प्रश्न की मुख्य माँग
- प्रतिबंधों के तहत AI विकास में डीपसीक की सफलता ने यह दर्शाया है कि प्रतिबंध, नवाचार को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं।
- भारत की तकनीकी उन्नति, वैश्विक शक्ति गतिशीलता और नैतिक शासन के लिए इसके निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए।
- चर्चा कीजिए कि बहुध्रुवीय विश्व में AI के लोकतंत्रीकरण और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जा सकता है।
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उत्तर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर बड़े पैमाने पर तकनीकी दिग्गजों द्वारा विकसित संसाधन-गहन मॉडलों का प्रभुत्व रहा है। हालाँकि, डीपसीक की सफलता इस प्रतिमान को चुनौती देती है, यह साबित करके कि नवाचार बाधाओं के तहत पनप सकता है। व्यापार प्रतिबंधों और सीमित संसाधनों के तहत विकसित , यह दक्षता-संचालित AI की ओर एक बदलाव का संकेत देता है, जो भारत जैसे देशों के लिए महत्त्वपूर्ण सबक प्रदान करता है।
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डीपसीक की सफलता दर्शाती है कि बाधाएँ नवाचार को बढ़ावा देती हैं
- आवश्यकता-संचालित नवाचार: उन्नत GPU और पश्चिमी तकनीक तक पहुँच की कमी ने डीपसीक को नवाचार करने के लिए मजबूर किया, जिससे यह साबित हुआ कि बाधाओं से अधिक स्मार्ट और अधिक कुशल समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: चीन के सेमीकंडक्टर प्रतिबंधों ने हुवावे के एसेंड 910 जैसे स्वदेशी AI चिप्स के विकास को बढ़ावा दिया, जिससे अमेरिका में बने Nvidia GPU पर निर्भरता कम हो गई।
- स्केल के बजाय दक्षता: डीपसीक की सफलता इस धारणा को चुनौती देती है कि AI की प्रगति के लिए विशाल कम्प्यूटेशनल शक्ति की आवश्यकता होती है, यह दर्शाता है कि बेहतर डिज़ाइन से यह संभव किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत की आधार बायोमेट्रिक प्रणाली का विकास, महंगी पश्चिमी तकनीकों के बजाय लागत प्रभावी सॉफ़्टवेयर नवाचारों पर निर्भर था।
- वैकल्पिक शोध पद्धतियाँ: सीमित संसाधनों के साथ, डीपसीक ने संभवतः डेटा उपयोग और प्रशिक्षण विधियों को अनुकूलित किया है जिससे यह साबित होता है कि बेहतर एल्गोरिदम के साथ AI दक्षता हासिल की जा सकती है।
- उदाहरण के लिए: गूगल के अल्फागो जीरो (AlphaGo Zero) ने ह्यूमन गेमप्ले के विशाल डेटासेट पर निर्भर रहने के बजाय सुदृढीकरण लर्निंग के माध्यम से स्वयं को प्रशिक्षित करके पिछले मॉडलों को पीछे छोड़ दिया।
- ओपन-सोर्स AI का त्वरण: अपने मॉडल को ओपन-सोर्स करके, डीपसीक ने AI विकास को लोकतांत्रिक बनाया, जिससे दुनिया भर के शोधकर्ताओं को भारी निवेश की आवश्यकता के बिना AI क्षेत्र में विकास करने की सुविधा प्राप्त हुई।
- उदाहरण के लिए: मेटा की कॉर्पोरेट सहायता के बावजूद, फेसबुक के पायटॉर्च फ्रेमवर्क ने लघु AI स्टार्टअप्स को डीप लर्निंग रिसर्च के मामले में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद की।
- वैश्विक प्रतिबंधों को दरकिनार करना: डीपसीक की सफलता इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे भू-राजनीतिक प्रतिबंध, प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे AI हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर में प्रमुख देशों पर निर्भरता कम हो सकती है।
- उदाहरण के लिए: पश्चिमी प्रतिबंधों का सामना करने के बाद, रूस ने कंप्यूटिंग क्षेत्रों में तकनीकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए एल्ब्रस माइक्रोप्रोसेसरों का विकास किया।
भारत की तकनीकी उन्नति, वैश्विक शक्ति गतिशीलता और नैतिक शासन के लिए निहितार्थ
तकनीकी उन्नति
- AI अनुप्रयोगों में अग्रणी होने का अवसर: यह देखते हुए कि AI की सफलता का एकमात्र निर्धारक केवल पैमाना नहीं है, भारत स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शासन के लिए AI-संचालित समाधानों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।
- उदाहरण के लिए: AI-संचालित ‘किसान सुविधा’ ऐप किसानों को मौसम पूर्वानुमान, बाजार मूल्य और परामर्श सेवाएँ प्रदान करता है।
- भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा: ओपन-सोर्स AI मॉडल प्रवेश बाधाओं को कम करते हैं जिससे भारतीय स्टार्टअप लागत प्रभावी AI एप्लिकेशन विकसित करने में सक्षम होते हैं।
- उदाहरण के लिए: बेंगलुरु स्थित निरमाई (NIRAMAI) ने थर्मल इमेजिंग का उपयोग करके एक AI-संचालित स्तन कैंसर का पता लगाने वाली प्रणाली विकसित की जिसके परिणाम स्वरूप महंगी मैमोग्राफी मशीनों से बचा जा सकता है और साथ ही प्रारंभिक निदान दरों में सुधार भी किया जा सकता है।
