Q. "संविधान में संघवाद की अनुपस्थिति के बावजूद संघवाद भारत के संवैधानिक ढाँचे का अभिन्न अंग रहा है।" राजकोषीय संघवाद पर हालिया विवादों के संदर्भ में भारत के संघीय ढाँचे द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों एवं अवसरों की जाँच कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • चर्चा कीजिए कि संविधान की पुस्तक में संघवाद की अनुपस्थिति के बावजूद यह भारत के संवैधानिक ढाँचे का अभिन्न अंग कैसे रहा है।
  • राजकोषीय संघवाद पर हाल के विवादों के संदर्भ में भारत के संघीय ढाँचे द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
  • राजकोषीय संघवाद पर हाल के विवादों के संदर्भ में भारत के संघीय ढाँचे द्वारा प्रस्तुत अवसरों का परीक्षण कीजिए।

उत्तर

संघवाद, हालांकि संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है परंतु यह इसके शासन को निर्देशित करने वाला एक आधारभूत सिद्धांत रहा है। यह अनूठी संरचना, जिसे अक्सर केसी व्हीयर द्वारा अर्ध-संघीय के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह केंद्र सरकार और राज्यों के बीच सत्ता के बंटवारे की सुविधा प्रदान करती है। राजकोषीय संघवाद पर हाल के विवादों ने समान संसाधन वितरण और राजकोषीय मामलों में राज्यों की स्वायत्तता के संबंध में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

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संघवाद, भारत के संवैधानिक ढाँचे का अभिन्न अंग है

  • मूल संरचना सिद्धांत का हिस्सा: संघवाद शब्द का उल्लेख हालाँकि संविधान  में नहीं किया गया है, परंतु यह संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है। 
    • उदाहरण के लिए: सुप्रीम कोर्ट ने S.R. Bommai बनाम भारत संघ (1994) वाद में राज्य की स्वायत्तता की रक्षा करते हुए राष्ट्रपति शासन के दुरुपयोग को प्रतिबंधित किया।
  • शक्तियों का संतुलित विभाजन: संविधान में संघ और राज्यों के बीच विधायी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियों को तीन अलग-अलग सूचियों (सातवीं अनुसूची) में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है । 
    • उदाहरण के लिए: राज्य कृषि, कानून और व्यवस्था तथा स्थानीय शासन को नियंत्रित करते हैं, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में क्षेत्रीय स्वायत्तता मिलती है।
  • सहकारी संघवाद ढाँचा: भारत में शासन सहकारी संघवाद पर बल देता है, जिसमें नीति आयोग और GST परिषद जैसी अंतर-सरकारी संस्थाएं सहयोग को बढ़ावा देती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: GST परिषद, संघ और राज्य सरकारों के बीच आम सहमति के माध्यम से कर-संबंधी मुद्दों को हल करती है।
  • संघीय सिद्धांतों का न्यायिक सुदृढ़ीकरण: भारत की न्यायपालिका ने ऐतिहासिक निर्णयों के माध्यम से संघवाद को मजबूत किया है, जिससे केंद्र-राज्य संतुलन को बनाए रखते हुए राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित हुई है। 
    • उदाहरण के लिए: दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ (2024) के निर्णय ने निर्वाचित दिल्ली सरकार के सेवाओं पर अधिकार को बरकरार रखा।
  • संघीय ढाँचे में आपातकालीन लचीलापन: भारत का अर्ध-संघीय ढाँचा राष्ट्रीय संकटों के दौरान अनुकूलनशीलता सुनिश्चित करता है, जिसमें संवैधानिक प्रावधानों के तहत शक्तियों का अस्थायी केंद्रीकरण होता है। 
    • उदाहरण के लिए: केंद्र ने एकरूपी उपायों के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम का उपयोग करते हुए COVID-19 के दौरान देशव्यापी लॉकडाउन लगाया।

राजकोषीय संघवाद में भारत के संघीय ढाँचे द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ

  • राजकोषीय शक्तियों का केंद्रीकरण: वस्तु एवं सेवा कर (GST) के लागू होने से अधिकांश अप्रत्यक्ष कर समाप्त हो गए, जिससे राजस्व जुटाने में राज्यों की स्वायत्तता कम हो गई।
    • उदाहरण के लिए: GST क्षतिपूर्ति भुगतान में हुई देरी ने राज्यों की राजकोषीय क्षमता को और अधिक प्रभावित किया है, विशेष रूप से COVID-19 जैसे संकट के दौरान।
  • केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व असंतुलन: वित्त आयोग का आवंटन फॉर्मूला अक्सर असमानता उत्पन्न करता है क्योंकि संसाधन संपन्न राज्य अधिक योगदान करते हैं लेकिन उन्हें अनुपातहीन रूप से कम धन मिलता है। 
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु और केरल जैसे दक्षिणी राज्यों ने अधिक राजस्व योगदान करने के बावजूद, वित्त आयोग से कम आवंटन प्राप्त करने की आलोचना की।
  • केंद्र प्रायोजित योजनाएँ: केंद्र प्रायोजित योजनाएं (CSS) अक्सर राज्य-स्तरीय प्राथमिकताओं को सीमित कर देती हैं, जिससे राज्यों को पहले से तय केंद्रीय योजनाओं के साथ व्यय को संरेखित करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। 
    • उदाहरण के लिए: PMAY आवास योजना को फंडिंग पैटर्न के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा जो राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहा।
  • उधार पर अत्यधिक निर्भरता: राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम के तहत लगाये गये प्रतिबंध राज्यों की राजकोषीय गतिशीलता को सीमित करते हैं, जिससे उन्हें पूंजीगत व्यय के लिए उधार पर निर्भर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
  • जनसंख्या आधारित परिसीमन असंतोष: आगामी परिसीमन अभ्यास उन राज्यों को हाशिए पर डाल सकता है जिन्होंने जनसंख्या वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया है, जिससे संसद में उनका प्रतिनिधित्व कम हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए: केरल जैसे दक्षिणी राज्य, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे अधिक आबादी वाले राज्यों को लाभ पहुंचाने वाले परिसीमन का विरोध करते हैं।
  • केंद्र द्वारा राज्य उधार प्रतिबंध: केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई उधार सीमाएँ, कल्याणकारी और विकासात्मक नीतियों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों की राजकोषीय स्वतंत्रता को काफी हद तक सीमित कर देती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु ने वर्ष 2023 में अपने कल्याण-संचालित उधार पहलों को प्रभावित करने वाले प्रतिबंधों के खिलाफ आपत्तियां उठाईं।

राजकोषीय संघवाद में भारत के संघीय ढाँचे द्वारा प्रस्तुत अवसर

  • सहकारी संघवाद को मजबूत करना: GST परिषद की संरचना,समावेशिता को बढ़ावा देती है और कराधान व राजकोषीय नीति निर्णयों में केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देती है। 
    • उदाहरण के लिए: परिषद ने खाद्यान्न जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कर दर विवादों को आपसी समझौते के माध्यम से सफलतापूर्वक हल किया।
  • विकास के लिए स्थानीय संसाधन आवंटन: संघवाद, लक्षित संसाधन आवंटन को सक्षम बनाता है जिससे राज्यों को अपने क्षेत्रों की विशिष्ट विकासात्मक और आर्थिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलती है। 
    • उदाहरण के लिए: पूर्वोत्तर राज्यों को उत्तर पूर्व विशेष अवसंरचना विकास योजना (NESIDS) से काफी लाभ मिलता है।
  • केन्द्र प्रायोजित योजनाओं की पुनःकल्पना: राज्यों को केन्द्र प्रायोजित योजनाओं के कार्यान्वयन में अधिक लचीलापन प्रदान करने से यह सुनिश्चित होता है कि योजनाएं स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाई जाएं।
  • राज्यों में नीतिगत नवाचार को प्रोत्साहित करना: स्वायत्तता, राज्यों को स्थानीय सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं और चुनौतियों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने वाली अनुरूपित, नवीन नीतियों के साथ प्रयोग करने की अनुमति देती है।
    • उदाहरण के लिए: केरल के कुदुम्बश्री कार्यक्रम ने माइक्रोफाइनेंस के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया और इसी तरह के कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय मानक स्थापित किया।
  • क्षेत्रीय पहचान और स्वायत्तता का संरक्षण: राजकोषीय संघवाद सुनिश्चित करता है कि राज्य क्षेत्रीय भाषा, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को बनाए रख सकें , जिससे संघ के भीतर विविधता को बढ़ावा मिले।
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु अपने वार्षिक राज्य बजट में तमिल भाषा के संवर्धन और विकास के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित करता है।
  • समन्वय के माध्यम से बेहतर संकट प्रतिक्रिया: संघवाद, संकट के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के बीच कुशल समन्वय की सुविधा प्रदान करता है, जिससे आपदा प्रबंधन प्रयासों और संसाधन साझाकरण में वृद्धि होती है। 
    • उदाहरण के लिए: पश्चिम बंगाल ने राहत और पुनर्वास उपायों के लिए चक्रवात अम्फान (2020) के दौरान केंद्र के साथ प्रभावी ढंग से सहयोग किया।

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भारत के संघीय ढाँचे को राजकोषीय संघवाद द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए विकसित किया जाना चाहिए। अंतर-राज्यीय सहयोग को मजबूत करना, संसाधन वितरण तंत्र को बढ़ाना और स्थानीय सरकारों को सशक्त बनाना, सतत विकास सुनिश्चित करेगा। अधिक न्यायसंगत और सामंजस्यपूर्ण संघीय ढाँचे को बढ़ावा देने के लिए केंद्र-राज्य संबंधों के प्रति संतुलित दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण है।

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