प्रश्न की मुख्य माँग
- उन संरचनात्मक बाधाओं का परीक्षण कीजिए जो चिकित्सा पेशेवरों को स्वास्थ्य देखभाल नवाचार में प्रमुख हितधारक बनने से रोकती हैं।
- उन संस्थागत बाधाओं का परीक्षण कीजिए जो चिकित्सा पेशेवरों को स्वास्थ्य देखभाल नवाचार में प्रमुख हितधारक बनने से रोकती हैं।
- अधिक सहयोगात्मक पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के तरीके सुझाइये।
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उत्तर
AI, डिजिटल स्वास्थ्य और व्यक्तिगत चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवा को नया रूप दे रहे हैं, लेकिन नैदानिक चुनौतियों की गहरी समझ के बावजूद, संरचनात्मक और सांस्कृतिक बाधाओं के कारण, डॉक्टर उपयोगकर्ता मात्र ही बने हुए हैं, न कि नवप्रवर्तक या सर्जक। इसे बदलने के लिए प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और सहयोग को नया स्वरूप देना आवश्यक है।
संरचनात्मक बाधाएं डॉक्टरों को नवाचार से दूर रख रही हैं
- नैदानिक माँगों के कारण समय की कमी: मरीजों की अधिक संख्या और प्रशासनिक जिम्मेदारियां, रचनात्मक अन्वेषण के लिए उपलब्ध समय को कम कर देती हैं।
- चिकित्सा शिक्षा में उद्यमशीलता प्रशिक्षण का अभाव: चिकित्सा पाठ्यक्रम केवल नैदानिक अभ्यास पर ही केंद्रित होता है, तथा उत्पाद विकास या नवाचार पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
- चिकित्सा पद्धति में अंतर्निहित जोखिम से बचाव: यह पेशा निश्चितता और सुरक्षा को प्राथमिकता देता है, जो अनिश्चितता या विफलता से जुड़े नवाचार को हतोत्साहित करता है।
- नवाचार को गैर-चिकित्सा क्षेत्र के रूप में समझना: डॉक्टर अक्सर तकनीकी नवाचार को इंजीनियरों की जिम्मेदारी मानते हैं।
- पारंपरिक सेवा वितरण पर ध्यान केंद्रित करना: चिकित्सा उद्यमिता आमतौर पर अस्पताल और क्लीनिक खोलने तक ही सीमित होके रह जाती है, यह नवाचार तक विकसित ही नहीं हो पाती।
- उदाहरण: अधिकांश डॉक्टरों के नेतृत्व वाले उद्यम, सेवा वितरण तक ही सीमित रहते हैं तथा नई उपचार पद्धतियां या प्रौद्योगिकियां विकसित नहीं करते हैं।
- व्यवसायीकरण प्रक्रियाओं का सीमित अनुभव: डॉक्टरों में स्वास्थ्य सेवा स्टार्टअप के लिए आवश्यक वित्त, विनियमन और बौद्धिक संपदा की समझ का अभाव होता है।
- उदाहरण: व्यवसायीकरण और विनियमीकरण में प्रशिक्षण का अभाव, उद्यमशीलता परिवर्तन में बाधा डालता है।
संस्थागत बाधाएं जो डॉक्टरों को नवाचार से दूर रख रही हैं
- कठोर चिकित्सा शिक्षा प्रणाली: परंपरागत पाठ्यक्रम नवाचार-केंद्रित शिक्षा के साथ प्रयोग के लिए बहुत कम गुंजाइश प्रदान करते हैं।
- स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में प्रोत्साहन का अभाव: अस्पताल और चिकित्सा प्रणालियाँ आमतौर पर सेवा वितरण को पुरस्कृत करती हैं, न कि उद्यमशीलता के प्रयासों या समस्या-समाधान पहलों को।
- नवप्रवर्तन अवसंरचना की कमी: कुछ ही संस्थान डॉक्टर-नेतृत्व वाले उद्यमों को सहायता प्रदान करने के लिए नवप्रवर्तन प्रयोगशालाओं, इनक्यूबेटरों या वित्तपोषण योजनाओं तक पहुँच प्रदान करते हैं।
