Q. उपभोक्ता हितों और बड़ी तकनीकी कंपनियों की परिचालन स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने में विनियामक ढाँचों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। भविष्य की विनियामक प्रथाओं के संबंध में गूगल (Google) की हालिया कानूनी लड़ाइयों से क्या सबक सीखा जा सकता है? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • उपभोक्ता हितों को संतुलित करने में नियामक ढाँचे की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  • बड़ी तकनीकी कंपनियों की परिचालन स्वतंत्रता में नियामक ढाँचे की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
  • भावी विनियामक प्रथाओं के संबंध में गूगल के हालिया कानूनी प्रयासों से सीखे जा सकने वाले सबक पर प्रकाश डालिये।

उत्तर

विनियामक ढाँचे, उपभोक्ता हितों और बड़ी तकनीकी कंपनियों की परिचालन स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनका उद्देश्य उपभोक्ताओं को अनुचित प्रथाओं से बचाना है, जबकि कंपनियों को नवाचार करने की पर्याप्त स्वतंत्रता देना है। हालिया मामले, जैसे कि एपिक गेम्स (Epic Games)  के साथ गूगल की कानूनी लड़ाई, प्रतिस्पर्द्धी बाजारों को बनाए रखने और एकाधिकार प्रथाओं को रोकने में इन ढाँचों के महत्त्व पर बल देते हैं। बढ़ती निगरानी के साथ, तकनीकी दिग्गज कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर बढ़ते विनियमन का सामना कर रही हैं।

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उपभोक्ता हितों को संतुलित करने में नियामक ढाँचे की भूमिका

  • उपभोक्ता संरक्षण: विनियामक ढाँचे, एकाधिकारवादी प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए अति आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, डिजिटल खरीदारों को अनुचित व्यापार प्रथाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • डेटा गोपनीयता: उपभोक्ता, बड़ी तकनीकी फर्मों द्वारा डेटा उल्लंघन और व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग के प्रति  संवेदनशील होते  हैं। इससे संबंधित सख्त नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनियाँ डेटा गोपनीयता मानकों का पालन करेंउदाहरण के लिए: व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य व्यक्तिगत गोपनीयता की रक्षा करना और डेटा हैंडलिंग की‌ प्रक्रिया में जिम्मेदारी सुनिश्चित करना है।
  • प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना: विनियमन, प्रतिस्पर्द्धी बाजार का निर्माण करते हैं‌ तथा एकाधिकार प्रभुत्व को रोकते हैं, जिससे कीमतें कम होती हैं और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएँ मिलती हैं। उदाहरण के लिए: भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) डिजिटल बाजारों में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी व्यवहारों की जाँच करता है।
  • पारदर्शिता सुनिश्चित करना: विनियामक उपाय लेन-देन में पारदर्शिता को लागू करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उपभोक्ता, डिजिटल सेवाओं  की लागत और प्रक्रियाओं से अवगत हों। उदाहरण के लिए: भारत के ई-कॉमर्स नियम मूल्य निर्धारण और रिफंड नीतियों में पारदर्शिता को अनिवार्य बनाते हैं।
  • उपभोक्ता विकल्प: विनियमन, तकनीकी कंपनियों को कुछ ऐप या प्लेटफॉर्म तक पहुँच प्राप्त करने से  प्रतिबंधित करते हुए उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए: गूगल के खिलाफ अमेरिकी न्यायालय के निर्णय ने उपयोगकर्ताओं को वैकल्पिक ऐप स्टोर चुनने की सुविधा प्रदान की, जिससे उनके विकल्प बढ़ गए।
  • लागत कम करना: प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देकर, विनियामक ढाँचे उपभोक्ताओं के लिए डिजिटल वस्तुओं और सेवाओं की लागत कम करने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए: गूगल-एपिक गेम्स मामले को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐप, ‘इन-ऐप परचेज फी’ (In-app  Purchase Fee) को कम कर सकते हैं , जिससे अंतिम उपभोक्ताओं को कम लागत का लाभ मिल सकता है।
  • शोषण को संबोधित करना: कड़े विनियमन यह सुनिश्चित करते हैं कि बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों द्वारा अनुचित मूल्य निर्धारण या सेवा शर्तों के माध्यम से उपभोक्ताओं का शोषण न हो।

