प्रश्न की मुख्य माँग
- राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति पर प्रकाश डालिए।
- उन प्रणालीगत चुनौतियों पर प्रकाश डालें जिनके कारण भारत का तपेदिक (TB) को खत्म करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य धीमी गति से आगे बढ़ रहा है।
- TB नियंत्रण में प्रमुख बाधाओं की जाँच कीजिए।
- एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण सुझाएँ जो भारत में TB उन्मूलन में योगदान दे सकता है।
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उत्तर
तपेदिक (TB) भारत में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है, जो वैश्विक TB बोझ (WHO ग्लोबल TB रिपोर्ट 2023) का 27% है। निक्षय पोषण योजना एवं PM-TB मुक्त भारत अभियान के तहत शुरू किए गए राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) का लक्ष्य वर्ष 2025 तक TB को खत्म करना है, लेकिन दवा प्रतिरोध, कलंक तथा स्वास्थ्य सेवा अंतराल के कारण प्रगति बाधित है।
राष्ट्रीय TB उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) द्वारा की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति
- सार्वभौमिक औषधि संवेदनशीलता परीक्षण (Universal Drug Susceptibility Testing- UDST): NTEP ने आणविक निदान सुविधाओं का विस्तार किया है, जिससे TB रोगियों के लिए शीघ्र पहचान एवं दवा प्रतिरोध प्रोफाइलिंग सुनिश्चित हुई है।
- उदाहरण के लिए: CBNAAT एवं TruNat मशीनों की शुरूआत ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेटिंग्स में तेजी से तथा अधिक सटीक TB का पता लगाने में सक्षम बनाया है।
- निक्षय पोषण योजना (Nikshay Poshan Yojana- NPY): प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer- DBT) योजना TB रोगियों को पोषण सहायता के लिए प्रति माह ₹1,000 प्रदान करती है, जो उपचार पालन के एक प्रमुख निर्धारक को संबोधित करती है।
- उदाहरण के लिए: अब तक, 1.13 करोड़ TB रोगियों को इस योजना से लाभ हुआ है, जिससे कुपोषण से संबंधित जटिलताओं में कमी आई है।
- TB निवारक चिकित्सा (TB Preventive Therapy- TPT) विस्तार: सरकार ने TB रोगियों के घरेलू संपर्कों के लिए निवारक उपचार को बढ़ावा दिया है, जिससे नए संक्रमण कम हुए हैं।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: NTEP ने TB के मामलों की रिपोर्ट करने एवं उनका इलाज करने के लिए निजी क्लीनिकों, अस्पतालों तथा गैर सरकारी संगठनों को एकीकृत किया है, जिससे कम रिपोर्टिंग में अंतर कम हुआ है।
- उदाहरण के लिए: TB उन्मूलन के लिए संयुक्त प्रयास (Joint Effort for Elimination of Tuberculosis- JEET) कार्यक्रम ने निजी चिकित्सकों से TB के मामलों की अधिसूचना में वृद्धि की है।
- AI एवं डिजिटल स्वास्थ्य एकीकरण: निक्षय 2.0, एक वास्तविक समय TB ट्रैकिंग प्रणाली को अपनाने से उपचार की निगरानी तथा निगरानी में वृद्धि हुई है।
- उदाहरण के लिए: AI-आधारित 99DOTS एवं MERM को रोगी अनुपालन ट्रैकिंग के लिए तैनात किया गया है, जिससे TB उपचार में ड्रॉपआउट कम हो गया है।
भारत की TB उन्मूलन प्रगति में बाधा डालने वाली प्रणालीगत चुनौतियाँ
- निदान अंतराल: प्रगति के बावजूद, ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी आणविक निदान तक पहुँच की कमी है, जिससे TB का जल्दी पता लगाने में देरी हो रही है।
- दवा स्टॉक की कमी एवं प्रतिरोध: असंगत दवा आपूर्ति एवं बढ़ती बहु-दवा प्रतिरोधी TB (MDR-TB) उपचार की सफलता दरों को जटिल बनाती है।
- उदाहरण के लिए: कई राज्यों ने रिफैम्पिसिन एवं बेडाक्विलाइन की कमी की सूचना दी, जिससे TB उपचार निरंतरता प्रभावित हुई।
- सामाजिक कलंक एवं मानसिक स्वास्थ्य: TB रोगियों को बहिष्कार का सामना करना पड़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं एवं समय पर उपचार लेने में अनिच्छा होती है।
- कमजोर सार्वजनिक-निजी समन्वय: निजी क्षेत्र की अधिसूचनाएँ अधूरी रहती हैं, जिससे कम रिपोर्टिंग एवं अनियमित TB उपचार पद्धतियाँ होती हैं।
- खराब पोषण एवं आर्थिक सहायता: वित्तीय कठिनाइयों के कारण कई TB रोगी उपचार बंद करने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिससे स्वास्थ्य परिणाम खराब हो जाते हैं।
TB नियंत्रण में मुख्य बाधाएँ
- अपर्याप्त सामुदायिक जागरूकता: कम स्वास्थ्य साक्षरता के कारण स्वास्थ्य संबंधी व्यवहार में देरी होती है एवं उपचार का पालन नहीं होता।
- सीमित मानसिक स्वास्थ्य सहायता: TB के रोगी अवसाद एवं चिंता से पीड़ित होते हैं, जिससे उनका उपचार पूरा करने की क्षमता प्रभावित होती है।
- अधिक भीड़भाड़ एवं खराब रहने की स्थिति: खराब वेंटिलेशन एवं स्वच्छता के कारण झुग्गी-झोपड़ियाँ, जेल तथा श्रम शिविर TB हॉटस्पॉट के रूप में काम करते हैं।
- मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट TB (MDR-TB) संकट: खराब उपचार अनुपालन एवं तर्कहीन एंटीबायोटिक उपयोग के कारण MDR-TB के मामले बढ़ रहे हैं।
- नई TB दवाओं एवं टीकों को अपनाने में देरी: विनियामक देरी प्रभावी, कम अवधि की दवा व्यवस्था एवं टीकों की शुरूआत में बाधा डालती है।
- उदाहरण के लिए: बेडाक्विलाइन-प्रीटोमैनिड-लाइनज़ोलिड (BPaL) व्यवस्था, जो MDR-TB के लिए गेम-चेंजर है, का रोलआउट अभी भी सीमित है।
भारत में TB उन्मूलन के लिए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण
- प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करना: सभी जिलों में आणविक निदान सुविधाओं का विस्तार करना एवं आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों के साथ TB सेवाओं को एकीकृत करना।
- उदाहरण के लिए: मोबाइल TB डायग्नोस्टिक इकाइयाँ दूरदराज के आदिवासी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँच में सुधार कर सकती हैं।
- पोषण एवं आर्थिक सहायता: TB रोगियों के लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण, राशन सहायता एवं सामुदायिक रसोई का विस्तार करें।
- उदाहरण के लिए: निक्षय पोषण योजना के लाभों को दोगुना करने से उपचार के पालन एवं रिकवरी में सुधार हो सकता है।
- निजी क्षेत्र की जवाबदेही: निजी डॉक्टरों के लिए सख्त रिपोर्टिंग प्रोटोकॉल अनिवार्य करें एवं गुणवत्तापूर्ण उपचार व्यवस्था सुनिश्चित करें।
- उदाहरण के लिए: निजी TB मामले की अधिसूचनाओं को प्रोत्साहनों से जोड़ने से रिपोर्टिंग दरों में सुधार हो सकता है।
- सामाजिक कलंक से निपटना: राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान, उत्तरजीवी के नेतृत्व वाली वकालत एवं सामुदायिक TB चैंपियन भेदभाव से लड़ सकते हैं।
- उदाहरण के लिए: स्कूली पाठ्यक्रमों में TB जागरूकता को शामिल करने से कम उम्र से ही कलंक को कम किया जा सकता है।
- तकनीकी नवाचार: AI-संचालित टेलीमेडिसिन, स्मार्ट पिल बॉक्स एवं स्वचालित अनुपालन ट्रैकिंग उपचार की सफलता में सुधार कर सकते हैं।
TB मुक्त भारत को प्राप्त करने के लिए मजबूत स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे, सामाजिक समर्थन एवं तकनीकी नवाचार को एकीकृत करने वाले एक सहक्रियात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सक्रिय मामलों का पता लगाने, पोषण सहायता तथा AI-संचालित निदान को मजबूत करने से प्रगति में तेजी आ सकती है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी, सामुदायिक जुड़ाव एवं एक-स्वास्थ्य रणनीतियों को आयुष्मान भारत तथा निक्षय पोषण योजना के साथ संरेखित किया जाना चाहिए, ताकि वर्ष 2025 तक एक लचीला, रोगी-केंद्रित TB उन्मूलन रोडमैप सुनिश्चित किया जा सके।
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