वैश्विक शक्ति गतिशीलता
- पश्चिमी AI प्रभुत्व को चुनौती: डीपसीक की सफलता ने अमेरिका के नेतृत्व वाले AI एकाधिकार को बाधित किया है, जिससे भारत को पश्चिमी तकनीकों पर निर्भरता के बिना AI में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- उदाहरण के लिए: “भारत-जापान डिजिटल भागीदारी” के तहत सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिए जापान के साथ भारत का सहयोग, Intel और Nvidia जैसी कंपनियों पर निर्भरता को कम करता है।
- AI कूटनीति में रणनीतिक लाभ: भारत अन्य विकासशील देशों के साथ लागत प्रभावी AI समाधानों का लाभ उठा सकता है, जिससे उसका भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत की UPI से प्रेरित ‘डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ पहल को भूटान और नेपाल जैसे देशों में अपनाया जा रहा है।
नैतिक शासन
- ओपन-सोर्स AI का विनियमन: AI के लोकतंत्रीकरण से दुरुपयोग का जोखिम बढ़ जाता है अत: जिम्मेदार AI विकास सुनिश्चित करने हेतु मजबूत नियामक ढाँचे की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण के लिए: भारत के डिजिटल इंडिया अधिनियम के प्रारूप में डीपफेक मिसइन्फॉर्मेशन और पक्षपातपूर्ण निर्णयन को रोकने के लिए AI मॉडल पर सख्त निगरानी का प्रस्ताव किया गया है।
- सामाजिक कल्याण के लिए AI: भारत को शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे समाज को लाभ पहुँचाने वाले अनुप्रयोगों को प्राथमिकता देकर AI नवाचार को नैतिक विचारों के साथ संतुलित करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ‘दीक्षा’ शिक्षा मंच में AI-संचालित चैटबॉट दूरस्थ शिक्षा में छात्रों और शिक्षकों की सहायता करते हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल विभाजन कम होता है।
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AI के लोकतंत्रीकरण और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन
- वैश्विक AI गवर्नेंस फ्रेमवर्क: नवाचार के लिए सुलभता को बढ़ावा देते हुए AI के दुरुपयोग को नियंत्रित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिए: यूरोपीय संघ के AI अधिनियम का उद्देश्य AI अनुप्रयोगों को जोखिम स्तरों के आधार पर वर्गीकृत करना है, जिससे तकनीकी विकास को बढ़ावा देते हुए सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
- AI पर राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियाँ: AI मॉडल का द्वेषपूर्ण अभिकर्ताओं द्वारा शोषण किए जाने से रोकने के लिए, सरकारों को साइबर सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: अमेरिका और ब्रिटेन ने AI के संभावित सैन्य अनुप्रयोगों को सीमित करने के लिए चीन को होने वाले AI चिप निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- नैतिक AI उपयोग मानक: ओपन-सोर्स AI को दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इसका उपयोग गलत सूचना, निगरानी दुरुपयोग या साइबर युद्ध के लिए न किया जाये।
- उदाहरण के लिए: भारत के नीति आयोग ने AI-संचालित शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान केंद्रित करते हुए ‘AI फॉर ऑल’ सिद्धांतों का प्रस्ताव रखा।
- AI सुरक्षा में सार्वजनिक-निजी सहयोग: सरकारों को तकनीकी फर्मों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि AI की प्रगति सुरक्षित हो और समाज को लाभ पहुंचाए।
- उदाहरण के लिए: माइक्रोसॉफ्ट ने AI-संचालित सरकारी सेवाओं में साइबर सुरक्षा बढ़ाने के लिए भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय के साथ सहयोग किया है।
- AI रक्षा तंत्र में निवेश: AI-संचालित खतरे का पता लगाने वाली प्रणालियों को विकसित करने से ओपन-सोर्स AI के दुरुपयोग से जुड़े जोखिमों को कम किया जा सकता है।
- उदाहरण के लिए: भारत का DRDO, रियलटाइम साइबर खतरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए AI-आधारित साइबर रक्षा उपकरणों में निवेश कर रहा है।
डीपसीक की सफलता इस बात को रेखांकित करती है, कि बुद्धिमत्ता प्रगति को बढ़ावा देती है। भारत के लिए, यह किफायती नवाचार का लाभ उठाने और वैश्विक AI हब के रूप में उभरने का अवसर प्रस्तुत करता है। हालाँकि, दुरुपयोग को रोकने के लिए जिम्मेदार AI शासन सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। विनियमन, सहयोग और नैतिक सुरक्षा उपायों को एकीकृत करने वाला एक संतुलित दृष्टिकोण, भविष्य के भू-राजनीतिक और तकनीकी परिदृश्य को आकार देने में AI की भूमिका तय करेगा।
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