बड़ी टेक कंपनियों की परिचालन स्वतंत्रता में नियामक ढाँचे की भूमिका

  • नवाचार बनाम विनियमन: कंपनियों को नवाचार करने की परिचालन स्वतंत्रता प्रदान करने हेतु नियामक ढाँचे के माध्यम से संतुलन बनाना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे शोषणकारी प्रथाओं में शामिल न हों। उदाहरण के लिए: स्टार्टअप इंडिया पहल मौजूदा नियामक दिशानिर्देशों का पालन करते हुए तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देती है।
  • बुनियादी ढाँचे में निवेश: बड़ी टेक कंपनियों के अनुसार कमीशन में कटौती जैसे नियम बुनियादी ढाँचे और सुरक्षा में निवेश करने की उनकी क्षमता में बाधा डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए: गूगल (Google) का दावा है कि कमीशन संरचना, Android के सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र को निधि प्रदान करती है।
  • परिचालन प्रत्यास्थता: अति विनियमन, तकनीकी फर्मों की परिचालन प्रत्यास्थता को कम कर सकता है, जिससे बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलन और प्रतिक्रिया करने की उनकी क्षमता सीमित हो सकती है।
  • वैश्विक बाजार पहुँच: विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग विनियामक ढाँचे, बड़ी तकनीकी कंपनियों की वैश्विक परिचालन दक्षता में बाधा डाल सकते हैं, क्योंकि उन्हें ऐसी स्थिति में कई विनियमों का अनुपालन करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए: फेसबुक को यूरोपीय संघ, अमेरिका और भारत में अलग-अलग गोपनीयता विनियमों का सामना करना पड़ता है, जिससे इसकी वैश्विक संचालन प्रक्रिया जटिल हो जाती है।
  • आर्थिक योगदान: प्रौद्योगिकी कंपनियों का तर्क है कि परिचालन स्वतंत्रता उन्हें आर्थिक विकास और रोजगार में महत्त्वपूर्ण योगदान करने की सुविधा प्रदान करती है, विशेष रूप से उभरते बाजारों में।
  • गुणवत्ता नियंत्रण: तकनीकी कंपनियों को ‘थर्ड पार्टी ऐप स्टोर’ की अनुमति देने के लिए बाध्य करने वाले नियम गुणवत्ता नियंत्रण को कमजोर कर सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को संभावित रूप से कम सुरक्षित  अनुभव हो सकते हैं। उदाहरण के लिए: गूगल (Google) का कहना है कि उनका Play Store ऐप, सुरक्षा और उपयोगकर्ता अनुभव के मामले में स्थिरता सुनिश्चित करता है।
  • प्रतिस्पर्द्धी दबाव: जबकि प्रतिस्पर्द्धा से उपभोक्ताओं को लाभ होता है, कंपनियों के अनुसार तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक तकनीकी परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त बनाए रखने के लिए परिचालन स्वतंत्रता की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए: Apple के ऐप स्टोर की नीतियों की वैश्विक स्तर पर जाँच हो रही है, लेकिन कंपनी का तर्क है कि उनके नवोन्मेषी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए ये आवश्यक हैं।

गूगल की हालिया कानूनी लड़ाइयों से सबक

  • पारदर्शिता की आवश्यकता: गूगल (Google) की कानूनी लड़ाइयाँ ऐप स्टोर नीतियों, मूल्य निर्धारण और डेटा प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती हैं, जो भविष्य की विनियामक प्रथाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण के लिए: Google के खिलाफ हाल ही में अमेरिका द्वारा लिये गये निर्णय ने उसे Android पारिस्थितिकी तंत्र में वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों की अनुमति देने के लिए मजबूर किया।
  • प्रतिस्पर्द्धी व्यवहार सुनिश्चित करना: यह मामला एकाधिकार विरोधी उपायों को लागू करने के महत्त्व को दर्शाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बड़ी तकनीकी  कंपनियाँ, छोटी कंपनियों के बाजार में प्रवेश करने की प्रक्रिया को प्रतिबंधित न करें। उदाहरण के लिए: समान कारणों से  भारत का CCI , Google के Play Store ऐप पर उसके प्रभुत्व होने की जाँच कर रहा है।
  • सुरक्षा और स्वतंत्रता में संतुलन: विनियामकों को उपयोगकर्ता सुरक्षा और परिचालन स्वतंत्रता के बीच संतुलन सुनिश्चित करना चाहिए, क्योंकि ‘थर्ड पार्टी ऐप्स’ को प्लेटफॉर्म की पहुँच  प्रदान करने से सुरक्षा जोखिम बढ़ सकता है। उदाहरण के लिए: गूगल (Google) ने तर्क दिया कि ‘थर्ड पार्टी ऐप्स’, उपयोगकर्ताओं को मैलवेयर के संपर्क में ला सकते हैं।
  • छोटे डेवलपर्स पर प्रभाव: यह मामला दर्शाता है कि जब बड़े प्लेटफॉर्म को अधिक खुला और पारदर्शी होना पड़ता है, तो छोटे डेवलपर्स को लाभ होता है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलता है। उदाहरण के लिए: Google के साथ एपिक गेम्स की लड़ाई का उद्देश्य छोटे ऐप डेवलपर्स का हित सुरक्षित करना है।
  • वैश्विक मानकों की आवश्यकता: Google की कानूनी लड़ाई, बड़ी तकनीकी कंपनियों को विनियमित करने में एकरुपता प्रदर्शित करने वाले वैश्विक मानकों की आवश्यकता को उजागर करती है, जिससे विभिन्न राष्ट्रीय कानूनों के अनुपालन का बोझ कम हो जाता है।
    उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ का डिजिटल मार्केट्स एक्ट ऐसे वैश्विक मानकों को स्थापित करने का प्रयास करता है।

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उपभोक्ता संरक्षण और बड़ी तकनीकी कंपनियों की परिचालन स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाने में विनियामक ढाँचों की विकसित हो रही भूमिका अति महत्त्वपूर्ण है। जैसा कि गूगल (Google) की कानूनी चुनौतियों से पता चलता है, प्रभावी विनियमनों के माध्यम से निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए नवाचार को बढ़ावा देना चाहिए। आगे बढ़ते हुए, जटिल तकनीकी परिदृश्य को सुलझाने के लिए विनियामक मानकों पर वैश्विक सहयोग और डिजिटल बाजारों में समानता पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।

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