- सीमित मार्गदर्शन के अवसर: डॉक्टरों के पास उद्यमिता, वित्त या उत्पाद विकास के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन पाने की न्यूनतम सुविधा होती है।
- जटिल विनियामक परिवेश: जटिल नौकरशाही प्रक्रियाएं, लाइसेंसिंग और अनुमोदन प्रणालियां चिकित्सकों को नए समाधान विकसित करने और शुरू करने से हतोत्साहित करती हैं।
अधिक सहयोगात्मक पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आगे की राह
- इंजीनियरिंग संस्थानों के साथ अंतःविषय सहयोग: मेडिकल और इंजीनियरिंग छात्रों के बीच संयुक्त परियोजनाओं और प्रॉब्लम-सॉल्विंग को बढ़ावा देना चाहिए।
- उदाहरण: IITs और IISCs के साथ साझेदारी, नैदानिक अंतर्दृष्टि और तकनीकी नवाचार के बीच एकीकरण को बढ़ावा देती है।
- अस्पताल-आधारित नवाचार केन्द्रों की स्थापना: अस्पतालों को प्रोटोटाइप का परीक्षण करने और विचार विकास में सहायता के लिए मंच उपलब्ध कराना चाहिए।
- उदाहरण: डॉक्टर वास्तविक नैदानिक चुनौतियों को हल करने के लिए अस्पताल-आधारित इनक्यूबेटरों के भीतर चिकित्सा नवाचारों का संचालन कर सकते हैं।
- मार्गदर्शन और स्टार्टअप नेटवर्क तक पहुँच: विकास और विनियामक अनुमोदन के लिए डॉक्टरों को मार्गदर्शकों, निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों से जुड़ना चाहिए।
- बायोटेक इन्क्यूबेटर्स में इंटर्नशिप: चिकित्सा शिक्षा के दौरान मेड-टेक वातावरण से परिचित होने को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
- उदाहरण: उद्यमशीलता क्षमता निर्माण के लिए बायोटेक इन्क्यूबेटरों में इंटर्नशिप के एकीकरण का सुझाव दिया गया है।
- सरकारी सहायता और नवाचार अनुदान: मेड-टेक उद्यमियों को वित्तपोषण, विनियामक सुगमता और विनिर्माण प्रोत्साहन प्रदान किया जाना चाहिए।
- उदाहरण: BIRAC, स्टार्टअप इंडिया और इंडिया हेल्थ फंड अनुदान प्रदान करते हैं, जबकि मेक इन इंडिया स्थानीय उपकरण विनिर्माण को बढ़ावा देता है।
- जोखिम स्वीकृति और नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देना: विफलता को नवाचार के भाग के रूप में सामान्य मानकर प्रयोग को प्रोत्साहित करना चाहिए।
- उदाहरण: स्टार्टअप में विफलता को दीर्घकालिक प्रगति के लिए आवश्यक असफल वैज्ञानिक प्रयोगों की तरह देखा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
चिकित्सकों को स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी के मात्र उपभोक्ता न रहकर सह-निर्माता बनना होगा, ताकि भारत में व्यापकता, पहुँच और गुणवत्ता से जुड़ी चुनौतियों का समाधान हो सके। सशक्त मेड-टेक सहयोग तंत्र पहले से विद्यमान है, आवश्यकता है कि पाठ्यक्रम में सुधार, बहु-अनुशासनात्मक टीमों का गठन, अस्पताल-आधारित नवाचार को वित्तीय समर्थन, नियामकीय प्रक्रियाओं का सरलीकरण तथा नवाचार को बढ़ावा दिया जाये। इन प्रयासों से चिकित्सक नवाचार के केंद्र में आकर स्वास्थ्य सेवा में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।
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