Q. भारतीय स्टार्ट-अप के बीच नवाचार के लिए हाल ही में किए गए आह्वान जलवायु-अस्थिर दुनिया में महिलाओं के नेतृत्व वाले हरित व्यवसायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता को उजागर करते हैं। हरित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के सामने आने वाली बाधाओं की जाँच कीजिये और सतत विकास में उनकी भूमिका को मजबूत करने के तरीके सुझाएँ। (15 अंक 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • जलवायु-अस्थिर विश्व में महिलाओं के नेतृत्व वाले हरित व्यवसायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
  • हरित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के समक्ष आने वाली बाधाओं का परीक्षण कीजिए।
  • सतत विकास में उनकी भूमिका को मजबूत करने के तरीके सुझाइये।

उत्तर

बढ़ती जलवायु अस्थिरता के मद्देनजर, महिलाओं के नेतृत्व वाले हरित उद्यम सतत विकास के प्रमुख चालक के रूप में उभरे हैं। हरित अर्थव्यवस्था में महिलाओं को सशक्त बनाने से न केवल पर्यावरणीय नवाचारों को बढ़ावा मिलता है, बल्कि भारत में लैंगिक समानता और समावेशी आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलता है।

महिलाओं के नेतृत्व वाले हरित व्यवसायों को बढ़ावा देने की आवश्यकता

  • जलवायु प्रत्यास्थता: महिला उद्यमी अक्सर संधारणीय प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करती हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रति समुदाय की प्रत्यास्थता बढ़ती है। 
    • उदाहरण के लिए: आंध्र प्रदेश के महिलाओं के नेतृत्व वाले SHG केले के पत्ते की प्लेट जैसी पर्यावरण के अनुकूल वस्तुओं का उत्पादन करते हैं, प्लास्टिक के उपयोग को कम करते हैं और संधारणीयता को बढ़ावा देते हैं।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: हरित व्यवसायों में महिलाओं को शामिल करने से घरेलू आय और स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होती है। 
    • उदाहरण: झारखंड की महिला सफाई मित्र कचरा इकट्ठा करती हैं और उसे रीसाइकिल करती हैं, जिससे उन्हें पर्यावरण स्वच्छता को बढ़ावा देते हुए प्रत्येक सप्ताह 2,000-3,000 रुपये की कमाई होती है।
  • नवाचार और संधारणीयता: महिलाएँ अद्वितीय दृष्टिकोण लेकर आती हैं, जिससे नवोन्मेषी पर्यावरण-अनुकूल समाधान सामने आते हैं। 
    • उदाहरण के लिए: तमिलनाडु में महिलाओं के नेतृत्व वाला उद्यम इको फेम, जैविक वाशेबल क्लॉथ पैड बनाता है, जिससे सैनिटरी अपशिष्ट कम होता है
  • सामुदायिक विकास: महिलाओं के नेतृत्व वाली हरित पहल अक्सर सामुदायिक कल्याण और पर्यावरण शिक्षा पर केंद्रित होती है। 
    • उदाहरण: दक्षिण कन्नड़ की महिला स्वयं सहायता समूह मासिक धर्म कप को बढ़ावा देती हैं जिससे पंचायतों में सैनिटरी कचरे में काफी कमी आती है।
  • नीति संरेखण: हरित क्षेत्रों में महिलाओं को बढ़ावा देना समावेशी और सतत विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ संरेखित होता है। 
    • उदाहरण: स्टैंड -अप इंडिया योजना महिला उद्यमियों को हरित क्षेत्र उद्यमों के लिए ऋण प्रदान करती है, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिलता है।

