Q. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के वैश्विक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरने, विशेष रूप से कमजोर आबादी पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए। भारत ऐसे वायरल प्रकोपों ​​के प्रबंधन के लिए अपने विनियामक ढाँचे और क्षमताओं को कैसे मजबूत कर सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • वैश्विक स्वास्थ्य चिंता के रूप में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) के उद्भव पर चर्चा कीजिए।
  • जाँच कीजिए कि वायरस किस प्रकार कुछ कमजोर समूहों को असमान रूप से प्रभावित करता है।
  • ऐसे उपाय प्रस्तावित कीजिए कि भारत इस तरह के वायरल प्रकोप को प्रबंधित करने के लिए अपने नियामक ढाँचे एवं क्षमताओं को कैसे मजबूत कर सकता है।

उत्तर

ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों एवं कमजोर प्रतिरक्षा वाले व्यक्तियों जैसी कमजोर आबादी के लिए एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभरा है। पहली बार वर्ष 2001 में पहचाना गया, HMPV दुनिया भर में महत्त्वपूर्ण श्वसन संक्रमण का कारण बनता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होना तथा मृत्यु दर बढ़ जाती है, खासकर कम आय वाले देशों में। HMPV जैसे वायरल प्रकोप के कारण चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, प्रभावी प्रबंधन के लिए नियामक ढाँचे को मजबूत करना महत्त्वपूर्ण है।

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वैश्विक स्वास्थ्य चिंता के रूप में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) का उदय

  • वैश्विक प्रसार: HMPV अपने व्यापक प्रसार के कारण, विशेष रूप से मौसमी प्रकोप के दौरान, एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बन गया है एवं इसका प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ रहा है।
    • उदाहरण के लिए: चीन में HMPV मामलों में वृद्धि हुई है जो मुख्यत: बच्चों एवं बुजुर्गों में चिन्हित की जा रही रही है।
  • रोगजनक: पहली बार यह वर्ष 2001 में पहचाना गया, HMPV ने दुनिया भर में बढ़ते श्वसन संक्रमणों के कारण ध्यान आकर्षित किया है, जिससे अस्पताल में भर्ती होना एवं मौतें होती हैं।
    • उदाहरण के लिए: विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर अस्पताल में प्रवेश का 3%-10% HMPV के कारण होता है, जिसमें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • मौसमी वृद्धि: फ्लू के मौसम के दौरान वायरस अक्सर बढ़ जाता है, जिससे श्वसन संक्रमण में वृद्धि होती है, जिससे यह मौसमी स्वास्थ्य खतरा बन जाता है।
    • उदाहरण के लिए: चीन में, फ्लू का मौसम एवं HMPV मामलों में वृद्धि एक साथ हुई  है, जिससे अस्पताल में प्रवेश एवं मीडिया कवरेज में वृद्धि होती है।
  • अपर्याप्त निदान: वर्षों से प्रचलन में होने के बावजूद, भारत सहित कई देशों में HMPV के लिए व्यापक एवं किफायती परीक्षण बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
  • वैश्विक निगरानी अंतराल: जबकि वैश्विक एजेंसियाँ HMPV की निगरानी करती हैं, इसकी पहचान एवं रिपोर्टिंग को अभी भी कई क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे शुरुआती हस्तक्षेप प्रभावित होते हैं।

वायरस कुछ कमजोर समूहों को असमान रूप से प्रभावित करता है

  • पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे: HMPV छोटे बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करता है, खासकर पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को, जिनमें गंभीर बीमारी एवं अस्पताल में भर्ती होने का खतरा अधिक होता है।
  • बुजुर्ग आबादी: बुजुर्ग, विशेष रूप से पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्ति, HMPV संक्रमण के गंभीर परिणामों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
    • उदाहरण के लिए: चीन में, बुजुर्गों में HMPV के मामलों में वृद्धि के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा है, जो वृद्ध आबादी की संवेदनशीलता को उजागर करता है।
  • प्रतिरक्षाविहीन व्यक्ति: कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को HMPV से गंभीर संक्रमण का खतरा अधिक होता है, जिसके लिए गहन चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।
  • कमजोर समूहों में मृत्यु दर में वृद्धि: HMPV के कारण होने वाली मौतें शिशुओं एवं कमजोर प्रतिरक्षा समूहों सहित कमजोर समूहों में उल्लेखनीय रूप से अधिक हैं।
    • उदाहरण के लिए: पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 1% है, जो विकसित एवं विकासशील दोनों देशों में उच्च जोखिम वाली आबादी पर वायरस के प्रभाव के बारे में चिंता उत्पन्न करती है।
  • स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुँच: निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में, सीमित स्वास्थ्य देखभाल पहुँच कमजोर आबादी के लिए गंभीर परिणामों के जोखिम को बढ़ा देती है।

ऐसे वायरल प्रकोप को प्रबंधित करने के लिए नियामक ढाँचे एवं क्षमताओं को मजबूत करने के उपाय

  • डायग्नोस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना: भारत सरकारी एवं निजी दोनों क्षेत्रों में HMPV जैसे वायरस के लिए परीक्षण सुविधाओं का विस्तार करके अपनी नैदानिक ​​क्षमताओं को बढ़ा सकता है।
    • उदाहरण के लिए: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) व्यापक, किफायती HMPV परीक्षण सुनिश्चित करने के लिए निजी प्रयोगशालाओं के साथ सहयोग कर सकती है, जिससे शीघ्र पता लगाने एवं रोकथाम की अनुमति मिल सके।
  • अनुमोदन प्रक्रियाओं में तेजी लाना: भारत एक सुव्यवस्थित नियामक मार्ग स्थापित करके नैदानिक ​​​​परीक्षणों के लिए अनुमोदन प्रक्रिया में तेजी ला सकता है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान परीक्षणों के तेजी से अनुमोदन की अनुमति देता है।
    • उदाहरण के लिए: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drug Controller General of India- DCGI) अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करने वाली डायग्नोस्टिक किटों के लिए आपातकालीन अनुमोदन तंत्र लागू कर सकता है।
  • राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली विकसित करना: वास्तविक समय में श्वसन संक्रमण की निगरानी करने, रुझानों पर नजर रखने एवं HMPV जैसे उभरते खतरों के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली विकसित की जा सकती है।
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सभी राज्यों में वास्तविक समय HMPV ट्रैकिंग को शामिल करने के लिए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (IDSP) का विस्तार कर सकता है।
  • सार्वजनिक जागरूकता अभियान: भारत HMPV के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान शुरू कर सकता है, विशेष रूप से कमजोर आबादी के बीच रोकथाम के तरीकों एवं लक्षणों को पहचानने पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए: स्वास्थ्य मंत्रालय HMPV जैसे श्वसन संक्रमण के लक्षणों को पहचानने पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में सूचना अभियान चलाने के लिए मीडिया एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ साझेदारी कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना: भारत वायरल प्रकोप के प्रबंधन के लिए जानकारी एवं संसाधनों को साझा करने के लिए अपने वैश्विक सहयोग को बढ़ा सकता है, जिससे उभरते रोगजनकों के लिए समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित हो सके।

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भारत को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) पहल के माध्यम से निगरानी, ​​निदान एवं त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करके HMPV जैसे उभरते वायरल खतरों से निपटने के लिए अपने नियामक ढाँचे को बढ़ाना चाहिए। वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ वैक्सीन तथा एंटीवायरल अनुसंधान में निवेश से ऐसे प्रकोपों ​​को कम करने में मदद मिलेगी। कमजोर आबादी की सुरक्षा एवं HMPV प्रसार को नियंत्रित करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना आवश्यक है।

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