Q. हाल ही में कजान में संपन्न ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने संवाद के माध्यम से न्यायसंगत वैश्विक शासन और शांति की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, लेकिन यह उद्देश्य पर मजबूत और ठोस प्रतिबद्धताओं पर कमजोर प्रतीत होता है। चर्चा कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत में अवैध तम्बाकू बाजार से निपटने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 की प्रभावशीलता का आकलन कीजिए।
  • भारत में अवैध तम्बाकू बाजार से निपटने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 की कमियों का परीक्षण कीजिए।
  • देश में तम्बाकू की लत से प्रभावी ढंग से निपटने और धूम्रपान की दरों को कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखे जा सकने वाले सबक पर चर्चा कीजिए।

उत्तर

भारत में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम ( PECA ) 2019 लागू किया गया था। इसका उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को संबोधित करना था। ई-सिगरेट धीरे-धीरे निकोटीन की जगह लेती जा रही है  और  PECA का उद्देश्य युवाओं तक इन उत्पादों की पहुंच को रोकना है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS) 2019 के अनुसार, भारत में 28.6% वयस्क किसी न किसी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं, जो निकोटिन की लत के नए रूपों को रोकने के लिए प्रभावी उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 की प्रभावशीलता

  • ई-सिगरेट प्रतिबंध के प्रवर्तन में वृद्धि: PECA ने अवैध ई-सिगरेट बिक्री के खिलाफ़ प्रवर्तन कार्यवाइयों में वृद्धि की है, जिससे उनकी उपलब्धता में कमी हुई है विशेष रुप से शहरी क्षेत्रों में। 
  • युवाओं तक ई-सिगरेट की पहुँच में कमी: ई-सिगरेट की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर, PECA ने इन उत्पादों तक युवाओं की पहुँच को सीमित कर दिया है, जिससे युवा आबादी में संभावित निकोटिन की लत को रोकने में मदद मिली है। 
    • उदाहरण के लिए: कई राज्यों के स्कूलों और कॉलेजों ने प्रतिबंध के सख्त क्रियान्वयन के कारण छात्रों तक  ई-सिगरेट की पहुँच में कमी की सूचना दी है।
  • ई-सिगरेट के खतरों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना: PECA ने ई-सिगरेट से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों के संबंध में जागरूकता बढ़ाई है, जिससे निकोटिन के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक शिक्षा प्रयासों में सहायता मिली है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के नेतृत्व में चलाये गये जागरूकता अभियानों ने नागरिकों को वेपिंग के खतरों के बारे में सूचित किया है , जिससे ई-सिगरेट के उपयोग के खिलाफ जनता की राय प्रभावित हुई है।
  • ई-सिगरेट के विपणन और विज्ञापन के खिलाफ रोकथाम: PECA ई-सिगरेट के विज्ञापन को प्रतिबंधित करता है और इस प्रकार उन प्रचार माध्यमों को रोक देता है, जो पहले युवाओं और फर्स्ट टाइम यूजर्स को लक्षित किया करते थे, जिससे ई-सिगरेट बाज़ार का विस्तार कम हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: डिजिटल मीडिया में विज्ञापन पर लगायें गये प्रतिबंध ने ई-सिगरेट की दृश्यता को कम कर दिया है, युवा उपयोगकर्ताओं के बीच लोकप्रिय प्लेटफार्म पर इसके कम विज्ञापन देखे जाते हैं।
  • वैश्विक तम्बाकू नियंत्रण मानकों के साथ संरेखण: PECA, सभी रूपों में तम्बाकू पर निर्भरता को कम करने के लिए देश की प्रतिबद्धता पर बल देते हुये भारत की नीतियों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के साथ संरेखित करता है। 
    • उदाहरण के लिए: WHO के तम्बाकू नियंत्रण पर फ्रेमवर्क कन्वेंशन (FCTC) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में, ई-सिगरेट पर भारत द्वारा लगाया गया प्रतिबंध निकोटिन की लत को कम करने के व्यापक अंतरराष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।

भारत में अवैध तम्बाकू बाजार से निपटने में इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 की कमियाँ 

