प्रश्न की मुख्य माँग
- विकसित होते हिंद-प्रशांत भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच भारत-फिलीपींस संबंधों में रणनीतिक मजबूती का महत्त्व।
- विकसित होते हिंद-प्रशांत भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच भारत-फिलीपींस संबंधों की चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
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उत्तर
भारत–फ़िलीपींस संबंध, सीमित द्विपक्षीय सहभागिता से एक रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण साझेदारी में परिवर्तित हो रहे हैं, जिसका आधार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अभिसारी भू-राजनीतिक हित हैं। भारत की एक्ट ईस्ट नीति और विजन महासागर पर आधारित, और दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के दृढ़ रुख के अनुरूप, दोनों देश सुरक्षा, संपर्क, व्यापार और पीपुल-टू-पीपुल विनिमय में सहयोग को मजबूत कर रहे हैं।
भारत-फिलीपींस संबंधों की रणनीतिक मजबूती का महत्त्व
- हिंद-प्रशांत रणनीति में अभिसरण: मुक्त, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत का साझा दृष्टिकोण समुद्री सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ करता है।
- उदाहरण: यह साझेदारी भारत की एक्ट ईस्ट नीति और विजन महासागर का आधार है; फिलीपींस आसियान की अध्यक्षता करेगा।
- दक्षिण चीन सागर विवादों पर साझा रुख: जबरन समुद्री दावों के विरुद्ध साझा रुख से विश्वास और रणनीतिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलता है।
- समुद्री सुरक्षा नेटवर्क में एकीकरण: क्षेत्रीय सुरक्षा तंत्र में संयुक्त भागीदारी से सूचना साझाकरण और रक्षा समन्वय को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: फ़िलीपींस का भारत के “इंटरनेशनल फ्यूजन सेंटर फॉर द इंडियन ओशन रीजन” में शामिल होना।
- उन्नत संपर्क और पर्यटन: प्रत्यक्ष परिवहन संपर्क गतिशीलता, व्यापार और सांस्कृतिक विनिमय में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं।
- उदाहरण: एयर इंडिया द्वारा सीधी उड़ानें शुरू करना, फिलीपींस द्वारा भारतीयों के लिए वीजा-मुक्त प्रवेश की सुविधा प्रदान करना।
- व्यापार और सीमा शुल्क सहयोग का विस्तार: संस्थागत तंत्र, व्यापार संचालन को सुगम बनाते हैं और बाधाओं को कम करते हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2023 में सीमा शुल्क सहयोग पर समझौते पर हस्ताक्षर, वरीयता व्यापार समझौते पर वार्ता जारी है।
- निवेश और प्रौद्योगिकी सहयोग: विभिन्न क्षेत्रों में निवेश से आर्थिक प्रत्यास्थता और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: IT, फार्मास्यूटिकल्स, बायोमास ऊर्जा में सहयोग, वर्ष 2023 में फिनटेक पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर।
- विश्वास को मजबूत करने वाली प्रतीकात्मक उपलब्धियाँ: राजनयिक वर्षगाँठ, गहन सहयोग और रणनीतिक संवाद को उत्प्रेरित करती हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2023 में भारत-फिलीपींस राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई।
विकसित होते हिंद-प्रशांत भू-राजनीति परिदृश्य के बीच भारत-फिलीपींस संबंधों की चुनौतियाँ
- भौगोलिक दूरी, कनेक्टिविटी को सीमित करती है: भौगोलिक पृथक्करण ने ऐतिहासिक रूप से प्रत्यक्ष परिवहन, व्यापार और पर्यटन संपर्कों में बाधा उत्पन्न की है, जिससे अन्य ASEAN राज्यों की तुलना में एकीकरण प्रभावित हुआ है।
- संभावना की तुलना में कम व्यापार मात्रा: पूरक अर्थव्यवस्थाओं के बावजूद, ASEAN-भारत व्यापार ढांचे के भीतर द्विपक्षीय व्यापार सीमित बना हुआ है।
- उदाहरण: वर्ष 2023-24 में, द्विपक्षीय व्यापार 3.5 बिलियन डॉलर था, ASEAN देशों में फ़िलीपींस भारत का 6वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
- व्यापार ढांचे में फिलीपींस की झिझक: समझौतों की धीमी पुष्टि से आर्थिक एकीकरण की गति सीमित हो जाती है।
- अन्य रणनीतिक भागीरारों से प्रतिस्पर्धा: फिलीपींस की विदेश नीति प्रमुख हिंद-प्रशांत देशों के साथ जुड़ाव को प्राथमिकता देती है, जिससे भारत पर ध्यान कम हो सकता है।
- उदाहरण: रक्षा सहयोग में जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मजबूत संबंध।
- जन-से–जन संपर्क की कमी: पर्यटन और सांस्कृतिक विनिमय की कमज़ोरी, जमीनी स्तर पर जुड़ाव को सीमित करती है।
- उदाहरण: वर्ष 2023 में 1.4 मिलियन पर्यटकों में से केवल लगभग 30,000 भारत से होंगे।
- निवेश प्रवाह में आर्थिक विषमता: फिलीपींस में भारतीय निवेश, भारत में फिलीपींस के निवेश से अधिक है, जो असंतुलन को दर्शाता है।
- उदाहरण: भारतीय निवेश लगभग 5 बिलियन डॉलर का है, जो मुख्य रूप से IT, फार्मा और बायोमास ऊर्जा में है; भारत में फिलीपीन का निवेश नगण्य है।
भारत-फिलीपींस संबंध साझा समुद्री हितों, आर्थिक पूरकता और पीपुल-टू-पीपुल संबंधों से प्रेरित होकर एक प्रमुख हिंद-प्रशांत साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं। दूरी और सीमित व्यापार के बावजूद, रक्षा, संपर्क और सीमा शुल्क सहयोग में प्रगति दोनों देशों की प्रतिबद्धता का संकेत देती है, जिससे यह क्षेत्रीय स्थिरता और विकास का एक प्रमुख स्तंभ बन सकती है।
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