Q. परीक्षण कीजिए कि ISRO की हालिया प्रक्षेपण विफलताएँ किस प्रकार भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में तकनीकी विश्वसनीयता, रणनीतिक स्वायत्तता और संसाधन आवंटन चुनौतियों के बीच अंतर्संबंध को उजागर करती हैं। नागरिक और रक्षा अंतरिक्ष प्राथमिकताओं के बीच संतुलन बनाने के उपाय सुझाएँ।(15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • परीक्षण कीजिए कि ISRO की हालिया प्रक्षेपण विफलताएँ किस प्रकार भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में प्रौद्योगिकीय विश्वसनीयता, रणनीतिक स्वायत्तता और संसाधन आवंटन चुनौतियों के बीच अंतर्संबंध को उजागर करती हैं।
  • नागरिक और रक्षा अंतरिक्ष प्राथमिकताओं में संतुलन लाने के उपाय सुझाइये।

उत्तर

18 मई, 2025 को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) को एक बड़ा झटका लगा जब उसका 101वां मिशन EOS-09 उपग्रह ले जाने वाला PSPV-C61, तृतीय चरण की विसंगति के कारण विफल हो गया। यह घटना भारत के अंतरिक्ष प्रयासों में प्रौद्योगिकीय विश्वसनीयता, रणनीतिक स्वायत्तता और संसाधन आवंटन के बीच जटिल संतुलन को रेखांकित करती है।

प्रौद्योगिकीय विश्वसनीयता

  • तृतीय चरण की विसंगति: तृतीय चरण के दौरान चैम्बरप्रेशर में कमी के कारण मिशन निरस्त हो गया।
    • उदाहरण: ISRO प्रमुख वी.नारायणन ने इस विसंगति की पुष्टि की, जो 8 वर्षों में पहली PSLV विफलता है
  • नोजल की खराबी: तृतीय चरण की मोटर में फ्लेक्स नोजल की खराबी के कारण थ्रस्ट का गलत संरेखण हो गया।
  • गुणवत्ता नियंत्रण में चूक: ठोस ईंधन चालित रॉकेट मोटर में गुणवत्ता नियंत्रण संबंधी समस्याएँ, इस सफलता का कारण हो सकती हैं।
  • ऐतिहासिक विश्वसनीयता: इस विफलता के बावजूद, PSLV ने वर्ष 1993 से केवल 3 विफलताओं के साथ एक मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड बनाए रखा है। 
    • उदाहरण: इससे पहले की PSLV विफलता वर्ष 2017 में हुई थी जो ऐसी घटनाओं की दुर्लभता को दर्शाती है।

रणनीतिक स्वायत्तता

  • निगरानी क्षमताएँ: सिंथेटिक अपर्चर रडार वाले EOS-09 के नष्ट होने से सभी मौसम में पृथ्वी का अवलोकन कर पाना मुश्किल होगा।
    •  उदाहरण: EOS-09, सीमा निगरानी और आपदा प्रबंधन के लिए महत्त्वपूर्ण था।
  • रक्षा निहितार्थ: निरंतर होने वाली मिशन विफलताओं ने रणनीतिक निवारण और सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ा दी हैं। 
    • उदाहरण: जनवरी 2025 में NVS-02 उपग्रह की विफलता ने रक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
  • स्वदेशी प्रणालियों पर निर्भरता: स्वदेशी प्रक्षेपण विफलताएं भारत को विदेशी सहयोग प्राप्त करने हेतु मजबूर कर सकती हैं। 
    • उदाहरण: प्रक्षेपणों के लिए बाहरी एजेंसियों पर निर्भरता, रणनीतिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को कम कर सकती है।
  • वैश्विक धारणा: बार-बार असफलताओं से विश्वसनीय अंतरिक्ष साझेदार के रूप में भारत की छवि पर असर पड़ सकता है।

