Q. संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी वैश्विक शक्तियों द्वारा आतंकवादी संगठनों को नामित करना भारत के आतंकवाद-रोधी प्रयासों को बल प्रदान कर सकता है, लेकिन प्रतीकात्मक कार्रवाइयों को आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों पर निरंतर दबाव में बदलना होगा। द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) की I-J.S. सूची और सीमा पार आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई पर इसके प्रभावों के संदर्भ में इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • TRF को अमेरिका द्वारा आतंकवादी घोषित किए जाने के महत्त्व का उल्लेख कीजिए।
  • इसकी सीमाओं और प्रतीकात्मक प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  • प्रतीकवाद को सतत् कार्रवाई में परिवर्तित करने के रूप में आगे का रास्ता सुझाएँ।

उत्तर

भारत लंबे समय से सीमा पार आतंकवाद का शिकार रहा है, जहाँ लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे समूह और उसके समर्थक बेखौफ होकर अपनी गतिविधियाँ चला रहे हैं। अमेरिका ने लश्कर के एक संगठन, द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) घोषित किया है। हालाँकि यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों के खिलाफ निरंतर कूटनीतिक और कानूनी कार्रवाई पर निर्भर करती है।

द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित करने का महत्व

  • द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) खतरे की वैश्विक मान्यता: यह घोषणा औपचारिक रूप से आतंकवाद में TRF की संलिप्तता को स्वीकार करता है, जिससे वैश्विक सहमति बढ़ती है।
    • उदाहरण: अमेरिका ने पहलगाम हमले (अप्रैल 2025) के बाद TRF को FTO और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया, इसकी भूमिका को स्वीकार किया।
  • पाकिस्तान के दोहरे रवैया का पर्दाफाश: इससे लश्कर-ए-तैयबा के “निष्क्रिय” होने के पाकिस्तान के दावे को खारिज करने में मदद मिलती है और छद्म माध्यमों से उसके निरंतर समर्थन को उजागर करता है।
    • उदाहरण: अमेरिका ने TRF को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा और प्रॉक्सी बताया, जो पाकिस्तान के दावों का खंडन करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र में भारत के कूटनीतिक मामले को मजबूत करता है: UNSC 1267 प्रतिबंध समिति के तहत TRF को प्रतिबंधित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय कानूनी सहयोग को सुगम बनाता है: यह  प्रत्यर्पण, प्रतिबंध और संपत्ति फ्रीज जैसी अंतरराष्ट्रीय कानूनी कार्रवाइयों का समर्थन करता है।
  • भारत के आतंकवाद-रोधी रुख को नैतिक और राजनीतिक समर्थन: आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने में भारत के प्रयासों को बढ़ावा देता है।
  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बहिष्कार के बाद सुधारात्मक कदम: पाकिस्तान के दबाव में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में TRF का नाम न लेने की विफलता को आंशिक रूप से संबोधित किया गया।

सीमाएँ और प्रतीकात्मक प्रकृति

  • हमले के बाद अमेरिका की असंगत स्थिति: आतंकवादी संगठन घोषित होने के बावजूद, विरोधाभासी संदेश प्रभाव को कमजोर कर देते हैं।
  • प्रभावी दबाव तंत्र का अभाव: केवल नामजद करने से आतंकवादी ढाँचे के नष्ट होने की गारंटी नहीं मिलती।
    • उदाहरण: वर्ष 2001 से लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भारत में हमले जारी हैं।
  • बहुपक्षीय मंचों पर विफलता: भू-राजनीतिक हितों के कारण संयुक्त राष्ट्र द्वारा हमेशा किसी देश को नामित करने के बाद कार्रवाई नहीं की जाती।
    • उदाहरण: P-5 सहमति के तहत पहलगाम हमले की निंदा करने वाले UNSC के बयान में TRF का नाम हटा दिया गया।
  • राज्य प्रायोजकों पर कोई प्रतिबंध नहीं: निरंतर आतंकवाद समर्थन के बावजूद पाकिस्तान के लिए कोई प्रत्यक्ष परिणाम नहीं।
  • विलंबित न्याय और विश्वास का क्षरण: आतंकवाद के पीड़ितों को न्याय की प्रतीक्षा करनी पड़ रही है, जिससे वैश्विक तंत्र में भारत का विश्वास कमजोर हो रहा है।

आगे की राह: प्रतीकवाद को सतत् कार्रवाई में बदलना

  • UNSC 1267 प्रतिबंध के लिए प्रयास: भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद 1267 समिति के तहत वैश्विक प्रतिबंधों को आगे बढ़ाने के लिए TRF को अमेरिका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित किए जाने का लाभ उठाना चाहिए।
  • भारत-अमेरिका आतंकवाद-रोधी तंत्र को संस्थागत बनाना: खुफिया जानकारी साझा करने और आतंकवाद-वित्तपोषण पर नजर रखने के लिए समर्पित भारत-अमेरिका संयुक्त कार्य बल स्थापित करना चाहिए।
  • राज्य प्रायोजकों पर कूटनीतिक दबाव: यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों, विशेषकर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग किया जाए तथा उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
  • न्याय के लिए कानूनी प्रयास: वैश्विक आतंकवादियों के प्रत्यर्पण में तेजी लाना चाहिए तथा बहुपक्षीय कानूनी ढाँचे के माध्यम से प्रमुख मास्टरमाइंडों पर मुकदमा चलाना चाहिए।
  • कथात्मक रूपरेखा और वैश्विक संदेश: भारत को सीमापार आयामों और पीड़ित-केंद्रित न्याय को उजागर करने के लिए आतंकवाद पर वैश्विक आख्यानात्मक रूपरेखा तैयार करनी चाहिए।
  • क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय आतंकवाद-रोधी साझेदारियाँ: भारत को TRF जैसे समूहों पर नजर रखने और उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए QUAD, SCO और FATF के माध्यम से मजबूत आतंकवाद-रोधी साझेदारियाँ विकसित करनी चाहिए।
  • व्यापार एवं प्रौद्योगिकी का रणनीतिक उपयोग: रणनीतिक सहयोगियों को व्यापार, सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का उपयोग करके पाकिस्तान से आतंकवाद पर विश्वसनीय कार्रवाई की माँग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

निष्कर्ष

हालाँकि अमेरिका द्वारा TRF को आतंकवादी घोषित करना एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन जब तक आतंकवाद के राज्य प्रायोजकों के खिलाफ लगातार और सख्त कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक यह प्रतीकात्मक ही रहेगा। भारत को इस प्रतीकात्मक मान्यता को सार्थक आतंकवाद-रोधी परिणामों में बदलने के लिए अपने कानूनी, कूटनीतिक और बहुपक्षीय प्रयासों को तेज करना होगा। तभी वैश्विक न्याय सुनिश्चित हो सकेगा और भविष्य में होने वाले हमलों को रोका जा सकेगा।

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