उत्तर:
दृष्टिकोण:
- परिचय: कर्पूरी ठाकुर का परिचय एक परिवर्तनकारी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में संक्षेप में दीजिये, जो अपने प्रभावशाली सामाजिक सुधारों के लिए जाने जाते हैं।
- मुख्य विषय-वस्तु:
- कर्पूरी ठाकुर द्वारा बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 26% आरक्षण नीति के कार्यान्वयन और उनके शैक्षिक सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- वृद्धावस्था पेंशन और शराबबंदी जैसी उनकी सामाजिक कल्याण पहलों का उल्लेख कीजिये।
- बिहार में पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण और उसके बाद के राजनीतिक विकास पर कर्पूरी ठाकुर की नीतियों के प्रभाव की रूपरेखा बताइये।
- निष्कर्ष: सामाजिक न्याय पर कर्पूरी ठाकुर के स्थायी प्रभाव और बिहार के राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य को आकार देने में उनकी भूमिका को स्वीकार करते हुए निष्कर्ष लिखें।
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परिचय:
समाजवादी सिद्धांतों से अत्यंत गहराई रूप से जुड़े कर्पूरी ठाकुर का राजनीतिक करियर कई महत्वपूर्ण पड़ावों से भरा रहा। 1970 के दशक में बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में, कर्पूरी ठाकुर ने विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों के लिए अभूतपूर्व सुधारों का नेतृत्व किया। उनका कार्यकाल बिहार में पूर्ण शराबबंदी के लिए उल्लेखनीय था, जो सामाजिक सुधार के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। इसके अलावा, उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से अविकसित क्षेत्रों में, यह सुनिश्चित करते हुए कि ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले लोगों के लिए शिक्षा सुलभ हो सके।
मुख्य विषय-वस्तु:
प्रमुख योगदान एवं नीतियाँ
- आरक्षण नीति: कर्पूरी ठाकुर ने 1978 में बिहार सरकार की नौकरियों में 26% आरक्षण मॉडल पेश किया, जिसका उद्देश्य पिछड़े वर्गों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान करना था। यह नीति, जिसे “कर्पूरी ठाकुर फॉर्मूला” के नाम से जाना जाता है, मंडल आयोग की सिफारिशों की अग्रदूत थी और इसने पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसमें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 12%, सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग के लिए 8%, महिलाओं के लिए 3% और उच्च जातियों के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 3% शामिल थे।
- शिक्षा सुधार: बिहार के शिक्षा मंत्री के रूप में, कर्पूरी ठाकुर ने प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में कई छात्रों के लिए एक बाधा के रूप में इसे पहचानते हुए, मैट्रिक स्तर पर अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के रूप में हटा दिया। उन्होंने कक्षा 8 तक की शिक्षा भी मुफ़्त कर दी, जिससे स्कूल छोड़ने की दर में काफी कमी आई।
- सामाजिक कल्याण संबंधी पहल: कर्पूरी ठाकुर ने 1971 में वृद्धावस्था पेंशन की शुरुआत की और 1977 में मैट्रिक तक की शिक्षा मुफ्त कर दी। ये पहल बुजुर्गों के जीवन स्तर में सुधार लाने और युवाओं के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण थीं।
- भूमि सुधार: उन्होंने प्रमुख भूमि सुधारों की शुरुआत की जिसके कारण जमींदारों से भूमिहीन दलितों को भूमि का पुनर्वितरण हुआ, जिससे उन्हें “जननायक” या “पीपुल्स हीरो” की उपाधि मिली।
- प्रतिषेध नीति: सामाजिक सुधार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए, कर्पूरी ठाकुर ने अपने कार्यकाल के दौरान बिहार में शराबबंदी लागू की।
विरासत
बिहार और भारत के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर कर्पूरी ठाकुर का प्रभाव स्मरणीय है। उनकी नीतियों ने जनता दल (यूनाइटेड) या जेडी (यू) और राष्ट्रीय जनता दल जैसी क्षेत्रीय पार्टियों के गठन को प्रभावित करके पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण की नींव रखी। बिहार में हालिया जाति सर्वेक्षण से पता चलता है कि पिछड़े समुदायों में राज्य की आबादी का लगभग दो–तिहाई हिस्सा शामिल है, जो कर्पूरी ठाकुर की विरासत पर आधारित है, जिसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में पिछड़ी जातियों के लिए कोटा उनकी आबादी के अनुपात में हो।
निष्कर्ष:
कर्पूरी ठाकुर, जिन्हें अक्सर ‘जन नायक‘ या लोगों के नायक के रूप में जाना जाता है, बेहद सम्मान और प्रशंसा के पात्र बने हुए हैं। उनका जीवन और कार्य भारतीय संविधान की भावना का प्रतीक है, जो सभी के लिए समानता, भाईचारे और न्याय की वकालत करता है। हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के एक अग्रदूत के रूप में, उनके दूरदर्शी नेतृत्व और दलितों के उत्थान के लिए अटूट प्रतिबद्धता ने भारत के सामाजिक–राजनीतिक ताने–बाने पर एक स्थायी छाप छोड़ी है। उनकी विरासत भारत में समकालीन राजनीति और सामाजिक सुधारों को प्रेरित और मार्गदर्शन करती रहती है।
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