Q. भारत की तकनीकी क्षमता के बावजूद, एक संप्रभु AI मॉडल विकसित करने में बुनियादी ढाँचे से लेकर वित्तीय बाधाओं तक कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक सीमाओं के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण सुझाते हुए भारत की स्वदेशी AI क्षमताओं की आवश्यकता का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • इस बात पर प्रकाश डालिये कि किस प्रकार भारत को अपनी तकनीकी क्षमता के बावजूद संप्रभु AI मॉडल विकसित करने में बुनियादी ढाँचे से लेकर वित्तीय बाधाओं तक अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • भारत की स्वदेशी AI क्षमताओं की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  • आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक सीमाओं के बीच एक संतुलित दृष्टिकोण का सुझाव दीजिये।

उत्तर

मशीनों में मानवीय बुद्धिमत्ता का अनुकरण करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) ने वैश्विक उद्योगों में क्रांति ला दी है, जिससे नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला है। भारत जो एक वैश्विक IT पावरहाउस है, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप संप्रभु AI मॉडल का उपयोग करने की आकांक्षा रखता है। हालाँकि, उच्च लागत और वैश्विक निर्भरताएँ, स्वदेशी AI क्षमताओं को बढ़ावा देने और मौजूदा वैश्विक संसाधनों का कुशलतापूर्वक लाभ उठाने के बीच तालमेल बनाने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

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संप्रभु AI मॉडल विकसित करने में चुनौतियाँ

  • उन्नत चिप निर्माण क्षमता का अभाव: भारत में बड़े AI मॉडल के प्रशिक्षण के लिए आवश्यक अत्याधुनिक चिप निर्माण सुविधाओं का अभाव है, जिसके कारण GPU और प्रोसेसर के आयात पर बहुत अधिक निर्भरता है। 
    • उदाहरण के लिए: Huawei के HiSilicon चिप्स का उपयोग वैश्विक स्तर पर AI अनुसंधान में किया जाता है, लेकिन भारत के पास पुरानी पीढ़ी के चिप्स के उत्पादन के लिए ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) जैसी फर्मों के साथ कोई अनुबंध नहीं है।
  • विकास की उच्च लागत: एक आधारभूत एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए सैकड़ों मिलियन डॉलर की आवश्यकता होती है, जिसे भारत के सीमित R&D बजट और अन्य महत्त्वपूर्ण प्राथमिकताओं को देखते हुए आवंटित करना मुश्किल है। 
    • उदाहरण के लिए: Deepseek V3 को प्रशिक्षित करने में एक बार के लिए 5.6 मिलियन डॉलर की लागत आती है, जबकि भारत का समग्र AI विकास बजट सालाना भी बहुत कम है।
  • विखंडित संसाधन आवंटन: सब्सिडी वाले GPU क्लस्टर स्टार्टअप और शिक्षा जगत में कम कार्य कर रहे  हैं, जिससे मूलभूत AI मॉडल विकास के लिए आवश्यक केंद्रित निवेश की दक्षता कम हो जाती है। 
    • उदाहरण के लिए: सरकार का सब्सिडी कार्यक्रम, मददगार होते हुए भी, छोटी मात्रा में GPU प्रदान करता है, जो मेटा के Llama 4 जैसे बड़े पैमाने के AI मॉडल प्रशिक्षण के लिए अपर्याप्त है, जिसके लिए समर्पित क्लस्टर की आवश्यकता होती है।
  • मालिकाना और खुले मॉडल पर निर्भरता: भारत ओपन-सोर्स मॉडल और Deepseek R1 पर निर्भर करता है क्योंकि संप्रभु मॉडल की कमी के कारण यह बाह्य निर्भरता के प्रति सुभेद्य है। 
    • उदाहरण के लिए: यदि हुवावे पर लगाए गए प्रतिबंधों के समान प्रतिबंध लागू किए जाते हैं, तो भारत मौजूदा ओपन-सोर्स मॉडल पर निर्भर होगा, जो AI नवाचार में वास्तविक स्वतंत्रता को सीमित करता है।
  • सार्वजनिक अनुसंधान एवं विकास प्रणालियों में अक्षमता: भारत की सार्वजनिक खरीद प्रणाली, मूलभूत AI अनुसंधान में सफलता के लिए आवश्यक ट्रॉयल एंड एरर दृष्टिकोण को हतोत्साहित करती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत में बड़े पैमाने की AI परियोजनाओं को डीपमाइंड या OpenAI के विपरीत स्वायत्त व्यय प्राधिकरण हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो लचीले और उच्च जोखिम वाले R&D बजट के साथ काम करते हैं।

भारत की स्वदेशी AI क्षमताओं की आवश्यकता

  • राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता: स्वदेशी AI क्षमताओं का विकास रक्षा, शासन और बुनियादी ढांचे जैसे महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोगों में सुरक्षा सुनिश्चित करता है और उन्हें संभावित प्रतिबंधों या साइबर खतरों से बचाता है। 
    • उदाहरण के लिए: AI के लिए उन्नत चिप्स पर अमेरिकी निर्यात नियंत्रण, भारत की AI प्रगति को बाधित कर सकता है, जिससे विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता को रोकने के लिए घरेलू विकल्पों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला जा सकता है।
  • आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता: आधारभूत मॉडलों के निर्माण से भारत एक वैश्विक AI नवप्रवर्तक के रूप में स्थापित होगा, निवेश आकर्षित होगा तथा स्टार्टअप्स और व्यवसायों के लिए एक मजबूत AI पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा।
  • भारतीय आवश्यकताओं के लिए स्थानीयकृत समाधान: संप्रभु AI मॉडल, भारत की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को पूरा कर सकते हैं और 22 से अधिक अनुसूचित भाषाओं व विभिन्न बोलियों के लिए सटीक और सुलभ समाधान प्रदान कर सकते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: AI4Bharat की IndicTrans2 परियोजना दर्शाती है कि कैसे स्थानीयकृत AI उपकरण, भारत की बहुभाषी आबादी की अनूठी आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से और किफायती तरीके से पूरा करते हैं।
  • प्रतिभा और नवाचार को बढ़ावा देना: स्वदेशी AI मॉडल विकसित करने से भारत के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में वृद्धि होगी और प्रतिभाओं को बढ़ावा मिलेगा, जिससे यह AI क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा और वैश्विक AI अनुसंधान का केंद्र बनेगा।
  • वैश्विक बाजारों में रणनीतिक लाभ: संप्रभु AI मॉडल भारत को वैश्विक बाजारों में अद्वितीय समाधान प्रदान करने की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे विदेशी AI पर निर्भरता कम होती है और भारत को प्रौद्योगिकी नेतृत्वकर्ता के रूप में स्थापित किया जाता है। 
    • उदाहरण के लिए: सीमित संसाधनों के साथ AI के निर्माण में अलीबाबा की सफलता दर्शाती है कि स्थानीयकृत AI में रणनीतिक निवेश से वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी समाधान कैसे प्राप्त किए जा सकते हैं।

आत्मनिर्भरता और व्यावहारिक सीमाओं के बीच संतुलित दृष्टिकोण

  • डोमेन-विशिष्ट AI मॉडल पर ध्यान देना: आधारभूत मॉडल में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, भारत को स्वास्थ्य सेवा, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए डोमेन-विशिष्ट AI पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिससे इसकी अनूठी स्थानीय आवश्यकताओं का लाभ उठाया जा सके। 
    • उदाहरण के लिए: AI4Bharat का IndicTrans2 भारतीय भाषा अनुवादों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो ChatGPT जैसे आधारभूत मॉडल के लिए आवश्यक विशाल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता के बिना भाषाई विविधता को संबोधित करता है।
  • वैश्विक AI नेतृत्वकर्ताओं के साथ सहयोग करना: प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यमों के लिए वैश्विक तकनीकी फर्मों के साथ रणनीतिक साझेदारी करनी चाहिए, जिससे लागत कम हो और अत्याधुनिक AI अनुसंधान में विशेषज्ञता प्राप्त हो। 
    • उदाहरण के लिए: भारत GPU क्लस्टर के लिए Nvidia के साथ साझेदारी कर सकता है या OpenAI के साथ सहयोग करके स्थानीय आवश्यकताओं हेतु मौजूदा मॉडलों को नए सिरे से बनाने के बजाय अनुकूलित कर सकता है।
  • संसाधन आवंटन को अनुकूलित करना: उच्च प्रभाव वाले परिणामों वाली परियोजनाओं के लिए सब्सिडी वाले GPU क्लस्टर और R&D व्यय को प्राथमिकता देनी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो कि संसाधनों को स्केलेबल और व्यावहारिक नवाचारों की ओर निर्देशित किया जाए।
  • AI प्रतिभा विकास को मजबूत करना: शैक्षणिक कार्यक्रमों और सार्वजनिक-निजी अनुसंधान सहयोग में निवेश करना चाहिए ताकि एक मजबूत शAI कार्यबल का निर्माण किया जा सके जो आधारभूत और अनुप्रयुक्त AI प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने में सक्षम हो। 
    • उदाहरण के लिए: IIT और NIT में AI-केंद्रित उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने से भारत के बढ़ते AI पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिभा प्रतिधारण और नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है।
  • बाधाओं के तहत नवाचार को बढ़ावा देना: अलीबाबा के दृष्टिकोण के समान, स्टार्टअप और शिक्षाविदों को संसाधन सीमाओं के भीतर नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। 
    • उदाहरण के लिए: डीपसीक की लागत-कुशल AI मॉडल ट्रेनिंग भारत के लिए वृद्धिशील पैमाने पर किफायती बुनियादी ढाँचे का उपयोग करके नवाचार करने हेतु एक प्रेरणा के रूप में कार्य करती है।

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सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर, अनुसंधान एवं विकास निवेश को प्राथमिकता देकर और वैश्विक सहयोग का लाभ उठाकर “AI फॉर इंडिया,मेड इन‌ इंडिया” की कल्पना, एक वास्तविकता बन सकती है। आत्मनिर्भरता और संसाधन अनुकूलन को मिलाकर चरणबद्ध रणनीति, भारत को सीमाओं को संबोधित करते हुए, तकनीकी नेतृत्व सुनिश्चित करते हुए और AI-संचालित भविष्य में समावेशी विकास को आगे बढ़ाते हुए संप्रभु AI क्षमताओं को विकसित करने में सशक्त बनाएगी।

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