Q. तकनीकी प्रगति और सरकारी प्रयासों के बावजूद दिल्ली के लगातार वायु प्रदूषण संकट में योगदान देने वाले कारकों की जाँच कीजिए। इन चिंताओं को दूर करने के लिए किन निवारक और उपचारात्मक उपायों को प्राथमिकता दी जा सकती है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • तकनीकी प्रगति और सरकारी प्रयासों के बावजूद दिल्ली में वायु प्रदूषण के लगातार बने रहने के लिए जिम्मेदार कारकों का परीक्षण कीजिए।
  • इन चिंताओं को दूर करने के लिए निवारक और उपचारात्मक उपायों का सुझाव दीजिए जिन्हें प्राथमिकता दी जा सकती है।

उत्तर

दिल्ली को अक्सर दुनिया भर के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक माना जाता है जो तकनीकी प्रगति और नीतिगत हस्तक्षेपों के बावजूद वायु गुणवत्ता में गंभीर कमी का सामना कर रहा है। नवंबर 2024 में, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) गंभीर स्तर को पार कर गया और कुछ क्षेत्रों में 500 तक पहुँच गया, जो 400 की ‘गंभीर’ सीमा से कहीं अधिक है । यह भयावह स्थिति शहर के बढ़ते प्रदूषण संकट से निपटने के लिए प्रभावी, दीर्घकालिक समाधानों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।

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दिल्ली के स्थाई वायु प्रदूषण संकट में योगदान देने वाले कारक

  • वाहनों से होने वाला उत्सर्जन: तेजी से हो रहे शहरीकरण और निजी वाहनों की बढ़ती संख्या कण उत्सर्जन में महत्वपूर्ण योगदान देती है। 
    • उदाहरण के लिए: SAFAR सूचकांक के अनुसार वाहन प्राथमिक प्रदूषक हैं , जो PM2.5 उत्सर्जन में लगभग 40 प्रतिशत और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) में 81 प्रतिशत का योगदान करते हैं। (TERI)
  • औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली और उसके आसपास के उद्योग पुरानी तकनीक और उचित उत्सर्जन नियंत्रण की कमी के कारण जहरीली गैसें छोड़ते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: NGT ने CPCB द्वारा प्रस्तुत क्षमता रिपोर्ट के आधार पर जिगजैग तकनीक वाले सभी ईंट भट्टों को बंद करने का निर्देश दिया है।
  • पराली जलाना: पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेषों को मौसमी रूप से जलाने से दिल्ली की हवा में भारी मात्रा में धुआं और कण उत्सर्जित होते हैं।
  • निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल: अपर्याप्त नियंत्रण उपायों के कारण NCR में चल रही निर्माण परियोजनायें बड़ी मात्रा में धूल उत्पन्न करती है।
    • उदाहरण के लिए: राजमार्गों और मेट्रो लाइनों के निर्माण के कारण परियोजना निष्पादन के दौरान PM10 के स्तर में वृद्धि हुई है।
  • भौगोलिक कारक: दिल्ली का गंगा के मैदान में स्थित होना तथा सर्दियों के दौरान हवा की कम गति के कारण प्रदूषक वहां फंस जाते हैं, जिससे स्मॉग  की एक सघन परत बन जाती है।

दिल्ली के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निवारक उपाय

  • स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देना: CNG, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन जैसे स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में काफी कमी आ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत, सभी डिलीवरी सेवा प्रदाताओं को 2023 तक अपने बेड़े का 50% और 2025 तक 100% इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलना होगा ।
  • संधारणीय कृषि पद्धतियाँ: किसानों को बायो-डीकंपोजर और नो-बर्न तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने से पराली जलाने की घटना में कमी आ सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र में पराली जलाने को कम करने के लिए सगुना चावल तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
  • सार्वजनिक परिवहन को मजबूत करना: सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाने से निजी वाहनों पर निर्भरता कम हो सकती है, जिससे उत्सर्जन पर अंकुश लग सकता है।
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली मेट्रो चरण IV का विस्तार कनेक्टिविटी में सुधार और यातायात से संबंधित प्रदूषण को कम करने का लक्ष्य रखता है।
  • फसल अवशेष प्रबंधन: PUSA द्वारा विकसित बायोडिकंपोजर का उपयोग, पराली प्रबंधन के महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक है।
  • कड़े निर्माण नियम: निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव और एंटी-स्मॉग गन जैसे धूल को रोकने वाले साधनों के उपयोग को अनिवार्य बनाना।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 2021 की सर्दियों के दौरान, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने आपातकालीन उपायों की एक श्रृंखला शुरू की, निर्माण पर प्रतिबंध लगाया और गहन धूल नियंत्रण उपायों को लागू किया।
  • शहरी वनरोपण: हरित क्षेत्रों का विस्तार करना और सड़कों के किनारे पेड़ लगाना, प्राकृतिक वायु शोधक के रूप में कार्य कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: नगर वन योजना NCR उप-क्षेत्रों में हरियाली लाने का एक अवसर है।

दिल्ली के वायु प्रदूषण से निपटने के लिए उपचारात्मक उपाय

  • एंटी-स्मॉग टावर लगाना: महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्मॉग टावर लगाने से स्थानीय स्तर पर प्रदूषण के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: कनॉट प्लेस में स्मॉग टावर ने प्रदूषण के चरम समय के दौरान वायु गुणवत्ता में स्थानीय स्तर पर सुधार दिखाया है।
  • रियलटाइम प्रदूषण निगरानी: IoT सेंसर जैसे उन्नत निगरानी उपकरण लक्षित हस्तक्षेपों के लिए सटीक डेटा प्रदान कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: SAFAR प्रणाली नीतिगत कार्रवाइयों को निर्देशित करने के लिए रियलटाइम वायु गुणवत्ता स्तरों को ट्रैक करती है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन सुधार: अपशिष्ट जलाने के विरुद्ध सख्त कार्रवाई और कुशल ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है।
  • सहयोगात्मक शासन: पड़ोसी राज्यों के बीच समन्वित प्रयासों से पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन जैसे साझा प्रदूषण स्रोतों की समस्या को कम किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) दिल्ली की वायु गुणवत्ता संकट को दूर करने के लिए अंतर-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • जागरूकता अभियान: पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं पर जनता को शिक्षित करना, जैसे कि व्हीकल इडलिंग (बिना गति के इंजन को स्टार्ट रखना) को कम करना, प्रदूषण के स्तर को काफी हद तक कम कर सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” जैसे अभियान उत्सर्जन को कम करने के लिए व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करते हैं।

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दिल्ली के वायु प्रदूषण के लिए एक एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है जिसमें नवीन प्रौद्योगिकी, नीति प्रवर्तन और सार्वजनिक सहयोग शामिल हो। बीजिंग के वायु गुणवत्ता प्रबंधन सुधारों जैसे वैश्विक प्रथाओं को अपनाना और भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाना, दिल्ली के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।

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