ‘विद्यार्थी नवाचार एवं आउटरीच नेटवर्क के लिए विकसित भारत पहल’ (विजन) पोर्टल की शुरुआत की।

विजन पोर्टल के बारे में

  • नोडल मंत्रालय: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
  • उद्देश्य: स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाकर वंचित बच्चों के बीच शिक्षा, कौशल विकास और नवाचार को बढ़ावा देना।

संदर्भ

एक्सेस टू न्यूट्रिशन इनिशिएटिव (ATNi), ‘ग्लोबल एक्सेस टू न्यूट्रिशन इंडेक्स’ के अपने पाँचवें संस्करण में, विभिन्न क्षेत्रों में बेचे जाने वाले खाद्य एवं पेय (Food And Beverage- F&B) उत्पादों की स्वास्थ्य प्रदता संबंधी असमानताओं पर प्रकाश डालता है। 

ATNi रिपोर्ट से मुख्य निष्कर्ष

  • वैश्विक बाजार के 23% का प्रतिनिधित्व करने वाले 30 प्रमुख वैश्विक F&B निर्माताओं के विश्लेषण के आधार पर, रिपोर्ट पौष्टिक खाद्य पदार्थों तक पहुँच बढ़ाने के उनके प्रयासों का मूल्यांकन करती है।
  • उत्पाद स्वास्थ्य में वैश्विक असमानताएँ: अग्रणी F&B कंपनियाँ उच्च आय वाले देशों (HICs) की तुलना में निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में कम स्वस्थ उत्पाद बेचती हैं।
    • हेल्थ स्टार  रेटिंग
      • LMICs का औसत: 1.8
      • HICs का औसत: 2.3।
    • केवल 30% कंपनियों के पास कम आय वाले उपभोक्ताओं के लिए स्वास्थ्यप्रद उत्पादों की वहनीय कीमत तय करने की रणनीति है।
  • डेटा पारदर्शिता के मुद्दे: HICs  की तुलना में LMICs में उत्पादों के लिए सूक्ष्म पोषक तत्त्व संबंधी डेटा कम उपलब्ध है।
  • बेबी फूड केस स्टडी: अप्रैल 2024 की रिपोर्ट में यूरोप की तुलना में भारत, अफ्रीका एवं लैटिन अमेरिका में नेस्ले के बेबी फूड में उच्च ‘सुगर’ सामग्री पर प्रकाश डाला गया।

हेल्थ स्टार रेटिंग प्रणाली

  • स्वास्थ्य घटकों के आधार पर उत्पादों को 5 में से रेटिंग दी गई।
  • जोखिम बढ़ाने वाले कारक: ऊर्जा, संतृप्त वसा, कुल शर्करा एवं सोडियम।
  • जोखिम कम करने वाले कारक: प्रोटीन, फाइबर, एवं फलों, सब्जियों, नट्स में पाए जाने वाले तत्त्व।
  • 3.5 से ऊपर का स्कोर, स्वस्थ विकल्पों का संकेत देता है।

भारत की पोषण एवं स्वास्थ्य चुनौतियाँ

  • बढ़ती गैर-संचारी बीमारियाँ (NCDs)
  • मधुमेह: 10 करोड़ से अधिक भारतीय प्रभावित।
  • मोटापा: महिलाओं में इसका प्रचलन 24% एवं पुरुषों में 23% है।
  • ICMR दिशा-निर्देशों के अनुसार, आहार 56.4% बीमारी के बोझ से जुड़ा है।
  • लगातार अल्पपोषण एवं कमियाँ
    • अल्पपोषण, एनीमिया एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी मोटापे की समस्याओं के साथ मौजूद है।
  • स्वस्थ आहार की सामर्थ्य
    • 50% से अधिक भारतीय स्वस्थ आहार नहीं ले सकते।
    • कुल खाद्य लागत के अनुपात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर व्यय बढ़ रहा है।

फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग के लिए नीति एवं सिफारिशें

  • अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू प्रतिबद्धताएँ: भारतीय बच्चों को जंक फूड विपणन से बचाने के लिए WHA संकल्पों का एक हस्ताक्षरकर्ता देश है।
    • NCD रोकथाम के लिए राष्ट्रीय बहुक्षेत्रीय कार्य योजना (2017-22) में सीमित प्रगति देखी गई है।
  • प्रस्तावित लेबलिंग विनियम: खाद्य सुरक्षा एवं मानक (लेबलिंग तथा प्रदर्शन) संशोधन विनियमन, 2022 के मसौदे में बहुत कम प्रगति देखी गई है।
  • फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग की प्रभावशीलता
    • चिली एवं मेक्सिको से साक्ष्य: अनिवार्य लेबलिंग के कारण शर्करायुक्त पेय पदार्थों की खपत कम हो गई।
    • अध्ययनों के अनुसार, चेतावनी लेबल स्टार रेटिंग सिस्टम की तुलना में अधिक प्रभावशाली होते हैं।
  • विज्ञापन एवं संरचना संबंधी चिंताएँ: 43 प्री-पैकेज्ड खाद्य विज्ञापनों के विश्लेषण से संतृप्त वसा, चीनी या सोडियम का उच्च स्तर पता चला।

विशेषज्ञों की सिफारिशें

  • अनिवार्य नीतियाँ: पोषण संबंधी प्रदर्शन में सुधार के लिए कंपनियों के स्वैच्छिक प्रयास अपर्याप्त हैं।
    • व्यापक कार्यान्वयन के लिए मजबूत सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
  • चेतावनी लेबल एवं विज्ञापन प्रतिबंध: अधिवक्ता स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए जंक फूड विज्ञापनों पर चेतावनी लेबल एवं प्रतिबंधों पर जोर देते हैं।

संदर्भ

हाल ही में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रतिरोधी संक्रमणों के लिए पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक ‘नेफिथ्रोमाइसिन’ को औपचारिक रूप से लॉन्च किया।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance-AMR) के बारे में

