प्रश्न की मुख्य माँग
- उन रणनीतिक क्षेत्रों पर प्रकाश डालिए जिनमें भारत एवं दक्षिण कोरिया अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत कर सकते हैं।
- उन चुनौतियों पर चर्चा कीजिये जो इस साझेदारी के विकास में बाधा बन सकती हैं।
- उन पर नियंत्रण पाने के लिए संभावित समाधान सुझाएँ।
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उत्तर:
भारत एवं दक्षिण कोरिया एक मजबूत आर्थिक तथा सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं, दोनों देश एक-दूसरे को भारत-प्रशांत क्षेत्र में संभावित रणनीतिक साझेदार के रूप में देखते हैं। पूर्वी एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव एवं चीन के प्रभाव के बारे में साझा चिंताओं के साथ, भारत एवं दक्षिण कोरिया के पास रक्षा, प्रौद्योगिकी तथा व्यापार पर सहयोग करने, पारस्परिक लाभ के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के अवसर हैं।
द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए रणनीतिक क्षेत्र
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत एवं दक्षिण कोरिया सैन्य उपकरणों का सह-उत्पादन तथा संयुक्त अभ्यास में भाग लेकर रक्षा सहयोग बढ़ा सकते हैं। इस तरह के सहयोग से इंडो-पैसिफिक में क्षेत्रीय सुरक्षा बढ़ेगी।
- उदाहरण के लिए: भारत एवं दक्षिण कोरिया द्वारा सह-निर्मित K9 वज्र-T भविष्य की रक्षा साझेदारी की क्षमता को दर्शाता है।
- प्रौद्योगिकी एवं नवाचार: दोनों देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) एवं साइबर सुरक्षा जैसी महत्त्वपूर्ण तथा उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग कर सकते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक विकास के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत-दक्षिण कोरिया इनोवेशन पार्टनरशिप स्टार्ट-अप एवं डिजिटल प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देती है।
- व्यापार एवं निवेश: दक्षिण कोरिया एवं भारत को व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) का विस्तार करके तथा इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल एवं बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों में आपसी निवेश को बढ़ावा देकर द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: सैमसंग एवं हुंडई भारत में महत्त्वपूर्ण निवेशक बन गए हैं, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था तथा रोजगार सृजन में योगदान दे रहे हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा: दोनों देश स्वच्छ ऊर्जा, जैसे सौर, पवन एवं हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को संबोधित करने तथा सतत विकास सुनिश्चित करने के क्षेत्र में एक साथ कार्य कर सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: दक्षिण कोरिया की ‘ग्रीन न्यू डील’ भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा कर सकती है, हरित ऊर्जा परियोजनाओं में सहयोग को बढ़ावा दे सकती है।
- समुद्री सुरक्षा: भारत एवं दक्षिण कोरिया को समुद्री डकैती का मुकाबला करने तथा समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: दक्षिण कोरिया की ADMM-Plus समुद्री सुरक्षा पहल में भारत की भागीदारी क्षेत्रीय जल की सुरक्षा में बढ़ते सहयोग को दर्शाती है।
साझेदारी विकास में बाधक चुनौतियाँ
- चीन के साथ भू-राजनीतिक तनाव: भारत एवं दक्षिण कोरिया दोनों चीन के साथ मजबूत आर्थिक संबंध साझा करते हैं, जो क्षेत्र में चीन की आक्रामकता के कारण उनके रणनीतिक सहयोग की सीमा को सीमित कर सकता है।
- रणनीतिक प्राथमिकताओं में अंतर: जहाँ भारत का ध्यान हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन पर है, वहीं दक्षिण कोरिया का प्राथमिक ध्यान उत्तर कोरिया के साथ सुरक्षा स्थिति पर है। यह विचलन एक सामंजस्यपूर्ण रणनीतिक साझेदारी में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
- प्रभावी राजनीतिक जुड़ाव का अभाव: भारत एवं दक्षिण कोरिया के बीच 2+2 संवाद प्रारूप की अनुपस्थिति रक्षा तथा विदेश नीति पर व्यापक जुड़ाव को सीमित करती है, जिससे सामंजस्य के अवसर कम हो जाते हैं।
- सीमित रक्षा सहयोग: रक्षा में क्षमता के बावजूद, नौकरशाही बाधाएँ एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर नीतिगत प्रतिबंध संयुक्त रक्षा उत्पादन तथा सैन्य सहयोग को प्रतिबंधित कर सकते हैं।
- सांस्कृतिक अलगाव: हालाँकि आर्थिक संबंध मजबूत हैं, भारत एवं दक्षिण कोरिया के बीच सीमित सांस्कृतिक समझ है, जो लोगों के बीच संबंधों तथा जमीनी स्तर की कूटनीति को बाधित कर सकती है।
- उदाहरण के लिए: K-पॉप एवं बॉलीवुड की लोकप्रियता के बावजूद, संस्थागत स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान अविकसित है।
चुनौतियों पर नियंत्रण पाने के समाधान
- चीन पर निर्भरता कम करने के लिए व्यापार में विविधता लाना: दोनों देशों को अपनी आर्थिक साझेदारी में विविधता लाकर एवं व्यापार तथा निवेश के लिए नए बाजारों की खोज करके चीन पर निर्भरता कम करने के लिए कार्य करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: अधिक क्षेत्रों को कवर करने के लिए CEPA का विस्तार करने से चीन के प्रमुख हितधारक बने बिना व्यापार को बढ़ावा मिल सकता है।
- एक साझा इंडो-पैसिफिक विजन विकसित करना: भारत एवं दक्षिण कोरिया को एक एकीकृत दृष्टिकोण बनाने के लिए समुद्री सुरक्षा तथा क्षेत्रीय स्थिरता जैसे सामान्य हितों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपनी इंडो-पैसिफिक रणनीतियों को संरेखित करना चाहिए।
- 2+2 संवाद की स्थापना: राजनीतिक एवं रक्षा सहयोग को बढ़ाने के लिए, अमेरिका तथा जापान के साथ भारत की साझेदारी के समान, रक्षा एवं विदेश मंत्रियों के बीच 2+2 प्रारूप शुरू किया जाना चाहिए।
- रक्षा सहयोग में नौकरशाही बाधाओं को कम करना: रक्षा सहयोग के लिए नौकरशाही प्रक्रियाओं को सरल बनाना एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए अनुकूल नीतियाँ बनाने से सैन्य प्रौद्योगिकी में संयुक्त उत्पादन तथा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- उदाहरण के लिए: भारत का मेक इन इंडिया कार्यक्रम दक्षिण कोरिया के साथ आसान रक्षा उत्पादन साझेदारी की सुविधा प्रदान कर सकता है।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान को मजबूत करना: दोनों देशों को गहरी आपसी समझ को बढ़ावा देने के लिए छात्र आदान-प्रदान, संयुक्त सांस्कृतिक उत्सवों एवं शैक्षिक सहयोग के माध्यम से सांस्कृतिक कूटनीति को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: भारत में अधिक कोरियाई भाषा संस्थान स्थापित करने एवं इसके विपरीत सांस्कृतिक कनेक्टिविटी बढ़ सकती है।
भारत एवं दक्षिण कोरिया के पास रक्षा, व्यापार तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने की अपार क्षमता है। भू-राजनीतिक तनाव एवं नौकरशाही बाधाओं जैसी चुनौतियों का समाधान करके, दोनों देश एक मजबूत एवं लचीला संबंध बना सकते हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए एक साझा दृष्टिकोण तथा उन्नत सांस्कृतिक संबंध भविष्य के लिए मजबूत साझेदारी सुनिश्चित करेंगे जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।
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