संसाधनों का आवंटन

  • बजटीय बाधाएँ: बजट में वृद्धि न होने के कारण अनुसंधान एवं विकास प्रभावित होता है और मिशन की तत्परता पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
    • उदाहरण: ISRO का बजट लगभग स्थिर बना हुआ है, जिससे प्रौद्योगिकी प्रगति प्रभावित हो रही है
  • अवसंरचनात्मक कमियाँ: पुरानी सुविधाएँ जटिल आधुनिक मिशनों हेतु अधिक प्रभावी नहीं हैं। 
    • उदाहरण: लॉन्च पैड और परीक्षण सुविधा में देरी से मिशन की सफलता में बाधा उत्पन्न होती है।
  • मानव संसाधन चुनौतियाँ: कुशल जनशक्ति की कमी से योजना और कार्यान्वयन में बाधा आती है।
  • परियोजनाओं का अतिव्यापन: कई चल रही परियोजनाओं के कारण सीमित संसाधनों पर दबाव पड़ता है।
    • उदाहरण: गगनयान और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन मिशन समान तकनीकी संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

नागरिक और रक्षा अंतरिक्ष प्राथमिकताओं में संतुलन

नागरिक अंतरिक्ष प्राथमिकताएँ

  • एकीकृत पृथ्वी अवलोकन मिशन: मिशनों में कृषि, जल और आपदा निगरानी जैसी पर्यावरणीय और नागरिक आवश्यकताओं को एक साथ एकीकृत करना चाहिए। 
    • उदाहरण: EOS-01 हाई-रिजाल्यूशन इमेजिंग के माध्यम से कृषि मानचित्रण और बाढ़ पूर्वानुमान दोनों में सहायता करता है।
  • डेटा लोकतंत्रीकरण: स्टार्टअप, शिक्षाविदों और नागरिक उपयोगकर्ताओं के लिए उपग्रह डेटा तक खुली पहुँच को बढ़ावा देना। 
    • उदाहरण: भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 निजी संस्थाओं को गैर-रणनीतिक उपयोग के लिए ISRO के डेटा के उपयोग की अनुमति देती है।
  • शिक्षा और नवाचार के लिए बुनियादी ढाँचा: नागरिक तकनीक नवाचार के लिए अकादमिक संबंधों और इनक्यूबेशन को मजबूत करना चाहिए।
    • उदाहरण: ISRO की IN-SPACe पहल अंतरिक्ष स्टार्टअप और अकादमिक अनुसंधान एवं विकास में सहायता करती है
  • पर्यावरण निगरानी: जलवायु परिवर्तन, वायु गुणवत्ता और जैव विविधता के लिए उपग्रहों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
    • उदाहरण: INSAT-3DR, चक्रवात ट्रैकिंग और मानसून पूर्वानुमान के लिए महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करता है।

रक्षा अंतरिक्ष प्राथमिकताएँ

  • समर्पित सैन्य उपग्रह: सुरक्षित संचार और निगरानी के लिए रक्षा-विशिष्ट उपग्रहों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
    • उदाहरण: GSAT-7A भारतीय वायु सेना के लिए रियलटाइम कनेक्टिविटी प्रदान करता है।
  • पूर्व चेतावनी प्रणाली: मिसाइल प्रक्षेपण का पता लगाने और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अंतरिक्ष परिसंपत्तियाँ, महत्त्वपूर्ण हैं। 
    • उदाहरण: बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) कार्यक्रम में  खतरों का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए लॉन्गरेंज रडार और अंतरिक्ष-आधारित सेंसर के नेटवर्क का उपयोग किया जाता है।
  • एंटी-सैटेलाइट क्षमता: सटीक लक्ष्यीकरण तकनीक के माध्यम से अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रतिरोध का निर्माण जारी रखना चाहिए।
    • उदाहरण: वर्ष 2019 में, भारत ने मिशन शक्ति में अपनी ASAT क्षमताओं का प्रदर्शन किया जो रक्षा तत्परता का संकेत था।
  • रणनीतिक तालमेल: ISRO, DRDO और तीनों सशस्त्र बलों के बीच संरचित सहयोग को प्रोत्साहित करना। 
    • उदाहरण: रक्षा-अंतरिक्ष परियोजनाओं में तालमेल सुनिश्चित करने के लिए 2019 में रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी का संचालन शुरू किया गया

PSLV-C61 की विफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में प्रौद्योगिकी संबंधी कमियों से लेकर संसाधनों की कमी तक की प्रमुख सुभेद्यताओं को उजागर करती है। नागरिक-रक्षा आवश्यकताओं, प्रौद्योगिकी उन्नयन और मजबूत वित्तपोषण के बीच संतुलन बनाने वाला एक संतुलित दृष्टिकोण, अंतरिक्ष में भारत के रणनीतिक और वैज्ञानिक नेतृत्व को मजबूत कर सकता है।

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