प्रश्न की मुख्य माँग
- प्राथमिक स्तर पर AI की शुरुआत NEP, 2020 के साथ कैसे संरेखित है।
- इसके कार्यान्वयन में चुनौतियाँ।
- AI के सुचारू एकीकरण के लिए आगे की राह।
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उत्तर
भारत द्वारा वर्ष 2026–27 तक कक्षा 3 से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) शिक्षा प्रारंभ करने की योजना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तकनीक-संचालित एवं भविष्य-उन्मुख शिक्षण के लक्ष्य के अनुरूप है।
यह पहल डिजिटल दक्षता, रचनात्मकता और नवोन्मेष को प्रोत्साहित करती है, परंतु इसकी सफलता शिक्षक तैयारी और समान पहुँच पर निर्भर करेगी।
NEP-2020 के उद्देश्यों के साथ AI शिक्षा का सामंजस्य
- मूलभूत डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना: NEP 2020 ने 21वीं सदी के कौशलों पर बल दिया है और AI शिक्षा छात्रों में प्रारंभिक स्तर पर ही कंप्यूटेशनल सोच और डिजिटल प्रवाह विकसित करेगी।
- उदाहरण: कक्षा 3 से AI शिक्षण के अंतर्गत कोडिंग, डेटा प्रबंधन एवं समस्या-समाधान को मुख्य दक्षताओं के रूप में शामिल किया जाएगा।
- व्यक्तिगत एवं लचीला शिक्षण: AI, शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण को सशक्त करता है, जहाँ एडेप्टिव लर्निंग टूल्स प्रत्येक छात्र की क्षमता व गति के अनुसार अध्ययन को वैयक्तिक बनाते हैं।
- समालोचनात्मक सोच एवं रचनात्मकता का विकास: AI आधारित उपकरण रटने की प्रवृत्ति को कम करते हैं तथा विश्लेषणात्मक सोच, नवाचार और रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हैं — जो NEP-2020 की प्रमुख आकांक्षाएँ हैं।
- शिक्षक सशक्तीकरण: AI शिक्षकों के लिए नियमित कार्यों को स्वचालित कर, उन्हें अधिक रचनात्मक और संवादात्मक शिक्षण पर केंद्रित होने का अवसर प्रदान करता है।
- उदाहरण: Intel, IBM एवं सरकारी संस्थानों के सहयोग से अब तक 10,000 से अधिक शिक्षकों को AI एकीकरण हेतु प्रशिक्षित किया जा चुका है।
- समावेशी एवं बहुभाषी शिक्षा: AI, समावेशिता को बढ़ावा देता है — विशेष रूप से बहुभाषी एवं दिव्यांग-हितैषी शिक्षण संसाधनों के माध्यम से।
क्रियान्वयन में चुनौतियाँ
- शिक्षक प्रशिक्षण की कमी: देश के एक करोड़ से अधिक शिक्षकों को AI साक्षरता की आवश्यकता है। सीमित डिजिटल दक्षता, AI-आधारित शिक्षण अपनाने में प्रमुख बाधा बन सकती है।
- डिजिटल विभाजन एवं अवसंरचनात्मक कमी: ग्रामीण व सुदूर क्षेत्रों में उपकरण, बिजली और इंटरनेट की असमान उपलब्धता शिक्षा असमानता को और बढ़ा सकती है।
- उदाहरण: NFHS-5 (2019–21) के अनुसार, केवल 33% महिलाएँ कभी इंटरनेट का उपयोग कर चुकी हैं, जबकि पुरुषों में यह आँकड़ा 57% है — जो डिजिटल लैंगिक अंतर को दर्शाता है।
- नैतिकता और गोपनीयता से जुड़ी चिंताएँ: AI उपकरणों के उपयोग से डेटा सुरक्षा, एल्गोरिद्मिक पक्षपात और स्कूल निगरानी जैसे मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं।
- पाठ्यक्रम भार और शिक्षण तैयारी: यदि सावधानीपूर्वक एकीकृत न किया गया, तो AI शिक्षा का हिस्सा बनने के बजाय अतिरिक्त बोझ बन सकती है।
- वित्तीय और प्रशासनिक सीमाएँ: सभी विद्यालयों में AI लागू करने के लिए सतत् निवेश, शिक्षक प्रशिक्षण और डिजिटल सामग्री निर्माण आवश्यक होगा।
आगे की राह
- शिक्षक उन्नयन: AI और डिजिटल शिक्षण पर नियमित प्रशिक्षण को संस्थागत रूप दिया जाए ताकि शिक्षक तकनीकी रूप से सशक्त बनें।
- डिजिटल विभाजन को पाटना: PM e-Vidya जैसी योजनाओं और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से डिजिटल अवसंरचना का विस्तार किया जाए।
- नैतिक और नियामक ढाँचा: AI नैतिकता, डेटा सुरक्षा और पारदर्शिता हेतु स्पष्ट राष्ट्रीय दिशा-निर्देश तैयार किए जाएँ।
- चरणबद्ध एवं स्थानीय अनुकूलन: AI को पहले पायलट परियोजनाओं में लागू किया जाए और सफलता के बाद क्षेत्रीय भाषाओं व स्थानीय संदर्भों में विस्तारित किया जाए।
- सहयोगात्मक पारिस्थितिकी: सरकार, शिक्षाविदों और उद्योग जगत के बीच साझेदारी से नवाचार, विस्तार और प्रासंगिकता सुनिश्चित की जा सकती है।
- उदाहरण: Intel और IBM के साथ सहयोग मॉडल शिक्षकों के सतत् प्रशिक्षण और पाठ्यक्रम विकास की दिशा में आशाजनक है।
निष्कर्ष
प्रारंभिक शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का समावेश, प्रौद्योगिकी, समावेशिता और समालोचनात्मक सोच को एक साथ जोड़ सकता है। यदि समान पहुँच, शिक्षक सशक्तीकरण और नैतिक नियमन सुनिश्चित किए जाएँ, तो यह सुधार सतत् एवं समावेशी होगा। यह भारत को एक डिजिटल रूप से दक्ष और न्यायपूर्ण शिक्षा प्रणाली की ओर अग्रसर करने वाला ऐतिहासिक कदम है।
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