Q. ‘कमजोर वर्गों के लिए विकास एवं कल्याणकारी योजनाएँ, अपनी प्रकृति से, भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण रखती हैं।’ क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर के लिए कारण बताइए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • सुभेद्य वर्ग (कमजोर वर्ग) के लिए कल्याणकारी योजनाओं की भेदभावपूर्ण प्रकृति।
  • सुभेद्य वर्ग (कमजोर वर्ग) के लिए कल्याणकारी योजनाओं की गैर-भेदभावपूर्ण प्रकृति (समानता-उन्मुख प्रकृति)।

उत्तर

भारत का सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास का दृष्टिकोण समावेशी विकास पर बल देता है। भारतीय संविधान सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचितों के लिए सकारात्मक कार्रवाई का आदेश देता है। इसी परिप्रेक्ष्य में, सुभेद्य समूहों के लिए विकास योजनाओं का उद्देश्य अवसर की समानता को बढ़ावा देना है, हालाँकि इन्हें अक्सर भेदभावपूर्ण माना जाता है।

सुभेद्य वर्ग (कमजोर वर्ग) के लिए कल्याणकारी योजनाओं की भेदभावपूर्ण प्रकृति

  • विपरीत भेदभाव की धारणा: गैर-सुभेद्य लेकिन जरूरतमंद समूहों को अपवर्जित करने से असंतोष और अन्याय की भावना उत्पन्न होती है। 
    • उदाहरण: आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) के लिए आरक्षण की माँग सामान्य श्रेणी के छात्रों की ओर से उठी, जिन्हें आर्थिक तंगी के बावजूद जाति-आधारित कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच नहीं थी।
  • अतिव्यापी लाभ और पहचान की राजनीति: लक्षित योजनाएँ अक्सर अतिव्यापी होती हैं या राजनीतिक रूप से प्रभावशाली पहचान समूहों पर केंद्रित होती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: जाट या मराठा आरक्षण आंदोलनों पर राजनीतिक ध्यान केंद्रित करना दर्शाता है कि कैसे योजनाएँ प्रतिस्पर्द्धी लोकलुभावनवाद का साधन बन जाती हैं।
  • कठोर मानदंडों के कारण बहिष्करण त्रुटियाँ: जाति या जनजाति की निश्चित सूचियों पर आधारित योजनाएँ गैर-सूचीबद्ध श्रेणियों के समान रूप से वंचित व्यक्तियों को अपवर्जित कर सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान, उच्च जाति के गरीब प्रवासियों को शुरू में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना से बाहर रखा गया था।
  • सशक्तीकरण के बजाय निर्भरता का निर्माण: कुछ योजनाएँ स्थायी, क्षमता-आधारित उत्थान की बजाय आवर्ती सब्सिडी पर अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: कुछ राज्यों में मुफ्त बिजली/पानी सभी को लाभ पहुँचाता है, जिसमें पहले से ही संपन्न लोग भी शामिल हैं, जिससे संसाधनों का दुरुपयोग होता है और सुधार के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता।
  • ‘एक ही योजना सभी के लिए उपयुक्त है’ की अभिकल्पना में स्थानीय संवेदनशीलता का अभाव है: सुभेद्य समूहों के लिए बनाई गई योजनाएँ समूह के भीतर की विविधताओं और विशिष्ट स्थानीय आवश्यकताओं की अनदेखी कर सकती हैं। 
    • उदाहरण के लिए: मध्य भारत में जनजातीय कल्याण योजनाएँ सांस्कृतिक विस्थापन या भाषायी बाधाओं को पूरी तरह से संबोधित नहीं करती हैं, जिससे वास्तविक प्रभाव कम हो जाता है।
  • राजनीतिकरण और वोट बैंक लक्ष्यीकरण: कभी-कभी योजनाएँ चुनावी उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं, जिससे संसाधनों का आवंटन असमान हो जाता है। 
    • उदाहरण के लिए, चुनाव पूर्व कृषि ऋण माफी की घोषणाओं से अक्सर भूमिहीन मजदूरों की तुलना में जमींदार किसानों को अधिक लाभ होता है।
  • निकास रणनीति या समीक्षा तंत्र का अभाव: किसी वर्ग के उत्थान के बाद भी योजनाएँ अनिश्चित काल तक जारी रहती हैं, जिससे अन्य वर्गों में ठहराव और असंतोष पैदा होता है। 
    • उदाहरण: OBC आरक्षण में क्रीमी लेयर को बाहर करने में देरी के कारण पहले से ही संपन्न OBC वर्ग को अनुचित लाभ हुआ।