हरित अर्थव्यवस्था में महिलाओं के समक्ष आने वाली बाधाएँ

  • वित्त तक सीमित पहुँच: महिलाओं के पास अक्सर संपार्श्विक की कमी होती है और उन्हें औपचारिक ऋण प्रणालियों तक पहुँचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। 
    • उदाहरण: माइक्रो और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (CGTMSE) जैसी योजनाओं के बावजूद, कई महिला उद्यमियों को कठोर आवश्यकताओं के कारण ऋण प्राप्त करने हेतु संघर्ष करना पड़ता है।
  • कौशल अंतराल: हरित क्षेत्रों में महिलाओं के लिए विशेष प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण की कमी है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत की ग्रीन जॉब्स के लिए कौशल परिषद की रिपोर्ट के अनुसार हरित कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में 85% पुरुष हैं, जो लैंगिक अंतर को दर्शाता है।
  • सामाजिक मानदंड: सांस्कृतिक अपेक्षाएँ अक्सर गैर-पारंपरिक भूमिकाओं में महिलाओं की भागीदारी को प्रतिबंधित करती हैं।
  • मेंटरशिप की कमी: महिला उद्यमियों के पास नेटवर्क और मेंटरशिप तक सीमित पहुँच है जिससे व्यापार वृद्धि में बाधा आती है। 
    • उदाहरण: हिमाचल प्रदेश में इनेबलिंग वूमन ऑफ कामंद (EWOK) जैसी पहल का उद्देश्य प्रशिक्षण और इनक्यूबेशन सहायता प्रदान करके इस अंतर को कम करना है।
  • कार्य-जीवन संतुलन चुनौतियाँ: घरेलू जिम्मेदारियों के साथ उद्यमशीलता की गतिविधियों को संतुलित करना एक गंभीर चुनौती है।
    • उदाहरण के लिए: जनरेशन इंडिया की रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कार्य-जीवन संतुलन के लिए अपर्याप्त समर्थन, महिलाओं को हरित करियर अपनाने से रोकता है।

सतत विकास में महिलाओं की भूमिका को मजबूत करने के तरीके

  • वित्तीय समावेशन: बिना किसी संपार्श्विक के ऋण और वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों
    तक पहुँच बढ़ाना। 

    • उदाहरण: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना बिना किसी  संपार्श्विक के ऋण प्रदान करती है, जिसमें वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2021 के बीच 68% से अधिक ऋण महिला उद्यमियों को स्वीकृत किए गए।
  • कौशल विकास: महिलाओं के लिए हरित प्रौद्योगिकियों में लक्षित प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करना चाहिए‌
    • उदाहरण के लिए: SEWA ने गुजरात में साल्ट-पैन किसानों को सौर तकनीशियन के रूप में प्रशिक्षित किया  जिससे उन्हें अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में नौकरी हासिल करने में मदद मिली।
  • मेंटरशिप और नेटवर्किंग: महिला उद्यमियों के बीच सहकर्मी शिक्षण और मेंटरशिप के लिए मंच स्थापित करना चाहिए।
    • उदाहरण: “बोलेगा बिहार अभियान स्वयं सहायता समूह के सदस्यों के बीच सौर प्रौद्योगिकियों पर ज्ञान के आदान-प्रदान को सुगम बनाता है तथा जीविका दीदियों को पापड़ बनाने के लिए सौर ऊर्जा चालित मशीन का उपयोग करने में सहायता करता है।
  • नीति समर्थन: हरित क्षेत्रों में महिलाओं के समक्ष आने वाली विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने वाली लैंगिक-संवेदनशील नीतियाँ विकसित करनी चाहिए। 
    • उदाहरण: यशस्विनी पहल वर्ष 2029 तक लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए क्षमता निर्माण के माध्यम से टियर-II/III शहरों में महिला उद्यमियों को सशक्त बनाने पर केंद्रित है।
  • बुनियादी ढाँचा और सहायता सेवाएँ: महिला उद्यमियों को सहायता देने के लिए बाल देखभाल सुविधाएँ और सुरक्षित परिवहन जैसी आवश्यक बुनियादी संरचना प्रदान करनी चाहिए। 
    • उदाहरण: जुगसलाई नगर परिषद महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्रबंधित ‘बर्तन बैंक’ पहल, पर्यावरण संरक्षण को आजीविका सृजन के साथ जोड़ती है।

सतत विकास और जलवायु प्रत्यास्थता हासिल करने के लिए हरित अर्थव्यवस्था में महिलाओं को सशक्त बनाना आवश्यक है। वित्तीय, सामाजिक और अवसंरचनात्मक बाधाओं को दूर करके और लक्षित सहायता प्रदान करके, भारत महिलाओं के नेतृत्व वाले हरित उद्यमों की पूरी क्षमता का दोहन कर सकता है जिससे समावेशी विकास और पर्यावरणीय संधारणीयता को बढ़ावा मिलेगा।

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