प्रश्न की मुख्य माँग
- जनजातीय अधिकार आंदोलन में बिरसा मुंडा के योगदान के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार उनकी विरासत, जनजातीय अधिकारों की सुरक्षा करते हुए सतत विकास प्राप्त करने के लिए आधुनिक शासन का मार्गदर्शन कर सकती है।
- चर्चा कीजिए कि किस प्रकार उनकी विरासत सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा करते हुए सतत विकास प्राप्त करने के लिए आधुनिक शासन का मार्गदर्शन कर सकती है।
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उत्तर
बिरसा मुंडा, एक सम्मानित आदिवासी नेता जिन्हें ‘धरती आबा’ (पृथ्वी के पिता) के नाम से जाना जाता है, भारत के आदिवासी अधिकार आंदोलन में अग्रणी थे। ब्रिटिश औपनिवेशिक शोषण के खिलाफ उनके उग्र प्रतिरोध और जनजातीय स्वायत्तता की पक्षकारिता ने एक गहरी विरासत छोड़ी। न्याय, पर्यावरण सद्भाव और सांस्कृतिक संरक्षण के उनके आदर्श आदिवासी अधिकारों और पहचान को बनाए रखते हुए सतत विकास जारी रखने के लिए आधुनिक शासन को प्रेरित करते हैं।
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जनजातीय अधिकार आंदोलन में बिरसा मुंडा के योगदान का महत्त्व
- जनजातीय स्वायत्तता के पक्षधर: बिरसा मुंडा ने जनजातीय स्वायत्तता की वकालत की, जनजातीय भूमि और संसाधनों पर नियंत्रण की माँग करके ब्रिटिश औपनिवेशिक शोषण का विरोध किया। उनके दृष्टिकोण ने आदिवासियों को उनके अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए सशक्त बनाया और भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया।
- उदाहरण के लिए: वर्ष 1908 का छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम उनके संघर्षों से प्रभावित था, जिसने झारखंड में जनजातीय भूमि अधिकारों को संरक्षित किया।
- सांस्कृतिक पहचान संरक्षण: उनके नेतृत्व ने औपनिवेशिक उन्मूलन के खिलाफ जनजातीय रीति-रिवाजों और सामाजिक परंपराओं को संरक्षित करने के महत्त्व पर जोर देते हुए सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा दिया।
- उदाहरण के लिए: 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करना जनजातीय पहचान की रक्षा में उनके प्रयासों को मान्यता देता है।
- शोषण के खिलाफ प्रतिरोध: उलगुलान (महा-उग्र) आंदोलन के माध्यम से, बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश और स्थानीय जमींदारों की शोषणकारी प्रथाओं का मुकाबला किया, और न्याय के लिए आदिवासी जनता को संगठित किया।
- उदाहरण के लिए: उनके विद्रोह ने झारखंड में शोषणकारी प्रथाओं के खिलाफ जनजातीय भूमि की सुरक्षा की।
- अधिकारों के लिए प्रेरणादायक नेतृत्व: बिरसामुंडा के आत्मनिर्भरता और न्याय के दृष्टिकोण ने भारत में कई आदिवासी आंदोलनों को प्रेरित किया, जो बाद में आदिवासी अधिकारों की पहल के लिए उत्प्रेरक के रूप में काम आया।
- उदाहरण के लिए: उनके आदर्श वन धन योजना जैसी आधुनिक योजनाओं का आधार हैं, जो आदिवासियों को वन उपज का स्थायी प्रबंधन करने के लिए सशक्त बनाती हैं।
- स्वदेशी प्रत्यास्थता का प्रतीक: उनका जीवन प्रत्यास्थता और साहस का उदाहरण था, जो जनजातीय प्रतिरोध की भावना को मूर्त रूप देता है और सामाजिक न्याय के लिए प्रयासरत वंचित समूहों को प्रेरणा प्रदान करता है।
सतत विकास और जनजातीय अधिकारों के लिए आधुनिक शासन के मार्गदर्शन में बिरसा मुंडा का योगदान
- संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना: प्राकृतिक संसाधनों के सम्मान पर उनका जोर आधुनिक सतत प्रथाओं के साथ संरेखित है, जो पर्यावरण के अनुकूल शासन को प्रोत्साहित करता है ।
- उदाहरण के लिए: PM-JANMAN जैसी पहल पारंपरिक प्रथाओं को आधुनिक तरीकों के साथ एकीकृत करके आदिवासी क्षेत्रों में संधारणीय विकास करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
- समुदाय आधारित विकास: व्यक्तिगत लाभ की जगह सामूहिक कल्याण में उनका विश्वास समावेशी विकास के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करता है, जिससे शासन की पहुँच बढ़ती है।
- उदाहरण के लिए: धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान जैसे कार्यक्रम सामूहिक लाभ पर ध्यान केंद्रित करते हुए जनजातीय गांवों में सामाजिक बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देते हैं।
