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Q. तीव्र और सतत ऊर्जा परिवर्तन प्राप्त करने में महत्वपूर्ण खनिजों की सीमित उपलब्धता और आपूर्ति जोखिमों से उत्पन्न चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। उन रणनीतियों पर चर्चा करें ,जिन्हें भारत इन चुनौतियों को कम करने तथा अपने ऊर्जा लक्ष्यों हेतु महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षित और किफायती आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु अपना सकता है। (250 शब्द, 15 अंक)

उत्तर:

दृष्टिकोण:

  • परिचय: ऊर्जा संक्रमण और महत्वपूर्ण खनिजों के महत्व को परिभाषित करें। इसके अतिरिक्त सीमित उपलब्धता और आपूर्ति जोखिमों के मुद्दे पर संक्षेप में प्रकाश डालें।
  • मुख्य विषयवस्तु:
    • ऊर्जा परिवर्तन को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण खनिजों की सीमित उपलब्धता और आपूर्ति जोखिमों से उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करें।
    • उन संभावित रणनीतियों के बारे में बताएं जिन्हें भारत इन चुनौतियों को कम करने और महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति को सुरक्षित करने के लिए अपना सकता है।
    • आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने, रणनीतिक गठबंधन बनाने, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, रीसाइक्लिंग और सर्कुलर अर्थव्यवस्था और अनुसंधान एवं विकास में निवेश के महत्व पर चर्चा करें।
  • निष्कर्ष: भारत के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की स्थायी और किफायती आपूर्ति हासिल करने के महत्व पर जोर देते हुए निष्कर्ष निकालें।

परिचय:

ऊर्जा संक्रमण का अर्थ ऊर्जा उत्पादन और खपत की जीवाश्म-आधारित प्रणालियों से नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में बदलाव का होना है। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अभिन्न अंग है। लिथियम, कोबाल्ट, निकल और दुर्लभ मृदा तत्व जैसे महत्वपूर्ण खनिज -सौर पैनल, पवन टर्बाइन तथा इलेक्ट्रिक वाहन जैसी नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के आवश्यक घटक हैं। 

मुख्य विषयवस्तु: 

हालाँकि, इन खनिजों की सीमित उपलब्धता और आपूर्ति जोखिम तीव्र और सतत ऊर्जा संक्रमण के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियाँ पैदा करते हैं।

चुनौतियाँ:

  • भू-राजनीतिक जोखिम:
    • महत्वपूर्ण खनिज भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुछ देशों में केंद्रित है, जिससे भू-राजनीतिक जोखिम पैदा हो रहे हैं।
    • उदाहरण के लिए 2020 तक, चीन वैश्विक दुर्लभ मृदा तत्वों के 60% से अधिक उत्पादन को नियंत्रित करता है।
  • कीमतो में अस्थिरता:
    • इन खनिजों की उच्च मांग और प्रतिबंधित आपूर्ति से कीमतों में अस्थिरता हो सकती है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की लागत बढ़ सकती है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव:
    • महत्वपूर्ण खनिजों के निष्कर्षण से अकसर गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं, जैसे जल प्रदूषण, मिट्टी का क्षरण और निवास स्थान का विनाश।
  • मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ:
    • कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य जैसे देशों में कोबाल्ट जैसे कुछ महत्वपूर्ण खनिजों का खनन बाल श्रम सहित गंभीर मानवाधिकारों के दुरुपयोग से जुड़ा हुआ है।

भारत के लिए रणनीतियाँ:

  • आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना:
    • भारत को एक या कुछ देशों पर निर्भरता कम करने के लिए अपनी महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लानी चाहिए।
  • रणनीतिक साझेदारी और गठबंधन:
    • भारत इनकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इन संसाधनों से समृद्ध देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी और गठबंधन स्थापित सकता है।
    • उदाहरण के लिए, भारत ने बैटरी भंडारण के लिए एक महत्वपूर्ण खनिज लिथियम के लिए अर्जेंटीना के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना:
    • जहां तक संभव हो भारत को इन खनिजों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, भारत की मोनाज़ाइट रेत में दुर्लभ मृदा तत्वों की महत्वपूर्ण सांद्रता है।
  • पुनर्चक्रण और चक्रीय अर्थव्यवस्था:
    • भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के लिए पुनर्चक्रण और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे नए खनन की आवश्यकता कम हो और पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सके।
  • अनुसंधान और विकास:
    • भारत को वैकल्पिक सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना चाहिए जो महत्वपूर्ण खनिजों के उपयोग को प्रतिस्थापित या कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

भारत के ऊर्जा परिवर्तन लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण खनिजों की स्थायी और किफायती आपूर्ति सुरक्षित करना महत्वपूर्ण है। हालांकि इन लक्ष्यों के समक्ष कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी मौजूद हैं, फिर भी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने, रणनीतिक साझेदारी, घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, रीसाइक्लिंग और अनुसंधान एवं विकास का संयोजन इन जोखिमों को कम कर सकता है। इन उपायों के माध्यम से, भारत न केवल अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है बल्कि अधिक टिकाऊ और सतत ऊर्जा भविष्य की ओर भी बढ़ सकता है।

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