Q. भारत में नकदी-प्रधान अर्थव्यवस्था और UPI-संचालित अर्थव्यवस्था के बीच अंतरों पर चर्चा कीजिए। UPI ने भारतीय अर्थव्यवस्था को क्या लाभ प्रदान किए हैं? (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • नकदी-प्रधान अर्थव्यवस्था और UPI-संचालित अर्थव्यवस्था के मध्य अंतर।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए UPI के लाभ।

उत्तर

भारत की अर्थव्यवस्था विशेषकर UPI के माध्यम से नकद से डिजिटल भुगतान की ओर निर्णायक परिवर्तन का सामना कर रही है। अप्रैल–जून 2025 में 34.9 बिलियन UPI लेन-देन, जिनकी कुल राशि ₹20.4 लाख करोड़ रही, निजी अंतिम उपभोग व्यय का 40% रहे, जबकि यह अनुपात दो वर्ष पूर्व 24% था। परिवारों की मुद्रा बचत 12.5% (2020-21) से घटकर 3.4% (2023-24) हो गई, वहीं वर्ष 2019 से वर्ष 2025 के बीच एटीएम निकासी 50% हो गई, जो UPI-आधारित अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक वृद्धि को दर्शाता है।

नकद-प्रधान अर्थव्यवस्था और UPI-प्रधान अर्थव्यवस्था में अंतर

पैरामीटर नकद-प्रधान अर्थव्यवस्था UPI-प्रधान अर्थव्यवस्था
लेन-देन का स्वरूप लेन-देन मुख्यतः भौतिक, मुद्रा नोट और सिक्कों पर आधारित। लेन-देन डिजिटल, UPI प्लेटफॉर्म और अन्य ऑनलाइन प्रणालियों के माध्यम से।
कराधान और अनौपचारिकता कम रिपोर्टिंग, कर चोरी और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था के बढ़ने का उच्च जोखिम। अधिक पारदर्शिता और औपचारिकता, कर अनुपालन में वृद्धि।
लेन-देन की गति धीमी, उच्च लागत और छोटे/दूरस्थ विक्रेताओं तक सीमित पहुँच। त्वरित, कम लागत वाले भुगतान, जो भौगोलिक और उपकरणीय विविधता में उपलब्ध।
निगरानी खर्च पैटर्न और घरेलू उपभोग का सटीक आकलन कठिन। डिजिटल ट्रेल रियल टाइम में डेटा उपलब्ध कराते हैं, जिससे उपभोग और आर्थिक प्रवृत्तियों की बेहतर निगरानी संभव।

भारतीय अर्थव्यवस्था में UPI के लाभ

  • वित्तीय समावेशन में वृद्धि: डिजिटल भुगतान दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँचते हैं, जिससे अनौपचारिक क्षेत्र के प्रतिभागी औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जुड़ते हैं।
    • उदाहरण: RBI और NPCI ने वर्ष 2021 में ‘पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड’ (PIDF) शुरू किया ताकि टियर-2 और टियर-3 शहरों में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन मिले।
  • लेन-देन की दक्षता और लागत में कमी: त्वरित निपटान से नकद प्रबंधन पर निर्भरता कम होती है और संचालन लागत न्यूनतम होती है।
    • उदाहरण: अप्रैल–जून 2025 में परिवारों ने खाद्य और पेय पर ₹3.4 लाख करोड़ UPI से खर्च किए, जिससे सूक्ष्म लेन-देन सरल हुए।
  • अर्थव्यवस्था का औपचारिकरण: लेन-देन के दस्तावेजीकरण को प्रोत्साहन, कर अनुपालन में वृद्धि और शेडो इकॉनमी में कमी आई।
  • निवेश और ऋण प्रवाह को प्रोत्साहन: डिजिटल माध्यम से प्रेषण, ऋण भुगतान और निवेश को सरल बनाना।
    • उदाहरण : जुलाई 2025 में परिवारों ने UPI के माध्यम से ऋण वसूली एजेंसियों को ₹93,857 करोड़ और ब्रोकरों को ₹61,080 करोड़ स्थानांतरित किए।
  • डेटा-आधारित नीति निर्माण: बड़े पैमाने पर डिजिटल लेन-देन का डेटा सरकार को उपभोग पैटर्न और आर्थिक गतिविधि की निगरानी में मदद करता है।
    • उदाहरण: UPI उपयोग की प्रवृत्तियाँ RBI और अन्य एजेंसियों को विभिन्न क्षेत्रों में औपचारिकरण की सीमा का आकलन करने में सहायक होती हैं।

निष्कर्ष

UPI का उदय नकद-प्रधान अनौपचारिकता से डिजिटल औपचारिकता की ओर एक परिवर्तनकारी कदम है, जो पारदर्शिता, दक्षता और वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करता है। भविष्य में प्रयासों को रतन वाटल समिति (2016) की सिफारिशों से संरेखित करना आवश्यक होगा, जिसमें कम लागत वाली, इंटरऑपरेबल डिजिटल अवसंरचना को बढ़ावा देने, नकद उपयोग घटाने और वित्तीय पहुँच को गहरा करने पर बल दिया गया था।

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