  • यह तब होता है, जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक एवं परजीवी समय के साथ परिवर्तित होते हैं तथा दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं, जिससे संक्रमण का उपचार करना कठिन हो जाता है एवं बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी तथा मृत्यु तक का खतरा बढ़ जाता है। 
  • दवा प्रतिरोध के परिणामस्वरूप, एंटीबायोटिक्स एवं अन्य रोगाणुरोधी दवाए अप्रभावी हो जाती हैं तथा संक्रमण का इलाज करना कठिन या असंभव हो जाता है।

नेफिथ्रोमाइसिन के बारे में

  • नेफिथ्रोमाइसिन भारत में पहला स्वदेशी रूप से विकसित एंटीबायोटिक है, जिसे वॉकहार्ट फार्मास्यूटिकल्स द्वारा मिकनाफ के तहत बाजार में लाया गया है। 
  • विकास: बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस कौंसिल (BIRAC), जैव प्रौद्योगिकी विभाग का एक प्रभाग। 
  • उद्देश्य: रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) जैसी महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौतियों का समाधान करना।
  • अनुप्रयोग: नेफिथ्रोमाइसिन विशेष रूप से कम्युनिटी अक्वायर्ड बैक्टीरियल निमोनिया (CABP) को लक्षित करता है, जो दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के कारण होने वाली एक गंभीर स्थिति है। 
  • प्रभावकारिता एवं लाभ
    • नेफिथ्रोमाइसिन विशिष्ट एवं असामान्य दोनों प्रकार के रोगजनकों को लक्षित करता है, जिससे यह दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया के विरुद्ध अत्यधिक प्रभावी हो जाता है।
    • यह एजिथ्रोमाइसिन से दस गुना अधिक प्रभावी है, इसके न्यूनतम दुष्प्रभाव हैं एवं भोजन के साथ कोई संपर्क नहीं है।
    • अनुशंसित खुराक तीन दिवसीय है, जिसे उपयोग में आसानी एवं प्रभावशीलता के लिए नैदानिक ​​​​परीक्षणों द्वारा मान्य किया गया है।
  • विनियामक एवं अनुमोदन स्थिति
    • दवा को फिलहाल विनिर्माण एवं सार्वजनिक उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से अंतिम मंजूरी का इंतजार है।
  • महत्त्व
    • नेफिथ्रोमाइसिन भारत के फार्मास्यूटिकल नवाचार में एक मील का पत्थर है, जो स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास के माध्यम से रोगाणुरोधी प्रतिरोध जैसे वैश्विक स्वास्थ्य संकटों को संबोधित करने की देश की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के बारे में

  • CDSCO स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत भारत का राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण (NRA) है।
  • मुख्यालय: नई दिल्ली।
  • नेतृत्व: भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI)।
  • अधिदेश: औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत, CDSCO इसके लिए उत्तरदायी है:
    • नई दवाओं की मंजूरी।
    • क्लिनिकल परीक्षण का संचालन।
    • औषधियों के लिए मानक निर्धारित करना।
    • देश में आयातित औषधियों की गुणवत्ता पर नियंत्रण।
    • राज्य औषधि नियंत्रण संगठनों की गतिविधियों का समन्वय।

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को मोबाइल टावरों एवं प्री-फैब्रिकेटेड बिल्डिंग (Prefabricated Buildings- PFBs) की स्थापना के लिए केंद्रीय मूल्य वर्द्धित कर (Central Value Added Tax- CENVAT) क्रेडिट का दावा करने की अनुमति दी है, जो उत्पाद शुल्क के अधीन हैं।

केंद्रीय मूल्य वर्द्धित कर क्रेडिट (CENVAT क्रेडिट) के बारे में

  • यह एक ऐसा तंत्र है, जो निर्माताओं एवं सेवा प्रदाताओं को उत्पाद शुल्क या इनपुट सेवाओं तथा इनपुट पर भुगतान किए गए अतिरिक्त शुल्क पर टैक्स क्रेडिट का दावा करने की अनुमति देता है।
    • यह प्रक्रिया कर को सरल बनाती है एवं व्यवसायों पर बोझ कम करती है। 
  • इसे वर्ष 2004 में ‘सेनवेट क्रेडिट नियम’ के तहत प्रस्तुत किया गया था। 
  • इसका मुख्य उद्देश्य पिछली प्रणाली संशोधित मूल्य वर्द्धित कर या MODVAT को संशोधित करना था।
  • लाभ
    • दोहरे कराधान की रोकथाम: पहले चरणों में भुगतान किए गए करों के लिए क्रेडिट की अनुमति देकर करों के व्यापक प्रभाव को हटा देता है।
    • कर अनुपालन को बढ़ावा देता है: व्यवसाय CENVAT क्रेडिट का दावा तभी कर सकता है, जब इनपुट आपूर्तिकर्ता ने सरकार को लागू करों का भुगतान किया हो। 
    • व्यवसाय वृद्धि को प्रोत्साहित करता है: उत्पादकता में सुधार के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी एवं पूँजीगत वस्तुओं में निवेश को प्रोत्साहित करता है।
  • CENVAT क्रेडिट की प्रयोज्यता
    • अंतिम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क: कर योग्य वस्तुओं के निर्माता एवं उत्पादकों हेतु। 
    • आउटपुट सेवाओं पर सेवा कर: कर योग्य या छूट वाली सेवाएँ प्रदान करने वाले सेवा प्रदाताओं के लिए। 
    • इनपुट एवं पूँजीगत सामान: आंशिक रूप से संसाधित सामान के लिए लागू होता है, जिसका उपयोग उत्पादन के दौरान किया जाता है।

संदर्भ

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय डॉ. हरेकृष्ण महताब की 125वीं जयंती मना रहा है। 

मुख्य तथ्य  

  • भारतीय राष्ट्रपति द्वारा डॉ. हरेकृष्ण महताब की स्मृति में एक डाक टिकट एवं सिक्का जारी किया गया है।
  • तीन पुस्तकें लॉन्च की गईं
    • हरेकृष्ण महताब: बैष्णबा चरण सामल द्वारा उड़िया में एक मोनोग्राफ।
    • गाँव मजलिस का अंग्रेजी में अनुवाद (तरुण कुमार साहू द्वारा) हिंदी (सुजाता शिवेन द्वारा) किया गया।

