प्रश्न की मुख्य माँग
- चर्चा कीजिए कि परिचालन संबंधी अकुशलताएँ किस प्रकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लीकेज में योगदान देती हैं।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली में इन अकुशलताओं को दूर करने तथा लीकेज को रोकने के लिए प्रभावी समाधान सुझाइये।
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उत्तर
वर्ष 2013 में लागू किये गये राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) का उद्देश्य भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराना है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी और भुखमरी कम होगी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से लागू किया गया यह अधिनियम सुभेद्य समुदायों को आवश्यक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने की गारंटी देता है, देश के खाद्य सुरक्षा जाल को मजबूत करता है और कम आय वाले परिवारों की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
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PDS लीकेज में योगदान दे रहीं परिचालन अक्षमताएँ
- लाभार्थियों का गलत निर्धारण: लाभार्थियों की गलत पहचान के कारण खाद्यान्न फर्जी लाभार्थियों तक पहुँच जाता है, जिससे लीकेज और संसाधन की बर्बादी होती है।
- उदाहरण के लिए: 28% आवंटित खाद्यान्न, लक्षित लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाता, जिसके परिणामस्वरूप भारी वार्षिक हानि होती है।
- खाद्यान्नों का डायवर्जन: PDS के लिए संग्रहित किए गए खाद्यान्नों को अक्सर खराब निगरानी और मजबूत ट्रैकिंग की कमी के कारण खुले बाजार में भेज दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अनधिकृत बिक्री और लीकेज होती है।
- उदाहरण के लिए: शांता कुमार समिति (वर्ष 2015) ने वर्ष 2011-12 में 46% तक लीकेज का उल्लेख किया। (NSSO)
- तकनीकी एकीकरण का अभाव: हालाँकि पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) डिवाइस और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण प्रणाली शुरू की गई है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में मौजूदा कमियाँ अनधिकृत पहुँच और सिस्टम बाईपास का कारण बन जाती हैं।
- उदाहरण के लिए: हालाँकि PoS मशीनों की शुरूआत ने लीकेज को 46% से घटाकर 28% कर दिया है, फिर भी इस मामले में अभी भी गंभीर अंतर व्याप्त हैं, जिससे इनके संभावित दुरुपयोग और अनधिकृत वितरण की संभावना बनी हुई है।
- खराब भंडारण और हैंडलिंग प्रथाएँ: अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं के कारण अन्न के खराब होने और कीटों के संक्रमण के परिणामस्वरूप खाद्यान्न नष्ट हो जाता है, जिससे लीकेज में और वृद्धि होती है।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 2021 में, भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने बताया कि खराब भंडारण के कारण प्रत्येक वर्ष 5% संग्रहीत अनाज नष्ट हो जाता है।
- लाभार्थियों का अत्यधिक कवरेज: 80 करोड़ से अधिक आबादी तक PDS कवरेज बढ़ाने से संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, जिससे लीकेज में योगदान होता है।
- उदाहरण के लिए: शांता कुमार समिति ने संसाधन आवंटन बढ़ाने और लीकेज को कम करने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर पुनर्विचार करके PDS कवरेज को 67% से घटाकर 40% करने की सिफारिश की थी।
- अपर्याप्त निगरानी और मूल्यांकन: नियमित लेखापरीक्षा और निरीक्षण के अभाव के परिणामस्वरूप जवाबदेही में कमी आती है, जिससे बिचौलियों द्वारा हेरफेर को बढ़ावा मिलता है और लीकेज को बढ़ावा मिलता है।
- अक्षम शिकायत निवारण तंत्र: लाभार्थियों के पास अक्सर समस्याओं या अनियमितताओं की रिपोर्ट करने के लिए माध्यम नहीं होतें हैं जिससे लीकेज अनियंत्रित रूप से जारी रहती है और व्यवस्था में लोगों का विश्वास कम हो जाता है।
PDS की अक्षमताओं को दूर करने के लिए प्रभावी समाधान
- लक्षित लाभार्थी पहचान: गलत पहचान को कम करने और लक्ष्यीकरण दक्षता में सुधार करने हेतु परिवर्तनशील लाभार्थी सूचियों को तैयार के लिए अद्यतन सामाजिक-आर्थिक डेटा का उपयोग करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: लक्ष्यीकरण के लिए SECC-2023 डेटा को लागू करने से यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि लाभ सबसे अधिक जरूरतमंद लोगों तक पहुँचें।
- प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (DCT) की शुरुआत करना: पात्र लाभार्थियों के लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण की व्यवस्था लागू करनी चाहिए, जिससे भौतिक अनाज वितरण चैनलों को दरकिनार करके लीकेज को कम किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) की ट्रिनिटी पहले ही अन्य कल्याणकारी योजनाओं में लीकेज को कम करने में कारगर साबित हो चुकी है।
- भंडारण अवसंरचना को मजबूत करना: खाद्यान्नों की बर्बादी को कम करने के लिए भंडारण सुविधाओं और हैंडलिंग प्रथाओं में सुधार करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खाद्यान्न बिना किसी लीकेज के, लक्षित लाभार्थियों तक पहुँचे।
- उदाहरण के लिए: प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना कोल्ड चेन और भंडारण अवसंरचना को बढ़ावा देती है, जिससे अन्न की बर्बादी कम होती है।
- डिजिटल निगरानी प्रणाली: आपूर्ति श्रृंखला में रियलटाइम ट्रैकिंग और डिजिटल ऑडिट को लागू करना चाहिए ताकि अनधिकृत वितरण का पता लगाया जा सके और उसे कम किया जा सके।
- उदाहरण के लिए: अन्नवितरण पोर्टल खाद्यान्नों की आवागमन पर नजर रखता है, जिससे बेहतर निगरानी संभव होती है और डॉयवर्जन जोखिम कम होता है।
- लाभार्थी कवरेज को सुव्यवस्थित करना: PDS प्रणाली की दक्षता में सुधार करने के लिए संसाधनों का पुनर्वितरण करते हुए और अत्यधिक गरीबी वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, इसकी कवरेज को सबसे अधिक जरूरतमंदों तक ही सीमित कर देना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: लक्षित पीडीएस (1997) दृष्टिकोण ने इसी तरह के उपायों का सुझाव दिया, जिसमें सबसे गरीब परिवारों को संसाधन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया था।
- नियमित थर्ड-पार्टी ऑडिट: पारदर्शिता में सुधार और लीकेज को कम करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली संचालन की निगरानी में थर्ड-पार्टी ऑडिट का आयोजन और नागरिक समाज की भागीदारी को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: CAG सार्वजनिक वितरण प्रणाली ऑडिट आयोजित करता है जो अक्षमताओं को उजागर करता है, जिससे नीति निर्माताओं को डेटा-संचालित सुधार करने में मदद मिलती है।
- उन्नत शिकायत निवारण तंत्र: एक सुलभ और उत्तरदायी शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करनी चाहिए जो लाभार्थियों को बिना किसी भय के समस्याओं की रिपोर्ट करने का अधिकार प्रदान करे।
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भारत की सुभेद्य आबादी के बीच खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में व्याप्त अक्षमताओं को संबोधित करना महत्वपूर्ण है। लक्षित सुधारों को लागू करके और पारदर्शिता बढ़ाकर, भारत एक मजबूत सार्वजनिक वितरण प्रणाली बना सकता है जो लीकेज को कम-से-कम करे और लाभ को अधिकतम करे। एक सशक्त PDS, देश के संधारणीय खाद्य सुरक्षा और सामाजिक समता के दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा ।
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