प्रश्न की मुख्य मांग
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण व्यक्ति थे।
- बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी के विचारों और दृष्टिकोणों में समानताओं का परीक्षण कीजिये ।
- बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी के विचारों और दृष्टिकोणों में अंतरों पर प्रकाश डालिये।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।
- भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर महात्मा गांधी के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये।
|
उत्तर:
बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी व्यक्ति थे , दोनों ने इस आंदोलन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। तिलक को “भारतीय अशांति के जनक” के रूप में जाना जाता है, और गांधीजी का “राष्ट्रपिता” के रूप में आदर किया जाता है, उनके दृष्टिकोण अलग-अलग थे, लेकिन भारत के लिए स्वतंत्रता प्राप्त करना उनका साझा लक्ष्य था।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण व्यक्ति:
- स्वराज और असहयोग की वकालत :
- बाल गंगाधर तिलक : तिलक ने अपने इस कथन के साथ स्वराज (स्वशासन) की मांग को लोकप्रिय बनाया कि “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा”, जिसने जनता को संगठित किया और भविष्य के आंदोलनों की नींव रखी।
उदाहरण के लिए: 1916 में होम रूल आंदोलन के दौरान उनके नेतृत्व को पूरे भारत में व्यापक समर्थन मिला।
- महात्मा गांधी: 1920 में गांधी के असहयोग आंदोलन ने ब्रिटिश वस्तुओं और संस्थानों के बहिष्कार का आह्वान किया, जो पहला जन आंदोलन था ।
उदाहरण के लिए: इस आंदोलन में समाज के सभी वर्गों की अभूतपूर्व भागीदारी देखी गई, जिससे यह एक राष्ट्रव्यापी आन्दोलन बन गया ।
- समाज सुधारक के रूप में भूमिका:
- बाल गंगाधर तिलक : तिलक ने फर्ग्यूसन कॉलेज और डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी जैसी संस्थाओं की सह-स्थापना करके राष्ट्रवादी शिक्षा को बढ़ावा दिया ।
उदाहरण के लिए: इन संस्थाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन के भावी नेताओं को तैयार किया।
- महात्मा गांधी: गांधीजी ने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान चलाया और सामाजिक समानता को बढ़ावा दिया, जो उनके स्वतंत्र भारत के सपने का अभिन्न अंग था । उदाहरण
के लिए: गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ (1932) ने समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के उत्थान की दिशा में काम किया।
- राष्ट्रवाद को प्रेरित करने के लिए पत्रकारिता का उपयोग:
- बाल गंगाधर तिलक : अपने समाचार पत्रों केसरी और मराठा के माध्यम से, तिलक ने ब्रिटिश नीतियों की आलोचना की और राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित किया। उदाहरण के लिए: पुणे में प्लेग महामारी के दौरान उनके लेखों के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा, जिससे जनता के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई।
- महात्मा गांधी: गांधी ने पत्रकारिता का इस्तेमाल अपने विचारों को बढ़ावा देने और स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने के लिए किया।
उदाहरण के लिए: उनके प्रकाशन, यंग इंडिया ने उनके दर्शन को प्रसारित करने और जनता को संगठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
- जन आंदोलनों में नेतृत्व
- बाल गंगाधर तिलक : तिलक का मुखर नेतृत्व और स्वराज का आह्वान जनता में
