प्रश्न की मुख्य माँग
- हॉस्पिटैलिटी प्लेटफॉर्म्स द्वारा रिश्ते के प्रमाण के लिए अनिवार्यता जैसी नीतियों के कारण उत्पन्न व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकार से संबंधित चिंताओं का उल्लेख कीजिए, जो अविवाहित जोड़ों को प्राइवेट स्पेस से वंचित करती हैं।
- चर्चा कीजिए कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21, सामाजिक मानदंडों और प्रतिबंधात्मक नीतियों के विरुद्ध इन अधिकारों की रक्षा कैसे करता है।
- ऐसे हॉस्पिटैलिटी प्लेटफॉर्म्स के लिए आगे की राह लिखिये।
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उत्तर
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को सुनिश्चित करता है, जिसमें गोपनीयता और पसंद की स्वतंत्रता शामिल है, जैसा कि पुट्टस्वामी निर्णय (2017) में निर्णय दिया गया था। अविवाहित जोड़ों को प्राइवेट स्पेस से वंचित करने वाले अधिदेश इन अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और स्वायत्तता को सीमित करते हैं। ऐसी नीतियाँ सामाजिक पूर्वाग्रहों को बनाए रखती हैं तथा संवैधानिक सुरक्षा को कमजोर करती हैं।
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व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकार से संबंधित चिंताएँ
- वैवाहिक स्थिति के आधार पर भेदभाव: ऐसी नीतियाँ जो रिश्ते के प्रमाण की माँग करती हैं, अविवाहित जोड़ों की प्राइवेट स्पेस पाने की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करती हैं। ये भेदभावपूर्ण प्रथाएँ, व्यक्तिगत पसंद और स्वायत्तता का उल्लंघन करती हैं।
- उदाहरण के लिए: OYO नीति अविवाहित जोड़ों को होटलों तक पहुँचने से हतोत्साहित करती है, जो उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन करती है।
- निजता का उल्लंघन: रिश्ते का सबूत माँगना, निजता के अधिकार को दरकिनार करता है और व्यक्ति के निजी जीवन की अनावश्यक जांच की जाती है।
- उदाहरण के लिए: शफीन जहान बनाम अशोकन के. एम. वाद में, सुप्रीम कोर्ट ने निजता के महत्त्व को रेखांकित करते हुए व्यक्ति के अपने साथी को चुनने के अधिकार को बरकरार रखा।
- कुछ खास रिश्तों का अपवर्जन: ऐसी नीतियां विवाह-पूर्व जोड़ों, LGBTQ+ जोड़ों और रूढ़िवादी पृष्ठभूमि के लोगों को असंगत रूप से प्रभावित करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर उन्हें प्राइवेट स्पेस से वंचित किया जाता है।
- उदाहरण के लिए: नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ वाद में, न्यायालय ने सामाजिक मानदंडों की परवाह किए बिना लोगों के सहमति से संबंध बनाने के अधिकार की पुष्टि की।
- सामाजिक समावेशिता पर प्रभाव: इस तरह की नीतियाँ, सामाजिक उपेक्षा को कायम रखती हैं तथा इस विश्वास को मजबूत करती हैं कि केवल विवाहित जोड़े ही सम्मान या गोपनीयता के हकदार हैं।
- सांस्कृतिक और भावनात्मक बोझ: जोड़ों को मनोवैज्ञानिक दबाव का सामना करना पड़ता है, क्योंकि ऐसी हस्तक्षेप नीतियों के कारण उनके निजी जीवन पर सामाजिक अपेक्षाएँ थोप दी जाती हैं।
- उदाहरण के लिए: पायल कपाड़िया की ऑस्कर नामांकित फिल्म, “ऑल वी इमेजिन एज़ लाइट” अनु और शियाज़ जैसे युवा जोड़ों के संघर्ष को उजागर करती है, जो सोशल जजमेंट के बावजूद प्राइवेट स्पेस की तलाश करते हैं।
अनुच्छेद 21 सामाजिक मानदंडों और प्रतिबंधात्मक नीतियों के विरुद्ध इन अधिकारों की रक्षा करता है
- निजता का अधिकार: अनुच्छेद 21, व्यक्ति के निजता के अधिकार की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि उनके प्राइवेट स्पेस का सामाजिक मानदंडों या निजी संस्थाओं द्वारा उल्लंघन न हो।
- उदाहरण के लिए: के. एस. पुट्टस्वामी केस (2017) ने निजता को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित किया, जिससे व्यक्तियों को मनमाने ढंग से निगरानी या हस्तक्षेप से सुरक्षा मिली।
- पसंद की स्वतंत्रता: अनुच्छेद 21 समाज के हस्तक्षेप के बिना संबंध बनाने की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिसमें अविवाहित जोड़े अपनी स्वायत्तता का प्रयोग करते हैं।
- उदाहरण के लिए: शफीन जहान केस (2020) ने विवाह-पूर्व संबंधों के बारे में सोशल जजमेंट को खारिज करते हुए व्यक्तियों के स्वतंत्र रूप से विवाह करने के अधिकार को बरकरार रखा।
