Q. शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता पर मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से उच्च शिक्षा में प्रवेश को केंद्रीकृत करने के निहितार्थ पर चर्चा कीजिए। यह प्रवृत्ति विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए PHD कार्यक्रमों की पहुँच को किस प्रकार प्रभावित कर सकती है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता पर मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से उच्च शिक्षा में प्रवेश को केंद्रीकृत करने के निहितार्थ पर चर्चा कीजिए।
  • जाँच कीजिए कि यह प्रवृत्ति विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए PhD कार्यक्रमों की पहुँच को कैसे प्रभावित करती है।
  • आगे की राह लिखिए।

 

उत्तर:

UGC NET जैसे मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से उच्च शिक्षा में प्रवेश को केंद्रीकृत करने से विभिन्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए संस्थागत स्वायत्तता एवं पहुँच पर इसके प्रभाव के संबंध में बहस छिड़ गई है। हालाँकि इसका उद्देश्य प्रवेश को सुव्यवस्थित करना है, लेकिन इस संबंध में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं कि यह विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को कैसे कमजोर कर सकता है तथा हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए PhD कार्यक्रमों तक पहुँच को प्रतिबंधित कर सकता है, जिससे शिक्षा की समग्र गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।

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शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता पर मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से उच्च शिक्षा में प्रवेश को केंद्रीकृत करने के निहितार्थ

  • संस्थागत स्वायत्तता पर प्रतिबंध: PhD प्रवेश का केंद्रीकरण विश्वविद्यालयों की स्वतंत्र रूप से अपने स्वयं के प्रवेश मानदंड डिजाइन करने की क्षमता को सीमित करता है।
    उदाहरण के लिए: UGC NET अब विश्वविद्यालयों के साक्षात्कार एवं अनुसंधान प्रस्तावों जैसे पारंपरिक तरीकों को समाप्त कर देता है, जिससे संस्थानों में प्रक्रिया का मानकीकरण हो जाता है।
  • शैक्षणिक मानकों का समरूपीकरण: मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से केंद्रीकृत प्रवेश से समान शैक्षणिक मानक बन सकते हैं, जो अनुसंधान क्षेत्रों में नवाचार एवं विविधता को बाधित कर सकते हैं।
    उदाहरण के लिए: स्नातक प्रवेश के लिए CUET की शुरूआत शैक्षणिक कार्यक्रमों की विविधता को प्रभावित कर सकती है।
  • चयन में सीमित संकाय प्रभाव: नई प्रणाली PhD उम्मीदवारों के चयन में संकाय के प्रभाव को कम करती है, इस प्रकार उन शैक्षणिक कार्यक्रमों को प्रभावित करती है जिनके लिए विशेष कौशल एवं गहन शोध समझ की आवश्यकता होती है।
  • अनुसंधान कार्यक्रमों पर केंद्रीकृत नियंत्रण: संस्थान अपने अनुसंधान संबंधी उद्देश्य को आकार देने पर नियंत्रण खो देते हैं, क्योंकि वे विशिष्ट अनुसंधान आवश्यकताओं के आधार पर उम्मीदवारों का चयन नहीं कर सकते हैं।
    उदाहरण के लिए: IIT एवं अन्य शोध-प्रधान संस्थानों को NET-चयनित उम्मीदवारों को उनकी शोध प्राथमिकताओं के साथ संरेखित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • शैक्षणिक स्वतंत्रता में कमी: जिन विश्वविद्यालयों को विशिष्ट अनुसंधान कार्यक्रम बनाने में स्वायत्तता प्राप्त थी, उन्हें अब केंद्रीकृत परीक्षण मॉडल के कारण प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है।
  • टेस्ट स्कोर पर अत्यधिक जोर देना: टेस्ट स्कोर पर अत्यधिक निर्भरता PhD स्तर के अनुसंधान के लिए आवश्यक व्यापक कौशल, जैसे नवाचार एवं विश्लेषणात्मक क्षमताओं को नजरअंदाज कर देती है।

यह प्रवृत्ति विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए PhD कार्यक्रमों की पहुँच को कैसे प्रभावित करती है

