प्रश्न की मुख्य माँग
- शहरीकरण के कारण भारतीय महानगरों में गरीबों का अधिक अलगाव और/या हाशिए पर जाने के तर्कों पर चर्चा कीजिए।
- भारतीय महानगरों में शहरीकरण के कारण गरीबों का अधिक अलगाव और/या हाशिए पर जाने के विरुद्ध तर्कों पर चर्चा कीजिए।
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उत्तर
भारतीय महानगरों का आकर्षण लाखों लोगों को रोजगार और समृद्धि के वादे के साथ आकर्षित करता है। फिर भी, शहरी जीवन की वास्तविकता अक्सर सर्वाधिक सुभेद्य लोगों के लिए एक अलग तस्वीर पेश करती है। यह अन्वेषण गरीबों को अलग-थलग करने और हाशिए पर डालने में शहरीकरण की भूमिका तथा इसके परिणामस्वरूप मानवीय लागत और समतापूर्ण शहर-निर्माण की चुनौतियों का आकलन करता है।
शहरीकरण के कारण गरीबों का अलगाव/हाशिए पर जाना
- अनौपचारिक बस्तियों का उदय: तीव्र शहरीकरण अक्सर किफायती आवास की उपलब्धता को पीछे छोड़ देता है, जिससे प्रवासी और शहरी गरीब अनियोजित झुग्गियों में धकेल दिए जाते हैं।
- उदाहरण: मुंबई का धारावी, जो एशिया की सबसे बड़ी झुग्गियों में से एक है।
- जेंट्रीफिकेशन और विस्थापन: पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण परियोजनाओं में झुग्गीवासियों को पर्याप्त पुनर्वास के बिना ही बेदखल कर दिया जाता है।
- उदाहरण के लिए: यमुना पुश्ता परियोजना में वैश्विक आयोजनों से पूर्व नदी तट के सौंदर्यीकरण के लिए हजारों लोगों को बेदखल कर दिया गया था।
- सेवाओं तक असमान पहुँच: झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों को अक्सर स्वच्छ पेयजल, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और सार्वजनिक स्वच्छता की कमी का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी जीवनदशा और खराब हो जाती है।
- डिजाइन द्वारा सामाजिक पृथक्करण: शहरी नियोजन अक्सर विशिष्ट ‘गेटेड कम्युनिटी’ और सीमित सार्वजनिक स्थानों के माध्यम से स्थानिक विभाजन को बढ़ावा देता है।
- शहरी नियोजन में उपेक्षा: मास्टर प्लान अक्सर व्यावसायिक विकास और कुलीन आवास पर केंद्रित होते हैं और निम्न-आय वर्ग के आवास की जरूरतों को दरकिनार कर देते हैं।
- उदाहरण के लिए: दिल्ली मास्टर प्लान 2041 में शुरू में रोजगार केंद्रों के निकट EWS आवास के लिए मजबूत प्रावधानों का अभाव था।
शहरीकरण के कारण अलगाव/हाशिए पर जाने के विरुद्ध तर्क
- आर्थिक अवसर: शहर औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करते हैं, जिससे प्रवासियों को अपनी आजीविका बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
- उदाहरण के लिए: निर्माण कार्य हजारों प्रवासियों को दैनिक मजदूरी प्रदान करता है।
- सेवाओं तक बेहतर पहुँच: ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्र बेहतर कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सेवा और स्कूली शिक्षा प्रदान करते हैं।
- कल्याणकारी योजनाएँ: सरकारी कार्यक्रमों का उद्देश्य शहरी असमानता को कम करना है।
उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) का लक्ष्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और निम्न आय वर्ग (LIG) परिवारों के लिए किफायती आवास उपलब्ध कराना है।
- झुग्गी पुनर्वास मॉडल: प्रगतिशील योजनाएँ औपचारिक आवास और सुविधाएँ प्रदान करती हैं।
- उदाहरण के लिए, झुग्गी पुनर्वास प्राधिकरण की योजनाएँ झुग्गीवासियों को बेहतर सेवाओं के साथ पुनर्वास प्रदान करती हैं।
- शहरी शासन नवाचार: वार्ड सभा जैसे सहभागी साधन यह सुनिश्चित करते हैं कि गरीबों के हितों का ध्यान रखा जाए।
आगे की राह

- किफायती आवास को बढ़ावा देना: शहरी मलिन बस्तियों में सार्वजनिक किराये के आवास और PMAY वितरण में तेजी लाना।
- उदाहरण: अहमदाबाद आवास बोर्ड ने प्रवासी श्रमिकों के लिए कम लागत वाले किराया आधारित मॉडल शुरू किए हैं।
- अनौपचारिक कामगारों को मान्यता देना: विक्रेताओं और घरेलू कामगारों को कानूनी पहचान और सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
- उदाहरण के लिए, स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 वेंडिंग जोन और लाइसेंस सुनिश्चित करता है।
- सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना: नगरपालिका नियोजन में झुग्गी-झोपड़ी संघों को शामिल करना चाहिए।
- उदाहरण: मुंबई का ALM (एडवांस्ड लोकेलिटी मैनेजमेंट) नागरिक मुद्दों में स्थानीय इनपुट की अनुमति देता है।
- डिजिटल समावेशन सुनिश्चित करना: ऑनलाइन कल्याणकारी योजनाओं और सेवाओं तक पहुँच को मजबूत करना चाहिए।
- उदाहरण के लिए, शहरी गरीब इलाकों में डिजिटल सेवा केंद्र डिजिटल अंतर को कम कर सकते हैं।
निष्कर्ष
भारत में शहरीकरण को अर्थव्यवस्था केंद्रित से समानता केंद्रित में परिवर्तित करना होगा, तथा इसे SDG 11 (संधारणीय शहर) और SDG 10 (असमानताओं में कमी) के साथ संरेखित करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विकास से शहरी गरीबों को सशक्त बनाया जा सके, जो शहर के दैनिक कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
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