Q. विश्लेषण कीजिये कि कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और रोजगार के अवसरों का संकेंद्रण अन्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता को कैसे प्रभावित करता है। भारत में अधिक संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य मांग

  • विश्लेषण कीजिए, कि कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और रोजगार के अवसरों का संकेन्द्रण,अन्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास को कैसे प्रभावित करता है।
  • विश्लेषण कीजिए कि कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और रोजगार के अवसरों का संकेन्द्रण अन्य क्षेत्रों में सामाजिक स्थिरता को कैसे प्रभावित करता है।
  • भारत भर में अधिक संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए जा सकने वाले उपायों का सुझाव दीजिए।

 

उत्तर:

महाराष्ट्र जैसे कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और रोजगार के अवसरों का संकेन्द्रण, गुजरात और कर्नाटक में औद्योगिक विकास के कारण इन क्षेत्रों में आर्थिक वृद्धि हुई है, लेकिन इससे क्षेत्रीय असमानताएँ भी उत्पन्न हुई हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में हुए आर्थिक सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि बिहार और ओडिशा जैसे राज्य औद्योगिक विकास में पिछड़े हुए हैं, जिसका असर पूरे भारत में सामाजिक स्थिरता और प्रवासन पैटर्न पर पड़ रहा है।

कुछ क्षेत्रों में उद्योगों और रोजगार के अवसरों के संकेन्द्रण का अन्य क्षेत्रों में आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता पर प्रभाव

आर्थिक विकास:

  • असमान आर्थिक विकास: औद्योगिक संकेन्द्रण विकसित क्षेत्रों में विकास को तीव्र करता है, जबकि अविकसित क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता का अनुभव होता है, जिसके परिणामस्वरूप धन वितरण और समग्र विकास में क्षेत्रीय असंतुलन उत्पन्न होता है।
    • उदाहरण के लिए: महाराष्ट्र, जो भारत के औद्योगिक उत्पादन में 20% का योगदान देता है, उन्नति कर रहा है, जबकि बिहार, जहां औद्योगिक उपस्थिति का अभाव है, आर्थिक स्थिरता नहीं प्राप्त कर पा रहा है।
  • शहरी प्रवास: मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे औद्योगिक केंद्र रोजगार के लिए बड़ी आबादी को आकर्षित करते हैं, जिससे शहरों में जनसंख्या अधिक हो जाती है और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या में कमी और अवसरों के अभाव के कारण विकास कम हो जाता है।
    • उदाहरण के लिए: मुंबई की जनसंख्या वृद्धि ने इसके आवासीय बुनियादी ढांचे पर दबाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप धारावी जैसी मलिन बस्तियों का विस्तार हुआ है।
  • प्रतिभा पलायन: औद्योगिक विकास से वंचित क्षेत्रों में प्रतिभा पलायन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, क्योंकि कुशल पेशेवर बेहतर अवसरों की तलाश में अधिक विकसित शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं, जिससे स्थानीय आर्थिक विकास और नवाचार में बाधा उत्पन्न होती है।
  • बुनियादी ढांचे में क्षेत्रीय असमानताएँ: औद्योगिक क्षेत्र राजमार्गों और बंदरगाहों जैसे आधुनिक बुनियादी ढांचे से लाभान्वित होते हैं, जिससे अधिक निवेश आकर्षित होता है, जबकि अविकसित क्षेत्र विकास के मामले में पिछड़ जाते हैं।
    • उदाहरण के लिए: गुजरात की विश्व स्तरीय सड़क और बंदरगाह अवसंरचना इसके औद्योगिक विकास में सहायक है, जबकि पूर्वोत्तर खराब कनेक्टिविटी और अविकसित अवसंरचना से जूझ रहा है।
  • आर्थिक भेद्यता: कुछ औद्योगिक क्षेत्रों पर निर्भरता राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को उन क्षेत्रों में व्यवधानों के प्रति संवेदनशील बनाती है, जिससे संकट के दौरान देशव्यापी मंदी आती है।

सामाजिक स्थिरता:

  • शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव: औद्योगिक केंद्रों में अधिक जनसंख्या के कारण आवास, स्वच्छता और परिवहन सहित शहरी बुनियादी ढांचे पर दबाव पड़ता है, जिससे रहने की स्थिति खराब होती है और सामाजिक अशांति उत्पन्न होती है।
    • उदाहरण के लिए: मुंबई में उचित बुनियादी ढाँचे की कमी से स्वच्छता और जीवनदशा पर काफी दबाव पड़ रहा है, जैसा कि अक्सर आने वाली बाढ़ में देखा जा सकता है।
  • ग्रामीण-शहरी विभाजन का बढ़ना: शहरी केंद्रों में उद्योगों का संकेन्द्रण ग्रामीण-शहरी विभाजन को बढ़ाता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और रोजगार के अवसरों में पिछड़ेपन से ग्रस्त हैं।
    • उदाहरण के लिए: गुड़गांव अपने तेजी से बढ़ते IT और औद्योगिक क्षेत्रों के कारण फल-फूल रहा है, लेकिन हरियाणा के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता का सामना करना पड़ रहा है, जिससे ग्रामीण-शहरी अंतर बढ़ रहा है।
  • पर्यावरणीय अवनति: कुछ क्षेत्रों में अति-औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप पर्यावरणीय अवनति होती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है तथा प्रदूषण और संसाधनों के ह्रास के कारण सामाजिक स्थिरता बाधित होती है।
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली का वायु प्रदूषण संकट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उसके आसपास औद्योगिक गतिविधियों के कारण और भी गंभीर हो गया है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और सार्वजनिक असंतोष उत्पन्न हो रहा है।
  • सामाजिक असमानता: औद्योगिक संकेन्द्रण से प्रायः संसाधनों और सेवाओं का असमान वितरण होता है, जिससे शहरी औद्योगिक श्रमिकों और ग्रामीण आबादी के बीच सामाजिक विभाजन पैदा होता है, तथा संभावित रूप से अशांति को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण के लिए: पुणे जैसे औद्योगिक शहरों में श्रमिकों और महाराष्ट्र के विदर्भ जैसे क्षेत्रों में ग्रामीण मजदूरों के बीच असमानता के कारण असमानता और किसान विरोध बढ़ रहे हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या ह्रास और सामाजिक क्षरण: ग्रामीण कार्यबल का औद्योगिक केंद्रों की ओर पलायन ग्रामीण समुदायों को कमजोर करता है, जिससे पारंपरिक सामाजिक संरचनाएं टूटती हैं और सांस्कृतिक विरासत का नुकसान होता है।

संतुलित औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के उपाय

  • विकेन्द्रीकृत डिजिटल विनिर्माण केन्द्र: बड़े उद्योगों को समर्थन देने के लिए 3D प्रिंटिंग और AI जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके टियर-2 और टियर-3 शहरों में छोटे, तकनीक-संचालित विनिर्माण केन्द्रों की स्थापना करना, जिससे शहरी केन्द्रों पर निर्भरता कम हो ।
    • उदाहरण के लिए: टियर-3 शहरों में मेट्रो-आधारित उद्योगों को आपूर्ति करने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को स्थापित कर सकते हैं, जिससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।
  • हरित ऊर्जा औद्योगिक पार्क: अविकसित क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित औद्योगिक पार्क बनाने चाहिए तथा  नए उद्योगों को आकर्षित करने के  साथ ही स्थिरता को बढ़ावा देना और औद्योगिक क्षेत्रों पर पर्यावरणीय दबाव कम करना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: राजस्थान और गुजरात में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएं हैं, तथा वहां इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों के लिए ऐसे पार्क बनाए जा सकते हैं।
  • कृषि-तकनीक और खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर: स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजित करने के लिए कृषि की दृष्टि से समृद्ध लेकिन औद्योगिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में विशेष कृषि-तकनीक और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र स्थापित करने चाहिए।
    • उदाहरण के लिए: बिहार और उत्तर प्रदेश चावल और गेहूं जैसे मूल्यवर्धित कृषि उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कृषि-तकनीक पार्क विकसित कर सकते हैं।
  • कौशल-आधारित ग्रामीण उद्यमिता कार्यक्रम: ऐसे कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए जो ग्रामीण आबादी को उद्यमिता में प्रशिक्षित करें, क्षेत्रीय और वैश्विक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए स्थानीय उद्योगों को बनाने में मदद करें, शहरी प्रवास को कम करें और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा दें।
  • क्षेत्रीय उद्यम पूंजी निधि: अविकसित क्षेत्रों में स्टार्टअप और छोटे उद्योगों को समर्थन देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट उद्यम पूंजी निधि का निर्माण करना चाहिए, जिससे निजी निवेश की कमी वाले क्षेत्रों में नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।
  • राज्य-विशिष्ट अनुसंधान एवं विकास केंद्र: किसी विशेष राज्य के विशिष्ट क्षेत्रों पर केन्द्रित अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित करना, नवाचार को बढ़ावा देना तथा स्थानीय विशेषज्ञता और नई प्रौद्योगिकियों की तलाश करने वाले उद्योगों को आकर्षित करना।
  • गैर-मेट्रो क्षेत्रों में परिवहन और लॉजिस्टिक्स गलियारे: अविकसित क्षेत्रों में परिवहन और लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे को बढ़ाना, ताकि उन लॉजिस्टिक्स संबंधी बाधाओं को दूर किया जा सके जो इन क्षेत्रों में उद्योगों को स्थापित करने से रोकती हैं।
  • क्षेत्रीय महाविद्यालयों में उद्योग-विश्वविद्यालय सहयोग: कौशल-विशिष्ट कार्यक्रम बनाने के लिए अविकसित क्षेत्रों में उद्योगों और विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाना और क्षेत्रीय औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप स्थानीय कार्यबल को बढ़ावा देना चाहिए।

भारत के समग्र विकास के लिए संतुलित औद्योगिक विकास आवश्यक है। सभी क्षेत्रों में औद्योगीकरण को बढ़ावा देकर, भारत समान विकास सुनिश्चित कर सकता है, पलायन को कम कर सकता है, और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा दे सकता है, जिससे अंततः सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ समावेशी विकास प्राप्त हो सकता है। 

 

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

To Download Toppers Copies: Click here

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.