Q. हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-यू.के. मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत की व्यापार कूटनीति में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ है। भारत के लिए इसके संभावित आर्थिक लाभों का परीक्षण कीजिए और यह भविष्य के FTA के लिए देश की विकसित होती व्यापार स्थिति को कैसे दर्शाता है? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • हाल ही में हस्ताक्षरित भारत-UK मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के भारत के लिए संभावित आर्थिक लाभों का परीक्षण कीजिए।
  • बताइए कि किस प्रकार यह समझौता, भविष्य के FTA के लिए भारत के बदलते दृष्टिकोण को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है।

उत्तर

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भारत की व्यापार नीति में रक्षात्मक बहुपक्षवाद से मुखर, हित-संबद्ध द्विपक्षीयवाद की ओर एक निर्णायक परिवर्तन का संकेत देता है। यह समझौता 99% भारतीय निर्यात के लिए शुल्क-मुक्त प्रवेश सुनिश्चित करता है, राजनीतिक रूप से संवेदनशील कृषि को सुरक्षित रखता है, और गतिशीलता एवं सेवाओं के लाभों को भी सुनिश्चित करता है, जिससे एक ऐसा ढाँचा प्रस्तुत होता है जिसे भारत अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के साथ आगामी वार्ताओं में अपना सकता है।

भारत के लिए संभावित आर्थिक लाभ

  • ब्रिटेन के बाजार तक पहुँच: भारतीय कंपनियों को चीन और वियतनाम जैसे प्रतिस्पर्धियों पर, टैरिफ के मामले में स्पष्ट बढ़त हासिल हो गई है।
    • उदाहरण: विश्लेषकों को संभावना  है कि पाँच वर्षों में निर्यात में 30-40% की वृद्धि होगी, जिससे विशेष रूप से गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में MSMEs को लाभ होगा
  • क्षेत्र विशेष को बढ़ावा: श्रम-प्रधान और तकनीक-प्रधान क्षेत्र बाजार हिस्सेदारी को बढ़ा सकते हैं।
    • उदाहरण: वस्त्र, आभूषण, EV, समुद्री उत्पाद, जेनेरिक को त्वरित टैरिफ लाभ मिलता है।
  • सेवा एवं गतिशीलता लाभ: व्यावसायिक आवागमन को आसान बनाना, भारत की सेवा-आधारित वृद्धि में प्रत्यक्ष रूप से सहायता प्रदान करेगा।
    • उदाहरण: योग शिक्षकों, रसोइयों, तकनीकी कर्मचारियों के लिए अल्पकालिक वीजा को सरल बनाया गया है और भारतीय पेशेवरों को सामाजिक सुरक्षा भुगतान में छूट दी गई है।
  • MSME प्रतिस्पर्धात्मकता और आपूर्ति-श्रृंखला को मजबूत करना: तरजीही टैरिफ और पूर्वानुमानित नियमों से UK/EU आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण सुगम हो जाता है।
    • उदाहरण के लिए: उद्योग जगत के अनुमानों के अनुसार MSMEs को इससे सर्वाधिक लाभ होगा, जो सीधे तौर पर जमीनी स्तर पर रोजगार सृजन में सहायक सिद्ध होगा।
  • एक ‘जीवित दस्तावेज’ संरचना: इस FTA की अभिकल्पना, क्षमता में वृद्धि के साथ पुनरावृत्तीय टैरिफ संशोधन और क्षेत्रीय परिवर्धन की सुविधा प्रदान करती है।
    • उदाहरण: यह समझौता “सतर्क, स्तरित, वृद्धिशील” है, जिसे समय के साथ विस्तार और संशोधन के लिए बनाया गया है।

यह FTA भविष्य के FTA के लिए भारत के बदलते दृष्टिकोण को किस प्रकार प्रतिबिंबित करता है

  • कृषि पर स्पष्ट सीमाएँ: भारत उन क्षेत्रों में उदारीकरण करेगा जहां प्रतिस्पर्धात्मकता है, तथा राजनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को संरक्षण प्रदान करेगा।
    • उदाहरण: कृषि को गैर-परक्राम्य घोषित कर दिया गया और उसे इससे बाहर रखा गया, “उद्योग के लिए खुला, खाद्य के लिए सतर्क” (Open on industry,cautious on food) अब इस दिशा में भारत का नया प्रारूप है।
  • मुद्दों से जुड़ा सौदेबाजी दृष्टिकोण: भारत बाज़ार तक पहुँच (market access) के बदले में श्रम गतिशीलता, सेवाओं और रणनीतिक सुरक्षा उपायों का लाभ प्राप्त करता है।
    • उदाहरण: ब्रिटेन के साथ हुये समझौते में भारत के किसान संरक्षण रुख का सम्मान करते हुए वीजा और सामाजिक सुरक्षा मानदंडों को सरल बनाया गया है।
  • डिजिटल और रणनीतिक क्षेत्रों पर दृढ़ संप्रभुता: भारत डेटा, डिजिटल बाजारों या महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं पर आसानी से समझौता नहीं करेगा।
  • भू-राजनीतिक लाभ: भारत,एक शक्तिशाली स्थिति में आकर समझौता करने के लिए समय, साझेदार की मजबूरियों और अपनी बाजार शक्ति का उपयोग करता है।
  • सहायता प्राप्ति से लेकर नियम-निर्धारण तक: भारत FTA को पारस्परिक हित के साधन के रूप में देखता है, न कि “मुक्त व्यापार” के प्रति वैचारिक प्रतिबद्धताओं के रूप में।
  • अन्य साझेदारों को संकेत: भारत चरणबद्ध, मॉड्यूलर सौदों के लिए तैयार है, लेकिन यदि मूल हितों को खतरा होगा तो वह पीछे हट जाएगा।
  • गुट-अनुसरण नीति के बजाय परिधि-निर्माण: भारत विशिष्ट द्विपक्षीय मार्ग तैयार कर रहा है जो बाजार पहुँच का विस्तार करते हुए संप्रभुता की रक्षा करते हैं।
    • उदाहरण: जहां अमेरिका वियतनाम, जापान, इंडोनेशिया के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है, वहीं भारत रणनीतिक स्वायत्तता के आधार पर अपना रास्ता स्व्यं बना रहा है।

निष्कर्ष

भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (FTA) केवल   टैरिफ की गणना का विषय नहीं है अपितु यह भारत के नए व्यापार सिद्धांत की एक रणनीतिक उद्घोषणा है जिसमें शामिल है: लक्षित खुलापन, क्षेत्रीय व्यावहारिकता, गतिशीलता लाभ, और खाद्य एवं डिजिटल संप्रभुता पर दृढ़ सीमा रेखाएँ। जैसे-जैसे भारत अमेरिका, यूरोपीय संघ और ASEAN के प्रति इस दृष्टिकोण को अपना रहा है, यह समझौता आर्थिक विस्तार के लिए एक उत्प्रेरक और वैश्विक व्यापार मंच पर समझौते के प्रति विश्वास का प्रतीक बन रहा है।

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