जोश भरा और भविष्य के राष्ट्रीय अभियानों के लिए मंच तैयार किया। उदाहरण के लिए: होम रूल आंदोलन ने व्यापक समर्थन जुटाया और स्वतंत्रता के संघर्ष की नींव रखी।
- महात्मा गांधी: असहयोग आंदोलन में गांधी के नेतृत्व ने स्वतंत्रता के संघर्ष को समाज के
सभी वर्गों की भागीदारी के साथ एक जन आंदोलन में बदल दिया। उदाहरण के लिए: असहयोग आंदोलन का राष्ट्रव्यापी दायरा पूर्ण स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
- भावी पीढ़ियों पर प्रभाव:
- बाल गंगाधर तिलक : शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए तिलक की वकालत ने भविष्य के नेताओं को प्रेरित किया और राष्ट्रवादी गतिविधियों के लिए एक
ढाँचा प्रदान किया। उदाहरण के लिए: फर्ग्यूसन कॉलेज जैसी संस्थाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में प्रभावशाली नेताओं को तैयार करना जारी रखा ।
- महात्मा गांधी: गांधी के सामाजिक सुधारों और अहिंसक तरीकों ने भावी पीढ़ियों को प्रभावित किया और वैश्विक स्तर पर नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए माहौल तैयार किया ।
उदाहरण के लिए: सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनके अभियान और अहिंसा को बढ़ावा देने से मार्टिन लूथर किंग जूनियर और नेल्सन मंडेला जैसे वैश्विक नेताओं को प्रेरणा मिली ।
तिलक और गांधी के बीच समानताएं :
- राष्ट्रवादी दृष्टिकोण:
- स्वतंत्रता का साझा लक्ष्य: तिलक और गांधीजी दोनों ने ब्रिटिश शासन से मुक्त
एक स्वतंत्र भारत की कल्पना की थी। उदाहरण के लिए: दोनों नेताओं ने स्वराज के विचार का प्रचार करने के लिए अपने स्तर से उपयोग किया, तिलक ने अपने समाचार पत्रों के माध्यम से और गांधी ने अपने भाषणों के माध्यम से ।
- जन आंदोलन:
- आम जनता को शामिल करना: दोनों नेता स्वतंत्रता संग्राम में आम लोगों को शामिल करने में विश्वास करते थे। उदाहरण के लिए: तिलक के गणपति उत्सव और शिवाजी उत्सव ने जनता को संगठित किया, जो गांधीजी के नमक मार्च (1930) के समान था ।
- शैक्षिक सुधार:
- शिक्षा पर ध्यान: तिलक और गांधी दोनों ने भारतीय संस्कृति में निहित शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
उदाहरण के लिए: शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में तिलक के प्रयासों और गांधी की नई तालीम ने अकादमिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक कौशल को बढ़ावा दिया।
- धर्म का उपयोग:
- धार्मिक प्रतीकों को शामिल करना: दोनों नेताओं ने लोगों को एकजुट करने के लिए
धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया। उदाहरण के लिए: तिलक ने मराठा गौरव और हिंदू त्योहारों का आह्वान किया, जबकि गांधी ने जनता से अपील करने के लिए ‘राम राज्य’ की अवधारणा का इस्तेमाल किया ।
- जमीनी स्तर से जुड़ाव:
- ग्रामीण भारत से जुड़ाव: दोनों नेताओं का ग्रामीण भारत से गहरा नाता था और वे स्वतंत्रता संग्राम में ग्रामीण आबादी के महत्व को समझते थे । उदाहरण के लिए: तिलक का अभियान सुदूर क्षेत्रों तक पहुंचे, ठीक वैसे ही जैसे गांधी ग्रामीण मुद्दों को समझने और उनका समाधान करने के लिए गाँवों में यात्रा करते थे।
- सुधारवादी दृष्टिकोण:
- सामाजिक सुधार: दोनों ने राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ सामाजिक सुधारों की भी वकालत की ।
उदाहरण के लिए: तिलक की सहमति की आयु संबंधी कानूनों के खिलाफ लड़ाई (क्योंकि उनका मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता सामाजिक सुधारों से पहले होनी चाहिए) और गांधी का अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान।
- सार्वजनिक संचार:
- प्रभावी संप्रेषण: दोनों ही अपने विचारों को जनता तक पहुंचाने में कुशल थे।
