Q. प्रत्येक सर्दी के मौसम में, दिल्ली खतरनाक वायु प्रदूषण के स्तर के कारण 'गैस चैंबर' में बदल जाती है, जिससे जन स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। दिल्ली के प्रदूषण में योगदान देने वाले प्रमुख स्रोतों का विश्लेषण कीजिए और अल्पावधि एवं दीर्घावधि में इसे कम करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय रणनीति सुझाइए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • दिल्ली के प्रदूषण में योगदान देने वाले प्रमुख स्रोतों का विश्लेषण कीजिए जो सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
  • अल्पावधि और दीर्घावधि में इसे कम करने के लिए एक बहु-क्षेत्रीय रणनीति सुझाइये।

उत्तर

दिल्ली निरंतर विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार किया जाता है। शीत ऋतु में, PM2.5 का स्तर अक्सर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुरक्षित मानकों से 20-25 गुना अधिक हो जाता है, जिससे जन स्वास्थ्य, आर्थिक और पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। AQLI वर्ष 2023 के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली में जीवन प्रत्याशा 6.3 वर्ष कम हो जाती है। इससे निपटने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के लक्ष्यों के अनुरूप बहु-क्षेत्रीय, बहु-स्तरीय शासन की आवश्यकता है ।

दिल्ली के वायु प्रदूषण और मौसमी स्मॉग वृद्धि के प्रमुख स्रोत

  • बायोमास दहन: NCR+ राज्यों में गोबर के उपले, जलाऊ लकड़ी और कृषि अवशेषों के दहन से प्रदूषक शीतकालीन व्युत्क्रम परतों में फंस जाते हैं।
    • उदाहरण: पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष के दहन से से PM 2.5 में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
  • औद्योगिक उत्सर्जन: कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्र और लघु उद्योग SO₂, NOₓ और कण उत्सर्जित करते हैं, जो अक्सर स्वीकार्य मानदंडों से अधिक होते हैं।
    • उदाहरण: NCR के 12 कोयला संयंत्रों में से केवल 7 ही FGD रेट्रोफिट में देरी के कारण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 2015 के मानकों का अनुपालन करते हैं।
  • ईंट भट्टे: पारंपरिक क्लैंप-भट्ठों से ब्लैक कार्बन और अपूर्ण रुप से दहन होने वाले हाइड्रोकार्बन निर्मुक्त होते हैं; स्वच्छ जिगजैग प्रौद्योगिकी को अपनाना असमान है।
  • वाहन उत्सर्जन: सघन, पुराना बेड़ा और सीमित EV उत्सर्जन, NOₓ और कणीय भार को बदतर बनाते हैं।
  • नगर निगम के ठोस अपशिष्ट का दहन: अप्रभावी अपशिष्ट पृथक्करण के कारण लैंडफिल का अतिप्रवाह होता है और खुले में दहन होता है, जिससे डाइऑक्सिन और सूक्ष्म कण निकलते हैं।
  • अशोधित  सीवेज और द्वितीयक प्रदूषण: अप्रसंस्कृत अपशिष्ट जल यमुना को दूषित करता है, जिससे रासायनिक अभिक्रियायें होती हैं जो द्वितीयक एरोसोल बनाती हैं।
  • पराली जलाना: पड़ोसी राज्यों में फसल कटाई के बाद पराली जलाने की घटनाएं मौसम संबंधी स्थिरता के साथ मेल खाता है जिससे धुंध बढ़ती है।

बहु-क्षेत्रीय रणनीतियाँ

अल्पकालिक

  • लक्षित बायोमास एवं पराली नियंत्रण: मौसमी उत्सर्जन पर अंकुश लगाने के लिए इन-सीटू अवशेष प्रबंधन हेतु उपग्रह निगरानी और नकद प्रोत्साहन की व्यवस्था करनी चाहिए।
    • उदाहरण: PRANA पोर्टल वास्तविक समय में पराली जलाने को निगरानी करता है, जबकि फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत हैप्पी सीडर मशीनों पर सब्सिडी किसानों को फसल अवशेष जलाने से बचने में मदद करती है।
  • ईंट भट्ठा आधुनिकीकरण अभियान: ईंधन की खपत और कण उत्सर्जन में कटौती करने के लिए जिगजैग  भट्ठों को अपनाने हेतु सब्सिडी और कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना चाहिए।
  • सार्वजनिक वायु गुणवत्ता डैशबोर्ड: नागरिक स्तर पर कार्रवाई करने के लिए रियल टाइम  पर वायु गुणवत्ता निगरानी और सार्वजनिक अलर्ट सुनिश्चित करना चाहिए।
    • उदाहरण: NCAP का निगरानी नेटवर्क, स्मॉग की घटनाओं के दौरान नागरिकों की कार्रवाई का मार्गदर्शन करने के लिए सार्वजनिक बोर्डों और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर लाइव AQI डेटा प्रदर्शित करता है।

दीर्घकालिक

  • सतत शहरी परिवहन: दीर्घकालिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए मेट्रो विस्तार, साइकिल ट्रैक और निजी वाहन उपयोग के लिए हतोत्साहन के माध्यम से सतत गतिशीलता की आवश्यकता है।
  • औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन: NCR लघु और मध्यम उद्यमों को उत्सर्जन और लागत में कटौती करने के लिए स्वच्छ ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युतीकृत प्रक्रियाओं को अपनाना होगा।
    • उदाहरण: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के अंतर्गत परफॉर्म, अचीव, ट्रेड (PAT) योजना ऊर्जा-गहन उद्योगों को उत्सर्जन कम करने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  • सर्कुलर अर्थव्यवस्था एकीकरण: रैखिक “टेक-मेक-डिस्पोज” मॉडल से सर्कुलर अर्थव्यवस्था में स्थानांतरण, जिसमें अपशिष्ट से ऊर्जा, सामग्री पुनर्प्राप्ति और EPR शामिल है, अपशिष्ट दहन और लैंडफिल उत्सर्जन में कटौती करता है।
  • शहरी हरितकरण और कार्बन सिंक: वनरोपण, जैव विविधता पार्क और वर्टिकल गार्डन के माध्यम से हरित क्षेत्र का विस्तार CO₂ को अवशोषित करता है और शहरी धूल के पुनः निलंबन को कम करता है।
  • सार्वजनिक व्यवहार परिवर्तन: दीर्घकालिक सफलता सार्वजनिक जागरूकता, AQI निगरानी, तथा अपशिष्ट पृथक्करण, कार-पूलिंग और हरितीकरण में नागरिक भागीदारी पर निर्भर करती है।

दिल्ली का प्रदूषण संकट कोई स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय पर्यावरणीय शासन चुनौती है। समाधानों में NCAP के 20-30% PM2.5 न्यूनीकरण लक्ष्य, CAQM प्रवर्तन और नागरिकों के नेतृत्व में व्यवहार परिवर्तन को एकीकृत करना होगास्वच्छ वायु के बिना आर्थिक विकास मानव पूंजी, उत्पादकता और भारत के सतत विकास लक्ष्यों को कमजोर करता है । दिल्ली को एक स्वच्छ, रहने योग्य शहर में बदलने के लिए एक सतत विज्ञान-नीति-समाज साझेदारी आवश्यक है।

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