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Title | Subject | Paper |
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दोषियों के लिए क्षमा नीति पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश | Polity and governance , | GS Paper 2, |
संक्षेप में समाचार | ||
सार्वजनिक स्थान पर किसी महिला की फोटो खींचना दृश्यावलोकन (वायरिज्म) नहीं है: केरल हाईकोर्ट | Polity and governance , | GS Paper 2, |
भारत की ऊर्जा प्रगति: जीवाश्म ईंधन से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव | Environment and Ecology, | GS Paper 3, |
उत्तर प्रदेश में डीजीपी नियुक्ति के नए नियम | politics and governance, | GS Paper 2, |
उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला | Polity and governance , | GS Paper 2, |
संसद का शीतकालीन सत्र | Polity and governance , | GS Paper 2, |
दुर्लभ रोगों में पेटेंट का दुरुपयोग | Health, | GS Paper 2, |
राज्य को प्रत्येक निजी संपत्ति अधिग्रहित करने का अधिकार नहीं: सर्वोच्च न्यायालय | Polity and governance , | GS Paper 2, |
उच्चतम न्यायालय ने देश में दोषियों के लिए स्थायी क्षमा को नियंत्रित करने वाली नीतियों की पारदर्शिता को मानकीकृत करने एवं सुधारने के लिए राज्य तथा केंद्रशासित प्रदेश सरकारों को निर्देश जारी किए हैं।
केरल उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354 C के तहत दृश्यावलोकन (Voyeurism) का अपराध तब लागू नहीं होता, जब कोई महिला ऐसी जगह पर हो जहाँ उसे देखे जाने या फोटो खींचे जाने से निजता का उल्लंघन नहीं हो सकता है।
एशिया-प्रशांत जलवायु रिपोर्ट (Asia-Pacific Climate Report) से पता चलता है कि भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसका लक्ष्य वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन हासिल करना है।
महत्त्वपूर्ण कटौती: वर्ष 2014 और 2018 के बीच, जीवाश्म ईंधन सब्सिडी में कटौती की गई, जिससे स्वच्छ ऊर्जा निवेश के लिए संसाधन मुक्त हो गए।
उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्रिमंडल ने अपने पुलिस महानिदेशक (DGP) की नियुक्ति के लिए नए नियमों (‘पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली, 2024’) को मंजूरी दे दी है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा प्रावधानों के संबंध में अपवादों के साथ उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 (Uttar Pradesh Madrasa Education Board Act, 2004) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा।
शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से 20 दिसंबर, 2024 तक चलेगा, जो संसदीय कार्य पर निर्भर करेगा।
स्वास्थ्य समूहों तथा उपचार कार्यकर्ताओं का तर्क है कि दुर्लभ बीमारियों में पेटेंट एकाधिकार सस्ती दवा तक पहुँच को प्रतिबंधित कर रहा है, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों (Low and Middle Income Countries- LMIC) के रोगियों के लिए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि निजी हितधारकों के स्वामित्व वाला प्रत्येक संसाधन संविधान के अनुच्छेद-39(b) के तहत ‘सार्वजनिक कल्याण’ (Common Good) के लिए सरकार द्वारा उपयोग योग्य नहीं है।
भारत में संपत्ति के अधिकार और राज्य की शक्ति पर चर्चा के लिए सर्वोच्च न्यायालय का यह ऐतिहासिक निर्णय महत्त्वपूर्ण है।
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