Q. जेन Z की 'फिजिटल (Phygital)' सक्रियता के संदर्भ में सोशल मीडिया (मोबिलाइजेशन बनाम गलत सूचना) के द्वंद्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। राज्य दमन की सीमाओं पर चर्चा कीजिए और इसके विनियमन के लिए सतत, सहयोगात्मक मॉडल सुझाएं। (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • जेन Z की ‘फिजिटल’ सक्रियता में सोशल मीडिया (मोबिलाइजेशन बनाम गलत सूचना) का द्वंद्व।
  • राज्य दमन की सीमाएँ
  • स्थायी, सहयोगात्मक विनियमन मॉडल के लिए सुझाव

उत्तर

उस युग में जब विरोध-प्रदर्शन स्क्रीन पर शुरू होते हैं और सड़कों तक फैल जाते हैं, जेन-Z ने सोशल मीडिया को एक साथ शक्ति-वर्धक (force multiplier) और युद्धभूमि बना दिया है। प्लेटफॉर्म अभूतपूर्व गति से एकत्रीकरण को तेज करते हैं, और साथ ही फेक न्यूज  तथा एल्गोरिदमिक अराजकता को भी बढ़ाते हैं, जिससे राज्यों को नियंत्रण-आधारित शासन पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य होना पड़ता है।

जेन-Z के फिजिटल आंदोलन में सोशल मीडिया की द्वैध प्रकृति

संघटन

  • तीव्र संघटन और वास्तविक-समय समन्वय: सोशल मीडिया भौगोलिक सीमाओं को समाप्त करते हुए नेता-विहीन, त्वरित जुटान को संभव बनाता है—फिजिकल + डिजिटल आंदोलनों के माध्यम से (QR कोड, गूगल शीट्स, लाइव स्ट्रीम्स)।
    • उदाहरण: थाईलैंड के लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों ने पुलिस बैरिकेड्स से बचने के लिए टेलीग्राम मैप्स का उपयोग किया।
  • काउंटर-नैरेटिव और आवाज़ का लोकतंत्रीकरण:  प्लेटफॉर्म छात्रों, महिलाओं और अनौपचारिक समूहों को राज्य-नियंत्रित मुख्यधारा मीडिया की कथाओं को चुनौती देने में सक्षम बनाते हैं।
    • उदाहरण: हांगकांग, ताइवान और थाईलैंड के युवाओं ने #MilkTeaAlliance के माध्यम से राष्ट्रवादी प्रचार का सामना किया।

गलत सूचना 

  • भावनात्मक वायरलिटी: सक्रियता भावनाओं पर फलती-फूलती है और गलत सूचना सत्यापित सामग्री से कहीं तेज फैलकर आंदोलनों को प्रभावित करती है।
    • उदाहरण: श्रीलंका के वर्ष 2022 विरोधों में बदली गई छवियों ने सैन्य तैनाती को लेकर भय उत्पन्न किया।
  • एल्गोरिदमिक ‘इको-चेम्बर्स’: एल्गोरिदम सत्य की बजाय जुड़ाव को प्राथमिकता देते हैं, जिससे वैचारिक बुलबुले बनते हैं और ध्रुवीकरण बढ़ता है।
    • उदाहरण: CAA/NRC विवाद के दौरान इंस्टाग्राम रील्स ने आक्रामक राष्ट्रवाद को बढ़ावा दिया।
  • डीपफेक और पहचान में विकृति: AI उपकरण नकली भाषण तैयार कर अविश्वास को हथियार बनाते हैं।
    • उदाहरण: भारत के कई राज्य चुनावों में डीपफेक वीडियो सामने आए, जिससे मतदाता भ्रमित हुए।