- व्यक्तिगत गरिमा का अधिकार: अनुच्छेद 21, गरिमा के साथ जीने के अधिकार की रक्षा करता है, जिसमें वैवाहिक स्थिति के आधार पर भेदभाव के बिना निजी स्थान की माँग करने का अधिकार शामिल है।
- उदाहरण के लिए: नवतेज सिंह जौहर केस (2018) ने सामाजिक पूर्वाग्रहों के खिलाफ उनकी गरिमा की रक्षा करते हुए, सहमति से संबंध बनाने के व्यक्तियों के अधिकार को मजबूत किया।
- भेदभाव से संवैधानिक संरक्षण: अनुच्छेद 21 निजी संस्थाओं द्वारा मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किए जाने पर कानूनी सहारा लेने की अनुमति प्रदान करता है, जो भेदभावपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए: कौशल किशोर वाद (2023) में संवैधानिक अधिकारों का विस्तार किया गया जिससे व्यक्तियों को अनुच्छेद 21 के तहत निजी अभिकर्ताओं द्वारा किये गये उल्लंघन को चुनौती देने की सुविधा मिली।
- विविध रिश्तों की मान्यता: संविधान की विकसित होती व्याख्या यह सुनिश्चित करती है कि विवाह-पूर्व संबंधों सहित सभी प्रकार के रिश्तों को अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण दिया जाता है, जिससे उन्हें अपवर्जित होने से बचाया जा सके।
- उदाहरण के लिए: नवतेज सिंह जौहर वाद में LGBTQ+ अधिकारों को स्वीकार किया गया, जिसमें समानता और गोपनीयता के अधिकार के तहत पारंपरिक विवाह संरचनाओं से परे रिश्तों को मान्यता दी गई।
ऐसे हॉस्पिटैलिटी प्लेटफॉर्म्स के लिए आगे की राह
- समावेशी नीतियाँ: हॉस्पिटैलिटी प्लेटफॉर्म्स को ऐसी नीतियाँ अपनानी चाहिए जो सभी जोड़ों के साथ समान व्यवहार करें, चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो और बिना किसी भेदभाव के उन्हें प्राइवेट स्पेस प्रदान करे।
- उदाहरण के लिए: भारतीय होटल एसोसिएशन, भेदभाव को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी कर सकता है, जिससे अविवाहित जोड़ों के कमरे बुक करने के अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
- गोपनीयता सुरक्षा उपाय: व्यक्तियों की गोपनीयता का सम्मान करने वाली नीतियों को लागू करना चाहिए जिससे संवैधानिक अधिकारों का अनुपालन सुनिश्चित करता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय होटल चेन में इसी तरह की प्रथाएँ, आगंतुकों की गोपनीयता सुनिश्चित करती हैं और रिश्तों के विवरण का खुलासा किए बिना उनके अधिकारों की रक्षा करती हैं।
- अधिकारों के संबंध में कर्मचारी प्रशिक्षण: होटल और प्लेटफ़ॉर्म को कर्मचारियों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने और कानूनी मानकों का पालन करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए, जिससे सभी ग्राहकों के लिए समावेशी सेवा सुनिश्चित हो सके।
- उदाहरण के लिए: मैरियट होटल्स अपने कर्मचारियों को भेदभावपूर्ण व्यवहार से बचने के लिए प्रशिक्षित करता है, तथा कानूनी दायित्वों के अनुरूप ग्राहक सम्मान और गोपनीयता पर ध्यान केंद्रित करता है।
- स्पष्ट शिकायत निवारण तंत्र: प्लेटफॉर्म को उन ग्राहकों के लिए पारदर्शी शिकायत प्रणाली स्थापित करनी चाहिए जो मानते हैं कि उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया है, ताकि जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
- उदाहरण के लिए: Airbnb एक शिकायत निवारण प्रणाली प्रदान करता है जो मेजबानों द्वारा भेदभाव या गोपनीयता के उल्लंघन से संबंधित किसी भी शिकायत का समाधान करता है।
- भेदभाव विरोधी कानूनों की वकालत: हॉस्पिटैलिटी प्लेटफ़ॉर्म को ऐसे कानूनों का समर्थन और वकालत करनी चाहिए जो वैवाहिक स्थिति या अन्य निजी कारकों के आधार पर व्यक्तियों को भेदभाव से बचाते हैं।
- उदाहरण के लिए: Airbnb जैसे प्लेटफॉर्म, भेदभाव विरोधी कानून का समर्थन करते हैं और समावेशी सेवाओं को बढ़ावा देते हैं तथा विविध परिस्थितयों में ग्राहक अधिकारों की रक्षा करते हैं।
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अनुच्छेद 21 को कायम रखने से व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा होती है और कानून के समक्ष समानता सुनिश्चित होती है। सामाजिक मानदंडों में निहित नीतियों को स्वतंत्रता और गरिमा के संवैधानिक मूल्यों के साथ संरेखित किया जाना चाहिए। इन चिंताओं का समाधान करने के लिए न्यायिक और विधायी कार्रवाई की आवश्यकता है और निजी मामलों में व्यक्तिगत स्वायत्तता मजबूत होती है।
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