उपराष्ट्रपति ( VICE-PRESIDENT) (उड़ान) |
- अनुच्छेद 63: भारत के लिए एक उपराष्ट्रपति का प्रावधान किया गया है।
- उपराष्ट्रपति देश का दूसरा सबसे ऊंचा पद ग्रहण करेगा + वरीयता की तालिका में उसे दूसरा स्थान प्राप्त होगा + कार्यालय अमेरिका के उपराष्ट्रपति की तर्ज पर बनाया गया है।
उपराष्ट्रपति का निर्वाचन (अनुच्छेद 66) |
- राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से होता है , निर्वाचन मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य सम्मिलित होते हैं।
- निम्न दो मामलों में उपराष्ट्रपति का निर्वाचन मंडल राष्ट्रपति के निर्वाचन मंडल से अलग है:
- इसमें संसद के दोनों अर्थात निर्वाचित एवं नामित (राष्ट्रपति के निर्वाचन में केवल निर्वाचित) सदस्य सम्मिलित होते हैं।
- इसमें राज्य विधान सभाओं के सदस्य शामिल नहीं हैं (राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य भी सम्मिलित होते हैं)।
- उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति के चुनाव की भांति ही अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में एकल हस्तांतरणीय मत द्वारा और गुप्त प्रणाली द्वारा मतदान किया जाता है।
- मूल संविधान में प्रावधान है की दोनों सदनों की संयुक्त बैठक द्वारा उपराष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगाl यह प्रक्रिया 1961 के 11वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा संशोधित की गई थी।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव से संबंधित सभी विवाद की जांच एवं निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किए जाएंगे और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय अंतिम होगा ।
- अभी तक चार उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुने जा चुके हैं ।
उपराष्ट्रपति निर्वाचित होने की पात्रता
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उपराष्ट्रपति के चुनाव हेतु योग्य होने के लिए एक व्यक्ति में निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए:
1. वह भारत का नागरिक होना चाहिए। 2. उसे 35 वर्ष की आयु पूरी कर लेनी चाहिए । 3. उसे राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन हेतु योग्य होना चाहिए । 4. उसे केंद्र सरकार अथवा किसी राज्य सरकार अथवा किसी अन्य स्थानीय और सार्वजनिक प्राधिकरण के तहत कोई भी लाभ का पद नहीं धारण करना चाहिए ।
नोट: संघ का राष्ट्रपति अथवा उपराष्ट्रपति ,किसी भी राज्य का राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश अथवा राज्य का मुख्यमंत्री किसी लाभ के पद पर नहीं माने जाते हैं अतः वह उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हेतु योग्य है । |
उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को चुनाव में नामांकन के लिए ,आवश्यकता होती है | • कम से कम 20 मतदाता, प्रस्तावक के रूप में और 20 मतदाता, अनुमोदक के रूप में होने चाहिए ।
• भारतीय रिजर्व बैंक में ₹ 15,000 की जमानत राशि।
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उप राष्ट्रपति की शपथ अथवा प्रतिज्ञा (अनुच्छेद 69) | • उप-राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले शपथ या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
• उपराष्ट्रपति के पद की शपथ राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति द्वारा दिलाई जाती है |
उप राष्ट्रपति कार्यालय की शर्तें |
संविधान में उपराष्ट्रपति कार्यालय की निम्नलिखित दो शर्तें हैं:
- वह संसद के किसी भी सदन अथवा राज्य विधायिका के किसी भी सदन का सदस्य ना हो यदि व्यक्ति उपराष्ट्रपति निर्वाचित होता है तो यह माना जाएगाकि उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करने की तिथि से उसने अपनी उस सदन की सीट को रिक्त कर दिया है ।
- उसे अन्य कोई भी लाभ का पद पर नहीं हो ।
उप राष्ट्रपति कार्यालय की अवधि (अनुच्छेद 67) |
- कार्यालय में प्रवेश करने की तारीख से 5 वर्ष के लिए ।
- 5 वर्ष के कार्यकाल के बाद भी राष्ट्रपति अपने कार्यालय में रह सकते हैं जब तक कि उनका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता है ।
- वे प्रत्येक बार इस पद पर पुनः चुनाव के लिए पात्र हैं।
- इस्तीफा: राष्ट्रपति को देते हैं।
- उनका कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही उन्हें हटाया जा सकता है, उनके निष्कासन हेतु औपचारिक महाभियोग की आवश्यकता नहीं होती है ।
