उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: भारत में बेरोजगारी परिदृश्य एवं सामाजिक-आर्थिक संदर्भ में इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए अन्य क्षेत्रों(सब्सिडी, सुरक्षा जाल और संरचनात्मक परिवर्तन) का संक्षिप्त उल्लेख करते हुए शुरुआत कीजिए।
- मुख्य विषयवस्तु:
- बेरोजगारी के संदर्भ में भारत के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं की सूची बनाइए।
- बेरोजगारी से निपटने के संभावित समाधानों और तरीकों पर चर्चा कीजिए।
- प्रासंगिक उदाहरण अवश्य प्रदान कीजिए।
- निष्कर्ष: बेरोजगारी को दूर करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण के महत्व को दोहराते हुए निष्कर्ष निकालिए।
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परिचय:
भारत, अपनी जीवंत अर्थव्यवस्था और बहुआयामी कार्यबल के साथ, लंबे समय से बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है। पिछले एक दशक में विविधताओं के बावजूद, चुनौती अभी भी कायम है। हालाँकि, बेरोज़गारी केवल एक सांख्यिकीय चिंता का विषय नहीं है, बल्कि यह आर्थिक मजबूती, सामाजिक संतुलन और व्यक्तिगत आकांछाओं को प्रभावित करते हुए गहराई से प्रतिबिंबित होता है।
मुख्य विषयवस्तु:
चुनौतियाँ:
- क्षेत्रीय भिन्नता: भारत में विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग आर्थिक गतिविधियाँ और विकास स्तर हैं। उदाहरण के लिए, बेहतर वर्षा से कृषि राज्यों को लाभ पहुँच सकता है, किन्तु औद्योगिक राज्य अभी भी बेरोजगारी से जूझ सकते हैं।
- कौशल मांगों के अनुरूप नहीं: अक्सर, युवाओं द्वारा अर्जित कौशल उद्योग की मांगों के अनुरूप नहीं होते हैं। यह अंतर उपलब्ध रिक्तियों के बावजूद रोजगार संबंधी समस्याओं को जन्म देता है।
- अनौपचारिक अर्थव्यवस्था: भारत के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र में काम करता है। इसका मतलब यह है कि वे न केवल आर्थिक समस्याओं के प्रति संवेदनशील हैं बल्कि अक्सर राज्य के समर्थन के दायरे से भी बाहर रहते हैं।
- संरचनात्मक बेरोजगारी: गौरतलब है कि जुलाई 2023 में, कृषि गतिविधि में वृद्धि के साथ भी, ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि क्षेत्र में मांग में गिरावट आई थी। इस तरह के संरचनात्मक बदलाव बेरोजगारी को बढ़ा सकते हैं।
अवसर:
- प्रमुख क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी: सरकार उच्च रोजगार क्षमता वाले क्षेत्रों को लक्षित कर सब्सिडी प्रदान कर सकती है। उदाहरण के लिए, एमएसएमई क्षेत्र, जो एक प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता है, को प्रोत्साहन से रोजगार सृजन हो सकता है।
- सुरक्षा जाल: मनरेगा जैसी पहल ने संकट के समय में रोजगार प्रदान करते हुए सुरक्षा जाल के रूप में काम किया है। इसी प्रकार, शहरों में बेरोजगारी को दूर करने के लिए शहरी रोजगार गारंटी योजना की परिकल्पना की जा सकती है।
- कौशल विकास: बाजार की जरूरतों के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण और व्यावसायिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से कौशल विसंगति को दूर किया जा सकता है।
- संरचनात्मक परिवर्तन: भारत को अपनी आर्थिक गतिविधियों में विविधता लाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, कृषि में बार-बार आने वाली चुनौतियों को देखते हुए, कृषि-आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बेहतर अवसर सुनिश्चित हो सकते हैं।
वर्ष 2023 में देखा गया है कि, शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में श्रम बल में गिरावट एक बड़े संरचनात्मक मुद्दे का संकेतक है। ऐसे में आर्थिक गतिविधियों में विविधीकरण की आवश्यकता है। कृषि आधारित उद्योग, पर्यटन और डिजिटल अर्थव्यवस्था भविष्य में रोजगार के स्तंभ बनने की क्षमता रखते हैं। उदाहरण के लिए, केरल जैसे राज्यों ने पर्यटन पर पूंजी लगाई है, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिला है। इसी तरह, बेंगलुरु और हैदराबाद में आईटी हब डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का उदाहरण देते हैं।
निष्कर्ष:
भारत में बेरोज़गारी को संबोधित करना केवल नौकरियाँ पैदा करना नहीं है बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि ये नौकरियाँ टिकाऊ, समावेशी और भविष्य के रुझानों के अनुरूप हों। विदित हो कि सब्सिडी और सुरक्षा जाल तत्काल राहत तो प्रदान करते हैं, साथ ही यह संरचनात्मक परिवर्तन है जो दीर्घकालिक रोजगार स्थिरता सुनिश्चित करेगा। चूंकि भारत अवसरों के शिखर पर तो खड़ा है, किन्तु यहाँ चुनौतियां भी विद्यमान हैं, ऐसे में जरूरी है कि एक सक्रिय, बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाकर रोजगार-समृद्ध भविष्य का मार्ग प्रशस्त किया जाये।
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