राज्य द्वारा दमन की सीमाएँ

  • इंटरनेट बंदी फिजिटल जुटान को नहीं रोक सकती:  जेन-Z VPN, AirDrop और ऑफलाइन मेश नेटवर्क का उपयोग कर प्रतिबंधों को दरकिनार करती है।
    • उदाहरण: म्यांमार वर्ष 2021 के तख्तापलट में छात्रों ने ब्लूटूथ आधारित Bridgefy ऐप का उपयोग किया।
  • सेंसरशिप उल्टा असर करती है: विरोध सामग्री को हटाने से अधिक ध्यान आकर्षित होता है। एक बार सेंसर होने के बाद, यह तेजी से और व्यापक रूप से फैलता है, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर।
    • उदाहरण: महिला-जीवन-स्वतंत्रता विरोध (वर्ष 2022) के वीडियो को ब्लॉक करने के बावजूद, एक्स/टिकटॉक पर प्रवासी लोगों द्वारा पुनः पोस्ट किए जाने से वे वैश्विक स्तर पर ट्रेंड करने लगे, जिससे वैश्विक जांच बढ़ गई।
  • वैश्विक डिजिटल एकजुटता स्थानीय नियंत्रण से तेज: जेन-Z के हैशटैग अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर दबाव बनाए रखते हैं।
    • उदाहरण: फिलिस्तीन-गाजा विरोधों में 40+ देशों के युवाओं के टिक-टॉक अभियानों ने वैश्विक जुटान उत्पन्न किया।
  • दमन से राज्य की वैधता कमजोर होती है: अत्यधिक ब्लॉकिंग, टेकेडाउन और गिरफ्तारियाँ लोकतांत्रिक साख को नुकसान पहुँचाती हैं और न्यायिक व सामाजिक प्रतिक्रिया उत्पन्न करती हैं।
  • निगरानी कार्यकर्ताओं को ‘अनट्रेसेबल’ प्लेटफॉर्म पर ले जाती है:  कार्यकर्ता एन्क्रिप्टेड या विकेन्द्रित प्लेटफॉर्म अपनाते हैं, जिससे राज्य की निगरानी कठिन हो जाती है।
    • उदाहरण: हांगकांग विरोधों के दौरान निगरानी की आशंकाओं के बाद कार्यकर्ताओं ने व्हाट्सऐप छोड़कर सिग्नल और टेलीग्राम का उपयोग शुरू किया।

सतत और सहयोगात्मक विनियमन के सुझाव

  • प्लेटफॉर्म-स्टेट गलत सूचना प्रोटोकॉल: विरोध संबंधी गलत सूचना के लिए संयुक्त निगरानी डैशबोर्ड।
  • एल्गोरिथम पारदर्शिता और ऑडिट ट्रेल: निष्कासन और पहुंच में कमी की अनिवार्य सार्वजनिक रिपोर्टिंग।
  • दीर्घकालिक प्रतिरक्षा के रूप में डिजिटल साक्षरता: तथ्य-जांच और स्रोत सत्यापन सिखाएं।
    • उदाहरण: फिनलैंड ने स्कूली पाठ्यक्रम के माध्यम से गलत सूचना की संवेदनशीलता को कम किया।
  • सिविल सोसाइटी सह-विनियमन बोर्ड: यह सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी कि प्लेटफॉर्म सरकारों के साथ अति-अनुपालन न करें।
  • डीपफेक पर वॉटरमार्किंग और नैतिक AI.: सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए सिंथेटिक सामग्री की ट्रेसेबिलिटी।

निष्कर्ष

जेन-Z का फिजिटल एक्टिविज़्म दर्शाता है कि सेंसरशिप सामूहिक इच्छा को दबा नहीं सकती। प्रत्येक निष्कासन से डिजिटल एकजुटता और अधिक तीव्र हो जाती है। सतत नियमन प्रतिबंधों में नहीं, बल्कि सह-शासन, पारदर्शी एल्गोरिदम, नैतिक एआई मानकों, डिजिटल साक्षरता और प्लेटफॉर्म जवाबदेही में निहित है ताकि प्रौद्योगिकी लोकतंत्र को कमजोर नहीं, बल्कि सशक्त बनाए।

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