- उदाहरण: तिलक का उनके उग्र भाषण और संपादकीय तथा गांधीजी की सामूहिक प्रार्थनाएं और भाषण उनके संदेशों को फैलाने में सहायक थे।
तिलक और गांधी के बीच मतभेद :
- हिंसा के प्रति दृष्टिकोण:
- तिलक का निष्क्रिय प्रतिरोध के प्रति समर्थन: तिलक ने निष्क्रिय प्रतिरोध का समर्थन किया, लेकिन हिंसा का खुलकर विरोध नहीं किया । उदाहरण के लिए: उन्होंने खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों के कार्यों का बचाव किया ।
- गांधीजी की सख्त अहिंसा: गांधीजी अहिंसा ( अहिंसा ) के कट्टर समर्थक थे। उदाहरण के लिए: उन्होंने हिंसा के कारण चौरी चौरा घटना (1922) के बाद असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था ।
- ब्रिटिश शासन पर दृष्टिकोण:
- तिलक का तत्काल स्वराज : तिलक ने तत्काल स्वशासन की मांग की और वे अधिक टकरावपूर्ण थे ।
उदाहरण के लिए: कांग्रेस में उदारवादियों के प्रति उनका विरोध ।
- गांधी का क्रमिक दृष्टिकोण: गांधी जी अंग्रेजों के साथ बातचीत करने और धीरे-धीरे स्वतंत्रता प्राप्त करने में विश्वास करते थे।
उदाहरण के लिए: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान रियायतें पाने की उम्मीद में उन्होंने अंग्रेजों का समर्थन किया था।
- आर्थिक दृष्टिकोण:
- तिलक का आर्थिक राष्ट्रवाद: तिलक ने स्वदेशी और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया ।
उदाहरण के लिए: उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार की वकालत की ।
- गांधी की ग्रामीण अर्थव्यवस्था: गांधी ने ग्राम उद्योगों और आत्मनिर्भर समुदायों के महत्व पर जोर दिया ।
उदाहरण के लिए: खादी और ग्रामीण हस्तशिल्प को बढ़ावा देना ।
- सामाजिक सुधार:
- तिलक द्वारा स्वराज को प्राथमिकता देना: तिलक का मानना था कि राजनीतिक स्वतंत्रता सामाजिक सुधारों से पहले होनी चाहिए ।
उदाहरण के लिए: सम्मति आयु अधिनियम का उनका विरोध ।
- गांधी का एकीकृत दृष्टिकोण: गांधी जी सामाजिक सुधारों को स्वतंत्रता संग्राम का
अभिन्न अंग मानते थे। उदाहरण के लिए: अस्पृश्यता के खिलाफ़ और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनके अभियान ।
- ब्रिटिश अधिकारियों के साथ संबंध:
- तिलक का टकरावपूर्ण रुख: तिलक का अक्सर ब्रिटिश अधिकारियों के साथ मतभेद रहता था और उन्हें कई बार कारावास का सामना करना पड़ा ।
उदाहरण के लिए: बाल गंगाधर तिलक औपनिवेशिक भारत में राजद्रोह का दोषी ठहराए जाने वाले पहले व्यक्ति थे ( 1908 )।
- गांधी की वार्ता: गांधीजी ने अंग्रेजों के साथ बातचीत और वार्ता की । उदाहरण के लिए: गोलमेज सम्मेलन और वायसराय को लिखे उनके पत्र ।
- राजनीतिक समझौता:
- तिलक का चरमपंथियों के साथ समझौता: तिलक कांग्रेस के गरम दल से जुड़े हुए थे । उदाहरण के लिए: लाला लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल के साथ उनकी साझेदारी थी।
- गांधी का समावेशी नेतृत्व: गांधीजी का लक्ष्य कांग्रेस के भीतर सभी गुटों को एकजुट करना था।
उदाहरण के लिए: उदारवादियों और उग्रवादियों के बीच मतभेदों को सुलझाने के उनके प्रयास ।
- सांस्कृतिक प्रतीकवाद:
- तिलक का हिंदू पहचान पर जोर: तिलक अक्सर हिंदू प्रतीकों और त्योहारों का इस्तेमाल करते थे ।
उदाहरण के लिए: गणपति और शिवाजी उत्सव।
- गांधी की सार्वभौमिक अपील: गांधी ने सभी भारतीयों को आकर्षित करने के लिए
व्यापक सांस्कृतिक प्रतीकों का इस्तेमाल किया । उदाहरण के लिए: आत्मनिर्भरता और एकता के प्रतीक के रूप में चरखा ।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर बाल गंगाधर तिलक का प्रभाव:
