Q. आईटी क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास की आधारशिला रहा है, जिसने निर्यात और रोजगार में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के कारण आज इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए। उद्योग में निरंतर रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत उपाय भी सुझाएँ।" (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • निर्यात एवं रोजगार में IT क्षेत्र की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  • वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक बदलावों के कारण वर्तमान समय में IT क्षेत्र के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ।
  • सतत् रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए कौन-से नीतिगत उपाय आवश्यक हैं?

उत्तर

भारत का IT क्षेत्र आर्थिक परिवर्तन का एक प्रमुख वाहक रहा है, जिसने निर्यात, रोजगार और इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए उन्नति को बढ़ावा दिया है। हालाँकि, डिजिटल परिवर्तन, स्वचालन, ग्राहकों की बदलती माँगों और AI के उदय जैसे संरचनात्मक बदलाव इसके विकास और रोजगार की संभावनाओं को नया रूप दे रहे हैं।

IT क्षेत्र निर्यात और रोजगार में महत्त्वपूर्ण योगदान कैसे देता है

  • प्रमुख निर्यात योगदानकर्ता: IT क्षेत्र भारत के कुल सेवा निर्यात का लगभग 50% हिस्सा है, जो इसे देश की विदेशी मुद्रा आय का मुख्य आधार बनाता है।
  • वृहद रोजगार सृजन: वर्ष 2024 में, IT क्षेत्र नें इंजीनियरिंग, सेल्स, मैनेजमेंट और सहायक भूमिकाओं में 5 मिलियन से अधिक लोगों को रोजगार दिया, जिससे भारत के युवाओं को स्थिर अवसर प्राप्त हुए।
  • आर्थिक मूल्य संवर्द्धन: IT उद्योग ने वर्ष 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7% का योगदान दिया, जो आर्थिक उत्पादन और राष्ट्रीय विकास में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • सामाजिक आर्थिक प्रगति का मार्ग: IT और ITeS नौकरियाँ ऐतिहासिक रूप से इंजीनियरिंग स्नातकों के लिए व्यापक रूप से सुलभ रही हैं, जो भारत में मध्यम वर्ग की समृद्धि के लिए एक सीधा मार्ग के रूप में कार्य करती हैं।
  • गुणक प्रभाव: इस क्षेत्र ने रियल एस्टेट, परिवहन, दूरसंचार और शिक्षा जैसे सहायक क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित किया, क्योंकि IT पेशेवरों की माँग ने इनके विकास को भी बल दिया।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक परिवर्तनों के कारण IT क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियाँ

  • AI और स्वचालन का खतरा: AI का उदय, IT क्षेत्र में कई शुरुआती और दोहराए जाने वाले कार्यों के लिए खतरा उत्पन्न करता है, क्योंकि जेनरेटिव AI और स्वचालन अब वे कार्य कर सकते हैं, जिन्हें करने के लिए पहले बड़ी संख्या में स्नातकों की आवश्यकता होती थी।
  • कौशल बेमेल: तेजी से बढ़ती “कौशल असंतुलन” की समस्या, जहाँ मौजूदा कार्यबल तेजी से बदलती ग्राहक और उद्योग की आवश्यकताओं—जैसे कि AI, साइबर सुरक्षा और क्लाउड कौशल की माँग—के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहा, जबकि पारंपरिक बेसिक सपोर्ट कार्यों की माँग कम हो रही है।
  • वैश्विक आर्थिक अस्थिरता: महामारी के बाद आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप के प्रमुख ग्राहकों द्वारा वैश्विक व्यय में कमी आई है, जिससे शुद्ध भर्ती (नेट हायरिंग) में गिरावट और परियोजनाओं में देरी हुई है।
  • वेतन में स्थिरता: क्षेत्र में वृद्धि के बावजूद, IT में शुरुआती वेतन लगभग एक दशक से स्थिर बना हुआ है, जिससे जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है और नई प्रतिभाओं के लिए इस क्षेत्र का आकर्षण कम हो रहा है।
  • वैकल्पिक अवसर और घटती बेंच स्ट्रेंथ: लगभग 20 लाख लोगों को रोजगार देने वाले ग्लोबल कैप्टिव सेंटर्स (GCCs) और विकसित होता स्टार्ट-अप इकोसिस्टम पारंपरिक IT क्षेत्र से प्रतिभा को आकर्षित कर रहे हैं, क्योंकि कंपनियाँ अतिरिक्त बेंच स्टाफ में कटौती कर रही हैं।

उद्योग में निरंतर रोजगार सृजन सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत उपाय

  • समग्र कौशल पहल: कार्यबल को नई उद्योग आवश्यकताओं के साथ संरेखित करने के लिए AI, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर सुरक्षा और चिप डिजाइन जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित तीव्र, वहनीय और सतत् कौशल तथा अपस्किलिंग कार्यक्रमों को लागू करना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा में व्यापक सुधार: इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा में सुधार करके इसमें व्यावहारिक, अनुभवात्मक शिक्षा को शामिल किया जाना चाहिए तथा रटने पर आधारित कौशल के स्थान पर डोमेन विशेषज्ञता और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • विविधीकरण के लिए प्रोत्साहन: जैव प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और उन्नत विनिर्माण जैसे संबंधित क्षेत्रों में विकास को बढ़ाने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिए, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार के लिए IT पर अत्यधिक निर्भरता कम हो सके।
  • स्टार्ट-अप्स और SMEs के लिए सहायता:  फंडिंग, मेंटरशिप और वैश्विक बाजारों तक सरल पहुँच सुनिश्चित करना चाहिए, विशेषकर डीप-टेक और नई पीढ़ी की IT सेवाओं पर काम करने वाले स्टार्ट-अप्स के लिए, ताकि रोजगार का आधार व्यापक किया जा सके।
  • अनुसंधान एवं विकास तथा नवप्रवर्तन को प्रोत्साहित करना: अनुसंधान एवं विकास पर सरकारी और निजी क्षेत्र के व्यय को बढ़ाना चाहिए तथा ऐसा वातावरण तैयार करना चाहिए, जिससे नवप्रवर्तन केंद्रों, इनक्यूबेशन लैब्स और अगली पीढ़ी के उत्पाद विकास केंद्रों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हो सके।

निष्कर्ष

भारत का IT क्षेत्र, भले ही वैश्विक आउटसोर्सिंग में अग्रणी हो, फिर भी स्वचालन, AI और बदलते बाजारों से दबाव का सामना कर रहा है। मूल्य शृंखला में ऊँचा स्थान प्राप्त कर, विशेषीकृत कौशल को प्रोत्साहित कर, सेवाओं का विविधीकरण कर, और पुनः कौशल विकास तथा नवाचार केंद्रित नीतियों के माध्यम से यह क्षेत्र निर्यात, रोजगार और तकनीकी नेतृत्व के प्रमुख चालक की अपनी भूमिका को बनाए रख सकता है।

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