प्रश्न की मुख्य माँग
- आज सेप्टिक टैंक की सफाई की प्रथाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों का परीक्षण कीजिए।
- देश भर में सुरक्षित, सम्मानजनक और यंत्रीकृत स्वच्छता कार्य सुनिश्चित करने के लिए किए जाने वाले उपायों का उल्लेख कीजिये।
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उत्तर
कानूनी प्रतिबंधों और लक्षित योजनाओं के बावजूद, भारत में सेप्टिक टैंकों की मैन्युअल सफाई एक खतरनाक और अमानवीय प्रथा बनी हुई है। सफाई कर्मचारी बिना सुरक्षा उपकरणों के प्रदूषित गड्ढों में उतरते रहते हैं, जिससे अक्सर घातक दुर्घटनाएँ और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ होती हैं। इससे न केवल उनकी जान को खतरा होता है, बल्कि उनकी गरिमा का भी हनन होता है, और जाति-आधारित भेदभाव व व्यवस्थागत उपेक्षा की समस्यायें बढ़ती चली जाती हैं।
वर्तमान समय में सेप्टिक टैंक की सफाई की प्रथाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे
- संविदात्मक रोजगार से जवाबदेही अस्पष्ट हो जाती है: अधिकांश सफाई कर्मचारियों को अनौपचारिक या थर्ड-पार्टी के अनुबंधों के माध्यम से काम पर रखा जाता है, जिससे मृत्यु की स्थिति में जिम्मेदारी अस्पष्ट हो जाती है।
- सुरक्षा उपकरणों और प्रशिक्षण का अभाव: खतरनाक कार्य करने वाले कामगारों की संख्या और सुरक्षात्मक उपकरणों व जागरूकता कार्यक्रमों की उपलब्धता के बीच गहरा अंतर है।
- उदाहरण: 57,758 कामगारों में से केवल 16,791 को ही PPE किट दिए गए, और 4,800 शहरी स्थानीय निकायों में 837 सुरक्षा कार्यशालाएँ आयोजित की गईं।
- अपर्याप्त वित्तीय आवंटन: अपर्याप्त धनराशि स्वच्छता योजनाओं के मशीनीकरण और प्रभावी कार्यान्वयन को गंभीर रूप से सीमित करती है।
- उदाहरण: NAMASTE योजना के तहत केवल ₹14 करोड़ जारी किए गए जो किसी एक भी बड़े शहर में स्वच्छता के मशीनीकरण के लिए पर्याप्त नहीं है।
- न्यायिक आदेशों का अनुपालन न करना: सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के बावजूद, कई स्थानीय निकाय नियोक्ता दायित्व मानदंडों को अधिसूचित करने या अवैध अनुबंधों को रद्द करने में विफल रहे हैं।
- पुनर्वास उपायों में हाशियाकरण: दलित श्रमिकों और महिला सफाईकर्मियों को सार्थक पुनर्वास और सहायता सेवाओं से वंचित रखा जाता है।
- ग्रामीण स्वच्छता की उपेक्षा: महिला स्वच्छता कार्यकर्ताओं और ग्रामीण मैनुअल स्कैवेंजरों को नीति और डेटा कवरेज बहुत कम प्राप्त होता है।
सुरक्षित, सम्मानजनक, यंत्रीकृत स्वच्छता कार्य सुनिश्चित करने के उपाय
- अनिवार्य मशीनीकरण और लाइसेंसिंग: सभी सीवर/सेप्टिक टैंक सफ़ाई का मशीनीकरण किया जाना चाहिए और मानव प्रवेश को रोकने के लिए लाइसेंस प्राप्त पेशे के रूप में विनियमित किया जाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ओडिशा ने चिन्हित श्रमिकों के लिए मशीनीकृत मल निकासी वाहनों और PPE किट तक पहुँच सुनिश्चित की है।
- श्रमिक-स्वामित्व वाले स्वच्छता उद्यम: श्रमिकों को स्वतंत्र उद्यमियों के रूप में मशीनों को संचालित करने के लिए पूंजी और सेवा की गारंटी प्रदान करते हैं।
- उल्लंघनों के लिए सख्त दंडात्मक प्रावधान: बिना मशीनी लाइसेंस के संचालन को एक संज्ञेय अपराध माना जाना चाहिए जिसके स्पष्ट कानूनी परिणाम हों।
- उदाहरण के लिए: शहरी स्थानीय निकायों को लाइसेंसिंग नियमों को लागू करना चाहिए और वर्ष 2013 के अधिनियम का उल्लंघन करने वाले मैनुअल सफाई ठेकों पर जुर्माना लगाना चाहिए।
- आपातकालीन प्रतिक्रिया और ऑडिट को मजबूत करना: सैनिटेशन रिस्पांस यूनिट्स कार्यात्मक होनी चाहिए, और स्वतंत्र ऑडिट द्वारा सुरक्षा और अनुपालन की निगरानी की जानी चाहिए।
- ग्रामीण और महिला श्रमिकों तक योजनाओं का विस्तार: मशीनीकरण और NAMASTE प्रोफाइलिंग में ग्राम पंचायतों को शामिल किया जाना चाहिए और महिला श्रमिकों की विशिष्ट आवश्यकताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए।
- उदाहरण के लिए: ग्रामीण स्वच्छता समानता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्वच्छ भारत (ग्रामीण) में सेप्टिक टैंक की सफाई को भी शामिल किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष
कानूनी प्रतिबंधों और अनेक हस्तक्षेपों के बावजूद असुरक्षित स्वच्छता कार्य आज भी जारी है, जिसका मुख्य कारण है—कानूनों का कमजोर क्रियान्वयन, जातिगत उपेक्षा तथा अपर्याप्त यांत्रिकीकरण। वास्तव में स्वच्छता कर्मियों को खतरनाक और अमानवीय परिस्थितियों से मुक्त कराने के लिए आवश्यक है कि वर्तमान स्थिति को एक ऐसी राष्ट्रीय मिशन द्वारा बदला जाए, जिसमें प्रौद्योगिकी, राजनीतिक इच्छाशक्ति और गरिमा-आधारित पुनर्वास का समावेश हो।
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