Q. प्रौद्योगिकी और आधुनिक पुलिसिंग पद्धतियों में पुलिस बल की दक्षता और पारदर्शिता में उल्लेखनीय सुधार लाने की क्षमता है। चर्चा कीजिए कि फोरेंसिक विज्ञान और साइबर-विश्लेषण जैसे वैज्ञानिक उपकरणों का एकीकरण भारत में पुलिसिंग में कैसे क्रांति ला सकता है। इन तकनीकों को अपनाने में पुलिस को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और इनका समाधान कैसे किया जा सकता है? (15 अंक, 250 शब्द)

प्रश्न की मुख्य माँग

  • वैज्ञानिक उपकरण पुलिस व्यवस्था में कैसे क्रांति लाते हैं
  • अपनाने में प्रमुख चुनौतियाँ
  • चुनौतियों का समाधान

उत्तर

तकनीकी आधारित पुलिसिंग विलम्ब को कम करके, साक्ष्यों को मजबूत करके और जवाबदेही सुनिश्चित करके दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाती है। फॉरेंसिक विज्ञान, साइबर विश्लेषण और डिजिटल प्लेटफॉर्म के एकीकरण से भारत की पुलिस व्यवस्था में क्रांति आ सकती है, जिससे जाँच प्रक्रिया तीव्र तथा विश्वसनीय और नागरिक-केंद्रित बनेंगी तथा विकसित भारत के सुधारों के अनुरूप होंगी।

वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा पुलिसिंग में क्रांति

  • फॉरेंसिक DNA: राष्ट्रीय फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर संवर्धन योजना (NFIES) के अंतर्गत सुदृढ़ केंद्रीय फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाएँ (CFSL) और राज्य प्रयोगशालाएँ गंभीर अपराधों में अनिवार्य फॉरेंसिक उपयोग सुनिश्चित करती हैं।
  • साइबर विश्लेषण: भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) साइबर अपराधों के लिए नोडल हब के रूप में कार्य करता है, कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समन्वय करता है और साइबर अपराध संबंधी सलाह जारी करता है।
  • डेटा एकीकरण: इंटरऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) चरण-2, क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS), ई-कोर्ट्स, ई-प्रिजन्स, ई-फॉरेंसिक को जोड़ता है, जिससे मामलों की निर्बाध ट्रैकिंग संभव होती है।
  • बायोमेट्रिक सिस्टम: NAFIS ने 1.06 करोड़ फिंगरप्रिंट का खोजने योग्य डेटाबेस बनाया, जिसे पूरे देश में एक्सेस किया जा सकता है।
    • उदाहरण: NCRB द्वारा राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS) का कार्यान्वयन।
  • पारदर्शिता संबंधी उपकरण: कर्नाटक पुलिस ने ‘बॉडी-वॉर्न’ कैमरों को अनिवार्य किया; दिल्ली पुलिस ने शिकायतों को कम करने के लिए BNSS के तहत बॉडी-वेयरबल कैमरों का पायलट परीक्षण किया।

अपनाने में चुनौतियाँ

  • कौशल की कमी: सीमित साइबर-फॉरेंसिक विशेषज्ञता और असमान प्रशिक्षण उपकरणों के प्रभावी उपयोग और विश्लेषण में बाधक हैं।
  • परिणाम में विलंब: प्रयोगशाला में लंबित कार्य, बैंडविड्थ और डिवाइस की कमी के कारण परिणाम में देरी होती है और प्रभाव कम होता है।
  • इंटरऑपरेबिलिटी: विखंडित डेटाबेस और पुरानी प्रणाली के प्रारूप निर्बाध, वास्तविक समय में सूचना साझा करने में बाधक हैं।
    • उदाहरण: ICJS/CCTNS में एकीकरण संबंधी बाधाएँ।
  • गोपनीयता जोखिम: बायोमेट्रिक और निगरानी संबंधी कमजोर सुरक्षा उपाय, विश्वास को कम कर सकते हैं और कानूनी प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकते हैं।
    • उदाहरण: डेटा संरक्षण संबंधी बहस और अनुपालन के लिए अधिक स्पष्टता और सुरक्षा उपायों के लिए अधिक सख्त कानूनों की आवश्यकता है।

चुनौतियों का समाधान

  • सतत् निवेश: बहु-वर्षीय फंडिंग और समर्पित केंद्रीय योजनाएँ फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की खरीद, रखरखाव और विस्तार सुनिश्चित करती हैं।
    • उदाहरण: राष्ट्रीय फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर संवर्द्धन योजना, ₹2,254.43 करोड़ (वर्ष 2024–29)।
  • क्षमता निर्माण: प्रशिक्षण में वृद्धि, विशेषज्ञों की भर्ती और NFSU व शैक्षणिक केंद्रों के साथ साझेदारी कर सतत् कौशल विकास को प्रेरित करना।
  • प्रणालीगत एकीकरण:  CCTNS/ICJS  को फॉरेंसिक, न्यायालयों और जेलों से जोड़ना, ‘इंटरऑपरेबल’ मानक और API अपनाना।
  • प्रक्रिया में सुधार: ‘चेन-ऑफ-कस्टडी’ लागू करना, एकसमान संग्रह प्रोटोकॉल और न्यायिक रूप से स्वीकार्य फोरेंसिक मानकों को लागू करना।
  • गोपनीयता संबंधी ढाँचा: दुरुपयोग को रोकने और जनता में विश्वास निर्माण के लिए डेटा-सुरक्षा सुरक्षा उपाय, ऑडिट ट्रेल्स और स्वतंत्र निरीक्षण लागू करना।

निष्कर्ष

भारत का पुलिसिंग भविष्य फॉरेंसिक विज्ञान, साइबर विश्लेषण और एकीकृत आईटी सिस्टम को दैनिक अभ्यास में समाहित करने में निहित है। मजबूत प्रशिक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर और कानूनी सुरक्षा उपायों के साथ, तकनीक पुलिसिंग को पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित सेवा में परिवर्तित कर सकती है, जो न्याय वितरण प्रणाली और सार्वजनिक विश्वास में वृद्धि करती है।

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Aiming for UPSC?

Download Our App

      
Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">






    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.