Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. भारत की औद्योगिक वृद्धि के साथ बार-बार होने वाली औद्योगिक दुर्घटनाओं की घटनाएं भी बढ़ गई हैं जिससे कारखाना निरीक्षण तंत्र की प्रभावशीलता के संबंध में चिंताएँ बढ़ गई हैं। इसके आलोक में, भारत में कारखाना निरीक्षण की वर्तमान स्थिति का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए, इसकी चुनौतियों और कमियों की जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग

  • भारत में कारखाना निरीक्षण की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करें।
  • भारत में कारखाना निरीक्षण से जुड़ी चुनौतियों और कमियों की जांच करें।
  • इन कमियों को दूर करने के लिए आगे का रास्ता सुझाएँ।

 

पिछले कुछ वर्षों  में भारत के औद्योगिक विकास ने देश को एक प्रमुख वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित किया है । हालाँकि, इस तीव्र  औद्योगिकीकरण के साथ-साथ बार-बार औद्योगिक दुर्घटनाएँ भी हुई हैं, जो कारखाना  निरीक्षण तंत्र में महत्वपूर्ण कमियों को रेखांकित करती हैं। महाराष्ट्र के ठाणे में एक रासायनिक इकाई में हाल ही में हुए विस्फोट , जिसमें 11 लोगों की मृत्यु हो गई, ने इन मुद्दों पर पुनः ध्यान आकर्षित किया है।

भारत में कारखाना निरीक्षण की वर्तमान स्थिति:

  • निम्न निरीक्षण दरें : निम्न निरीक्षण दरों के कारण सुरक्षा उल्लंघन और खतरनाक स्थितियाँ अनियंत्रित रहती हैं, जिससे औद्योगिक दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ता है एवं श्रमिक सुरक्षा कम हो जाती है
    उदाहरण के लिए: 2021 में , देश भर में केवल 14.65% पंजीकृत कारखानों तथा  26.02% खतरनाक कारखानों का निरीक्षण किया गया।
  • निरीक्षकों की कमी : कारखानों की विशाल संख्या के सापेक्ष कारखाना निरीक्षकों की संख्या अपर्याप्त है, जिसके कारण अनियमित एवं अपर्याप्त  निरीक्षण होते हैं
    उदाहरण के लिए:सम्पूर्ण भारत  में स्वीकृत अधिकारी पदों के लिए नियुक्ति दर केवल 58% थी, जो निम्न  निरीक्षण दरों में योगदान देने वाले कर्मियों की गंभीर कमी को दर्शाता है ।
  • चयनात्मक प्रवर्तन : प्रवर्तन कभी-कभी राजनीतिक एवं आर्थिक दबावों से प्रभावित होता है, जिससे सुरक्षा मानकों का असमान अनुपालन होता है।
    उदाहरण के लिए: दिसंबर 2019 में दिल्ली की अनाज मंडी फैक्ट्री में आग लग गई । सुरक्षा नियमों के बावजूद, फैक्ट्री में उचित अग्नि सुरक्षा उपाय एवं मंज़ूरी का अभाव था साथ ही कथित तौर पर निरीक्षण में लापरवाही की  गई, जो राजनीतिक एवं  आर्थिक दबावों से प्रभावित थी , जिसके परिणामस्वरूप  यह त्रासदी हुई जिसमें 43 लोगों की मृत्यु हो  गई।
  • पुरातन कानून : कारखाना निरीक्षणों को नियंत्रित करने वाला प्रमुख कानून, 1948 का कारखाना अधिनियम, प्राचीन हो चुका है तथा  आधुनिक औद्योगिक परिचालनों की जटिलताओं को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं करता है ।

भारत में कारखाना निरीक्षण में चुनौतियाँ:

