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संसदीय समितियाँ (उड़ान)

संसदीय समितियाँ (उड़ान)

  • भारत के संविधान में ऐसी समितियों का अलग-अलग स्थानों एवं संदर्भों में उल्लेख आता है, लेकिन इन समितियों के गठन, कार्यकाल तथा कार्यों आदि के संबंध में कोई प्रावधान नहीं मिलता| इन सभी मामलों के बारे में संसद के दोनों सदनों के नियमन ही प्रभावी होते हैं ।
  • संसदीय समिति वह समिति है जो सदन द्वारा नियुक्त अथवा निर्वाचित होती है अथवा जिसे लोकसभा अध्यक्ष /सभापति नामित करते हैं, लोकसभा अध्यक्ष/सभापति के निर्देशानुसार कार्य करती है, अपनी रिपोर्ट (अपना प्रतिवेदन) सदन को अथवा लोकसभा अध्यक्ष/सभापति को सौंपती है, जिसका एक सचिवालय होता है तथा जिसकी व्यवस्था लोकसभा/राज्यसभा करता है ।

 

मानदंड प्राक्कलन समिति लोक लेखा समिति सार्वजनिक उपक्रमों पर समिति विभागीय स्थायी समिति (24 समितियाँ)
व्युत्पत्ति 1950- जॉन मथाई की सिफारिश पर इस समिति का गठन भारत सरकार अधिनियम, 1919 के अंतर्गत प्रथम बार 1921 में हुआ और तब से यह अस्तित्व में है| कृष्ण मेनन समिति की सिफारिश पर 1964 में गठित किया गया| लोकसभा के नियम समिति की अनुशंसाओं पर 1993 में गठित किया गया|

गठन

सभी 30 सदस्य लोक सभा से (सबसे बड़ी समिति)

मंत्रियों को सदस्य के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता |

वर्तमान में 22 सदस्य (15 लोकसभा + 7 राज्यसभा)

-सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है

–समानुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के अनुसार एकल हस्तांतरणीय मत के माध्यम से चुनाव

अध्यक्ष – विपक्षी दल से

मंत्री इसके सदस्य नहीं हो सकते|

-लोक लेखा समिति के समान

 

-मंत्री सदस्य नहीं हो सकते

प्रत्येक समिति में 31 सदस्य (लोक सभा से 21 राज्य सभा से 10) होते हैं|

संबंधित पीठासीन अधिकारियों द्वारा नामित।

 

गठन के समय से लेकर समिति का कार्यकाल एक वर्ष का होता है|

 

कार्य

इस समिति का कार्य बजट में सम्मिलित प्राक्कलनों की जांच करना तथा सार्वजनिक व्यय में मित्वयता के लिए सिफारिश करना है| कैग ऑडिट रिपोर्ट की जाँच करता है और अनियमितताओं की खोज करता है।  

सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के दिन प्रतिदिन के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करता है|

विधेयकों की जांच करना, अनुदान मांगों और अन्य मामलों की अनुशंसा करना है। 24 स्थायी समितियों में से, 8 राज्यसभा तथा 16 लोकसभा के अधीनकार्य करती हैं।
सहायक अधिकारी नहीं उपलब्ध है।

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(CAG)–लोक लेखा समिति के लिए मित्र, दार्शनिक, मार्गदर्शक

नहीं नहीं
नीति में भागीदारी प्रशासन में कार्य कुशलता और मितव्ययिता लाने के लिए वैकल्पिक नीतियों के बारे में सुझाव देना | नहीं नहीं नहीं

 

कैबिनेट समितियां:
  • ये समितियां गैर संवैधानिक अथवा संविधानेत्तर है ।
  • भारत मेंकार्यपालिका भारत सरकार(ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस ) नियमावली 1961 के तहत कार्य करती है।
  • ये नियम संविधान के अनुच्छेद 77 (3) से व्यूतपन्न होते हैं , जिसमें कहा गया है: “राष्ट्रपति भारत सरकार के कामकाज को अधिक सुविधाजनक बनाने के लिए और उक्त कामकाज को मंत्रियों के बीच आवंटन से संबंधित नियम बनाएंगे।
  • दो प्रकार की समितियां हैं : स्थायी और तदर्थ समितियां।
  1. स्थायीàस्थायी समितियां
  2. तदर्भ समितियां àविशेषप्रयोजनों के लिए अस्थायी रूप से गठित की जाती हैं।
  • प्रधानमंत्री द्वारा गठित + सदस्य संख्या 3 से 8 तक हो सकती है + प्रभारी मंत्री भी सम्मिलित + वरिष्ठ मंत्री शामिल होते हैं + मंत्रिमंडल के विचार के लिए प्रस्ताव का निर्माण + कैबिनेट के कार्यभारमें कमी करना।

 

कार्यरत मंत्रिमंडलीय समितियां
  • राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (जिसे सुपर कैबिनेट कहा जाता है): विदेशी और घरेलू मामलों से संबंधित सभी नीतिगत मामलों की निगरानी करती है à प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में |
  • आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति: आर्थिक क्षेत्र की सरकारी गतिविधियों को निर्देशित करती हैं तथा उनमें समन्वय भी स्थापित करती है à प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में।
  • मंत्रिमंडलीय नियुक्ति समिति: केंद्रीय सचिवालय, लोक उद्यमों, बैंकों और वित्तीय संस्थानों में सभी उच्च पदों पर नियुक्तियों के संबंध में निर्णय लेती हैं àप्रधानमंत्री की अध्यक्षता में।
  • सुरक्षा के लिए मंत्रिमंडलीय समिति àप्रधानमंत्री की अध्यक्षता में।
  • संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति: संसद में सरकारी कामकाज की प्रगति को देखती हैà गृहमंत्री की अध्यक्षता में |
  • आवास ( accommodation )के लिए मंत्रिमंडलीय समिति |
  • निवेश और विकास पर कैबिनेट समितिàप्रधानमंत्री की अध्यक्षता में|
  • रोजगार और कौशल विकास पर कैबिनेट समितिà प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में|

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