प्रश्न की मुख्य माँग
- क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की अवधारणा।
- क्वांटम भौतिकी के सैद्धांतिक आधारों और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोगों के लिए इस खोज के निहितार्थ।
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उत्तर
वर्ष 2025 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार ने यह सिद्ध किया कि क्वांटम प्रभाव केवल सूक्ष्म कणों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे बड़े और दृश्य प्रणालियों जैसे सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स में भी देखे जा सकते हैं। इस खोज के पीछे दो प्रमुख अवधारणाएँ हैं — क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunnelling), जिसमें कण उन बाधाओं को पार कर जाते हैं, जिन्हें वे सामान्यतः पार नहीं कर सकते और ऊर्जा का क्वांटीकरण (Energy Quantisation), जिसमें ऊर्जा सतत् न होकर निश्चित पैकेट्स या स्तरों में होती है।
क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण की अवधारणा
A. क्वांटम टनलिंग (Quantum Tunnelling)
- परिभाषा: क्वांटम टनलिंग वह घटना है, जिसमें कोई कण ऊर्जा अवरोध को पार कर जाता है, जिसे वह शास्त्रीय भौतिकी के अनुसार पार नहीं कर सकता। यह इसलिए संभव होता है क्योंकि क्वांटम सिद्धांत के अनुसार, कण तरंगों (Waves) की तरह व्यवहार करते हैं, जो बाधाओं के आर-पार “लीक” हो सकते हैं।
- उदाहरण: यूरेनियम के अल्फा क्षय में, हीलियम नाभिक नाभिकीय ऊर्जा अवरोध को पार करते हुए बाहर निकलते हैं — यह टनलिंग का ही परिणाम है।
- तरंग-कण द्वैतता: प्रत्येक कण की एक वेव फंक्शन होती है, जो यह बताती है कि उसे कहाँ पाए जाने की कितनी संभावना है। यदि ऊर्जा अवरोध से कम भी हो, तो वेव फंक्शन उस अवरोध से आगे तक विस्तृत रहती है, जिससे उसे पार करने की एक सीमित संभावना बनती है।
- संभावना और अवरोध की मोटाई: अवरोध जितना मोटा या ऊँचा होगा, टनलिंग की संभावना उतनी ही कम होगी, लेकिन कभी शून्य नहीं।
- उदाहरण: स्कैनिंग टनलिंग माइक्रोस्कोप (STM) इसी सिद्धांत पर काम करता है, जो परमाणु स्तर पर सतहों की मैपिंग करता है।
- भौतिक अर्थ: टनलिंग यह दर्शाती है कि ब्रह्मांड की प्रकृति संभाव्य है, जहाँ वास्तविकता निश्चितताओं के बजाय संभावनाओं से संचालित होती है।
- उदाहरण: सूर्य में संलयन अभिक्रिया प्रोटॉनों के टनलिंग के कारण ही संभव है, जो विद्युत प्रतिकर्षण अवरोध को पार करते हैं।
B. ऊर्जा का क्वांटीकरण
- परिभाषा: क्वांटम प्रणालियों में ऊर्जा निश्चित पैकेट्स या स्तरों (Levels) में होती है, न कि निरंतर रूप से। कण केवल निर्धारित ऊर्जा अवस्थाओं में ही रह सकते हैं।
- उदाहरण: बोर का हाइड्रोजन परमाणु मॉडल (Bohr’s Hydrogen Model) दर्शाता है कि इलेक्ट्रॉन केवल निश्चित ऊर्जा कक्षाओं में रहते हैं और इनके बीच संक्रमण (Transition) करते समय ऊर्जा पैकेट के रूप में (Quantum of Energy) उत्सर्जित या अवशोषित करते हैं।
- क्वांटीकरण का कारण: केवल कुछ विशेष स्थायी तरंग पैटर्न परमाणु कक्षाओं में पूरी तरह फिट बैठते हैं, जिससे केवल सीमित ऊर्जा अवस्थाएँ ही संभव होती हैं।
- सूक्ष्म प्रणालियों में क्वांटीकरण: नोबेल विजेताओं ने सिद्ध किया कि सुपरकंडक्टिंग लूप्स में धारा का प्रवाह भी क्वांटीकृत होता है यह प्रमाण है कि बड़े पैमाने की प्रणालियाँ भी क्वांटम नियमों का पालन करती हैं।
निहितार्थ
A. क्वांटम भौतिकी की सैद्धांतिक नींव
- क्वांटम नियमों का विस्तार: यह पुष्टि करता है कि क्वांटम यांत्रिकी केवल परमाणुओं तक सीमित नहीं है बल्कि बड़ी प्रणालियों में भी लागू होती है।
- क्वांटम और शास्त्रीय जगत का सेतु: यह सिद्ध करता है कि दृश्य आकार की वस्तुएँ भी क्वांटम संगति बनाए रख सकती हैं, जिससे परम्परागत और क्वांटम सीमाएँ पुनर्परिभाषित होती हैं।
- क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत की पुष्टि: देखे गए टनलिंग और क्वांटीकृत अवस्थाएँ क्वांटम विद्युतगतिकी (QED) जैसी उन्नत सिद्धांतों से संरेखित हैं।
- क्वांटम प्रौद्योगिकी की नींव: यह खोज क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और क्वांटम सेंसिंग सिस्टम की आधारशिला रखती है।
B. व्यावहारिक अनुप्रयोग
- इलेक्ट्रॉनिक्स: टनल डायोड और जेनर डायोड इलेक्ट्रॉन टनलिंग का उपयोग उच्च गति स्विचिंग के लिए करते हैं।
- क्वांटम कंप्यूटिंग: सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स क्वांटीकृत ऊर्जा स्तरों और टनलिंग का उपयोग क्वांटम सूचना (Quantum Information) को संगृहीत और संसाधित करने में करते हैं।
- ऊर्जा और संलयन: टनलिंग के अध्ययन के अनुसार सूर्य में नाभिकीय संलयन कैसे होता है और यह कृत्रिम संलयन अनुसंधान में भी सहायक है।
- चिकित्सा इमेजिंग: क्वांटीकृत ऊर्जा संक्रमण MRI और PET स्कैन जैसी तकनीकों की आधारशिला हैं।
- नैनो प्रौद्योगिकी: STM और क्वांटम डॉट्स टनलिंग का उपयोग करके परमाणु स्तर पर पदार्थ का नियंत्रण और चित्रण करते हैं।
निष्कर्ष
क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा क्वांटीकरण यह दर्शाते हैं कि प्रकृति सतत् नहीं बल्कि सूक्ष्म, निश्चित चरणों में कार्य करती है। वर्ष 2025 के नोबेल विजेताओं की खोज ने सिद्ध किया कि ये क्वांटम नियम केवल परमाणु जगत तक सीमित नहीं, बल्कि स्थूल प्रणालियों पर भी लागू होते हैं, जो क्वांटम कंप्यूटर्स और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी नई तकनीकों के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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