डॉ. हरेकृष्ण महताब के प्रमुख योगदान

  • स्वतंत्रता संग्राम: उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह एवं कई अन्य स्वतंत्रता संग्रामों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
  • राजनीतिक भूमिकाएँ
    • ओडिशा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया।
    • केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री का पद सँभाला।
    • वर्ष 1962 में लोकसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए।
    • वर्ष 1955 में उन्हें बॉम्बे प्रांत का गवर्नर नियुक्त किया गया।
  • ओडिशा पर प्रभाव: उन्होंने ओडिशा के औद्योगीकरण एवं भारत संघ में इसके एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • साहित्यिक उपलब्धियाँ: उन्हें ‘उड़ीसा का इतिहास’ एवं ‘गाँव मजलिस’ जैसी कृतियों के लिए पुरस्कार प्राप्त हुआ।
    • डॉ. हरेकृष्ण महताब ने साप्ताहिक अंग्रेजी अखबार द ईस्टर्न टाइम्स भी प्रकाशित किया एवं इसके मुख्य संपादक थे।
  • दार्शनिक प्रभाव: वह स्वामी विवेकानंद, रामकृष्ण परमहंस एवं महात्मा गांधी जैसे महान व्यक्तित्वों से प्रभावित थे।
  • उन्हें ‘उत्कल केशरी’ के नाम से जाना जाता था।
  • वर्ष 1918 में, डॉ. हरेकृष्ण महताब समाज सुधारक मधुसूदन दास द्वारा वर्ष 1903 में स्थापित एक सामाजिक एवं सांस्कृतिक संगठन उत्कल सम्मिलनी में शामिल हो गए।

संदर्भ  

केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के मदुरै के अरिटापट्टी (Arittapatti) में टंगस्टन खनन की अनुमति दी।

अरिटापट्टी (Arittapatti) के बारे में

  • जैव विविधता विरासत स्थल: तमिलनाडु का पहला एवं भारत का 35वाँ जैव विविधता विरासत स्थल।
  • पारिस्थितिकी महत्त्व: इसमें लैगर फाल्कन, शाहीन फाल्कन एवं बोनेली ईगल सहित 250 पक्षी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • यह भारतीय पैंगोलिन, सेलेंडर लोरिस एवं अजगरों का आवास है।
    • यह सात पहाड़ियों (इंसेलबर्ग) एवं तीन चेक बाँधों से घिरा हुआ है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: इसमें अनैकोंडन (Anaikondan) झील भी शामिल है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी के पांडियन शासनकाल के दौरान किया गया था।
    • सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध, जिसमें महापाषाण संरचनाएँ, चट्टानों को काटकर बनाए गए मंदिर, तमिल ब्राह्मी शिलालेख एवं जैन संरचनाएँ शामिल हैं।

जैव विविधता विरासत स्थल (Biodiversity Heritage Site- BHS) के बारे में

  • BHS उच्च जैव विविधता महत्त्व के पारिस्थितिकी तंत्र हैं, जिनमें निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक घटक शामिल हैं:
    • जंगली एवं साथ ही पालतू प्रजातियों या अंतर-विशिष्ट श्रेणियों की समृद्धि।
    • उच्च स्थानिकवाद
    • दुर्लभ एवं खतरे वाली प्रजातियों, प्रमुख प्रजातियों, विकासवादी महत्त्व की प्रजातियों की उपस्थिति।
    • जीवाश्म संस्तरों द्वारा दर्शाए गए जैविक घटकों की पूर्व श्रेष्ठता एवं महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक, नैतिक या सौंदर्य मूल्य हैं तथा उनके साथ मानव जुड़ाव के दीर्घकालिक इतिहास के साथ या उसके बिना, सांस्कृतिक विविधता के रखरखाव के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

भारत में जैव विविधता विरासत स्थल (BHS)

  • भारत में पहला BHS
    • नल्लूर इमली ग्रोव, बंगलूरू, कर्नाटक, वर्ष 2007 में घोषित।
  • नवीनतम जोड़
    • पश्चिम बंगाल में हल्दीर चार द्वीप एवं बीरमपुर-बागुरान जलपाई (वर्ष 2023)
    • सिक्किम में तुंगक्योंग धो (Tungkyong Dho) (वर्ष 2023)
    • गंधमर्दन पहाड़ी (वर्ष 2023) एवं ओडिशा में गुप्तेश्वर वन (वर्ष 2024)।


  • कानूनी ढाँचा
    • जैविक विविधता अधिनियम, 2002 की धारा 37(1) के तहत शासित।
    • राज्य सरकारें, स्थानीय निकायों के परामर्श से, जैव विविधता महत्त्व के क्षेत्रों को अधिसूचित कर सकती हैं।
  • सामुदायिक भूमिका
    • BHS की स्थापना स्थानीय प्रथाओं को प्रतिबंधित नहीं करती है, जब तक कि समुदाय द्वारा स्वेच्छा से नहीं अपनाया जाता है।
    • इस पहल का उद्देश्य संरक्षण को बढ़ावा देते हुए स्थानीय आजीविका को बढ़ाना है।

टंगस्टन के बारे में

  • टंगस्टन, जिसे ‘वोल्फ्राम’ (Wolfram) के नाम से भी जाना जाता है, एक सघन धातु है, जो भूरे-सफेद से लेकर स्टील-ग्रे तक दिखाई देती है। इसके रणनीतिक महत्त्व के कारण इसे भारत के 30 प्रमुख खनिजों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • मुख्य गुण: टंगस्टन में अद्वितीय भौतिक एवं रासायनिक गुण हैं:-
    • धातुओं में इसका गलनांक सबसे अधिक 3,422°C होता है।
    • धातु उच्च तन्यता क्षमता, लोच एवं संक्षारण प्रतिरोध प्रदर्शित करती है।
    • इसकी उत्कृष्ट तापीय एवं विद्युत चालकता, कम विस्तार गुणांक के साथ मिलकर, इसे औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए बहुमुखी बनाती है।
  • अनुप्रयोग: टंगस्टन का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जिनमें शामिल हैं:-
    • प्रकाश: प्रकाश बल्बों एवं वैक्यूम ट्यूबों के लिए फिलामेंट्स का निर्माण।
    • हीटिंग सिस्टम: विद्युत भट्टियों में हीटिंग घटकों के रूप में।
    • इस्पात मिश्र: विशेष इस्पात उत्पादों में कठोरता एवं स्थायित्व बढ़ाना।
  • भारत में भंडार एवं वितरण: भारत का कुल टंगस्टन अयस्क भंडार 89.43 मिलियन टन अनुमानित है, जिसमें लगभग 1,44,650 टन WO₃ है।
    • भंडार का सबसे बड़ा हिस्सा कर्नाटक (41%) के पास है, इसके बाद राजस्थान (27%), आंध्र प्रदेश (17%) एवं महाराष्ट्र (11%) का स्थान है।
    • छोटे भंडार हरियाणा, तमिलनाडु, उत्तराखंड एवं पश्चिम बंगाल में भी पाए जाते हैं।

