प्रश्न की मुख्य माँग
- भूटान के पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की आधारभूत भूमिका (K4)
- जलविद्युत कूटनीति का विकास
- दोनों देशों के लिए सुरक्षा सहयोग का स्थायी महत्व।
|
उत्तर
भूटान के चतुर्थ राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक (K4), जिन्हें बोधिसत्व राजा कहा जाता है, ने वर्ष 1972 से वर्ष 2006 तक शासन किया। उन्होंने आधुनिकीकरण को सांस्कृतिक संरक्षण के साथ जोड़ा, और भूटान के लोकतंत्र तथा भारत-केंद्रित विदेश नीति की नींव रखी।
K4 की भूटान के आधुनिकीकरण में बुनियादी भूमिका
- लोकतंत्र की ओर मार्गदर्शन: K4 ने पूर्ण राजशाही से संवैधानिक लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण संक्रमण का नेतृत्व किया (2006 में स्वेच्छा से त्यागपत्र दिया)।
- उदाहरण: वर्ष 2008 का संविधान तैयार कराया, जिसमें निर्वाचित संसद और शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान है।
- सांस्कृतिक मूल्यों के साथ आर्थिक आधुनिकीकरण: विकास को भूटानी मूल्यों से जोड़ा, सकल राष्ट्रीय खुशी (GNH) की अवधारणा दी।
- अवसंरचना आधारित विकास: राज्य की क्षमता बढ़ाई — सड़क, संचार और विकेंद्रीकरण पर बल दिया।
- उदाहरण: भारत की सीमा सड़क संगठन (BRO) के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजमार्ग और संपर्क मार्गों का निर्माण।
- पर्यावरणीय संवैधानिकता: विकास को पर्यावरण के अनुरूप बनाया।
- उदाहरण: संविधान में 60% वन क्षेत्र बनाए रखने का प्रावधान, जिससे भूटान विश्व का एकमात्र कार्बन-निगेटिव देश बना।
भारत–भूटान संबंधों को सुदृढ़ करने में भूमिका
- रणनीतिक विदेश नीति अभिविन्यास: भारत को विकास और सुरक्षा साझेदार के रूप में स्थापित किया, उत्तर दिशा (चीन) से आने वाले खतरों को ध्यान में रखते हुए।
- जलविद्युत कूटनीति: भूटान की जलविद्युत क्षमता को भारत के साथ साझा आर्थिक विकास का माध्यम बनाया।
- उदाहरण: चुंखा (वर्ष 1988), ताल (वर्ष 2006), कुरिचू (वर्ष 2001) परियोजनाएँ — बिजली बिक्री से भूटान के सामाजिक क्षेत्र को निधि।
- सीमा और रक्षा सहयोग: चीन के दावों के विरुद्ध भारत के साथ समन्वय बढ़ाया।
- उदाहरण: डोकलाम वार्ता (वर्ष 2003–2006) के दौरान घनिष्ठ सहयोग।
- व्यापार और संपर्क एकीकरण: भारत को भूटान की विदेश नीति का केंद्रबिंदु बनाया।
- उदाहरण: प्रधानमंत्री मोदी की पहली विदेश यात्रा (वर्ष 2014) और K4 के 70वें जन्मदिन (वर्ष 2025) पर भूटान यात्रा।
जलविद्युत कूटनीति का विकास
- आर्थिक जीवनरेखा के रूप में जलविद्युत: K4 ने जलविद्युत को दीर्घकालिक राजस्व स्रोत के रूप में पहचाना।
- उदाहरण: चुंखा परियोजना (वर्ष 1988) भारत द्वारा पूर्ण रूप से वित्तपोषित पहला निर्यात परियोजना।
- पारस्परिक विकास मॉडल: भारत परियोजनाओं को वित्त देता है और भूटान बिजली निर्यात से ऋण चुकाता है।
- उदाहरण: ताल (1,020 MW) और पुनात्सांगछू-II (1,020 MW) — भूटान को स्थिर आय और भारत को स्वच्छ ऊर्जा।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: सरकारी परियोजनाओं से ब्लेंडेड फाइनेंस और निजी निवेश की ओर संक्रमण।
- उदाहरण: टाटा पावर और अडानी पावर का भूटानी कंपनियों के साथ सहयोग।
- स्वच्छ ऊर्जा के रूप में रणनीतिक संपत्ति: भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और भूटान के राजस्व विविधीकरण का समर्थन करता है।
दोनों देशों के लिए सुरक्षा सहयोग का स्थायी महत्व
- साझा क्षेत्रीय सुरक्षा विश्वास: दोनों ही चीनी विस्तार के बारे में चिंतित हैं।
- उदाहरण: डोकलाम (वर्ष 2017) और चीन के साथ सीमा वार्ताओं में समन्वय।
- आतंकवाद-रोधी सहयोग: K4 ने सुनिश्चित किया कि भूटान भारत-विरोधी उग्रवादियों का ठिकाना न बने।
- उदाहरण: ऑपरेशन ऑल क्लियर (वर्ष 2003) भूटानी सेना ने ULFA/NDFB को हटाया।
- सीमा अवसंरचना तालमेल: सुरक्षित संपर्क से तेज़ गतिशीलता और विकास संभव हुआ।
- संस्थागत विश्वास की निरंतरता: वर्तमान राजा K5, सुरक्षा और विदेश नीति पर K4 से परामर्श जारी रखते हैं।
- भूटानी नीति अभिजात वर्ग नियमित रूप से भारतीय नेतृत्व से संपर्क करता है प्रधानमंत्री मोदी की K4 की 70वीं वर्षगांठ (वर्ष 2025) के लिए यात्रा।
निष्कर्ष
K4 ने विकास और सुरक्षा साझेदारी की ऐसी नींव रखी जिसमें जलविद्युत समृद्धि को बढ़ाता है और सुरक्षा सहयोग विश्वास को गहरा करता है। उनके नेतृत्व ने भारत–भूटान संबंधों को आपसी सम्मान, आर्थिक परस्परता और रणनीतिक सामंजस्य का आदर्श बनाया, जिससे यह दक्षिण एशिया की सबसे स्थिर द्विपक्षीय साझेदारी बनी।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Latest Comments