Q. लाल बहादुर शास्त्री ने भारत की रक्षा और कृषि नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। चर्चा कीजिए कि इन क्षेत्रों में उनके योगदान ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को कैसे मजबूत किया। (15 अंक 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग 

  • भारत की रक्षा और कृषि नीतियों को आकार देने में लाल बहादुर शास्त्री की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
  • चर्चा करें कि रक्षा और कृषि क्षेत्रों में उनके योगदान ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे मजबूत करने में मदद की।
  • इस पर टिप्पणी करें कि रक्षा और कृषि क्षेत्रों में उनके योगदान ने भारत की आत्मनिर्भरता को कैसे मजबूत करने में मदद की।

 

उत्तर:

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उनके सरल लेकिन प्रभावी नेतृत्व के लिए याद किया जाता है। वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध व उसके बाद के खाद्य संकट में उनके कार्यकाल दौरान भारत की रक्षा एवं कृषि नीतियों संबंधी सुधार के रूप में देखा जा सकता है उनका  प्रसिद्ध नारा “जय जवान, जय किसान”, राष्ट्र निर्माण में सैनिकों और किसानों के समान महत्त्व का प्रतीक है। 

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भारत की रक्षा और कृषि नीतियों को आकार देने में लाल बहादुर शास्त्री की भूमिका

  • रक्षा संबंधी अवसंरचना को मजबूत करना:  वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी का नेतृत्व भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण था। उन्होंने एक मजबूत सैन्य अवसंरचना के निर्माण की दिशा में कार्य किया और रक्षा प्रणालियों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया।
  • हरित क्रांति को बढ़ावा देना: शास्त्री जी द्वारा कृषि सुधार के परिणामस्वरूप  हरित क्रांति की शुरुआत हुई , जिससे भारत में खाद्य उत्पादन में नाटकीय वृद्धि हुई तथा खाद्य आयात पर निर्भरता कम हुई।
  • राष्ट्रीय रक्षा कोष की स्थापना: शास्त्री जी ने भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूत करने और तत्काल रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय रक्षा कोष के निर्माण की पहल की।
    • ​​उदाहरण के लिए: वर्ष 1965 के युद्ध के दौरान इस कोष ने रक्षा व्यय के लिए संसाधनों को जल्दी से जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • कृषि अनुसंधान पर ध्यान: शास्त्री ने बेहतर कृषि तकनीक विकसित करने और फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान में निवेश को प्रोत्साहित किया। 
    • उदाहरण के लिए: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जैसी संस्थाओं को इस फोकस से लाभ हुआ, जिससे दीर्घकालिक कृषि विकास में सहायता मिली।
  • खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करना: खाद्यान्न की कमी का सामना करते हुए, शास्त्री जी ने खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की वकालत की, नागरिकों से मितव्ययिता के उपाय अपनाने और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
    • उदाहरण के लिए: उनके प्रसिद्ध “एक दिन का उपवास” अभियान ने भारतीयों को राष्ट्र की खाद्य आत्मनिर्भरता का समर्थन करने के लिए सप्ताह में एक बार भोजन छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया।

रक्षा और कृषि क्षेत्रों में योगदान से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत हुई