संदर्भ

कर्नाटक वन विभाग ने बाँदीपुर टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र में स्थित बेलाडाकुप्पे श्री महादेश्वरस्वामी मंदिर के वार्षिक जठरा पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

बाँदीपुर टाइगर रिजर्व के बारे में

  • स्थापना: 1930 के दशक में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में नामांकित किया गया।
    • वर्ष 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
  • भौगोलिक स्थिति: कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल के त्रि-जंक्शन पर स्थित है।
  • आसन्न रिजर्व
    • उत्तर-पश्चिम में नागरहोल टाइगर रिजर्व (कर्नाटक)।
    • दक्षिण में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (तमिलनाडु)।
    • दक्षिण-पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (केरल)।

  • नदियाँ
    • काबिनी नदी: इस रिजर्व की उत्तरी सीमा को चिह्नित करती है।
    • मोयार नदी: इस रिजर्व की दक्षिणी सीमा के साथ बहती है।
  • वनस्पतियाँ
    • शुष्क पर्णपाती से लेकर उष्णकटिबंधीय मिश्रित पर्णपाती तक विविध वनस्पतियाँ जैसे-शीशम, भारतीय कीनो पेड़, चंदन, भारतीय लॉरेल, क्लंपिंग बाँस एवं विशाल क्लंपिंग बाँस।
  • जीव-जंतु
    • स्तनधारी: बंगाल टाइगर, गौर, स्लॉथ बियर, गोल्डन सियार, ढोल एवं चार सींग वाले मृग सहित विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
    • हाथी: दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी जंगली एशियाई हाथियों की आबादी का समर्थन करता है।

संदर्भ 

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI 2025) रिपोर्ट में भारत को 10वाँ स्थान प्राप्त हुआ है।

जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI 2025) रिपोर्ट के बारे में

  • प्रकाशक: वर्ष 2005 से जर्मनवॉच, न्यू क्लाइमेट इंस्टिट्यूट एवं क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क इंटरनेशनल द्वारा प्रकाशन।
  • उद्देश्य: उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा एवं जलवायु नीति में विश्व के सबसे बड़े उत्सर्जकों की प्रगति को ट्रैक करना।
  • मूल्यांकन: इसमें 63 देश तथा यूरोपीय संघ शामिल हैं, जो 90% वैश्विक उत्सर्जन के लिए उत्तरदायी हैं।
  • मानदंड: CCPI 14 संकेतकों के साथ चार श्रेणियों के आधार पर मूल्यांकन करता है: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन (कुल स्कोर का 40%), नवीकरणीय ऊर्जा (20%), ऊर्जा उपभोग (20%), एवं जलवायु नीति (20%)।

  • शीर्ष प्रदर्शनकर्ता: प्रथम तीन स्थान रिक्त (कोई भी देश ‘बहुत उच्च’ प्रदर्शन मानदंडों को पूरा नहीं करता है)।
    • डेनमार्क (चौथे), नीदरलैंड्स (5वें), एवं यूनाइटेड किंगडम (6वें)।

वैश्विक प्रदर्शन 

  • उच्च प्रदर्शन करने वाले
    • इस श्रेणी में G20 देशों में केवल भारत एवं यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
    • कोयले की चरणबद्ध समाप्ति एवं नए जीवाश्म ईंधन परियोजना लाइसेंसों को रोकने के कारण यूनाइटेड किंगडम के स्कोर में वृद्धि हुई।
  • प्रमुख उत्सर्जक
    • चीन (55वाँ): कोयले पर भारी निर्भरता एवं अपर्याप्त जलवायु लक्ष्य।
    • यूनाइटेड स्टेट अमेंरिका (57वां): बहुत कम प्रदर्शन करने वाला देश।
  • निम्नतम रैंक वाले देश
    • ईरान (67वाँ), सऊदी अरब (66वाँ), संयुक्त अरब अमीरात (65वाँ), रूस (64वाँ) (सबसे बड़ा तेल एवं गैस उत्पादक)।
  • अर्जेंटीना (59वाँ): अर्जेंटीना COP-29 से हट गया है एवं पेरिस समझौते से बाहर निकलने की संभावना है।

भारत का प्रदर्शन

  • अल्प प्रति व्यक्ति उत्सर्जन: भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.9 टन CO2 समकक्ष (tCO2e) है, जो वैश्विक औसत 6.6 tCO2e से काफी कम है। 
    • भारत को GHG उत्सर्जन एवं ऊर्जा उपयोग श्रेणियों में उच्च रैंकिंग, जलवायु नीति में मध्यम एवं नवीकरणीय ऊर्जा में निम्न रैंकिंग प्राप्त हुई है।
  • क्षेत्रीय प्रगति: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा नीति में, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा परियोजनाओं एवं रूफटॉप सौर योजना के शुभारंभ में काफी प्रगति देखी है।
    • इसके अलावा, भारत ने ऊर्जा दक्षता मानकों एवं इलेक्ट्रिक वाहन (EV) के क्षेत्र में प्रगति हासिल की है।
  • कोयले पर भारी निर्भरता: नवीकरणीय ऊर्जा में सकारात्मक विकास के बावजूद, भारत कोयले पर भारी निर्भरता रखता है।

प्रमुख माँगें

  • प्रमुख क्षेत्रों में अधिक महत्त्वाकांक्षी पूर्ण उत्सर्जन कटौती लक्ष्य निर्धारित करने के लिए देश के NDC को संशोधित करना।
  • भारत ने वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन (निष्कासन के साथ उत्सर्जन को संतुलित करना) तक पहुँचने का लक्ष्य एवं वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है।