- भूमि अधिकार और आजीविका: भूमि अधिकारों के लिए उनके विद्रोह आधुनिक नीतियों का मार्गदर्शन करते है, जिससे आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों पर आदिवासियों का स्वामित्व सुनिश्चित होता है।
- उदाहरण के लिए: वन अधिकार अधिनियम (FRA), भूमि और वनों तक आदिवासियों को पहुँच प्राप्त करने में मदद करता है। यह अधिनियम भी बिरसा मुंडा के आदर्शों के साथ संरेखित है।
- स्वदेशी समुदायों के लिए स्वास्थ्य सेवा: सामुदायिक कल्याण पर उनका समग्र दृष्टिकोण आदिवासी क्षेत्रों में सुलभ स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता को रेखांकित करता है ।
- उदाहरण के लिए: मातृ स्वास्थ्य और कुपोषण को लक्षित करने वाली योजनाएँ विशेष रूप से सुभेद्य जनजातीय समूहों (PVTGs) वाले क्षेत्रों में संचालित हैं ।
- शिक्षा और सशक्तिकरण: आत्मनिर्भरता के लिए उनकी वकालत, जनजातीय युवाओं को सशक्त बनाने पर केंद्रित आधुनिक शैक्षिक सुधारों को प्रेरित करती है ।
- उदाहरण के लिए: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, जनजातीय बच्चों को भविष्य के अवसरों का लाभ प्राप्त करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं।
आधुनिक शासन के लिए सांस्कृतिक पहचान की रक्षा में बिरसा मुंडा का योगदान
- सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण: सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ऐसी नीतियों को प्रेरित करती है जो जनजातीय परंपराओं और पहचान को कमजोर होने से बचाती हैं।
- उदाहरण के लिए: राष्ट्रपति भवन में जनजातीय दर्पण गैलरी का उद्देश्य समृद्ध कला, संस्कृति और राष्ट्र के निर्माण में जनजातीय समुदायों के योगदान की झलक प्रदान करना है।
- आदिवासी कारीगरों और शिल्प के लिए समर्थन: स्वदेशी आजीविका के लिए उनकी पक्षकारिता, पारंपरिक कला और शिल्प में सहायता करने वाली पहलों को प्रोत्साहित करती है, जिससे आर्थिक और सांस्कृतिक प्रत्यास्थता बढ़ती है।
- उदाहरण के लिए: आदिवासी हस्तशिल्प की GI-टैगिंग स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देती है और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करती है।
- स्वदेशी ज्ञान को बढ़ावा देना: जनजातीय रीति-रिवाजों के प्रति उनका सम्मान, स्वदेशी ज्ञान को सतत विकास में एकीकृत करने की सिफारिश करता है।
- उदाहरण के लिए: ट्रेडिशनल नॉलेज डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL), चिकित्सा प्रणालियों से संबंधित भारत के समृद्ध पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने की अग्रणी पहल है।
- पवित्र स्थलों की सुरक्षा: भूमि और आध्यात्मिक स्थलों के प्रति उनका समर्पण, राष्ट्रीय नीतियों के तहत जनजातीय धरोहर स्थलों की सुरक्षा को प्रभावित करती है।
- उदाहरण के लिए: जनजातीय क्षेत्रों में पवित्र उपवनों और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रयास, बिरसा के पवित्र भूमि के प्रति सम्मान को दर्शाते हैं।
- सांस्कृतिक शिक्षा पहल: बिरसा की विरासत, युवाओं के बीच आदिवासी धरोहर पर गर्व उत्पन्न करने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों के महत्त्व को रेखांकित करती है।
- उदाहरण के लिए: आजादी का अमृत महोत्सव जैसे कार्यक्रमों में आदिवासी नेताओं और नायकों की भूमिकाओं पर प्रकाश डालने वाले कार्यक्रम शामिल किये गये हैं।
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बिरसा मुंडा की विरासत, भारत को एक समावेशी, सतत समाज की ओर ले जाती है जो जनजातीय अधिकारों और सांस्कृतिक पहचान को महत्त्व देता है। आत्मनिर्भरता, न्याय और पर्यावरण संरक्षण के उनके आदर्श आधुनिक शासन के लिए सीख प्रदान करते हैं। आदिवासी धरोहर की रक्षा करने और सतत विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियों के माध्यम से उनके योगदान का सम्मान करना एक न्यायपूर्ण, विविध और सामंजस्यपूर्ण भविष्य के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है ।
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