- स्वराज आंदोलन: तिलक का यह कथन कि ” स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” ने स्वतंत्रता सेनानियों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया।
उदाहरण के लिए: होम रूल आंदोलन के दौरान उनके नेतृत्व ने स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरणा दी ।
- शैक्षिक पहल: तिलक ने राष्ट्रवादी मूल्यों को स्थापित करने के लिए फर्ग्यूसन कॉलेज जैसी संस्थाओं की स्थापना की । उदाहरण के लिए: इन संस्थाओं ने कई नेताओं को जन्म दिया जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- पत्रकारिता: अपने समाचार पत्रों केसरी और मराठा के माध्यम से तिलक ने राष्ट्रवादी विचारों का प्रसार किया।
उदाहरण के लिए: पुणे में प्लेग महामारी के दौरान उनके लेखों ने ब्रिटिश नीतियों की आलोचना की , जिसके कारण उन्हें जेल जाना पड़ा और उनकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई।
- धार्मिक और सांस्कृतिक लामबंदी: तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए गणपति और शिवाजी उत्सव जैसे त्योहारों का इस्तेमाल किया ।
उदाहरण के लिए: ये त्योहार राजनीतिक लामबंदी और राष्ट्रवादी भावनाओं को फैलाने के लिए मंच बन गए।
- राजनीतिक रणनीति: कांग्रेस के चरमपंथी गुट में तिलक के नेतृत्व ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ और अधिक आक्रामक कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
उदाहरण के लिए: 1907 का सूरत विभाजन , जिसमें प्रत्यक्ष कार्रवाई और निष्क्रिय प्रतिरोध की आवश्यकता पर जोर दिया गया ।
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन पर महात्मा गांधी का प्रभाव:
- अहिंसक प्रतिरोध: गांधी का अहिंसा का दर्शन स्वतंत्रता संग्राम की आधारशिला बन गया।
उदाहरण के लिए: नमक मार्च की सफलता ने अहिंसक विरोध की शक्ति को प्रदर्शित किया।
- जन–आंदोलन: समाज के सभी वर्गों से लाखों लोगों को संगठित करने की गांधीजी की क्षमता अद्वितीय थी।
उदाहरण के लिए: भारत छोड़ो आंदोलन में भारत के हर कोने से जन-भागीदारी देखी गई थी।
- सामाजिक सुधार: अस्पृश्यता के खिलाफ गांधी के अभियान का उद्देश्य हाशिए पर पड़े समुदायों को एकीकृत करना था । उदाहरण के लिए: सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए हरिजन सेवक संघ की स्थापना।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता: खादी कातने पर गांधीजी का जोर आत्मनिर्भरता और आर्थिक स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया ।
उदाहरण के लिए: खादी को व्यापक रूप से अपनाना ब्रिटिश वस्तुओं के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बन गया ।
- राजनीतिक नेतृत्व: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गांधी के नेतृत्व ने विभिन्न गुटों को एकजुट किया और स्वतंत्रता संग्राम को निर्देशित किया।
उदाहरण के लिए: असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में उनकी भूमिका ने राष्ट्र को उत्साहित किया ।
बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी ने अपने अलग-अलग दृष्टिकोणों के बावजूद भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। तिलक का दृढ़ राष्ट्रवाद और गांधी का अहिंसक प्रतिरोध जनता को संगठित करने और ब्रिटिश शासन को चुनौती देने में एक दूसरे के पूरक थे। उनकी विरासत न्याय और आत्मनिर्भरता के लिए समकालीन आंदोलनों को प्रेरित करती रहती है, तथा हमें स्वतंत्रता की खोज में समर्पण और नेतृत्व की स्थायी शक्ति की याद दिलाती है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments