प्रश्न की मुख्य माँग
- STEM क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों पर प्रकाश डालिये।
- चर्चा कीजिए कि विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों के बावजूद भी भारत में STEM क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम क्यों है।
- उन सामाजिक-सांस्कृतिक और संस्थागत बाधाओं पर चर्चा कीजिए जो उनकी भागीदारी में बाधा डालती हैं।
- प्रतिधारण और करियर की प्रगति में सुधार के लिए नीतिगत उपाय सुझाइये।
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उत्तर
अभी तक, भारत में STEM स्नातकों में महिलाओं का हिस्सा 43% है, फिर भी STEM नौकरियों में उनकी कार्यबल भागीदारी 14% (UNESCO) जितनी कम है। ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में भारत को शैक्षणिक उपलब्धि में 116वाँ स्थान दिया गया है, लेकिन आर्थिक भागीदारी में 36.7% समानता है, जो एक बहुत बड़ा अंतर दर्शाती है। गहरा से व्याप्त सामाजिक-सांस्कृतिक मानदंड और संस्थागत पूर्वाग्रह STEM क्षेत्रों में महिलाओं के करियर की प्रगति और प्रतिधारण में बाधा डालते रहते हैं।
STEM क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप
- संस्थानों में बदलाव के लिए लैंगिक उन्नति (GATI): विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा 2020 में लॉन्च किये गये GATI का उद्देश्य विज्ञान में महिलाओं के लिए लैंगिक समानता और नेतृत्व के अवसरों को बढ़ावा देकर समावेशी अनुसंधान को बढ़ावा देना है।
- विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएं – पोषण के माध्यम से अनुसंधान उन्नति में ज्ञान की भागीदारी (WISE-KIRAN): वित्त पोषण और मार्गदर्शन के माध्यम से महिला शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है, जिससे वैज्ञानिक प्रगति में उनकी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है।
- महिला वैज्ञानिक योजना (WOS): महिला वैज्ञानिकों को अनुसंधान अनुदान प्रदान करती है, विशेष रूप से उन महिलाओं को जो अपने करियर में ब्रेक का सामना कर रही हैं, ताकि उन्हें शिक्षा जगत और उद्योग में पुनः प्रवेश करने में सुविधा हो।
- जैव प्रौद्योगिकी कैरियर उन्नति और पुन: अभिमुखीकरण (BioCARe): इसका उद्देश्य जैव प्रौद्योगिकी और संबद्ध क्षेत्रों में स्वतंत्र परियोजनाओं को वित्तपोषित करके कैरियर ब्रेक के बाद अनुसंधान में वापस लौटने वाली महिला वैज्ञानिकों को समर्थन देना है।
- INSPIRE (प्रेरित अनुसंधान के लिए विज्ञान में नवाचार): INSPIRE कार्यक्रम युवा महिलाओं को लक्षित करता है व उन्हें छात्रवृत्ति, इंटर्नशिप और अनुसंधान फेलोशिप के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करता है। यह महिलाओं को अपनी डिग्री पूरी करने के बाद अनुसंधान जारी रखने के लिए वित्तपोषण के अवसरों में मदद करता है।
- इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाएं (WEST) कार्यक्रम: भारत में STEM, विशेषकर विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, वेस्ट कार्यक्रम कौशल निर्माण कार्यशालाएं, अनुसंधान निधि तक पहुँच और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के साथ सहयोग के अवसर प्रदान करता है।
नीतिगत हस्तक्षेप के बावजूद STEM में महिलाओं के कम प्रतिनिधित्व के कारण
- नीतियों का सीमित क्रियान्वयन: कई लिंग-समावेशी कार्यक्रमों में संस्थागत जवाबदेही का अभाव है, जिसके कारण STEM संस्थानों में कार्यस्थल विविधता उपायों का खराब क्रियान्वयन होता है।
- वित्तपोषण और पदोन्नति में असमानताएं: महिलाओं को अनुसंधान अनुदान और नेतृत्व संबंधी पद कम मिलते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनके करियर में प्रगति धीमी हो जाती है और पढ़ाई छोड़ने की दर अधिक हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: नीतिगत समर्थन के बावजूद, IIT मद्रास में वरिष्ठ संकाय के लगभग 10% पदों पर महिलाएं हैं।
- रोल मॉडल और मार्गदर्शन का अभाव: STEM में महिला नेतृत्वकर्ताओं की कमी, युवा महिलाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान में दीर्घकालिक करियर बनाने से हतोत्साहित करती है।
- उदाहरण के लिए: नोबेल पुरस्कार विजेता अनुसंधान टीमों में महिलाओं की कम संख्या, शीर्ष वैज्ञानिक उपलब्धियों में प्रतिनिधित्व को सीमित करती है।
- नियुक्ति और कार्यस्थलों में अचेतन लिंग पूर्वाग्रह: नियुक्ति समितियां और कार्यस्थल संस्कृतियां अक्सर पुरुषों का पक्ष लेती हैं, जिससे अनुसंधान नेतृत्व में लिंग आधारित रूढ़िवादिता को बल मिलता है।
- उदाहरण के लिए: सहयोगात्मक अनुसंधान में महिलाओं के योगदान को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे उनके करियर में उन्नति के अवसर कम हो जाते हैं।
- कार्य-जीवन संतुलन चुनौतियाँ: पारिवारिक जिम्मेदारियां महिलाओं को असमान रूप से प्रभावित करती हैं, जिससे शोध प्रतिबद्धताओं और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाना मुश्किल हो जाता है।
- उदाहरण के लिए: मातृत्व से संबंधित करियर ब्रेक के परिणामस्वरूप महिलाओं को अनुसंधान अनुदान और स्थायी पद से हाथ धोना पड़ता है।
महिलाओं की भागीदारी में बाधा डालने वाली सामाजिक-सांस्कृतिक और संस्थागत बाधाएं
सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाएँ
- पारंपरिक लिंग भूमिकाएँ: सामाजिक मानदंड महिलाओं के लिए पारिवारिक जिम्मेदारियों को प्राथमिकता देते हैं, जिससे उन्हें STEM करियर में आगे बढ़ने से हतोत्साहित किया जाता है।
- उदाहरण के लिए: कई भारतीय परिवार बेटियों को अनुसंधान के बजाय शिक्षण जैसे “स्थिर” करियर को अपनाने के लिए प्राथमिकता देते हैं।
- STEM क्षेत्रों में रूढ़िवादिता: यह धारणा कि इंजीनियरिंग और भौतिकी “पुरुष-प्रधान” क्षेत्र हैं, महिलाओं को इन करियरों को चुनने से हतोत्साहित करती है।
- प्रारंभिक शिक्षा में सीमित प्रोत्साहन: लड़कियों को स्कूलों में STEM शिक्षा मिलने की संभावना कम होती है, जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उनका आत्मविश्वास और रुचि कम हो जाती है।
- उदाहरण के लिए: हाई स्कूल में कम लड़कियाँ, एडवांस गणित और भौतिकी का चयन करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप STEM स्नातकों की संख्या कम हो जाती
संस्थागत बाधाएँ
- लिंग आधारित वेतन अंतर और असमान अनुसंधान अवसर: महिलाओं को पुरुष सहकर्मियों की तुलना में कम वेतन, कम अनुदान और कम नेतृत्व के अवसर मिलते हैं।
- उदाहरण के लिए: भारत में महिला शोधकर्ता समान STEM भूमिकाओं में पुरुषों की तुलना में 15-30% कम कमाती हैं।
- उत्पीड़न और कार्यस्थल पर शत्रुता: भेदभाव के विरुद्ध सख्त नीतियों की कमी, महिलाओं को STEM में दीर्घकालिक करियर बनाने से हतोत्साहित करती हैं।
- लैंगिक-संवेदनशील बुनियादी ढाँचे का अभाव: बाल देखभाल सहायता, लचीले वर्क- ऑवर और मातृत्व लाभों की कमी से STEM करियर महिलाओं के लिए कम सुलभ हो जाता है।
- उदाहरण के लिए: केवल कुछ IITs और अनुसंधान प्रयोगशालाएं ही बाल देखभाल सुविधाएं प्रदान करती हैं, जिससे माताओं के लिए अनुसंधान जारी रखना कठिन हो जाता है।
प्रतिधारण और कैरियर प्रगति में सुधार के लिए नीतिगत उपाय
- लचीली कार्य नीतियों का विस्तार: महिलाओं को करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने में मदद करने के लिए वर्क फ्रॉम होम विकल्प, पैरेंटल लीव नीतियों और अंशकालिक अनुसंधान भूमिकाओं को मजबूत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: लचीली अवधि के साथ DST द्वारा वित्तपोषित अनुसंधान अनुदान, महिलाओं को करियर ब्रेक के बाद पुनः शिक्षा जगत में प्रवेश करने की अनुमति देता है।
- STEM संस्थानों में अनिवार्य लिंग संवेदीकरण: कार्यस्थल पर लिंग पूर्वाग्रह का मुकाबला करने के लिए भेदभाव-विरोधी प्रशिक्षण और पूर्वाग्रह-जागरूकता कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: बायस वॉच इंडिया (BiasWatchIndia), शिक्षा जगत में लैंगिक असमानताओं पर नज़र रखने वाली एक पहल है, जो STEM नियुक्ति और सम्मेलनों में पूर्वाग्रहों की निगरानी करती है और उन्हें उजागर करती है।
- मेंटरशिप और नेतृत्व विकास कार्यक्रम: वरिष्ठ STEM भूमिकाओं में महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए संरचित मेंटरशिप नेटवर्क और नेतृत्व प्रशिक्षण की स्थापना करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए: STEM कार्यक्रमों में महिला नेतृत्व,महिला वैज्ञानिकों के लिए कोचिंग और नेटवर्किंग प्रदान करता है।
- निर्णय लेने वाले निकायों में उच्च प्रतिनिधित्व: समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान समितियों, अनुदान आवंटन और संकाय भर्ती पैनलों में महिलाओं के लिए कोटा लागू करना चाहिए।
- लड़कियों के लिए STEM शिक्षा और आउटरीच: स्कूलों में प्रारंभिक STEM शिक्षा पहल को मजबूत करना, छात्रवृत्ति प्रदान करना, और अधिक लड़कियों को STEM क्षेत्रों में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित करने हेतु जागरूकता कार्यक्रम बनाना चाहिये।
- उदाहरण के लिए: नीति आयोग की स्कूलों में स्थापित अटल टिंकरिंग लैब्स अधिकाधिक लड़कियों को AI, रोबोटिक्स और अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
STEM लैंगिक अंतर को कम करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें लिंग-संवेदनशील पाठ्यक्रम शामिल करना, सख्त भेदभाव-विरोधी कानून लागू करना और समावेशी कार्यस्थलों को बढ़ावा देना शामिल है। छात्रवृत्ति, मेंटरशिप कार्यक्रम और लचीली कार्य नीतियाँ प्रतिधारण को बढ़ा सकती हैं। महिला रोल मॉडल और नीति-समर्थित प्रोत्साहनों के नेतृत्व में STEM क्रांति न केवल महिलाओं को सशक्त बनाएगी बल्कि नवाचार और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी।
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