संदर्भ

हाल ही में जारी एक नए विश्लेषण के अनुसार, मानव जनित समुद्री तापमान वृद्धि के कारण वर्ष 2024 में प्रत्येक अटलांटिक हरिकेन की अधिकतम वायु गति में वृद्धि हुई है।

मुख्य निष्कर्ष

  • मानव-जनित ऊष्मा और हरिकेन की तीव्रता
    • महासागर का गर्म होना: मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन महासागर के तापमान को बढ़ा रहा है, जिससे अटलांटिक हरिकेन में तेजी आ रही है।
    • वायु की गति पर प्रभाव: वर्ष 2024 के मौसम के दौरान अटलांटिक में आए सभी 11 हरिकेन में रिकॉर्ड महासागरीय तापमान के कारण अधिकतम वायु की गति 9 से 28 मील प्रति घंटे तक बढ़ गई।
    • ग्लोबल वार्मिंग की भूमिका: CO2 उत्सर्जन और अन्य ग्रीनहाउस गैसें दुनिया भर में समुद्री सतह के तापमान को बढ़ा रही हैं, जिससे शक्तिशाली तूफानों को बढ़ावा मिल रहा है।

क्षेत्रीय प्रभाव-मैक्सिको की खाड़ी

  • तापमान में वृद्धि: मैक्सिको की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान जलवायु परिवर्तन रहित विश्व की तुलना में 1.4°C अधिक था।
    • परिणाम: गर्म जल हरिकेन को तीव्र करने के लिए ईंधन के रूप में कार्य करता है, जिससे अधिक विनाशकारी तूफान आते हैं।

तीव्र हरिकेन के उदाहरण 

  • डेबी और ऑस्कर (Debby & Oscar): दोनों ही गर्म समुद्री तापमान के कारण उष्णकटिबंधीय तूफानों से हरिकेन में बदल गए।
  • मिल्टन और बेरिल (Milton & Beryl): जलवायु परिवर्तन के कारण श्रेणी 4 से श्रेणी 5 (सबसे गंभीर) तक बढ़ गए।
  • हेलेन (Helene): श्रेणी 3 से श्रेणी 4 तक बढ़ गए।

विनाशकारी क्षमता पर प्रभाव

  • सैफिर-सिम्पसन स्केल (Saffir-Simpson Scale)
    • हरिकेन की श्रेणी में प्रत्येक वृद्धि विनाशकारी शक्ति में चार गुना वृद्धि से संबंधित है।
    • श्रेणी 5 के तूफान सबसे शक्तिशाली और विनाशकारी होते हैं।

संदर्भ

गार्जियन अखबार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का बहिष्कार करने का फैसला किया, क्योंकि इसने एक निश्चित उम्मीदवार के पक्ष में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने में भूमिका निभाई थी और इसके मालिक एलन मस्क ने राजनीतिक विमर्श को आकार देने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था।

सोशल मीडिया के बारे में

  • सोशल मीडिया एक प्रकार की डिजिटल तकनीक है, जो अपने उपयोगकर्ताओं के बीच टेक्स्ट, ऑडियो और विजुअल प्रारूपों और वर्चुअल नेटवर्क तथा समुदायों के जुड़ाव के माध्यम से विचारों एवं सूचनाओं को साझा करने की सुविधा प्रदान करती है।
    • उदाहरण: फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम (Instagram), X (पूर्व में ट्विटर-Twitter), यूट्यूब (YouTube), व्हाट्सऐप (Whatsapp), लिंक्डइन (LinkedIn) कुछ उल्लेखनीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं।
  • विकेंद्रीकृत जुड़ाव: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आम तौर पर उपयोगकर्ता जनित सामग्री पर चलते हैं जो लाइक, शेयर, टिप्पणियों और चर्चा के माध्यम से जुड़ाव को बढ़ावा देते हैं।
  • उपयोगकर्ता: सोशल मीडिया के 5 बिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जो दुनिया की आबादी के लगभग 62% के बराबर हैं।
    • 2024 में: 94.7% उपयोगकर्ता चैट और मैसेजिंग ऐप तथा वेबसाइट एक्सेस करेंगे, इसके बाद सोशल प्लेटफॉर्म का स्थान है, जहाँ 94.3% उपयोगकर्ता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्सेस करेंगे।
    • 15-20 वर्ष आयु वर्ग: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2023 तक 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग के 79% लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्सेस करेंगे, हर आधे सेकंड में एक बच्चा पहली बार ऑनलाइन स्पेस में प्रवेश करेगा।
  • भूमिका
    • व्यक्तिगत संबंध: सोशल मीडिया की शुरुआत मुख्य रूप से लोगों के लिए दोस्तों और परिवार के साथ बातचीत करने तथा समान विचारधारा वाले लोगों से जुड़कर सामाजिक दुनिया में शामिल होने के तरीके के रूप में हुई थी।
    • समाचार का स्रोत: ग्लोबल वेब इंडेक्स (Global Web Index) के अनुसार, दुनिया भर में 46% इंटरनेट उपयोगकर्ता सोशल मीडिया के माध्यम से समाचार प्राप्त करते हैं, जिसमें Gen Z और मिलेनियल्स (Millennials) अन्य पीढ़ियों की तुलना में सोशल साइट्स पर समाचार देखने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं।
    • व्यावसायिक प्लेटफॉर्म: यह व्यवसाय के लिए एक प्रमुख मार्केटिंग टूल बन गया है क्योंकि कंपनियाँ इसका उपयोग ग्राहकों को खोजने और उनसे जुड़ने, विज्ञापन तथा प्रचार के माध्यम से बिक्री बढ़ाने, तेजी से बढ़ते उपभोक्ता रुझानों की पहचान करने, ग्राहक सेवा या सहायता प्रदान करने एवं उपयोगकर्ताओं पर डेटा एकत्र करने के लिए करती हैं।
      • उदाहरण: वर्ष 2022 में, सोशल मीडिया और सर्च विज्ञापन खर्च ने वैश्विक स्तर पर कुल विज्ञापन खर्च का लगभग 55% हिस्सा बनाया, जिससे यह विज्ञापन चैनलों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली श्रेणी बन गई।
    • जुड़ाव: सोशल मीडिया मूलतः एक जुड़ाव मंच है, जिसका उपयोग मनोरंजनकर्ता प्रशंसकों के साथ, राजनेता मतदाताओं के साथ, दानदाता संस्थाओं के साथ, सरकारें नागरिकों के साथ आदि के साथ जुड़ने के लिए करते हैं।