  • अपर्याप्त निगरानी और प्रवर्तन क्षमताएँ: PECA में पर्याप्त निगरानी तंत्र का अभाव है, जिससे अवैध ई-सिगरेट की बिक्री को ट्रैक करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, विशेष रूप से ऑनलाइन और अंडरग्राउंड मार्केट में जहाँ लेन-देन को नियंत्रित करना कठिन होता है। 
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री नियामक नियंत्रणों को दरकिनार करते हुए सोशल मीडिया के जरिए युवाओं तक इनकी पहुँच बढ़ा रही है।
  • तस्करी और काला बाजारी में वृद्धि: इस प्रतिबंध ने कालाबाजारी को बढ़ावा दिया है, क्योंकि ई-सिगरेट की माँग बनी हुई है, जिससे इनकी तस्करी और अनियमित बिक्री बढ़ रही है जो स्वास्थ्य और सुरक्षा जाँच से बचती है । 
    • उदाहरण के लिए: थाईलैंड ने एक दशक पहले कड़े प्रतिबंध लगाए थे और अब वह ई-सिगरेट की काला की समस्या से जूझ रहा है।
  • कानूनी जोखिमों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता की कमी: कई उपयोगकर्ता, प्रतिबंध के बावजूद ई-सिगरेट का उपयोग करने से संबंधित कानूनी जोखिमों से अनजान हैं, जो इन कानूनों के अनुपालन को सीमित करता है और ई- सिगरेट की माँग को बढ़ाता रहता है।
    • उदाहरण के लिए: सर्वेक्षणों से पता चलता है कि युवा उपयोगकर्ताओं की एक बड़ी संख्या, PECA के दंडों से अनजान है, जो अवैध ई-सिगरेट के उपयोग में योगदान देता है।
  • पारंपरिक तम्बाकू विकल्पों पर सीमित प्रभाव: PECA, सिगरेट और बीड़ी जैसे पारंपरिक तम्बाकू उत्पादों से संबंधित समस्या का समाधान नहीं करता है , जो अभी भी सस्ती और सुलभ हैं, जिससे उपयोगकर्ता ई-सिगरेट के बजाय पारंपरिक रूपों की ओर वापस जा रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में बीड़ी और सिगरेट की खपत उच्च स्तर पर बनी हुई है, तथा ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगने से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पारंपरिक तम्बाकू सस्ती है।
  • पुनर्वास और लत छुड़ाने में सहायता के लिए अपर्याप्त प्रावधान: हालांकि PECA ई-सिगरेट के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन इसमें उपयोगकर्ताओं को लत से उबरने में सहायता प्रदान करने हेतु प्रावधानों का अभाव है , जिससे दीर्घकालिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार में प्रतिबंध की प्रभावशीलता कम हो जाती है।

भारत में तम्बाकू की लत से निपटने और धूम्रपान की दर कम करने के लिए वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं से लिया जा सकने वाला सबक

तम्बाकू की लत से निपटना

  • उच्च तम्बाकू करों का कार्यान्वयन: उच्च करों के लागू होने से तम्बाकू उत्पाद कम सस्ते और कम सुलभ हो जाते हैं । 
    • उदाहरण के लिए: ऑस्ट्रेलिया में सिगरेट पर उच्च उत्पाद शुल्क को कर के कार्यान्वयन के बाद से धूम्रपान दरों में लगातार गिरावट से जोड़ा गया है।
  • व्यवहार परामर्श और सहायता कार्यक्रम: कई देश तम्बाकू उपयोगकर्ताओं के लिए निःशुल्क व्यवहार परामर्श प्रदान करते हैं , जो लोगों को धूम्रपान छोड़ने में सहायता करने में प्रभावी साबित हुआ है। 
    • उदाहरण के लिए: U.K. राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS), निःशुल्क धूम्रपान निवारण परामर्श प्रदान करती है, जिससे उपयोगकर्ताओं के धूम्रपान की दर में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • सब्सिडी प्राप्त निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT): सब्सिडी या पैच (Patch) एवं गम (Gum) जैसे मुफ़्त NRT उत्पाद प्रदान करने से उपयोगकर्ताओं को पारंपरिक तम्बाकू छोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: 2014 से लागू, कम हानिकारक विकल्पों और स्वास्थ्य शिक्षा पहलों के लिए जापान के प्रगतिशील नियमों ने सिगरेट की बिक्री को 52% तक सफलतापूर्वक कम कर दिया है, जिससे कई देशों में बीमारी के एक प्रमुख कारण का समाधान हुआ है।
  • स्वास्थ्य जोखिमों पर जन जागरूकता अभियान: स्वास्थ्य परिणामों को उजागर करने वाले तंबाकू विरोधी अभियान व्यवहार परिवर्तन को प्रभावित करके तंबाकू के उपयोग को कम करने में विश्व स्तर पर प्रभावी साबित हुए हैं। 
    • उदाहरण के लिए: तम्बाकू पैकेजिंग पर थाईलैंड के ग्राफिक वार्निंग लेबल लगाने से वहां जागरूकता बढ़ी है, जिसके परिणामस्वरूप धूम्रपान की दर में कमी आई है।
  • तम्बाकू उत्पादों तक पहुँच को सीमित करना: बिक्री के विनियमित बिंदुओं और आयु प्रतिबंधों के माध्यम से पहुँच को सीमित करने से युवाओं को तम्बाकू उत्पाद खरीदने से रोकने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: सिंगापुर में लाइसेंस प्राप्त दुकानों में ही तम्बाकू की बिक्री की जा सकती है और वहां युवाओं तक निकोटिन की पहुंच को रोकने के लिए सख्त आयु संबंधी प्रावधान भी लागू किए गए हैं।

