प्रश्न की मुख्य माँग
- सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू के दृष्टिकोण में अंतर।
- उनके दृष्टिकोण में समानता।
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उत्तर
सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें भारत का लौह पुरुष कहा जाता है, ने 560 से अधिक रियासतों का एकीकरण कर एक सशक्त और एकीकृत राष्ट्र की नींव रखी। जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर उन्होंने स्वतंत्र भारत की प्रारंभिक शासन व्यवस्था को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर आधारित किया। दोनों नेताओं की संयुक्त दृष्टि ने आधुनिक भारत की राजनीतिक और नैतिक संरचना को परिभाषित किया।
विभिन्न मुद्दों पर दृष्टिकोण में अंतर
| मुद्दा |
सरदार वल्लभभाई पटेल |
जवाहरलाल नेहरू |
| धर्मनिरपेक्षता |
- व्यावहारिक और सांस्कृतिक रूप से आधारित धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया, जो भारत की सभ्यतागत विरासत का सम्मान करते हुए धार्मिक सौहार्द सुनिश्चित करती थी।
- भारत की हिंदू सांस्कृतिक जड़ों को अस्वीकार किए बिना समानता पर बल दिया।
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- उदारवादी और पाश्चात्य प्रेरित धर्मनिरपेक्षता का समर्थन किया, जो धर्म और राज्य के कार्यों के पूर्ण पृथक्करण की पक्षधर थी।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तार्किकता पर बल दिया।
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| राष्ट्रीय एकता |
- राजनीतिक एकीकरण और आंतरिक स्थिरता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
- हैदराबाद और जूनागढ़ जैसे मामलों में सख्त कूटनीति और निर्णायक कार्रवाई कर रियासतों का भारत संघ में विलय किया।
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- विविधता में एकता और नैतिक प्रेरणा के माध्यम से एकता की परिकल्पना की।
- संवेदनशील मामलों में बल प्रयोग के बजाय वार्ता और आदर्शवादी कूटनीति को प्राथमिकता दी।
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| आर्थिक विकास |
- कृषि, स्थानीय उद्यम और प्रशासनिक दक्षता पर आधारित मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन किया।
- भारत की परिस्थितियों के अनुरूप विकेंद्रित विकास की वकालत की।
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- तीव्र औद्योगिकीकरण के लिए समाजवादी, राज्य-प्रधान औद्योगिक मॉडल का समर्थन किया। भारी उद्योगों, नियोजन और सार्वजनिक क्षेत्र की प्रधानता पर बल दिया।
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सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू के बीच समानताएँ
- धर्मनिरपेक्षता की साझा दृष्टि: दोनों ने एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष भारत का समर्थन किया, जहाँ सभी धर्मों को समान अधिकार प्राप्त हों और सांप्रदायिक राजनीति का विरोध किया गया।
- राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता: महात्मा गांधी के मार्गदर्शन में दोनों ने भारत की भौगोलिक एकता और संघीय अखंडता को सुदृढ़ करने के लिए साथ काम किया।
- आर्थिक विकास का समान दृष्टिकोण: दोनों ने राज्य-प्रधान विकास मॉडल का समर्थन किया, जो सामाजिक न्याय और राष्ट्रीय स्थिरता को बढ़ावा देता था।
- लोकतांत्रिक संस्थाओं में आस्था: दोनों नेताओं को संसदीय लोकतंत्र, संवैधानिकता और कानून के शासन में गहरा विश्वास था, जो शासन की नींव बने।
- समावेशी शासन पर ध्यान: दोनों ने कल्याणकारी और जन-केंद्रित प्रशासन की परिकल्पना की जो जाति, धर्म और वर्ग से परे समानता सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष
नेहरू का आदर्शवाद और पटेल का व्यावहारिक दृष्टिकोण एक-दूसरे के पूरक थे एक ने दृष्टि दी, तो दूसरे ने उसे क्रियान्वित किया। दोनों ने मिलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम को सशक्त किया और एक लोकतांत्रिक, एकीकृत गणराज्य की नींव रखी जो आज भी सशक्त रूप में खड़ा है।
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