  • सैन्य क्षमता में वृद्धि: वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री के नेतृत्व ने भारत की सैन्य शक्ति और तैयारियों को बढ़ाने में मदद की। रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने सीमा सुरक्षा को मजबूत किया और सेना को अधिक लचीला बनाया।
  • खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देना: शास्त्री जी द्वारा हरित क्रांति के माध्यम से किए गए कृषि सुधारों ने भारत के खाद्य उत्पादन में वृद्धि की, जिससे देश को दीर्घकालिक खाद्यान्न कमी से उबरने में मदद मिली और संकट के समय में स्थिरता सुनिश्चित हुई।
    • उदाहरण के लिए: हरित क्रांति के तहत पंजाब और हरियाणा क्षेत्रों में गेहूँ के उत्पादन में वृद्धि ने भारत को खाद्य आपूर्ति में अधिक सुरक्षित बना दिया।
  • आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना: खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देकर, शास्त्री ने विदेशी सहायता पर देश की निर्भरता को कम किया, जिससे आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित हुई  और बाहरी दबाब कम हुआ।
    • उदाहरण के लिए: वर्ष 1965 के बाद भारत की खाद्यान्न उत्पादन करने की क्षमता ने, संयुक्त राज्य अमेरिका से PL480 गेहूँ आयात संबंधी निर्भरता को सीमित कर दिया।
  • सीमा सुरक्षा को बढ़ाना: वर्ष 1962 के भारत-चीन संघर्ष के बाद भारत की सीमाओं को मजबूत करने पर शास्त्री जी ने राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा भविष्य के संघर्षों के लिए तैयारी सुनिश्चित की।
  • रक्षा और कृषि के लिए राष्ट्रीय प्रयासों को एकीकृत करना: शास्त्री जी के प्रतिष्ठित नारे “जय जवान, जय किसान” ने सैन्य सुरक्षा और खाद्य आत्मनिर्भरता दोनों को सुनिश्चित करने की दिशा में देश के प्रयासों को एकीकृत किया, तथा दिखाया कि राष्ट्रीय स्थिरता के लिए दोनों क्षेत्र किस प्रकार परस्पर जुड़े हुए हैं।

रक्षा और कृषि क्षेत्रों में योगदान से भारत की आत्मनिर्भरता मजबूत हुई

  • कृषि में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना: शास्त्री जी की कृषि नीतियों, विशेष रूप से हरित क्रांति का उद्देश्य खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और विदेशी सहायता पर निर्भरता कम करना था। 
    • उदाहरण के लिए: पंजाब को भारत के गेहूँ के भंडार में बदलने से भारत गेहूँ उत्पादन में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो गया।
  • स्वदेशी रक्षा विनिर्माण का विकास: शास्त्री जी के कार्यकाल में स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर दिया गया, जिससे विदेशी सैन्य आयात पर निर्भरता कम हुई। उन्होंने सैन्य आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए रक्षा कारखानों की स्थापना को बढ़ावा दिया। 
    • उदाहरण के लिए: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जैसी रक्षा उत्पादन इकाइयों के विस्तार ने भारत के सैन्य हार्डवेयर को आधुनिक बनाने में मदद की।
  • मितव्ययिता तथा राष्ट्रीय उत्तरदायित्त्व: शास्त्री जी ने देश के आत्मनिर्भरता प्रयासों का समर्थन करने के लिए भारतीयों के बीच मितव्ययिता एवं राष्ट्रीय उत्तरदायित्त्व की संस्कृति को बढ़ावा दिया। उन्होंने खाद्यान्न की कमी के दौरान, भारतीयों से सप्ताह में एक बार उपवास करने का आह्वान किया।
    • उदाहरण के लिए: शास्त्री जी के व्यक्तिगत प्रयास ने लाखों लोगों को भुखमरी से निपटने और आत्मनिर्भरता की दिशा में देश के प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।
  • कृषि में वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहित करना: शास्त्री जी ने कृषि में व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए आधार तैयार किया, जिसने दीर्घकालिक कृषि स्थिरता और आत्मनिर्भरता में योगदान दिया।
  • सैन्य उपकरणों का स्वदेशी विकास: शास्त्री जी द्वारा सैन्य उपकरणों के स्वदेशी विकास पर जोर देने से भारत को विदेशी हथियार आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करने में मदद मिली, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला।

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भारत के रक्षा और कृषि क्षेत्रों में लाल बहादुर शास्त्री के योगदान ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत-पाक युद्ध और हरित क्रांति के दौरान उनके नेतृत्व ने एक आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी, जहाँ सैन्य तैयारी और कृषि विकास राष्ट्रीय शक्ति के स्तंभ बन गए। उनकी विरासत आज भी इन प्रमुख क्षेत्रों में भारत की नीतियों को आकार दे रही है।

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