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देश में धूम्रपान की दर कम करना

  • तम्बाकू उत्पादों की सादी पैकेजिंग: कई देशों में तम्बाकू उत्पादों की अपील कम करने और उनके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए सादी पैकेजिंग अनिवार्य कर दी गई है। 
    • उदाहरण के लिए: ऑस्ट्रेलियन टोबैको प्लेन पैकेजिंग एक्ट, 2011 ने धूम्रपान की दरों में कमी लाने में मदद की है। अध्ययनों से संकेत मिलता है, कि सादी पैकेजिंग, ब्रांड की अपील को कम करती है।
  • व्यापक धूम्रपान उन्मूलन कार्यक्रम शुरू करना: परामर्श और चिकित्सा मध्यक्षेप सहित अन्य व्यापक तम्बाकू उन्मूलन कार्यक्रम , व्यक्तियों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: स्वीडन की प्रगतिशील सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों ने स्नस (Snus) और निकोटिन पाउच ( NP) जैसे विकल्पों का समर्थन किया है, जिसके परिणामस्वरूप धूम्रपान दरों में 60% की कमी आई है , जो वर्ष 2006 और वर्ष 2020 के बीच किसी भी यूरोपीय संघ के देश की स्मोकिंग दर में लाई गई सबसे बड़ी कमी है।
  • समुदाय-आधारित आउटरीच और शिक्षा कार्यक्रम: स्थानीय आउटरीच कार्यक्रम जो समुदायों को धूम्रपान के खतरों के बारे में शिक्षित करते हैं, ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में प्रभावी रहे हैं। 
    • उदाहरण के लिए: फिलीपींस में, तंबाकू के नुकसान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जाता है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • सार्वजनिक स्थलों को धूम्रपान-मुक्त बनाना: धूम्रपान-मुक्त क्षेत्र बनाने से दूसरे व्यक्ति के धुएँ के संपर्क में आने की संभावना कम हो जाती है और इससे सार्वजनिक क्षेत्रों में धूम्रपान कम हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: आयरलैंड द्वारा इनडोर धूम्रपान पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने के कारण धूम्रपान की दरों में कमी आई है तथा  धुएं से होने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम में कमी आई है।

इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट निषेध अधिनियम (PECA) 2019 ने युवाओं की ई-सिगरेट तक पहुँच को कम करने के संबंध में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं, लेकिन काला बाज़ारी गतिविधियों को पूरी तरह से समाप्त करने में चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। तम्बाकू की लत से निपटने और धूम्रपान की दरों को कम करने के लिये भारत, वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं जैसे  तम्बाकू करों में वृद्धि, धूम्रपान बंद करने के कार्यक्रमों को बढ़ावा देने और धूम्रपान मुक्त सार्वजनिक स्थान बनाने आदि का लाभ उठा सकता है। विनियामक प्रवर्तन, सार्वजनिक जागरूकता और सहायता प्रणालियों को मिश्रित करते हुए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर, भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य पर तम्बाकू के बोझ को कम करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण प्रगति कर सकता है।

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