प्रश्न की मुख्य माँग
- उभरते भारत-मध्य एशिया संबंधों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- मध्य एशिया में भारत के विकास-केंद्रित दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिए।
- परीक्षण कीजिए कि किस प्रकार भारत का दृष्टिकोण पारंपरिक भूराजनीति से हटकर मध्य एशिया में स्थायी क्षेत्रीय सहभागिता की ओर रणनीतिक प्रस्थान को दर्शाता है।
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उत्तर
मध्य एशिया के साथ भारत के संबंध प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों से आधुनिक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुए हैं। SCO और BRICS में ईरान के प्रवेश और तालिबान के पुनरुत्थान सहित क्षेत्रीय गतिशीलता में हाल ही में हुए परिवर्तन ने भारत के लिए भारत-मध्य एशिया संवाद के तहत विकास-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से अपने दृष्टिकोण को फिर से तैयार करने की नई गुंजाइश उत्पन्न की है।
भारत-मध्य एशिया संबंधों का विकास
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध: भारत और मध्य एशिया के बीच विनिमय का एक समृद्ध इतिहास रहा है, विशेष रूप से सिल्क रोड व्यापार ,बौद्ध धर्म और सूफीवाद के माध्यम से।
- उदाहरण के लिए, भारत ने समरकंद और बुखारा के साथ सभ्यतागत संबंधों को पुनः मजबूती देने का प्रयास किया है जिससे सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी को बढ़ावा मिला है।
- सोवियत संघ के बाद के भू-राजनीतिक अवसर: वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, नए स्वतंत्र मध्य एशियाई गणराज्यों (CARs) ने भारत को आर्थिक, ऊर्जा और कूटनीतिक सहयोग के अवसर प्रदान किए।
- उदाहरण के लिए, वर्ष 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी पाँच CARs का दौरा किया और विभिन्न क्षेत्रों में 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
- ऊर्जा और सुरक्षा हित: भारत का प्रारंभिक दृष्टिकोण ऊर्जा आयात और अफगानिस्तान में
आतंकवाद और अस्थिरता से उत्पन्न खतरों का मुकाबला करने पर केंद्रित था।
- उदाहरण के लिए, भारत अपने असैन्य परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से यूरेनियम आयात करता है।
- क्षेत्रीय उतार-चढ़ाव का जवाब: चीन के उदय और तालिबान के पुनरुत्थान ने भारत को वैकल्पिक संपर्क मार्गों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया।
- उदाहरण के लिए, भारत ने चाबहार बंदरगाह विकसित किया और पाकिस्तान-अफगानिस्तान कॉरिडोर को बायपास करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) में शामिल हो गया।
- संस्थागत जुड़ाव: भारत ने राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए 2012 में कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति शुरू की।
- उदाहरण के लिए, कजाकिस्तान (वर्ष 2009), उज्बेकिस्तान (वर्ष 2011) और ताजिकिस्तान (वर्ष 2012) के साथ रणनीतिक साझेदारी पर हस्ताक्षर किए गए।
मध्य एशिया में भारत का विकास-केंद्रित दृष्टिकोण
- विकास वित्तपोषण की पेशकश: भारत ने मध्य एशिया में बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा और कृषि परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता प्रदान की।
- उदाहरण के लिए, यह धनराशि किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान में नवीकरणीय ऊर्जा और कृषि-आधुनिकीकरण परियोजनाओं को सक्षम बना रही है।
- डिजिटल गवर्नेंस मॉडल साझा करना: भारत CAR में ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने के लिए आधार और डिजीलॉकर जैसे अपने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) को बढ़ावा दे रहा है।
- उदाहरण के लिए, भारत-मध्य एशिया डिजिटल भागीदारी मंच पहचान तकनीक और डेटा सिस्टम पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाना: भारत पूरे क्षेत्र में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) प्रणाली विकसित करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
- उदाहरण के लिए, भारत-मध्य एशिया व्यापार परिषद 2023 में, भारत ने CARs में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली डिजाइन का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई।
- दक्षिण के माध्यम से ज्ञान साझा करना: भारत ने वैश्विक दक्षिण के साथ विकास प्रथाओं का विनिमय करने के लिए DAKSHIN (विकास और ज्ञान साझा करने की पहल) की शुरुआत की।
- उदाहरण के लिए, दक्षिण एशियाई देशों ने DAKSHIN के तहत भारत के वैश्विक दक्षिण उत्कृष्टता केंद्र के साथ भागीदारी की है।
- संस्थागत ढाँचे का निर्माण: भारत ने डिजिटल अर्थव्यवस्था, फार्मास्यूटिकल्स और वित्तीय सेवाओं में सहयोग को कारगर बनाने के लिए भारत-मध्य एशिया विकास समूह और व्यापार परिषद की स्थापना की है।
परंपरागत भूराजनीति से रणनीतिक प्रस्थान
- व्यापार और कनेक्टिविटी कॉरिडोर पर ध्यान: भारत अब INSTC और चाबहार जैसी पहलों के माध्यम से शक्ति-केंद्रित कूटनीति के बजाय समावेशी व्यापार को बढ़ावा दे रहा है।
- सॉफ्ट पावर टूल्स का लाभ उठाना: भारत सैन्य गठबंधन के बजाय प्रभाव बनाने के लिए
शिक्षा, प्रौद्योगिकी और संस्कृति का उपयोग करता है।
- उदाहरण: तुर्कमेनिस्तान और अन्य मध्य एशियाई देशों में IT केंद्र और टेलीमेडिसिन केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- मानव-केंद्रित विकास दृष्टिकोण: भारत शिक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल समावेशन जैसे क्षेत्रों में लोगों पर केंद्रित विकास पर बल देता है।
- उदाहरण के लिए, चौथे भारत-मध्य एशिया वार्ता (वर्ष 2023) ने क्षमता निर्माण और सामाजिक क्षेत्र की सहभागिता को प्राथमिकता दी।
- संतुलित बहुपक्षवाद का अनुसरण: भारत स्थानीय मुद्रा व्यापार और सहकारी मंचों के माध्यम से संतुलित क्षेत्रीय जुड़ाव चाहता है।
- उदाहरण के लिए, भारत ने कजाकिस्तान के साथ व्यापार के लिए स्थानीय मुद्राओं का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा, जिससे वित्तीय स्वतंत्रता मजबूत होगी।
- सुरक्षित वैकल्पिक कॉरिडोर बनाना: भारत सुरक्षित कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए अस्थिर क्षेत्रों से बचने वाले मार्गों में निवेश करता है।
- उदाहरण के लिए, जरांज -डेलाराम रोड और चाबहार-INSTC सुरक्षित पारगमन को सक्षम बनाता है, जिससे अफगानिस्तान-पाकिस्तान पर निर्भरता कम होती है।
भारत की विकास-केंद्रित रणनीति गहन आर्थिक एकीकरण, डिजिटल नवाचार और संधारणीय भागीदारी की नींव रखती है।कनेक्टिविटी परियोजनाओं का विस्तार करके और क्षमता निर्माण को बढ़ाकर, भारत उभरते मध्य एशियाई परिदृश्य में क्षेत्रीय स्थिरता और साझा समृद्धि का प्रमुख चालक बनने के लिए तैयार है।
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