  • कोचिंग पर बढ़ती निर्भरता: धनी पृष्ठभूमि के छात्र NET के लिए उच्च लागत वाली कोचिंग का खर्च उठा सकते हैं, जिससे उन्हें हाशिए पर रहने वाले छात्रों की तुलना में लाभ मिलता है।
    उदाहरण के लिए: निजी कोचिंग सेंटर विशेष पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अप्राप्य हैं, जिससे PhD प्रवेश में असमानता बढ़ती है।
  • संसाधनों तक सीमित पहुँच: हाशिए पर रहने वाले छात्रों के पास प्रायः मानकीकृत परीक्षणों में सफल होने के लिए आवश्यक अध्ययन सामग्री एवं संसाधनों तक पहुँच की कमी होती है।
    उदाहरण के लिए: ग्रामीण छात्रों को NET में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक ऑनलाइन अध्ययन सामग्री एवं प्रारंभिक संसाधनों तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • क्षेत्रीय विविधता की उपेक्षा: केंद्रीकृत प्रवेश कारक, क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक कारकों की उपेक्षा करते हैं, जिससे कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों के छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
    उदाहरण के लिए: पूर्वोत्तर भारत जैसे दूरदराज के क्षेत्रों के उम्मीदवारों को मानकीकृत प्रवेश प्रक्रिया में प्रतिस्पर्द्धा करने में प्रणालीगत बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो उनकी अद्वितीय चुनौतियों के लिए जिम्मेदार नहीं है।
  • सकारात्मक कार्रवाई को कमजोर करना: मानकीकृत परीक्षण का उपयोग अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सकारात्मक कार्रवाई नीतियों को कमजोर कर सकता है।
  • सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ: केंद्रीकृत परीक्षाएँ उम्मीदवारों की विविध सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखने में विफल रहती हैं, जो उनके शैक्षिक अवसरों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    उदाहरण के लिए: भाषा संबंधी बाधाएँ गैर-अंग्रेजी भाषी पृष्ठभूमि के कई छात्रों को प्रभावित करती हैं, जिससे UGC NET जैसी मानकीकृत परीक्षाओं को पास करने की उनकी संभावना कम हो जाती है।

आगे की राह

  • समग्र प्रवेश दृष्टिकोण अपनाना: उम्मीदवारों का व्यापक मूल्यांकन सुनिश्चित करने के लिए PhD प्रवेश में साक्षात्कार, अनुसंधान प्रस्ताव एवं अकादमिक पोर्टफोलियो को शामिल करके मानकीकृत परीक्षण से आगे बढ़ना।
  • संसाधनों तक पहुँच बढ़ाना: NET जैसी मानकीकृत परीक्षाओं की तैयारी के लिए हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए लक्षित छात्रवृत्ति एवं सहायता कार्यक्रम प्रदान करना।
    उदाहरण के लिए: SC/ST एवं OBC छात्रों के लिए पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना जैसी सरकारी पहल उच्च शिक्षा की तैयारी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने में मदद करती है।
  • प्रवेश में क्षेत्रीय विविधता को बढ़ावा देना: देश के विभिन्न हिस्सों के छात्रों द्वारा सामना की जाने वाली क्षेत्रीय विविधता एवं सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए प्रवेश मानदंड तैयार करना। 
  • संस्थागत स्वायत्तता को मजबूत करना: विश्वविद्यालय-विशिष्ट चयन प्रक्रियाओं, जैसे अनुशासन-विशिष्ट परीक्षणों के साथ केंद्रीकृत परीक्षाओं को पूरक करके विश्वविद्यालयों को प्रवेश पर स्वायत्तता बनाए रखने की अनुमति दें।
    उदाहरण के लिए: दिल्ली विश्वविद्यालय केंद्रीकरण एवं संस्थागत स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए मानकीकृत परीक्षण तथा साक्षात्कार जैसे आंतरिक मानदंड दोनों का उपयोग करता है।
  • हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए कोचिंग सहायता प्रदान करना: सरकारों एवं विश्वविद्यालयों को तैयारी के अंतर को पाटते हुए, वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों को NET तथा अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए मुफ्त या रियायती कोचिंग की पेशकश करनी चाहिए।
    उदाहरण के लिए: राजस्थान जैसे राज्य SC/ST  कोचिंग योजना के तहत मुफ्त कोचिंग प्रदान करते हैं, जिससे हाशिए पर रहने वाले छात्रों को प्रतिस्पर्द्धी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है।

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हालाँकि मानकीकृत परीक्षण के माध्यम से PhD प्रवेश के केंद्रीकरण का उद्देश्य एकरूपता एवं पारदर्शिता है, इसका संस्थागत स्वायत्तता तथा छात्र पहुँच पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। विभिन्न मानदंडों एवं हाशिए की पृष्ठभूमि से वंचित छात्रों के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करने की विश्वविद्यालयों की क्षमता को सीमित करके, तंत्र उच्च शिक्षा में असमानता को बढ़ाने का जोखिम उठाता है। PhD कार्यक्रमों में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व एवं विविध शैक्षणिक विकास सुनिश्चित करने के लिए समावेशिता तथा नम्यता पर ध्यान केंद्रित करने वाले सुधार आवश्यक हैं।

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