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नागरिकता (उड़ान)

नागरिकता (उड़ान)

  • भारत में दो तरह के लोग रहते हैं- नागरिक और विदेशी।
  1. नागरिक: इन्हें सभी नागरिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त होते हैं।
  2. विदेशी (मित्र विदेशी या शत्रु विदेशी): इन्हें सभी नागरिक और सामाजिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।
  • संविधान में प्रदत्त वे अधिकार जो केवल नागरिकों को प्राप्त है विदेशियों को नहीं:
  • अनुच्छेद 15: धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव के खिलाफ अधिकार।
  • अनुच्छेद 16: लोक-नियोजन में अवसर की समानता का अधिकार।
  • अनुच्चीद 19: विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, संघ बनाने, सम्मेलन करने, संचरण, निवास और व्यवसाय चयन का अधिकार।
  • अनुच्छेद 29 और 30: सांस्कृतिक और शैक्षणिक अधिकार।
  • लोक सभा और राज्यों की विधान सभाओं के चुनाव में मतदान का अधिकार।
  • संसद और राज्यविधायिका के सदस्य के रूप में चुने जाने का अधिकारI
  • राष्ट्रपति जैसे सार्वजनिक पदों को धारण करने का अधिकार। (भारत में जन्म से या प्राकृतिक रूप से दोनों तरीके से नागरिकता प्राप्त व्यक्ति राष्ट्रपति बनने के लिए योग्य होता है, जबकि अमेरिका में केवल जन्म से अमेरिकी नागरिक व्यक्ति ही वहाँ का राष्ट्रपति बन सकता है)

संवैधानिक प्रावधान
  • संविधान के भाग-II में अनुच्छेद 5 से अनुच्छेद 11 तक नागरिकता से संबंधित प्रावधान दिये गए हैं। संविधान में नागरिकता के संबंध में स्थायी और विस्तृत उपबंध नहीं दिये गए हैं, इसमें सिर्फ संविधान लागू होने की तिथि के समय नागरिकता प्राप्त लोगों की पहचान की गयी है। (26 जनवरी)
  • संविधान संसद को यह शक्ति प्रदान करता है कि वह नागरिकता से जुड़े मामलों के लिए आवश्यक कानूनों का निर्माण करे।
  1. अनुच्छेद 5: संविधान लागू होने के समय प्राप्त नागरिकता।
  2. अनुच्छेद 6: पाकिस्तान से भारत आने वालों को दी गई नागरिकता।
  3. अनुच्छेद 7: पहले पाकिस्तान गए और बाद में भारत में पुनर्प्रवास करने वालों को दी गयी नागरिकता।
  4. अनुच्छेद 8: भारत के मूल निवासियों की नागरिकता।
  5. अनुच्छेद 9: नागरिकता की समाप्ति (किसी अन्य देश की नागरिकता की स्वैच्छिक स्वीकृति पर भारतीय नागरिकता का स्वत: समापन)
  6. अनुच्छेद 10: नागरिकता की निरंतरता (जब तक कि संसद इस संबंध में ऐसा कोई कानून न बनाए|)
  7. अनुच्छेद 11: नागरिकता के अधिकारों को विनियमन संसद विधि द्वारा करेगी। (संसद के पास यह शक्ति होगी कि वह नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा नागरिकता से जुड़े अन्य सभी मामलों के लिए कानून बना सकती है।

नागरिकता अधिनियम 1955: नागरिकता अधिनियम-1955 में संविधान लागू के बाद नागरिकता के अर्जन और समाप्ति से जुड़े उपबंध दिये गए हैं।

नागरिकता का अर्जन:

जन्म से

एक व्यक्ति जो भारत में जन्मा हो:

o 26 जनवरी 1950 से 1जुलाई 1987 के बीच जन्मा व्यक्ति अपने मातापिता की राष्ट्रीयता से भिन्न भारत का नागरिक होगा।

o 1 जुलाई 1987 के बादमातापिता में से कोई एक भारत का नागरिक होना चाहिए।

o 3 दिसंबर 2004 के बाद जन्मा व्यक्तिमातापिता दोनों भारत के नागरिक हों या मातापिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो और दूसरा अवैध प्रवासी हो।

o भारत में कार्यरत विदेशी राजनयिकों और शत्रु देश के नागरिकों के बच्चे भारत की नागरिकता अर्जित नहीं कर सकते हैं।

वंश के आधार पर

एक व्यक्ति जो भारत के बाहर जन्मा हो:

o 26 जनवरी 1950 से 10 दिसंबर 1992 के बीच और उसका पिता भारत का नागरिक हो।

o 10 दिसंबर 1992 के बाद- उसके माता-पिता में से कोई एक भारत का नागरिक हो।

o 3 दिसंबर 2004 या उसके बाद- जब तक कि उसके जन्म के 1 वर्ष के अंदर या इस अवधि की समाप्ति के बाद केंद्र सरकार की सहमति से भारतीय दूतावास में उसका पंजीकरण न कराया गया हो।

पंजीकरण के द्वारा

केंद्र सरकार, किसी व्यक्ति (जो अवैध प्रवासी हो) के द्वारा किए गए आवेदन के आधार पर नागरिक के रूप में पंजीकृत कर सकती है, यदि वह कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करता हो और वह भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत होने से पहले निष्ठा की शपथ ले
देशीकरण द्वारा केंद्र सरकार किसी विदेशी व्यक्ति (जो अवैध परवासी न हो) द्वारा आवेदन किए जाने पर, उसके देशीकरण का प्रमाणपत्र भी जारी कर सकती है, यदि वह कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करता हो।
भूमि विस्तार द्वारा

