Explore Our Affordable Courses

Click Here

Q. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के साथ भारत के जुड़ाव के कारणों और भारत की विदेश नीति पर इसके प्रभाव पर चर्चा करें। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक)

 उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: एससीओ का संक्षेप में परिचय देते हुए इसके दायरे और महत्व के बारे में बताएं। 2017 में भारत की सदस्यता के बाद इसकी भागीदारी में वृद्धि हुई है, जैसा कि हाल ही में एससीओ बैठक की मेजबानी से पता चला है।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • एससीओ के साथ भारत की सक्रिय भागीदारी के पीछे प्रमुख रणनीतिक कारकों का वर्णन करें।
    • चर्चा करें कि एससीओ के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी उसकी विदेश नीति को कैसे प्रभावित करती है।
  • निष्कर्ष: एससीओ के साथ भारत के संबंध एवं उसकी विदेश नीति के विकास को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष निकालें।

 परिचय:

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), भारत सहित आठ देशों का एक बहुपक्षीय संगठन है जो यूरेशिया में एक महत्वपूर्ण इकाई के रूप में उभरा है। वर्ष 2017 से भारत इस संगठन का सदस्य बनकर, क्षेत्रीय सुरक्षा बनाए रखने, आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने और उग्रवाद से जुड़े खतरों को संबोधित करने जैसे कई कारणों से एससीओ के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। हाल ही में भारत द्वारा आयोजित एससीओ बैठक उसकी विदेश नीति में इस मंच के बढ़ते महत्व को रेखांकित करती है।

मुख्य विषयवस्तु:

एससीओ यूरेशिया के 60% से अधिक क्षेत्र व  दुनिया की 40% से अधिक आबादी के साथ ,विश्व की जीडीपी का लगभग एक चौथाई हिस्सा रखता है। इस प्रकार यह भारत के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करता है।

एससीओ के साथ भारत के जुड़ाव में बदलाव के कारण

  • क्षेत्रीय सुरक्षा:
    • एससीओ भारत को धार्मिक उग्रवाद और आतंकवाद से क्षेत्रीय खतरों को बेअसर करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
    • उदाहरण के लिए, अफगानिस्तान से पश्चिमी देशों की वापसी और इस्लामिक स्टेट (आईएस) के उदय के बाद, एससीओ , भारत को इस क्षेत्र को स्थिर करने की दिशा में चर्चा व काम करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • क्षेत्रवाद को अपनाना:
    • सार्क और आरसीईपी के साथ भारत की घटती भागीदारी को देखते हुए, एससीओ क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है।
    • एससीओ के माध्यम से  भारत ऊर्जा, व्यापार और परिवहन में महत्वपूर्ण सहयोग की सुविधा प्रदान कर सकता है और पारंपरिक और गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों से निपट सकता है।
  • मध्य एशिया से जुड़ने का मौका:
    • एससीओ भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति को आगे बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक उपकरण के रूप में कार्य करता है।
    • यह भारत को मध्य एशिया के साथ संबंधों को फिर से जोड़ने और उसे फिर से सक्रिय करने का मौका प्रदान करता है, गौरतलब है कि मध्य एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जिसके साथ भारत ने ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं
  • पाकिस्तान और चीन से निपटना:
    • मौजूदा तनावों के बावजूद, एससीओ ने भारत को चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए एक क्षेत्रीय संदर्भ प्रदान किया है।
    • गौरतलब है कि एलएसी गतिरोध के दौरान एससीओ भारत के लिए चीन के साथ संवाद करने में सहायक रहा है।

भारत की विदेश नीति के लिए निहितार्थ

  • अफगानिस्तान में स्थिरता:
    • अफगानिस्तान में तेजी से बदलती परिस्थितियों और क्षेत्र के सुरक्षा परिदृश्य को गहराई से समझने में एससीओ में भारत की भूमिका प्रभावशाली रही है।
    • इस सक्रिय भागीदारी का भारत की सुरक्षा और विकास नीति पर प्रभाव पड़ता है।
  • सामरिक संतुलन:
    • एससीओ में शामिल होकर भारत ने अपने भू-राजनीतिक संबंधों को संतुलित किया है इसके अतिरिक्त पश्चिमी दुनिया के साथ अपने मजबूत संबंधों को और बेहतर किया है।
    • इस भागीदारी से भारत को एक संतुलित विदेश नीति पेश करने में मदद मिली है।
  • सुरक्षा के मूलभूत आयाम:
    • भारत के प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करते हुए यूरेशिया के सुरक्षितहोने के मूलभूत आयाम को स्पष्ट किया जो निम्नलिखित है  –
      • नागरिकों के लिए सुरक्षा,
      • सबके लिए आर्थिक विकास,
      • क्षेत्र को जोड़ना,
      • लोगों को एकजुट करें,
      • संप्रभुता और अखंडता के लिए सम्मान, और
      • पर्यावरण संरक्षण।
    • यह एससीओ के साथ भारत के जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण पहलू और भारत की विदेश नीति रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
  • सुरक्षा सहयोग:
    • एससीओ की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) में भागीदारी, भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता में सक्रिय भूमिका प्रदान करती है।
  • घनिष्ठ आर्थिक एकीकरण:
    • एससीओ भारत को अपने आर्थिक पदचिह्न को बढ़ाते हुए सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ आर्थिक संबंध बनाने में सक्षम बनाता है।

वे चुनौतियाँ जिनसे भारत को निपटने की आवश्यकता है

  • कई अवसरों के बावजूद, भारत को एससीओ के साथ अपने जुड़ाव में कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
  • इनमें पाकिस्तान द्वारा भारत से सीधे जुडने से इनकार करना, रूस-चीन का बढ़ती निकटता जो शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है। कुछ और मसले जैसे अन्य एससीओ सदस्यों के साथ बीआरआई प्रोजेक्ट पर मतभेद और भारत-पाकिस्तान प्रतिद्वंद्विता ऐसे मुद्दे हैं जो संभावित रूप से एससीओ के कामकाज को प्रभावित कर सकता है। 

निष्कर्ष

एससीओ के नए सदस्य के रूप में भारत को एक उपयुक्त यूरेशियन रणनीति तैयार करने की आवश्यकता है, जो उसके क्षेत्रीय हितों की पूर्ति करे, संप्रभुता बनाए रखे और क्षेत्र को आतंकवाद और उग्रवाद का केंद्र बनने से रोके। भारत के हित में यह भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह क्षेत्र भू-राजनीतिक शतरंज की बिसात में विकसित न हो पाये। इस प्रकार कई चुनौतियों के बावजूद, एससीओ अधिक सहयोगी और स्थिर क्षेत्रीय वातावरण को बढ़ावा देते हुए, यूरेशियन क्षेत्र और उससे आगे तक भारत की पहुंच के लिए एक रणनीतिक मंच प्रदान कर सकता है।   

To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

Need help preparing for UPSC or State PSCs?

Connect with our experts to get free counselling & start preparing

Download October 2024 Current Affairs.   SRIJAN 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims Test Series 2025

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Download October 2024 Current Affairs.   SRIJAN 2025 Program (Prelims+Mains) !     Current Affairs Plus By Sumit Sir   UPSC Prelims Test Series 2025

Quick Revise Now !
AVAILABLE FOR DOWNLOAD SOON
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध
Quick Revise Now !
UDAAN PRELIMS WALLAH
Comprehensive coverage with a concise format
Integration of PYQ within the booklet
Designed as per recent trends of Prelims questions
हिंदी में भी उपलब्ध

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.