सोशल मीडिया और लोकतंत्र में इसकी भूमिका

लोकतंत्र का तात्पर्य एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली से है, जो लोगों की भागीदारी को सक्षम बनाती है और मीडिया, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ होने के नाते, इस भागीदारी को सुगम बनाता है।

  • सोशल मीडिया ने अपने उद्भव के बाद से ही लोगों के लोकतंत्र में भाग लेने के तरीके को बदल दिया है। पारंपरिक मीडिया की तुलना में इसकी पहुँच अधिक है, यह आसानी से सुलभ है, जन भागीदारी को सक्षम बनाता है और तत्काल अपडेट प्रदान करता है।
    • प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) द्वारा वर्ष 2022 और 2023 के बीच 27 देशों में किए गए सर्वेक्षण के परिणामस्वरूप लोगों ने सोशल मीडिया को लोकतंत्र के लिए बुरी चीज के बजाय अच्छी चीज माना है।

लोकतंत्र को मजबूत करने में भूमिका

  • चुनाव प्रचार: राजनीतिक प्रचार के लिए सोशल मीडिया का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है, जिसमें समर्थकों और स्वयंसेवकों की भर्ती, धन की माँग, मतदाताओं को संगठित करना, राजनीतिक संदेश साझा करना आदि शामिल है, जिससे समय और संसाधनों की बचत होती है। इसके अलावा यह तत्काल प्रतिक्रिया के लिए सोशल मीडिया अभियान हेतु प्रत्यक्ष प्रतिक्रियाओं को वास्तविक समय में देखने में सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: वर्ष 2008 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में बराक ओबामा द्वारा एक समकालीन मतदाता-राजनेता संबंध विकसित किया गया था, जब ट्विटर पर नियमित रूप से मतदान अनुस्मारक भेजे जाते थे और फेसबुक का उपयोग लोगों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच के रूप में किया जाता था।

  • राजनीतिक चर्चाएँ: सोशल मीडिया ने राजनीतिक संदेश भेजने की शक्ति को मास मीडिया मॉडल से लिया है और इसे मजबूती से सहकर्मी-से-सहकर्मी, सार्वजनिक संवाद में डाल दिया है, जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति बिना किसी डर के अपनी राजनीतिक राय और अपेक्षाएँ स्वतंत्र रूप से व्यक्त कर सकता है।
  • साइबर गवर्नेंस: आजकल सरकारी अधिकारी और अधिकारी सोशल मीडिया पर अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखते हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे लोगों तक अधिक पहुँच पाते हैं, जो अब सीधे अपनी चिंताएँ व्यक्त करते हैं, जिससे शासन में तेजी आती है।
    • उदाहरण: दिवंगत सुषमा स्वराज, पूर्व विदेश मंत्री ने विदेश में फँसे भारतीय नागरिकों की समस्याओं को हल करने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया और इराक में फँसे 168 भारतीयों को बचाया।
  • राजनीतिक परिवर्तन का सूत्रधार: विरोध अभियान आयोजित करने और किसी मुद्दे के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उपयोग से दुनिया भर में महत्त्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन आया है।
    • उदाहरण: आरक्षण के मुद्दे पर बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन के कारण शेख हसीना सरकार गिर गई।
  • व्यवहार परिवर्तन लाने का साधन: लोगों के बीच व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग स्वच्छ भारत अभियान और हाल ही में शुरू किए गए फिट इंडिया मूवमेंट जैसे अखिल भारतीय अभियानों की सफलता में स्पष्ट है।
  • व्यापक नागरिक जुड़ाव: सोशल मीडिया ने प्रयासों को समन्वित करने, सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए पहलों पर सहयोग करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करके स्वयंसेवा, सक्रियता और सामुदायिक आयोजन के लिए मंच प्रदान करके नागरिक जुड़ाव को बढ़ावा दिया है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: इसने वास्तविक समय की रिपोर्टिंग, घटनाओं की लाइव स्ट्रीमिंग और अधिकारियों तथा मतदाताओं के बीच सीधे संवाद को सक्षम करके सरकार एवं राजनीति में पारदर्शिता बढ़ाई है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनके कार्यों और निर्णयों के लिए अधिक जवाबदेह ठहराया जाता है क्योंकि वे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक जाँच एवं फीडबैक के अधीन होते हैं। 
  • हाशिए पर पड़े समूहों का सशक्तीकरण: जैसा कि गांधीजी ने कहा था, ‘मैं लोकतंत्र को ऐसी चीज के रूप में समझता हूँ, जो कमजोरों को सशक्त होने के समान अवसर प्रदान करती है।’ सोशल मीडिया एक ऐसा मंच बन गया है, जो उनके अधिकारों की वकालत करके और प्रणालीगत अन्याय को चुनौती देकर उनकी आवाज को बुलंद करके उनके दृष्टिकोण को साकार करता है।
    • उदाहरण: सोशल मीडिया ने ट्रांसजेंडर अधिकारों के बारे में चर्चा को सुविधाजनक बनाया, जिसके परिणामस्वरूप ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित हुआ।
  • राजनीतिक शिक्षा और जागरूकता: यूट्यूब, पॉडकास्ट और ऑनलाइन फोरम जैसे प्लेटफॉर्म लोकतंत्र, नागरिक अधिकारों और चुनावी प्रणालियों के बारे में सीखने के लिए सुलभ संसाधन प्रदान करते हैं, जिससे लोगों को मतदाता के रूप में सूचित विकल्प बनाने में सशक्त बनाया जाता है।
    • उदाहरण: कुछ यूट्यूब चैनल या ऑनलाइन समाचार पोर्टल ने लोगों को मुद्दों पर व्यापक दृष्टिकोण देते हुए कुछ चैनलों और कंपनियों के एकाधिकार को विकेंद्रीकृत और मुक्त कर दिया है।