- राज्यसभा के सभी तत्कालीन सदस्यों के बहुमत (साधारण बहुमत) से पारित प्रस्ताव एवं लोक सभा की सहमति से उन्हें हटाया जा सकता है । परंतु इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को लाने से पूर्व न्यूनतम 14 दिनों की अग्रिम सूचना देनी होती है।
- संविधान में उनके निष्कासन हेतु कोई आधार परिभाषित नहीं किए गए है।
उप–राष्ट्रपति कार्यालय में पद रिक्तिता |
- उपराष्ट्रपति कार्यालय में रिक्ति निम्नलिखित में से किसी भी कारण से हो सकती है: पांच साल के अपने कार्यकाल की समाप्ति पर + उनके इस्तीफे से + उनके निकाले जाने पर + उनकी मृत्यु पर।
- अन्यथा, अन्य कारण जैसे जब वह पद संभालने के लिए अयोग्य हो या उनका निर्वाचन अवैध घोषित कर दिया गया हो।
- यदि कार्यकाल की समाप्ति के कारण उप राष्ट्रपति का कार्यालय रिक्त होता है तो उत्तराधिकारी का निर्वाचन कार्यालय के समाप्त होने से पूर्व हो जाना चाहिए।
- यदि कार्यालय इस्तीफा, निष्कासन, मृत्यु या अन्य कारणों से रिक्त हो जाता है, तो रिक्ति को भरने हेतु निर्वाचन को जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति पद ग्रहण करने के 5 वर्ष तक अपने पद पर बना रहता है ।
उपराष्ट्रपति के कार्य एवं शक्तियां |
उपराष्ट्रपति के कार्य दोहरे हैं:
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करते हैं (अनुच्छेद 64): | • इस मामले में उनकी शक्तियां लोकसभा अध्यक्ष के समान हैं।
• वह राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है। इस संदर्भ में उसकी शक्तियां एवं कार्य लोकसभा अध्यक्ष के भांति ही होते हैं। इस संबंध में वह अमेरिका के उपराष्ट्रपति के समान ही कार्य करता है, वह भी सीनेट–अमेरिका में उच्च सदन का सभापति होता है ।
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राष्ट्रपति के कार्यालय में निष्कासन, मृत्यु अथवा अन्य कारणों से रिक्ति होने पर यह राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है । (अनुच्छेद 65)
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o हमारे देश के 2 राष्ट्रपति अर्थात डॉक्टर जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का जब निधन हुआ था तो उस समय के तत्कालीन उप राष्ट्रपतियों अर्थात वी.वी. गिरी और बी. डी. जत्ती ने राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया था ।
o जब राष्ट्रपति का पद उसके त्यागपत्र ,निष्कासन, मृत्यु तथा अन्य कारणों से रिक्त होता है तो वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भी कार्य करता है। वह कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम 6 महीने की अवधि तक कार्य कर सकता है इस अवधि में नए राष्ट्रपति का चुनाव आवश्यक है इसके अतिरिक्त वर्तमान राष्ट्रपति की अनुपस्थिति बीमारी या अन्य किसी कारण से अपने कार्यों को करने में असमर्थ हो तो वह राष्ट्रपति के पुनः कार्य करने तक उसके कर्तव्यों का निर्वहन करता है। o कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हुए या राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करते हुए उपराष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के कार्यालय संबंधी कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करता है, इस अवधि के दौरान राज्यसभा के उपाध्यक्ष उन कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।
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उप-राष्ट्रपति जब किसी अवधि में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है तो वह राज्यसभा के सभापति को मिलने वाले वेतन व भत्ते आदि मिलते हैं।
भारत बनाम अमेरिकी उपराष्ट्रपति |
- यद्यपि भारत के उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के उपराष्ट्रपति के मॉडल पर आधारित है परंतु इसमें काफी भिन्नता है। अमेरिका का उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर अपने पूर्व राष्ट्रपति के कार्यकाल की शेष अवधि तक ही उस पद पर बना रहता है। दूसरी ओर भारत का उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर पूर्व राष्ट्रपति के शेष कार्यकाल तक उस पद पर नहीं रहता है। वह एक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में तब तक कार्य करता है जब तक कि नया राष्ट्रपति कार्यभार ग्रहण ना कर ले।
- संविधान में उपराष्ट्रपति को कोई महत्वपूर्ण कार्यभार नहीं सौंपा गया है। यह कार्यालय भारतीय राज्य की राजनीतिक निरंतरता को बनाए रखने के उद्देश्य से बनाया गया था।