यद्यपि कल्याणकारी योजनाएँ बहिष्कारकारी प्रतीत हो सकती हैं, लेकिन वे समानता के संवैधानिक लक्ष्य में निहित हैं और उनका उद्देश्य समावेशी और न्यायसंगत विकास के लिए संरचनात्मक अंतराल को कम करना है।

सुभेद्य वर्ग के लिए कल्याणकारी योजनाओं की गैर-भेदभावपूर्ण प्रकृति

  • वंचितों के लिए ऐतिहासिक सुधारात्मक न्याय: इन योजनाओं का उद्देश्य कई वर्षों से हो रहे भेदभाव को रोकना है। 
    • उदाहरण के लिए: अनुसूचित जाति उप-योजना और जनजातीय उप-योजना जनसंख्या के अनुपात में निधि आवंटन सुनिश्चित करती है।
  • संरचनात्मक असमानता को लक्षित करना: ये स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका में संरचनात्मक अंतरालों को दूर करते हैं। 
    • उदाहरण के लिए, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) विशेष रूप से दूरदराज के इलाकों में रहने वाले जनजातीय बच्चों के लिए हैं।
  • समान अवसर के लिए सकारात्मक कार्रवाई: यह सुभेद्य वर्गों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने में मदद करती है। 
    • उदाहरण के लिए, स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत प्रत्येक बैंक शाखा में कम-से-कम एक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और एक महिला को ऋण देना अनिवार्य है।
  • भौगोलिक समता और क्षेत्रीय संतुलन: योजनाएँ विकास में क्षेत्रीय असमानताओं को कम करती हैं। 
    • उदाहरण के लिए, आकांक्षी जिला कार्यक्रम, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े जिलों पर केंद्रित है।
  • प्रतिनिधित्व के माध्यम से सशक्तीकरण: राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिनिधित्व दीर्घकालिक उत्थान सुनिश्चित करता है। 
    • उदाहरण के लिए, पेसा अधिनियम, पाँचवीं अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासी ग्राम सभाओं को स्वशासन के लिए सशक्त बनाता है।
  • बेहतर मानव पूँजी परिणाम: सुभेद्य बच्चों और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करने से शिक्षा और स्वास्थ्य के मानकों में सुधार होता है। 
    • उदाहरण के लिए, पोषण अभियान गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवारों के बच्चों और माताओं को लक्षित करके कुपोषण को कम करने में सहायक है।
  • सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व: योजनाएँ स्थानीय संस्थाओं को शामिल करते हुए, अधिकाधिक सहभागी होती जा रही हैं।
    • उदाहरण के लिए, मनरेगा ग्राम सभा की निगरानी में मजदूरी रोजगार के माध्यम से ग्रामीण गरीबों को सशक्त बनाता है

निष्कर्ष

सकारात्मक कल्याण भेदभावपूर्ण नहीं है, यह न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के भारत के संवैधानिक वादे को पूरा करता है। जरूरत इस बात की है कि ऐसी योजनाओं को पारदर्शिता, दक्षता और व्यापक सामाजिक स्वीकृति के साथ जोड़ा जाए। सतत् विकास के लिए सर्वाधिक सुभेद्य लोगों को सशक्त बनाना आवश्यक है, भले ही इसके लिए भेदभावपूर्ण व्यवहार ही क्यों न करना पड़े।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.