सोशल मीडिया के राजनीतिक प्रभाव को विनियमित करना

  • ऑस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया के चुनाव आयोग ने नागरिकों को बेईमान चुनाव अभियानों का शिकार बनने से रोकने के लिए ‘रोको और विचार करो’ (Stop and Consider) अभियान शुरू किया है।
    • ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक कानून पारित किया है, जिसके तहत गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म को न्यूज फीड पर अपनी सामग्री प्रकाशित करने के लिए मीडिया आउटलेट्स को भुगतान करना होगा ताकि प्लेटफॉर्म को उनके द्वारा प्रचारित की जा रही सामग्री के बारे में अधिक जानकारी हो सके।
  • बेल्जियम: बेल्जियम के डिजिटल एजेंडा मंत्रालय (Ministry for the Digital Agenda of Belgium) ने वर्ष 2018 में गलत सूचना के बारे में जागरूकता फैलाने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म रेडिट (Reddit) से प्रेरित एक नया अपवोटिंग और डाउनवोटिंग तंत्र लागू करने के लिए एक वेबसाइट लॉन्च की। 
  • कनाडा: गलत सूचना के प्रसार की निगरानी करने और संबंधित एजेंसियों और जनता को इसके बारे में सचेत करने के लिए ‘क्रिटिकल इलेक्शन इंसीडेंट पब्लिक प्रोटोकॉल (Critical Election Incident Public Protocol) बनाया गया था। 
  • फ्राँस: देश द्वारा एक नई सिविल प्रक्रिया तैयार की गई है, जो राजनीतिक दलों, राजनेताओं या नागरिकों को ‘तथ्यात्मक रूप से गलत या भ्रामक’ (Factually Incorrect or Misleading) जानकारी के प्रसार को रोकने के लिए कानूनी सहारा लेने की अनुमति देती है। यह कानून तीन गुना तरीके से काम करता है।
    • चुनाव के दौरान और उससे तीन महीने पहले फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए न्यायाधीश को “आनुपातिक” तरीके से कार्य करने का अधिकार देना।
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रायोजित सामग्री या विज्ञापनों की बिक्री के बारे में जानकारी देना आवश्यक है।
    • मीडिया प्लेटफॉर्म द्वारा कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए उच्च ऑडियो-विजुअल काउंसिल (CSA) को अधिक शक्ति प्रदान करना, जिसमें किसी विदेशी राज्य के नियंत्रण या प्रभाव में काम करने वाली संस्थाओं के प्रसारण लाइसेंस को एकतरफा रद्द करने और गलत सूचना प्रसारित करने की शक्ति शामिल है।

लोकतंत्र को कमजोर करने में भूमिका

  • माइक्रो-टारगेटिंग (Micro-Targeting): यह अनुचित अभियानों को किसी व्यक्ति के बारे में गलत जानकारी फैलाने में सक्षम बनाता है, बिना किसी परिणाम के उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाए। तब लोकतंत्र को नुकसान होता है क्योंकि हमें इस बात की पूरी तस्वीर नहीं मिलती कि हमारे नेता हमसे क्या वादा कर रहे हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 2016 में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को इस तरह के दुर्भावनापूर्ण लक्ष्यीकरण का सामना करना पड़ा था, उन पर पिज्जा पार्लर के बेसमेंट से बाल यौन संबंध चलाने का आरोप था। यह अफवाह जल्द ही सोशल मीडिया ट्रेंड यानी #पिज्जागेट में बदल गई।
  • फिल्टर बबल्स और इको चैंबर्स: सोशल मीडिया एल्गोरिदम पर अक्सर उपयोगकर्ताओं की प्राथमिकताओं के आधार पर सामग्री को फिल्टर करके उनके मौजूदा पूर्वाग्रहों को मजबूत करने, विविध दृष्टिकोणों के संपर्क को सीमित करने, जनमत के ध्रुवीकरण में योगदान देने और स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रवचन के लिए आवश्यक विचारों के आदान-प्रदान में बाधा डालने का आरोप लगाया जाता है।
  • हेरफेर के एक उपकरण के रूप में: सोशल मीडिया का उपयोग मतदाताओं की राजनीतिक पसंद में हेरफेर करने के लिए भी किया जाता है, जो सीधे व्यक्तिगत स्वायत्तता के साथ-साथ व्यक्तियों द्वारा प्राप्त गोपनीयता के खिलाफ जाता है। भ्रामक सामग्री जनता की राय में हेरफेर कर सकती है, तथ्यों को विकृत कर सकती है और लोकतांत्रिक संस्थानों तथा प्रक्रियाओं में विश्वास को कम कर सकती है।
  • कट्टरता फैलाना: सोशल मीडिया का इस्तेमाल अपने विचारों और राय को प्रचारित करने के लिए किया जाता है। हालाँकि, इस मंच का इस्तेमाल विभिन्न संगठनों द्वारा सांप्रदायिक, नस्लवादी और सामाजिक तनाव फैलाने के लिए भी किया जाता है।
    • उदाहरण: ISIS ने अपने आतंकवादी एजेंडे को महिमामंडित करने और विदेशी लड़ाकों की भर्ती करने के लिए प्रचार वीडियो फैलाने के लिए यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफार्मों का इस्तेमाल किया।
  • सरकारी प्रचार और अतिक्रमण: सरकारों ने नागरिकों की मांग के विरुद्ध अपने स्वयं के आख्यानों का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया का भी उपयोग किया था, या तो प्रचार संदेशों के माध्यम से या भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन करते हुए सूचना तक सार्वजनिक पहुँच को सेंसर करके। 
    • उदाहरण: भारत सरकार ने ट्विटर को किसान विरोध, CAA विरोधी प्रदर्शनों के साथ-साथ सरकार द्वारा COVID-19 महामारी से निपटने की आलोचना करने वाले कुछ ट्वीट और खातों को ब्लॉक करने का आदेश दिया।
  • सामाजिक दोष रेखाओं का विस्तार: सोशल मीडिया ने लोकलुभावन राजनीति की एक शैली को सक्षम किया है, जिसके कारण एक विशेष समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा और संबंधित अपराधों में वृद्धि देखी गई है, जो अनियमित डिजिटल स्थानों में पनप रहे हैं।
    • उदाहरण: गौ-रक्षा की आड़ में भीड़ द्वारा हत्या की घटनाएं।
  • फर्जी समाचार और गलत सूचना अभियान: सोशल मीडिया मैसेजिंग पर विनियमन की कमी के कारण इसकी विकेंद्रीकृत प्रकृति के कारण अक्सर ध्रुवीकरण और विभाजनकारी सामग्री के साथ फर्जी खबरों का उदय हुआ है। इस तरह के गलत सूचना अभियान का प्रभाव आवश्यक मुद्दों से ध्यान हटाने का होता है।
  • साइबरबुलिंग या ट्रोलिंग: एक और खतरनाक तत्व अधिक तर्कसंगत आवाज़ों या लोकप्रिय कथन से असहमत लोगों को ‘राष्ट्र-विरोधी’ या ‘शहरी नक्सल’ आदि के रूप में लेबल करना और ट्रोल करना है।
  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: सोशल मीडिया कंपनियाँ उपयोगकर्ताओं से बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा एकत्र करती हैं, जिससे गोपनीयता, निगरानी और डेटा सुरक्षा के बारे में चिंताएँ पैदा होती हैं। राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उपयोगकर्ता डेटा का दुरुपयोग, जैसे कि राजनीतिक विज्ञापनों को माइक्रो-टारगेट करना या मतदाता व्यवहार में हेरफेर करना, व्यक्तियों के गोपनीयता अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की अखंडता को कमजोर कर सकता है
    • उदाहरण: डोनाल्ड ट्रम्प के लिए राजनीतिक विज्ञापनों को माइक्रो-टारगेट करने के लिए उपयोगकर्ता डेटा का उपयोग करने में कैम्ब्रिज एनालिटिका की संलिप्तता।
  • संस्थाओं में विश्वास को कम करना: सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों, षड्यंत्र के सिद्धांतों और गलत सूचनाओं का प्रसार पारंपरिक मीडिया आउटलेट्स, सरकारी संस्थानों और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में जनता के विश्वास को खत्म कर सकता है और राजनीतिक व्यवस्था से मोहभंग को बढ़ावा दे सकता है।

