Q. भारत के जहाज निर्माण उद्योग के सामने कौन सी प्रमुख चुनौतियाँ हैं, तथा जहाजों को बुनियादी ढाँचा का दर्जा देने जैसे नीतिगत परिवर्तन इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में किस प्रकार सहायक हो सकते हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • भारत के जहाज निर्माण उद्योग के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
  • इस बात पर प्रकाश डालिए कि शिपिंग उद्योग को बुनियादी ढाँचे का दर्जा देने जैसे नीतिगत बदलाव इस क्षेत्र को बढ़ावा देने में कैसे मदद कर सकते हैं।

उत्तर

भारत का जहाज निर्माण उद्योग परिवहन एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, लेकिन वैश्विक बाजार का केवल 0.07% हिस्सा रखता है, जो चीन, दक्षिण कोरिया तथा जापान जैसे अग्रणी देशों से बहुत पीछे है। इस क्षेत्र की चुनौतियाँ इसकी अप्रयुक्त क्षमता का दोहन करने एवं भारत की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं के अनुरूप होने के लिए लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप की माँग करती हैं।

Enroll now for UPSC Online Course

भारत के जहाज निर्माण उद्योग के सामने प्रमुख चुनौतियाँ

  • वित्तपोषण का सीमित विकल्प: जहाज निर्माण में पूँजी-गहन कार्य होता है, लेकिन भारतीय जहाज निर्माताओं को दीर्घकालिक वित्तपोषण तक सीमित पहुँच का सामना करना पड़ता है। बुनियादी ढाँचे की सूची से जहाजों को बाहर करने से किफायती ऋण तक पहुँच सीमित हो जाती है, जिससे विकास एवं वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होती है। 
    • उदाहरण के लिए: वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट है कि सीमित ऋण विकल्पों ने जहाज निर्माण परियोजनाओं को धीमा कर दिया है, जिससे उद्योग की विस्तार क्षमता प्रभावित हुई है।
  • सरफेसी अधिनियम से बहिष्करण: सरफेसी अधिनियम की धारा 31 (d) के तहत, जहाजों को बंधक के लिए संपत्ति के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाता है, जिससे वे संपार्श्विक ऋण के लिए अयोग्य हो जाते हैं। 
  • महाद्वीपीय विकास पर फोकस: भारत की विकास प्राथमिकताएँ ऐतिहासिक रूप से भूमि-आधारित रही हैं, जिसमें समुद्री निवेश की उपेक्षा की गई है। इस महाद्वीपीय मानसिकता के कारण जहाज निर्माण क्षेत्र पर सीमित ध्यान एवं संसाधन आवंटित किए गए हैं, जिससे इसकी रणनीतिक एवं आर्थिक क्षमता बाधित हुई है।
  • व्यापार के लिए विदेशी शिपिंग पर निर्भरता: भारत अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लगभग 95% के लिए विदेशी स्वामित्व वाले एवं विदेशी ध्वज वाले जहाजों पर निर्भर करता है, जिससे व्यापार व्यवधानों के दौरान उच्च विदेशी मुद्रा बहिर्वाह तथा भू-रणनीतिक जोखिम होता है।
    • उदाहरण के लिए: भारत ने वर्ष 2022-23 में समुद्री माल ढुलाई पर 75 बिलियन डॉलर खर्च किए थे, एक ऐसा खर्च जिसे मजबूत घरेलू बेड़े के साथ कम किया जा सकता था।
  • कुशल श्रम एवं उन्नत प्रौद्योगिकी की कमी: हालाँकि भारत में एक बड़ा कार्यबल है, जहाज निर्माण उद्योग को कुशल श्रम एवं उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुँच की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे वैश्विक बाजारों में इसकी प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त सीमित हो जाती है।
    • उदाहरण के लिए: जहाज निर्माण क्षेत्र की तकनीकी आवश्यकताओं का समर्थन करने के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता होती है।

शिपिंग उद्योग को बुनियादी ढाँचे का दर्जा देने के लाभ

  • दीर्घकालिक वित्तपोषण तक पहुँच में वृद्धि: बुनियादी ढाँचे का दर्जा देने से लंबी अवधि के लिए वित्तपोषण के रास्ते खुलेंगे, जहाज निर्माताओं को संचालन बढ़ाने एवं वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आवश्यक पूँजी मिलेगी। 
    • उदाहरण के लिए: रंगराजन आयोग (वर्ष 2001) ने राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश कोष (National Infrastructure Investment Fund- NIIF) वित्तपोषण तक पहुँच में सुधार के लिए जहाजों के लिए बुनियादी ढाँचे की स्थिति की सिफारिश की।
  • जहाज निर्माण परियोजनाओं के लिए कम ब्याज दरें: बुनियादी ढाँचे की स्थिति से ऋण पर ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जिससे पूँजी-गहन परियोजनाएँ अधिक व्यवहार्य हो जाती हैं एवं जहाज निर्माताओं को अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में निवेश करने तथा उत्पादन क्षमता का विस्तार करने की अनुमति मिलती है।
  • विदेशी निवेश को आकर्षित करना: बुनियादी ढाँचे की स्थिति जहाज निर्माण क्षेत्र को विदेशी निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बनाती है, जो देश के बुनियादी ढाँचे के भीतर मान्यता प्राप्त उद्योगों में निवेश करने की अधिक संभावना रखते हैं। इससे पूँजी प्रवाह एवं तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा मिल सकता है।
  • कौशल विकास एवं प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए उन्नत समर्थन: बुनियादी ढाँचे की स्थिति कौशल प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकी अपनाने, कार्यबल को मजबूत करने तथा जहाज निर्माण सुविधाओं के आधुनिकीकरण के लिए सब्सिडी के रूप में सरकारी समर्थन की सुविधा प्रदान कर सकती है।
    • उदाहरण के लिए: भारत नाविक-आपूर्ति करने वाले देशों में तीसरे स्थान पर है, जो वैश्विक कार्यबल में लगभग 10-12% का योगदान देता है।

Check Out UPSC CSE Books From PW Store

भारत के जहाज निर्माण उद्योग में अपार संभावनाएँ हैं, फिर भी महत्त्वपूर्ण बाधाएँ इसके विकास में बाधक हैं। मैरीटाइम इंडिया विजन, 2030 में भी बुनियादी ढाँचे का दर्जा देने की परिकल्पना की गई है, जिसका उद्देश्य भारत को शीर्ष 10 जहाज निर्माण देशों में आगे बढ़ाना है। यह नीतिगत बदलाव भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने, निवेश को आकर्षित करने एवं वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की स्थिति को मजबूत करने के व्यापक प्रयासों के अनुरूप होगा।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

To Download Toppers Copies: Click here

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.