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Q. सिविल सेवकों के लिए प्रभावी संचार और अनुनय कौशल के महत्व एवं इस संबंध में सामना की जाने वाली चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए । (10 अंक , 150 शब्द)

उत्तर:

प्रश्न का समाधान कैसे करें

  • भूमिका
    • सिविल सेवकों के लिए संचार और अनुनय कौशल की भूमिका के बारे में संक्षेप में लिखें
  • मुख्य भाग
    • सिविल सेवकों में प्रभावी संचार और अनुनय कौशल विकसित करने का महत्व लिखें
    • इस संबंध में आने वाली चुनौतियाँ लिखें
  • निष्कर्ष
    • इस संबंध में उचित निष्कर्ष दीजिए

 

भूमिका

सिविल सेवा में प्रभावी संचार में विचारों और नीतियों का स्पष्ट और प्रभावशाली संप्रेषण शामिल होता है, जबकि अनुनय में हितधारकों के विचारों या कार्यों को प्रभावित करना या बदलना शामिल होता है। सिविल सेवकों के लिए सार्वजनिक सेवाओं के व्यापक लक्ष्य को पूरा करने के लिए, ये कौशल नीति प्रसार, हितधारकों की सहभागिता  एवं  सार्वजनिक विश्वास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

मुख्य भाग

सिविल सेवकों में प्रभावी संचार और अनुनय कौशल विकसित करने का महत्व

  • नीति प्रसार: स्पष्ट संचार सुनिश्चित करता है कि नीतियों को जनता द्वारा समझा जाए । उदाहरण के लिए, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ या स्वच्छ भारत अभियान जैसी नीतियां सिविल सेवकों और जनता के बीच प्रभावी दोतरफा संचार के कारण प्रभावशाली रही हैं।
  • सार्वजनिक विश्वास का निर्माण: पारदर्शी और प्रभावी संचार सरकार में विश्वास को बढ़ावा देता है। जैसे:सूचना का अधिकार जैसे अभियान विश्वास आधारित शासन के विचार को आगे बढ़ाते हुए जनता एवं सिविल सेवकों के बीच निर्बाध एवं पारदर्शी संचार स्थापित करने का साधन हैं।
  • नीति का समर्थन : सिविल सेवकों द्वारा आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से नीतियों का समर्थन करने की आवश्यकता है। जैसे:राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम जैसी नीतियों के लाभों के संबंध  में हितधारकों को समझाने में अनुनय कौशल महत्वपूर्ण हैं.
  • सेवा प्रदान में सुधार: स्पष्ट संचार यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक सेवाएँ सभी के लिए सुलभ और समझी जाने योग्य हों। उदाहरण के लिए: आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल,जो भारत की पहली दृष्टिबाधित महिला आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने अपनी भूमिकाओं में सेवा प्रदान में सुधार  के लिए प्रभावी ढंग से संवाद किया है।
  • संवाद एवं नेटवर्किंग: प्रभावी संचार संवाद  और नेटवर्किंग में सहायक होता है, जो नीति के कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण: भारतीय राजनयिक निरुपमा राव का करियर कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संचार कौशल के महत्व का उदाहरण है
  • पारदर्शिता एवं जवाबदेही को प्रोत्साहित करना : स्पष्ट और खुला संचार शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है। घोटालों को उजागर करने में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के रूप में पूर्व भारतीय सिविल सेवक विनोद राय के प्रयास जवाबदेही सुनिश्चित करने में संचार की भूमिका को प्रदर्शित करते हैं।
  • आपदा प्रबंधन: संकट के समय में, सूचना प्रसारित करने और जनता के भय को शांत करने के लिए प्रभावी संचार महत्वपूर्ण है।निपाह वायरस के प्रकोप और COVID-19 महामारी के दौरान केरल के स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा की संचार रणनीतियाँ उल्लेखनीय उदाहरण हैं।

इस संबंध में चुनौतियाँ:-

  • विविध भाषाई और सांस्कृतिक संदर्भ: भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता प्रभावी संचार को चुनौतीपूर्ण बना सकती है। सिविल सेवकों को अक्सर स्थानीय भाषाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिससे नीतियों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती है,जैसा कि अरुणाचल प्रदेश जैसे भाषाई रूप से विविध राज्यों में अधिकारियों केसमक्ष आने वाली चुनौतियों में देखा गया है.
  • नीतियों की जटिलता:सरकारी नीतियों की जटिलता के कारण जनता तक प्रभावी ढंग से संवाद करना मुश्किल हो सकता है। जैसे:जीएसटी जैसी जटिल योजनाओं को सरल बनाना और विविध आबादी तक पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
  • परिवर्तन का विरोध: नई नीतियों या परिवर्तनों को स्वीकार करने के लिए हितधारकों को समझाना प्रतिरोध के कारण चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप पारंपरिक समाजों में। जैसे:ग्रामीण भारत में खुले में शौच के खिलाफ अभियान जैसी सदियों पुरानी प्रथाओं को बदलने के प्रयासों को महत्वपूर्ण प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है।
  • सार्वजनिक अविश्वास और संशय: पिछले शासन की विफलताओं के कारण अक्सर सार्वजनिक अविश्वास को नियंत्रित करना एक चुनौती है। उदाहरण के लिए: भारत के कुछ हिस्सों में टीके को लेकर संकोच के मामले में संशयग्रस्त जनता को समझाने  के लिए महत्वपूर्ण प्रयास की आवश्यकता है।
  • सूचना अधिभार और गलत सूचना: डिजिटल युग में, ग़लत सूचना और सूचना की विशाल मात्रा प्रभावी संचार में बाधा उत्पन्न कर सकती है। उदाहरण के लिए: सिविल सेवक फर्जी खबरों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जैसा कि कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया।
  • संसाधनों की कमी:सीमित संसाधन प्रभावी संचार प्रयासों में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, विशेषकर ग्रामीण या अविकसित क्षेत्रों में। सुदूर इलाकों तक पहुंचने में पूर्वोत्तर जैसे क्षेत्रों में अधिकारियों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ इस मुद्दे का उदाहरण हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार प्रभावी संचार एवं  अनुनय सिविल सेवकों के लिए अपरिहार्य उपकरण हैं, जो नीति प्रसार, हितधारक सहभागिता एवं  सार्वजनिक विश्वास के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संचार एक दोतरफा मार्ग है, इस संचार को अधिक प्रभावी और प्रभावशाली बनाने के लिए सिविल सेवकों की सक्रिय भूमिका के साथ-साथ सार्वजनिक भागीदारी और संलग्नता  भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

 

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