यदि कोई विदेशी क्षेत्र भारत का भाग बन जाता है तो, भारत सरकार उस क्षेत्र के लोगों में से उन व्यक्तियों को निर्दिष्ट करती है जो भारत के नागरिक होंगे। ऐसे लोग निर्धारित तिथि से भारत के नागरिक होंगे।

नागरिकता की समाप्ति

परित्याग से

पूर्ण आयु (वयस्क) और क्षमता (स्वस्थ मानसिक स्थिति) वाला भारत का कोई भी नागरिक स्वेच्छा से अपनी भारतीय नागरिकता त्यागने की घोषणा कर सकता है, ऐसी घोषणा के पंजीकरण के उपरांत वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा।

ऐसे व्यक्ति के अवयस्क बच्चों की नागरिकता भी इसके बाद समाप्त हो जाएगी। हालांकि वयस्क होने के उपरांत वह बच्चा पुन: नागरिकता हासिल कर सकता है।

बर्खास्तगी से

● जब कोई भारतीय नागरिक स्वेच्छा से (होशो-हवास में, जानबूझकर और बिना दबाव, अनुचित प्रभाव या मजबूरी के) किसी अन्य देश की नागरिकता स्वीकार करता है, तो उसकी भारतीय नागरिकता स्वतः समाप्त हो जाती है।

वंचन से

केंद्र सरकार द्वारा किसी व्यक्ति की भारतीय नागरिकता अनिवार्य रूप से समाप्त कर दी जाती है, यदि:

1. फर्जी तरीके से नागरिकता प्राप्त की गयी हो।

2. भारतीय संविधान का अनादर किया गया हो।

3. युद्ध काल में शत्रु देश के साथ गैर-कानूनी रूप से संबंध स्थापित किया गया हो या सूचनाओं का आदान-प्रदान किया गया हो।

4. पंजीकरण या देशीकरण से हासिल नागरिकता के पाँच वर्ष के भीतर किसी अन्य देश में 2 वर्ष की कैद हुई हो।

5. सात वर्षों से लगातार भारत से बाहर निवास कर रहा हो।

एकल नागरिकता
  • यद्यपि भारत में संघीय संविधान और दोहरी राजव्यवस्था (केंद्र और राज्य) को अपनाया गया है, परंतु यहाँ केवल एकल नागरिकता की व्यवस्था लागू है अर्थात संघीय निष्ठा को व्यक्त करती भारतीय नागरिकता।
  • यहाँ अमेरिका और स्विट्जरलैंड की तरह राज्यों के लिए अलग नागरिकता का कोई प्रावधान नहीं है।
  • भारत में, सभी नागरिकों को, चाहे वे किसी भी राज्य में जन्में या निवास करते हों, पूरे देश में एक समान नागरिक अधिकार प्राप्त हैं और उनके साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता है। हालांकि, भेदभाव रहित नागरिकता का यह सामान्य नियम कुछ अपवादों के अधीन है।
  • भारत के संविधान में कनाडा के संविधान की तरह भाई-चारे और लोगों के बीच एकता बनाए रखने तथा एक एकीकृत भारतीय राष्ट्र का निर्माण करने के लिए एकल नागरिकता के प्रावधान के साथ एक समान अधिकार (विशेष मामलों के अतिरिक्त) प्रदान किए गए हैं।

नागरिकता संसोधन अधिनियम 2019
  • अवैध प्रवासी की परिभाषा: यह अधिनियम अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से रोकता है। यह एक विदेशी को एक अवैध प्रवासी के रूप में परिभाषित करता है: –

(i) जो वैध पासपोर्ट या यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश करता है।

(ii) अनुमत समय से परे भारत में निवास करता है।

  • 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईयों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा और इन लोगों के समूहों के लिए 11 वर्ष की अनिवार्यता हो घटाकर 5 वर्ष किया जाएगा।
  • अवैध प्रवासियों से संबंधित ये प्रावधान असम, मेघालय, मिज़ोरम और त्रिपुरा के उन आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं होंगे, जो संविधान की 5वीं अनुसूची में शामिल हैं।
  • इसके अलावा, यह बंगाल पूर्वी सीमा नियमन, 1873 (Bengal Eastern Frontier Regulation, 1873) के तहत अधिसूचित अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड के “इनर लाइन” क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा।
  • ओसीआई (Overseas Citizenship of India) के पंजीकरण को रद्द करना: इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार निम्नलिखित आधारों पर ओसीआई को रद्द कर सकती है-

(i) यदि ओसीआई ने फर्जी माध्यम से पंजीकरण कराया है।

(ii) यदि, पंजीकरण के 5 वर्ष के भीतर, ओसीआई को 2 वर्ष या अधिक के कारावास की सजा हुई हो।

(iii) यदि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए ऐसा किया जाना आवश्यक हो गया हो।

(iv) यदि ओसीआई ने इस अधिनियम या केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अन्य कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया हो।

ओसीआई पंजीकरण रद्द करने का आदेश, ओसीआई कार्ड-धारक को सुनवाई का मौका दिये बगैर पारित नहीं किया जाएगा।

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