  • रिश्वतखोरी तथा मिलीभगत : भ्रष्टाचार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसमें निरीक्षकों द्वारा उल्लंघनों को अनदेखा  करने के लिए रिश्वत लेने की सूचनाएं  मिलती रहती हैं, जो निरीक्षण प्रक्रिया की विश्वसनीयता  को कमजोर करती हैं।
  • कौशल अंतराल : कई निरीक्षकों के पास नवीनतम औद्योगिक सुरक्षा मानकों एवं प्रौद्योगिकियों में विशेष प्रशिक्षण का अभाव है , जिससे जोखिमों की पहचान करने तथा उन्हें कम करने में उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।
    उदाहरण के लिए: आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एलजी पॉलीमर प्लांट में 2020 में हुए गैस रिसाव से सूचना मिली  कि कई फैक्ट्री निरीक्षकों के पास नवीनतम औद्योगिक सुरक्षा मानकों एवं  प्रौद्योगिकियों में विशेष प्रशिक्षण का अभाव था।
  • कमजोर दंड : सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के लिए दंड प्रायः इतना उदार होता है कि उल्लंघनों पर अंकुश नहीं लगा पाता, जिससे कई कारखानों के लिए आवश्यक सुरक्षा उपायों को लागू करने के बजाय अर्थदंड देना अधिक किफायती हो जाता है, जिससे विनियमों का निवारक प्रभाव कमजोर हो जाता है।
  • जवाबदेही का अभाव : ऐसे निरीक्षकों के लिए बहुत कम जवाबदेही होती है जो अपने कर्तव्यों का  प्रभावी ढंग से पालन करने  में विफल रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर कारखानों में असुरक्षित प्रथाएँ जारी रहती हैं। उदाहरण के लिए: उत्तर प्रदेश में 2021 के धामपुर चीनी मिल मामले में , नियमित निरीक्षण के बावजूद निरंतर  सुरक्षा उल्लंघन पाए गए, तथा नियमों को लागू करने में विफल रहने वाले निरीक्षकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
  • श्रमिक सहभागिता की कमी : सुरक्षा समितियों अथवा निरीक्षण प्रक्रियाओं में श्रमिकों की प्रायः बहुत कम भागीदारी होती है , जिसके कारण सुरक्षा मुद्दों से संबंधित  मूल स्तर पर जानकारी का अभाव हो जाता है ।
  • श्रमिक सुरक्षा में अपर्याप्त निवेश : लागत कम करने के प्रयास में, कुछ उद्योग प्रायः आवश्यक सुरक्षा उपकरण तथा बुनियादी ढांचे की उपेक्षा करते हैं , जैसे उचित वेंटिलेशन एवं  अग्नि सुरक्षा उपाय।
    उदाहरण के लिए: 2023 आईआईटी कानपुर के एक अध्ययन में औद्योगिक दुर्घटनाओं को कम करने के लिए श्रमिक सुरक्षा में निवेश बढ़ाने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।
  • प्रौद्योगिकी का कम उपयोग : वर्तमान निरीक्षण ढांचे में सुरक्षा, निगरानी तथा   पूर्वानुमानित रखरखाव को बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकों, जैसे कि आईओटी(IoT) और एआई (AI )की क्षमता का विस्तृत स्तर  पर उपयोग नहीं किया गया है।
  • रखरखाव की उपेक्षा : उपकरणों एवं प्रणालियों के रखरखाव में विफलता से उनमें गिरावट होती  है, जिससे दोषपूर्ण संचालन  एवं विफलताओं का जोखिम बढ़ जाता है। उदाहरण के लिए:
    तमिलनाडु में नेवेली थर्मल पावर प्लांट दुर्घटना , जहाँ एक बॉयलर पुनर्जीवित करते समय अप्रत्याशित रूप से विस्फोट हो गया,जो  उपकरणों के रखरखाव में महत्वपूर्ण विफलताओं को उजागर करता है।

आगे की दिशा :