आगे की राह

  • कंटेंट मॉडरेशन में निवेश करना: यह उपयोगकर्ता द्वारा निर्मित कंटेंट (User Generated Content-UGC) की समीक्षा करने और उसे हटाने की प्रक्रिया है, जो अनुचित, अवैध या हानिकारक है और ऑनलाइन सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे मानव कंटेंट मॉडरेटर, स्वचालित मॉडरेशन टूल या दोनों द्वारा किया जा सकता है।
    • उदाहरण: जब श्रीलंका में दंगे हुए तो फेसबुक के पास वहाँ एक भी मॉडरेटर नहीं था।
  • पारदर्शिता: सोशल मीडिया कंपनियों को अपने एल्गोरिदम, सामग्री मॉडरेशन नीतियों और डेटा प्रथाओं के बारे में पारदर्शिता बढ़ाने के उपायों को लागू करना चाहिए।
    • उदाहरण: हाल ही में इंस्टाग्राम ने एक ऐसा फीचर पेश किया है, जिसके तहत उपयोगकर्ता स्वयं यह तय कर सकते हैं कि उन्हें क्या देखना है।
  • जवाबदेही: उन्हें अपने जोखिम प्रबंधन प्रणाली के पारदर्शी और स्वतंत्र ऑडिट द्वारा सुरक्षा नीतियों को लगातार और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उपयोगकर्ताओं के लिए अपमानजनक व्यवहार की रिपोर्ट करने और सामग्री मॉडरेशन निर्णयों की अपील करने के लिए तंत्र भी स्थापित करना चाहिए।
  • मीडिया साक्षरता शिक्षा: शिक्षा कार्यक्रमों को व्यक्तियों को यह सिखाना चाहिए कि सूचना का आलोचनात्मक मूल्यांकन कैसे करें, गलत सूचना की पहचान कैसे करें और विभिन्न दृष्टिकोणों वाले अन्य लोगों के साथ रचनात्मक संवाद कैसे करें।
  • चुनावी अखंडता: फर्जी खबरों और गलत सूचना अभियानों पर लगातार नजर रखकर और उन्हें हटाकर चुनावी अखंडता बनाए रखना जरूरी है। ऐसा होने के लिए नागरिकों, नागरिक समाज, सरकार और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के नेटवर्क की जरूरत है।
    • उदाहरण: भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने आज चल रहे आम चुनाव 2024 के हिस्से के रूप में ‘मिथक बनाम वास्तविकता रजिस्टर’ (Myth vs Reality Register) लॉन्च किया है।
  • डेटा तक पहुँच: शोधकर्ताओं को प्रमुख प्लेटफॉर्म के डेटा तक खुली पहुँच होनी चाहिए, ताकि वे इस बात की जाँच कर सकें कि प्लेटफॉर्म कैसे काम करते हैं।
  • मानव अधिकारों की रक्षा: सरकारों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ऑनलाइन हानि को संबोधित करते हुए और जिम्मेदार ऑनलाइन व्यवहार को बढ़ावा देते हुए भेदभाव के विरुद्ध अधिकार और गोपनीयता के अधिकार जैसे इन अधिकारों का सम्मान तथा सुरक्षा करनी चाहिए।
  • तकनीकी समाधान: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को तथ्य-जाँच तंत्र, सामग्री मॉडरेशन एल्गोरिदम और उपयोगकर्ता-अनुकूल रिपोर्टिंग सिस्टम जैसी तकनीक तथा उपकरणों में निवेश करना चाहिए।
  • स्वतंत्र एजेंसियाँ: दुनिया के प्रत्येक हिस्से में स्वतंत्र सार्वजनिक नियामकों की स्थापना की जानी चाहिए, जिनकी भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से परिभाषित हों और जो व्यापक नेटवर्क के हिस्से के रूप में निकट समन्वय में काम करें, ताकि डिजिटल कंपनियों को राष्ट्रीय विनियमों के बीच असमानताओं का लाभ उठाने से रोका जा सके।

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