Q. ‘शहरी जैव विविधता सतत् विकास एवं मानव कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण है।’ शहरी जैव विविधता के संरक्षण में भारतीय शहरों के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों की जाँच कीजिये और शहरी नियोजन में जैव विविधता संबंधी विचारों को मुख्यधारा में लाने के उपाय सुझाएँ। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • सतत् विकास और मानव कल्याण के लिए शहरी जैव विविधता के महत्त्व पर चर्चा कीजिए।
  • भारतीय शहरों में शहरी जैव विविधता के संरक्षण में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
  • आगे की राह लिखिए।

उत्तर

वर्ष 2050 तक शहरी आबादी के 70% तक पहुँचने के साथ, शहरों को भूमि और जैव विविधता पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य 11  संधारणीय और प्रत्यास्थ शहरी विकास का आग्रह करता है फिर भी अनियोजित विकास और मानवीय लालच पारिस्थितिकी संतुलन को खतरे में डालते हैं। शहरी जैव विविधता की सुरक्षा अब पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गई है।

सतत् विकास और मानव कल्याण के लिए शहरी जैव विविधता का महत्त्व

  • जलवायु विनियमन: शहरी हरित क्षेत्र तापमान को कम करते हैं, आर्द्रता में सुधार करते हैं, और शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव को कम करते हैं। 
    • उदाहरण: फ्रैंकफर्ट की ग्रीन बेल्ट ने शहर के तापमान को 3.5 डिग्री सेल्सियस कम कर दिया और आर्द्रता को 5% बढ़ा दिया।
  • आर्थिक लाभ: पेड़ और हरित अवसंरचना कार्बन पृथक्करण जैसी पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिनका मूल्य प्रति वर्ष लाखों डॉलर होता है। 
    • उदाहरण: मेगासिटी के पेड़ प्रत्येक वर्ष प्रति वर्ग किलोमीटर लगभग $9,67,000 मूल्य की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ उत्पन्न करते हैं।
  • जैव विविधता संरक्षण: शहरी स्थान सूक्ष्म आवासों के रूप में कार्य कर सकते हैं, जो देशी वनस्पतियों और जीवों को सहारा देते हैं।
    • उदाहरण: दिल्ली में यमुना जैव विविधता पार्क में 200 से अधिक पक्षी प्रजातियों और अनेक देशी पौधों की प्रजातियों को पुनर्स्थापित किया गया।
  • स्वास्थ्य और मनोरंजन: हरित क्षेत्र मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, तनाव को कम करते हैं, तथा सघन आबादी वाले शहरों में मनोरंजन के लिए स्थान उपलब्ध कराते हैं।
    • उदाहरण: शहरी पार्कों को चिंता और अवसाद की कम दरों से जोड़ा गया है।
  • आपदा न्यूनीकरण: शहरी आर्द्रभूमि स्टॉर्मवॉटर को अवशोषित करती है और बाढ़ के जोखिम को कम करती है।
    • उदाहरण: वर्ष 2023 की दिल्ली बाढ़ के दौरान, यमुना जैव विविधता पार्क ने प्राकृतिक बाढ़ बफर के रूप में कार्य किया।

भारतीय शहरों में शहरी जैव विविधता के संरक्षण की चुनौतियाँ

  • तीव्र शहरीकरण: निर्मित पर्यावरण के विस्तार से प्राकृतिक आवास और हरित आवरण का नुकसान होता है।
  • प्रदूषण और अतिक्रमण: वेटलैंड्स और हरित क्षेत्र अक्सर कचरा डंपिंग और अनियमित निर्माण के कारण खराब हो जाते हैं। 
    • उदाहरण: गुरुग्राम में बसई वेटलैंड अतिक्रमण और औद्योगिक प्रदूषण के कारण गंभीर खतरे में है।
  • कमजोर नीति कार्यान्वयन: जैव विविधता लक्ष्यों को अक्सर शहरी शासन में प्रभावी ढंग से एकीकृत नहीं किया जाता है।
    • उदाहरण: जैव विविधता ढाँचे के बावजूद, कई शहरों में संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप लागू करने योग्य कार्य योजनाओं का अभाव है।
  • सीमित सार्वजनिक जागरूकता: नागरिक प्रायः जैव विविधता के ह्वास और इसके प्रभावों के बारे में अनभिज्ञ रहते हैं।
    • उदाहरण: खराब सामुदायिक सहभागिता के कारण पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों का दुरुपयोग जारी है।
  • अपर्याप्त डेटा और निगरानी: स्थानीयकृत जैव विविधता आकलन की कमी शहरी नियोजन की सटीकता को प्रभावित करती है। 
    • उदाहरण: कई शहरों ने बहाली रणनीतियों को सूचित करने के लिए जैव विविधता अनुक्रमण या सर्वेक्षण नहीं किए हैं।

शहरी नियोजन में जैव विविधता को मुख्यधारा में लाने के उपाय

  • नियोजन में जैव विविधता को एकीकृत करना: शहरी नीतियों में हरित अवरोधक, देशी प्रजातियाँ और संरक्षण क्षेत्रों को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।
    • उदाहरण: मुंबई की जलवायु कार्य योजना में जैव विविधता और ब्लू-ग्रीन अवसंरचना को मुख्य रणनीति के रूप में शामिल किया गया है।
  • शहरी जैव विविधता पार्क विकसित करना: समर्पित पार्क देशी प्रजातियों और आवासों की रक्षा और पुनर्जनन कर सकते हैं।
    • उदाहरण: दिल्ली का यमुना जैव विविधता पार्क शहरी पारिस्थितिकी पुनरुद्धार के लिए एक सफल मॉडल के रूप में कार्य करता है।
  • सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना: नागरिक भागीदारी से जैव विविधता पहलों के कार्यान्वयन और संधारणीयता में सुधार होता है।
    • उदाहरण: चेन्नई का पल्लीकरनई दलदल, जो कभी बंजर भूमि और कचरा डंप था, को आंशिक रूप से पुनर्बहाल कर दिया गया है और इसे रामसर स्थल और आरक्षित वन के रूप में नामित किया गया है।
  • हरित अवसंरचना प्रोत्साहन: भवन उपनियमों में ऊर्ध्वाधर उद्यानों, छतों पर हरियाली तथा सड़क के किनारे वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाएगा।
    • उदाहरण: चेन्नई की रुफटॉप गार्डेन पहल से घरों में हरित कवरेज को विकेंद्रित करने में मदद मिलती है।
  • शहरी जैव विविधता सूचकांक की निगरानी और उपयोग: नियमित जैव विविधता मूल्यांकन अनुकूली नीतियों का मार्गदर्शन कर सकता है।
    • उदाहरण: कोच्चि और नागपुर जैसे शहरों ने ICLEI एशिया के मार्गदर्शन में जैव विविधता सूचकांक और कार्य योजनाएँ अपनाई हैं।

भारतीय शहर, जैव विविधता को शहरी नियोजन में एकीकृत करके और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देकर संधारणीय विकास प्राप्त कर सकते हैं। GBF का लक्ष्य 12 कल्याण और संरक्षण के लिए ग्रीन तथा ब्लू स्पेसेज को बढ़ाने पर जोर देता है। एक संतुलित दृष्टिकोण संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र और स्वस्थ शहरी जीवन सुनिश्चित करता है।

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