  • निरीक्षकों की संख्या में वृद्धि : पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करने तथा मौजूदा कर्मचारियों पर दबाव कम करने के लिए अधिक निरीक्षकों को नियुक्त करें तथा प्रशिक्षित करें , जिससे अधिक बार तथा गहन निरीक्षण संभव हो सके।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बेहतर बनांना : निरीक्षकों को नवीनतम औद्योगिक सुरक्षा मानकों एवं तकनीकों के संबंध  में अद्यतन रखने के लिए उनके लिए निरंतर प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करें। उदाहरण के लिए: भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSCI) इस पर प्रकाश डालती है कि नियमित अभ्यास के साथ व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम औद्योगिक दुर्घटनाओं को कम करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • भ्रष्टाचार विरोधी उपायों को मजबूत करना : रिश्वतखोरी एवं  मिलीभगत को रोकने के लिए सख्त भ्रष्टाचार विरोधी नीतियां तथा  नियमित ऑडिट स्थापित करें, जिससे निरीक्षण प्रक्रिया में विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके। उदाहरण के लिए: ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार , चिली में मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी ढांचे ने औद्योगिक निरीक्षणों में भ्रष्टाचार को काफी कम कर दिया है।
  • जवाबदेही तंत्र में सुधार करना  : निरीक्षकों के लिए मजबूत जवाबदेही उपायों को लागू करें, जिसमें प्रदर्शन मूल्यांकन और लापरवाही के लिए दंड शामिल हैं, ताकि गहन एवं  उत्तरदायी  निरीक्षण सुनिश्चित किया जा सके। उदाहरण के लिए: 2020 के व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं  कार्य स्थिति संहिता में नियोक्ताओं एवं  कर्मचारियों के लिए परिभाषित जिम्मेदारियों को स्पष्ट किया गया है।
  • गैर-अनुपालन के लिए दंड बढ़ाना : गैर-अनुपालन को रोकने के लिए सुरक्षा उल्लंघनों के लिए कठोर दंड लागू करें एवं  कारखानों को अर्थदंड  देने की अपेक्षा आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
    उदाहरण के लिए: औद्योगिक दुर्घटनाओं पर आईआईएम अहमदाबाद की रिपोर्ट औद्योगिक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए बेहतर प्रवर्तन की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है ।
  • श्रमिक सहभागिता को बढ़ावा देना : सुरक्षा मुद्दों पर जमीनी स्तर की प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षा समितियों तथा निरीक्षण प्रक्रियाओं में श्रमिकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करें।
  • आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग : सुरक्षा निगरानी एवं  पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए IoT तथा AI प्रौद्योगिकियों में निवेश करें, जिससे संभावित खतरों की अधिक कुशल एवं  सक्रिय पहचान हो सके।
  • केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन : खतरनाक सामग्रियों की सूची एवं प्रमुख जोखिम कार्यस्थलों की सूची को संग्रहीत करने के लिए एक केंद्रीकृत, कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस बनाएँ।
    उदाहरण के लिए: OECD जोखिम आकलन को मानकीकृत करने तथा अनुपालन में सुधार करने के लिए  ग्लोबल हार्मोनाइज्ड सिस्टम ऑफ क्लासीफिकेशन एंड लेबलिंग ऑफ केमिकल्स (GHS) को बढ़ावा देता है ।
  • सार्वजनिक पारदर्शिता : कारखानों की निरीक्षण रिपोर्ट और सुरक्षा रिकॉर्ड को सार्वजनिक रूप से प्रकट करके पारदर्शिता बढ़ाएं ,तथा जवाबदेही को बढ़ावा दें साथ ही  सुरक्षा नियमों के बेहतर अनुपालन को प्रोत्साहित करें।

बार-बार होने वाली औद्योगिक दुर्घटनाएँ महत्वपूर्ण चुनौतियों को उजागर करती हैं, जिनमें निरीक्षकों की कमी , अपर्याप्त प्रशिक्षण, भ्रष्टाचार, पुरातन कानून एवं  श्रमिकों की सीमित  भागीदारी शामिल हैं। इन कमियों को दूर करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है , जिसमें सर्वोत्तम अंतर्राष्ट्रीय पद्धतियों  , मजबूत नियामक ढांचे , जवाबदेही में  वृद्धि एवं  आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाना शामिल है। इन उपायों को अपनाकर, भारत अपने औद्योगिक सुरक्षा मानकों में सुधार कर सकता है, तथा अपने कर्मचारियों की सुरक्षा कर सकता है साथ ही  अधिक सुरक्षित और अनुपालन औद्योगिक वातावरण के साथ अपने आर्थिक विकास को बनाए रख सकता है।

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   Srijan 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims2025 Test Series.    IDMP – Self Study Program 2025.

 

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.