Q. आधुनिक डिजिटल दुनिया की मूल संरचना, जो आक्रोश और द्विआधारी अवधारणाओं को बढ़ावा देने वाले एल्गोरिदम द्वारा संचालित है, सत्य, अहिंसा और स्वराज के गांधीवादी आदर्शों के लिए एक संरचनात्मक खतरा उत्पन्न करती है। इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। समकालीन 'उत्तर-सत्य' युग में गाँधीवादी दर्शन एक नैतिक दिशासूचक के रूप में कैसे कार्य कर सकता है? (250 शब्द, 15 अंक)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • डिजिटल दुनिया द्वारा गांधीवादी आदर्शों के लिए उत्पन्न खतरे
  • प्रति-परिप्रेक्ष्य: कोई खतरा नहीं / सकारात्मक पहलू
  • नैतिक दिशासूचक के रूप में गांधीवादी दर्शन।

उत्तर

एल्गोरिथम-संचालित सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर प्रभावी डिजिटल युग, जनमत, राजनीतिक विमर्श और व्यक्तिगत विश्वासों को आकार देता है। यह सूचना तक पहुँच और नागरिक सहभागिता को तो सक्षम बनाता है, लेकिन वायरलिटी, आक्रोश और द्विआधारी आख्यानों को प्राथमिकता देने वाली इसकी संरचना सत्य, अहिंसा और स्वराज के गांधीवादी आदर्शों को चुनौती दे सकती है और विरोधाभासी रूप से उन्हें सुदृढ़ भी कर सकती है।

डिजिटल दुनिया द्वारा गांधीवादी आदर्शों के लिए उत्पन्न खतरे

  • सत्य का क्षरण: एल्गोरिदम सत्यापित तथ्यों की तुलना में जुड़ाव को प्राथमिकता देते हैं।
    • उदाहरण: व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया के माध्यम से कोविड-19 महामारी संबंधी गलत सूचना का प्रसार।
  • ध्रुवीकरण को बढ़ावा: डिजिटल प्रतिध्वनि कक्ष “हम बनाम वे” के आख्यानों को बढ़ावा देते हैं।
    • उदाहरण: वर्ष 2018-19 में वायरल भ्रामक सूचना से भारत में सांप्रदायिक तनाव बढ़ा।
  • अहिंसा को कमजोर करना: ऑनलाइन उत्पीड़न, ट्रोलिंग और अभद्र भाषा सामाजिक नुकसान को बढ़ाती है।
    • उदाहरण: सरकारी नीतियों की आलोचना करने वाले पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को लक्षित साइबर धमकी।
  • स्वराज का नुकसान: एल्गोरिदम के दबाव राय बनाने में व्यक्तिगत स्वायत्तता से समझौता करते हैं।
    • उदाहरण: यूट्यूब और फेसबुक पर फिल्टर बबल अवचेतन रूप से राजनीतिक धारणाओं को प्रभावित करते हैं।
  • उपयोगकर्ताओं ध्यान का व्यावसायीकरण: आक्रोश-प्रेरित कंटेंट का मुद्रीकरण किया जाता है, जिससे नैतिक विमर्श की बजाय सनसनीखेज कंटेंट को बढ़ावा मिलता है।
    • उदाहरण: YouTube रिकमंडेशन इंजन, अधिक देखे जाने के समय के लिए भड़काऊ राजनीतिक वीडियो का प्रचार करता है।

प्रति-परिप्रेक्ष्य: कोई खतरा नहीं / सकारात्मक पहलू

  • सूचना तक पहुँच के माध्यम से सशक्तीकरण: डिजिटल प्लेटफॉर्म पारदर्शिता और जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
    • उदाहरण: कोविड-19 के दौरान पर्यावरण संरक्षण या जन स्वास्थ्य जागरूकता के लिए ऑनलाइन अभियान।
  • अहिंसक वकालत के लिए मंच: सोशल मीडिया रचनात्मक सक्रियता और गांधीवादी शैली के अभियानों को सक्षम बनाता है।
    • उदाहरण: #SaveGirlChild, #SwachhBharat जैसी पहल शांतिपूर्ण तरीके से जन भागीदारी को बढ़ावा देती हैं।
  • तथ्य-जांच नेटवर्क: प्रौद्योगिकी गलत सूचनाओं की पुष्टि और उन पर अंकुश लगाकर सत्य को लागू कर सकती है।
    • उदाहरण: ALT न्यूज और बूम फैक्ट चेक वायरल झूठे दावों का सक्रिय रूप से प्रतिवाद करते हैं।
  • नागरिक जुड़ाव और स्वराज: उपयोगकर्ता बहस, याचिकाओं और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग ले सकते हैं।
    • उदाहरण: सरकारी प्लेटफॉर्म द्वारा ई-याचिकाएँ और ऑनलाइन सार्वजनिक परामर्श।
  • डिजिटल एकजुटता: नेटवर्क समुदायों के बीच सहानुभूति और सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • उदाहरण: प्राकृतिक आपदाओं के दौरान ऑनलाइन ठगी और आपदा राहत समन्वय।

नैतिक दिशासूचक के रूप में गांधीवादी दर्शन

  • सत्य – नैतिक साझाकरण: ऑनलाइन सटीक जानकारी का सत्यापन और प्रचार करना।
    • उदाहरण: यंग इंडिया में गांधी जी का ईमानदार रिपोर्टिंग पर जोर देना।
  • अहिंसा – ज़िम्मेदार संचार: ऐसी सामग्री से बचना जो नुकसान या शत्रुता भड़काती हो।
    • उदाहरण: सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति गांधीवादी दृष्टिकोण साइबर नैतिकता अभियानों को प्रेरित करता है।
  • स्वराज – डिजिटल स्वायत्तता: एल्गोरिदम का पालन करने के बजाय, सचेत और स्वतंत्र निर्णय लेना।
    • उदाहरण: विश्वसनीय स्रोतों का चयन करने और सनसनीखेज सामग्री का विरोध करने में व्यक्तिगत अनुशासन।
  • रचनात्मक संवाद: ऑनलाइन चर्चाओं में समावेशी और सहानुभूतिपूर्ण सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
    • उदाहरण: ट्विटर थ्रेड्स पर सम्मानजनक बहस को बढ़ावा देने के लिए गांधीवादी सिद्धांतों का प्रयोग।
  • सार्वजनिक जवाबदेही और नैतिक नेतृत्व: प्लेटफॉर्म और उपयोगकर्ता ऑनलाइन स्थानों में पारदर्शिता, निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखते हैं।
    • उदाहरण: गलत सूचना को कम करने के लिए सामुदायिक दिशा-निर्देशों और तथ्य-जाँच को एकीकृत करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म।

निष्कर्ष

डिजिटल दुनिया गांधीवादी आदर्शों के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। जहाँ एल्गोरिदम गलत सूचना, ध्रुवीकरण और आक्रोश को बढ़ावा देते हैं, वहीं गांधीवादी दर्शन सत्य, अहिंसा और स्वशासन पर जोर देते हुए एक नैतिक दिशा-निर्देश प्रदान करता है। इन सिद्धांतों को डिजिटल साक्षरता, सामग्री नियंत्रण और नागरिक उत्तरदायित्व में एकीकृत करने से नैतिक जुड़ाव सुनिश्चित होता है, लोकतांत्रिक संवाद को मजबूती मिलती है और तकनीकी प्रगति को नैतिक तथा सामाजिक कल्याण के साथ जोड़ा जाता है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.